Anokhi Dulhan - 16 in Hindi Love Stories by Veena books and stories PDF | अनोखी दुल्हन - ( असलियत_१) 16

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अनोखी दुल्हन - ( असलियत_१) 16

अब तक तो उसकी नाराज़गी खत्म हो जानी चाहिए थी। आज चार दिन हो गए उसने अब तक मुझे नहीं बुलाया। क्या मैंने सच मे उसे बोहोत हर्ट कर दिया ????? जूही के बारे मे सोच सोच कर वीर प्रताप का बुरा हाल था। अपनी 900 साल की जिंदगी मैने उसके आने से पहले कैसे बिताई???? मुझे अब ये सब पसंद क्यो नही आ रहा???? उसका बदलता मिजाज घर मे तूफान को बुलावा से रहा था।

" अंकल । अंकल । ये सब क्या है????? ये बादल । आपने इन्हे घर मे क्यो बुलाया है????" राज ने घर मे कदम रखते ही शिकायत शुरू की।

वीर प्रताप को उसे जवाब देना जरूरी नही लगा। तभी यमदूत अपने कमरे से बाहर आया।

" ये सब क्या है अब ???? ओ पिशाच तुम्हे समझ नही आता क्या???? तुम इंसानों के बीच रह रहे हो।" यमदूत ने उसे ताना देते हुए कहा।

" नए अंकल। क्या आप को पता है, ये यहां ऐसे क्यो बैठे है ???" राज ने हिचकिचाते हुए यमदूत से पूछा।

" जरा देखने दो मुझे?" यमदूत ने वीर प्रताप के आस पास चक्कर लगाए। " अच्छा तो तुम उस लड़की के बारे मे सोच रहे हो। क्या ये मिया बीवी वाला झगड़ा है ?" यमदूत ने पूछा।

" आपने शादी कर ली अंकल?? क्या वो खूबसूरत है?" राज ने पूछा।

" नही वो इसकी गर्लफ्रेंड है।" यमदूत।

" वाउ। आपने यहां आते ही गर्लफ्रेंड भी बना ली। क्या वो खूबसूरत है ?" राज ने फिर पूछा।

" वो बस 17 साल की है।" यमदूत।

" पर क्या वो खूबसूरत है?" राज।

" हे। क्या लगा रखा है??? तुम दोनो ने । चुप रहो अब। और तुम यमदूत समझ नही आ रहा बच्चे के सामने क्या बाते कर रहे हो।" वीर प्रताप ने चिढ़ते हुए कहा। राज ने यमदूत को देखा।

" अच्छा। तो मतलब तुम उसी से झगड़ा कर के आए हो। क्या तुम ने उसे हर्ट किया???" यमदूत ने निराशाजनक भाव लाते हुए कहा, " बेचारी गुमशुदा आत्मा। पहले तुमने उसे प्यार मे फसाया फिर छोड़ दिया। नजाने किस पत्थर दिल पर भरोसा कर बैठी।"

" चुप हो जाओ। तुम्हे कह रहा हूं में। मैने उसे नही फसाया। में तो खुद यहां उलझा पड़ा हु। वो मुझसे शादी करना चाहती है में नही। और हमारी कोई लड़ाई नहीं हुई, बस मासूम सी बहस हुई है। समझे।" वीर प्रताप।

" मतलब, में सही था। ये घरेलू मामला है।" यमदूत की बात सुनकर घर मे जमा हुए बादल काले पड़ने लगे। बिजली गिरने लगी।

" नही अंकल। घर मे बारिश नही। प्लीज़। वो सब साफ कौन करेगा। और अगर आपका आपकी गर्लफ्रेंड के साथ झगड़ा हुवा है, तो उठए वहा से। उसे जाकर मनाएं।" राज ने वीर प्रताप को समझाने के हिसाब से कहा।

" तुम चुप रहो राज। तुम्हे इन सब के बारे मे कुछ पता नहीं है।" वीर प्रताप।

" आप चुप रहिए। थोड़ा खर्चा कीजिए उस पर। ये बैग। यू मेक अप। यू कैंडल लाइट डिनर। फिर देखिए वो कैसे आपके पीछे आती है। मर्द बनिए मर्द।" राज की बाते सुन वीर प्रताप ने उसे एक खंबे पर बांध दिया।

जूही के घर छोड़ कर चले जाने की बात, जैसे ही उसकी मासी को पता चली। उन्होंने सनी के होटल जाकर तमाशा किया। सनी ने अपनी चालाकी से उन्हे होटल से भगा दिया और जूही से पूरी बात जानने के बाद उसे अपने होटल मे सोने की इजाजत भी दे दी। लेकिन जूही के घर से जाने की वजह से घर खर्च की सारी जिम्मेदारी मासी पर आ गई थी। उस वक्त जब लोन वसूल करने वाले घर आए, तो मासी ने जूही का सौदा उनसे किया।

" मेरी सगी भतीजी है। मेरी बहन ने उसके नाम पर १० लाख छोड़े है, में वो तुम्हे दे दूंगी। पहले मेरी भतीजी को बस संभाल लो। वो बैंक की पास बुक लेकर घर छोड़ कर भाग गई है। उसे ले आओ।"

" तुम बकवास कर रही हो। तुम जैसे जुवारियो के पास १० लाख कहा होंगे " उस गुंडे ने कहा।

" में सच कह रही हूं। मरने से सात साल पहले मेरी बहन ने पॉलिसी निकाली थी। ये वही पैसे है।"

उसने उन गुंडों को उसके स्कूल का पता और जूही की तस्वीर दे दी।

शाम के वक्त जब जूही स्कूल से बाहर निकली वो दो गुंडे वही खड़े थे। उन्होंने जूही को दबोच लिया और जबरदस्ती गाड़ी मे बिठा दिया। जैसे ही गाड़ी ने सुनसान जंगल का रास्ता पकड़ा उन्होंने जूही से उसका बैग छीन लिया। उसमें बैंक पास बुक ढूढने की कोशिश की, पर उन्हे कुछ नही मिला।

" देखो बच्ची। मुझे अच्छे तरीके से बता दो वो पास बुक कहा है।" गुंडे ने जूही की कॉलर पकड़ कर पूछा।

" मुझे नही पता। बैंक का सारा काम मासी करती है। मेरे पास कुछ नही है।" जूही ने झिझकते हुए जवाब दिया। उसे बोहोत डर लग रहा था। उसे वीर प्रताप को बुलाना था। ड्राइविंग सीट पर बैठे गुंडे ने जैसे ही अपनी सिगरेट जलाने के लिए लाइटर जलाया। जूही वो लौ बुझाने आगे बढ़ी। लेकिन दूसरे गुंडे ने उसे दबोच कर पीछे खींच लिया।

" रास्ता ठीक से देख लो। जहा हम जा रहे है ना वहा अक्सर तुम जैसी स्कूल की लड़किया अधनंगी हालत मे मरी हुई मिलती है। मेरे सब्र की हद मत देखो, मुझे बता दो वो पास बुक कहा है ??" उसने जूही पर हाथ उठाने की कोशिश की, तभी जूही ने सर अपनी गोद मे छुपा लिया। वो इस कदर डर गई थी, की उसकी आंखे खोलने की हिम्मत नही हुई।

ये वही लम्हा था, जब वीर प्रताप यमदूत से बहस मे व्यस्त था तभी अचानक उसे जूही की चीख सुनाई दी और उस गुंडे की धमकी।

वीर प्रताप का गुस्सा अब सारी हदों से पार था। उसकी हालत देख यमदूत समझ गया था, की जूही इंसानों की वजह से किसी बड़ी मुसीबत मे है।

" तुम कुछ नया काम करना चाहोगे???" वीर प्रताप ने यमदूत से पूछा।