The Author Neerja Pandey Follow Current Read पिशाच..! - 6 - ममी का रहस्य.. By Neerja Pandey Hindi Horror Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books પ્રેમ સમાધિ - પ્રકરણ-119 પ્રેમ સમાધિ પ્રકરણ-119 વિજયની ગાડી બંગલાની સાવ નજીક આવી ગઇ વ... ક્યાં છે સોનાની નગરી અલડોરાડો? માનવીને હંમેશથી અખૂટ સંપત્તિ મેળવવાની ઝંખના રહી છે અને સોનાન... ભાગવત રહસ્ય - 99 ભાગવત રહસ્ય-૯૯ હવે કપિલ ગીતાનો પ્રારંભ થાય છે. આ દિવ્ય પ્ર... સિંદબાદની સાત સફરો - 6 6.ફરીથી સહુ મિત્રો અને હિંદબાદ, સિંદબાદને ઘેર ભેગા થયા. સહુન... ખજાનો - 66 "અરે એમાં આભાર શાનો..? આપણે સૌ મિત્ર છીએ. એક ચોક્કસ હેતુ સાથ... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by Neerja Pandey in Hindi Horror Stories Total Episodes : 12 Share पिशाच..! - 6 - ममी का रहस्य.. (17) 3.3k 10.1k एयरपोर्ट पर उतरते ही आयुष ने कहा "यार यहां कितनी गर्मी और धूप है उससे अच्छा तो कहीं और गए होते हैं।"यह सुन उसके दोस्त आर्यन ने कहा "तुम्हारी ही तो जिद थी ईजिप्ट आकर मम्मी को देखने की। अब शिकायत मत करो और चुपचाप चलो। तुम लोगों ने अगर मेरी मानी होती तो हम अभी अमेरिका में होते।"आयुष और उसके तीन दोस्त गर्मी की छुट्टी में ईजिप्ट आए थे ममी को देखने। आयुष ने उनके बारे में बहुत पढ़ा था। वो उनको देखने के लिए बहुत ही उत्साहित था। उसके दोस्तों ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की कि ईजिप्ट में वैसे ही बहुत गर्मी होती है और अभी वहां पर गर्मी का मौसम भी है इसलिए अभी जाना ठीक नही होगा। सर्दी की छुट्टियों में ईजिप्ट चलेंगे अभी कहीं और चलते हैं। लेकिन आयुष नहीं माना। उसे जाना था तो केवल ईजिप्ट ही। आखिर में उसके दोस्तों को ही हार माननी पड़ी।ईजिप्ट पहुंच कर वो लोग सबसे पहले अपने होटल में गए। कमरे उन्होंने पहले ही बुक कर लिए थे। सब अपने अपने कमरों में जाकर पहले फ्रेश हुए फिर लंच करने के लिए साथ में गए। लंच करने के बाद वो लोग पिरामिड देखने के लिए निकल गए। पिरामिड में पहुंच कर उन्हें लंबी लाइन का सामना करना पड़ा। अब तक आयुष का उत्साह कम होने लगा था। बहुत देर बाद जब उनकी अंदर जाने की बारी आई तो उन्होंने अंदर जाकर देखा की वो जिस चीज की उम्मीद कर रहे थे वैसा वहां पर कुछ भी नही था। उन्हें उम्मीद थी बेशुमार खजाने देखने की, भव्य कमरे देखने की। लेकिन वैसा वहां कुछ भी नही था। वहां कोई खजाना नहीं था और कमरे बहुत छोटे छोटे थे। आने जाने का रास्ता तो और भी पतला था। शिकायत करते हुए वो लोग ममी वाले कमरे में पहुंचे तो उन्होंने देखा की कांच के डिब्बे से ढकी हुई पट्टियों से बंधी हुई ममी को देख अब तक की उनकी सारी भड़ास एक झटके में निकलने लगी।आयुष ने कहा "कोई फायदा नहीं हुआ यहां आने का। पता नहीं काहे मैं इस बदसूरत लाश को देखने इंडिया से ईजिप्ट इतनी दूर आया।"उसके ये कहते ही वहां पे अजीब सी खूब तेज आवाज आई और वहां की जमीन कांपने लगी।जल्दी जल्दी वहां मौजूद सब लोगों को बाहर निकाला गया। आयुष और उसके दोस्तों का मूड इतना खराब था की वो पिरामिड के बाद कहीं और घूमने की बजाए सीधे अपने कमरों में चले गए। उसके बाद फ्रेश होकर खाना खाने आए और फिर अपने अपने कमरों में चले गए। रात को जब आयुष सो रहा था तो उसे लगा की कोई उसका पैर खींच रहा है। वो एक झटके में उठ कर बैठ गया तो उसे आसपास कोई नही दिखा तो वो इसे अपना भ्रम मानकर फिर सो गया। अबकी बार उसे सपना आया की पट्टियों से बंधी ममी चाकू लेकर उसकी ओर कहते हुए बढ़ रही है "मैं बदसूरत दिखती हूं? रुको मैं तुम्हें भी अपनी तरह बदसूरत बना देती हूं।" आयुष भागने का भरसक प्रयास कर रहा था लेकिन वो अपने शरीर को हिला भी नहीं पा रहा था। ममी धीरे धीरे उसके करीब आती जा रही थी। जैसे ही उसने उसे मारने के लिए अपना हाथ उठाया आयुष एक तेज चीख के साथ उठ गया। वो घबरा कर अपने अगल बगल देखने लगा लेकिन उसे कोई नहीं दिखा। वो भाग कर सीधे अपने दोस्तों के दरवाजे पीटने लग फिर उन सब को इकठ्ठा कर के अपनी आपबीती बताई। उन सब को हुई वैसा ही सपना आया था। सब बहुत ज्यादा डरे हुए थे। उनमें से एक ने कहा "चलो हम लोग कल ही वापस लौट जाएंगे।"लेकिन आयुष ने कहा "नहीं हम लोगों ने ममी की बेइज्जती करके जो गलती की है हमें वो सुधारनी पड़ेगी। हम कल ही जाकर ममी से माफी मांगेंगे।"उस रात उनमें से कोई नही सोया। सब डर के कारण एक साथ ही रात भर बैठे रहे। सुबह उठकर जल्दी जल्दी क्रेश होकर वो लोग नाश्ता करने गए। नाश्ता करने के बाद वो लोग सीधे पिरामिड गए और अपनी बारी आने पर अंदर जाकर ममी से माफी मांगने लगे।उन सबने ममी से सुधार जाने का प्रोमिस किया और बाहर जाकर बिना किसी शिकायत किए ईजिप्ट का मजा लेने लगे। आगे क्या हुआ जानने के लिए ही पढ़़े अगला भाग🙏🙏🙏🙏 ‹ Previous Chapterपिशाच..! - 5 - जोंबी का रहस्य.. › Next Chapter पिशाच..! - 7 - निशि डाक.. Download Our App