The Author Alok Mishra Follow Current Read हाईकू By Alok Mishra Hindi Poems Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books राजा और दो पुत्रियाँ 1. बाल कहानी - अनोखा सिक्काएक राजा के दो पुत्रियाँ थीं । दोन... डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 76 अब आगे,राजवीर ने अपनी बात कही ही थी कि अब राजवीर के पी ए दीप... उजाले की ओर –संस्मरण नमस्कार स्नेही मित्रो आशा है दीपावली का त्योहार सबके लिए रोश... नफ़रत-ए-इश्क - 6 अग्निहोत्री इंडस्ट्रीजआसमान को छू ती हुई एक बड़ी सी इमारत के... My Wife is Student ? - 23 स्वाति क्लास में आकर जल्दी से हिमांशु सर के नोट्स लिखने लगती... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Share हाईकू (3) 1.8k 7.3k हाईकू हाईकू एक शब्दिक छंद है ।इसका तुकांत या अतुकांत होना उतना महत्व नहीं रखता जितना कि पूरे भाव का व्यक्त होना । छोटा छंद होने के बावजूद यह भाव व्यक्त करने का सशक्त माध्यम है। पांच सात पांच की शाब्दिक तीन चरणों के संपूर्ण भाव को समाहित करना होता है । मूलत:इसे जापानी छंद माना जाता है हिन्दी में इसे अंगीकृत किया गया है हालांकि इस केवल। इस छंद के कारण हिन्दी साहित्य में कोई लेखक जाना जाता हो ऐसा नहीं दिखता । लेखक भी इसे खाली समय की रचना ही मानते हैं ।मेरे लिखे लगभग एक हजार में से कुछ हाईकू प्रस्तुत है ।प्रतिक्रिया अवश्य दें आभारी रहुंगा ।गुरू प्रेरणा वंदन तेरा करूं करूं प्रणाम∆जिन्दगी यूहीं कट गई मेरी तो मिला न स्नेही ∆ मधुशाला थी पिया मधु कर्म का पाठशाला थी ∆ राजनीति में दल पद नेता है जोड तोड में ∆ गुलाब बोला सीखो कुछ कॉंटों से मै तो हॅुं भोला ∆ चुनाव आए अब नेता फिर से दिखे टर्राए ∆ ये मेघदूत विरहणी नार का है यमदूत ∆ तारणहार उर बसाएं राम जीवन सार ∆ आतंकवादी समाप्त ही होनी है तेरी आबादी ∆ मॉंगे से नहीं सम्मान मिलता है बिना मॉंगे ही ∆ फैलाते दंगे राजनीतिबाज़ ही लुच्चे लफंगे ∆ भूखे व नंगे मरते है दंगों में हंसे लफंगे ∆ तेरा मिलना एक सपना ही है अब अपना ∆ एक सच्चा ही काफी है हुजूम में बने सिपाही ∆ गॉंधी विचार सत्य अहिंसा खादी करो आचार ∆ तेरे सहारे चला था मै मगर लूटा तूने ही ∆ करे मुज़रा नापाक गली बीच पाक गजरा ∆ महात्मा गॉंधी जनता की आवाज सच की आंधी ∆ विदेश यात्रा शासन की पूंजी में हो भारी मात्रा ∆ रंगीली नार दे दर्शन दूर से एड्स की मार ∆ हमारा प्यार सहता ही रहेगा जग की मार ∆ थी वो बेचारी असहाय निरीह अबला नारी ∆ बात हमारी महल न अटारी भूख बेगारी ∆ विज्ञानलोक सभ्यता का आईना मिला आलोक ∆ था मै अकेला मिली सफलता तो साथ था मेला ∆ सब के बीच अपनी ही सोचता मै एक नीच सुबहा शाम दीवाना हॅुं पागल तेरे ही नाम ∆ चॉंद चॉदनी निराले साजन की प्यारी सजनी ∆ है समाचार बम धमाके से मरे हजार ∆ आतंकराज बेगुनाहों को मारे पाने ताज़ ∆ बॉस नाराज गलती खुद की है खुला जो राज़ ∆ हाथों की रेखा बनाती तकदीरें ऐसा भी देखा ∆ तदबीर से होता है और कुछ तकदीर से ∆ ब्रम्हण्ड झूमे अपनी ही धुन में दुनिया घूमें ∆ नई उमंगें इठलाती बावली युवा तरंगें ∆ बनें खबरें मरे दो या हजार खूब अखरें सांसदगण करें वहीं वर्षों से वृक्षारोपण ∆ बना वो नेता गुण्डा डाकू लफंगा कल था दल्ला ∆ वृक्ष बचाओ रोको प्रदूषण को पृथ्वी बचाओ ∆ बनी योजना घर भरे ठेके से पुल न बना ∆ चॉंदनी चीखी रोई गिडगिडाई किस्मत चूकी ∆ शादी के नाम दहेज में बिका वो खुद के दाम ∆ चॉंद की दीद खुशियों की सौगात मनाओ ईद ∆ जवानी मस्त अलसाई उदास हो गई पस्त ∆ सुरम्य वन निर्जन अनजान अति सघन ∆ सीता का दुख स्वामी विमुख भए कहॉं का सुख ∆एक सवाल ठेकेदार कौन है हुआ बवाल ∆ गोरी आती है यौवन मधुरस माया लाती है आलोक मिश्रा "मनमौजी" Download Our App