Kuchh chitra mann ke kainvas se - 26 in Hindi Travel stories by Sudha Adesh books and stories PDF | कुछ चित्र मन के कैनवास से - 26 - नियाग्रा फॉल - 4

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कुछ चित्र मन के कैनवास से - 26 - नियाग्रा फॉल - 4


4 -नियाग्रा फॉल

दूसरे दिन हम गोट आइसलैंड गए । अगस्टस पार्टर ने सन 1800 सेंचुरी के प्रारम्भ में अपने दूरंदेशी विजन के द्वारा इन झरने के महत्व को पहचान कर इस आइसलैंड को न केवल खरीदा वरन इसे प्रिजर्व भी किया । सन 1817 में उसने टोल ब्रिज का निर्माण कराया पर वह बह गया फिर उसने दूसरा ब्रिज बनवाया जो 700 फीट लंबा था जिसके बारे में बेसिल हॉल में कहा था कि यह ब्रिज विश्व में इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना है ।

जॉन स्पीडमैन नामक व्यक्ति ने इस आइसलैंड में गोट रखी थी पर वह सभी गोट सन 1780 के जाड़ों में मर गईं तबसे इस आइसलैंड का नाम वोट आइसलैंड पड़ गया । सन 1879 में एक वनस्पति शास्त्री फ्रेडरिक लॉ ओल्म्सटेड ने लिखा है नकि उन्होंने 4000 माइल इस कॉन्टिनेंट का भ्रमण किया पर इस तरह के पेड़ तथा शर्ब ( छोटे कोमल पेड़) कहीं नहीं मिले । शायद प्रकृति की इन अनमोल धरोहरों को फॉल (झरने) की बौछारों ने जीवित रखा है । गोट आइसलैंड नियाग्रा रिवर के चैनल को दो भागों में बांटा है जो दो फॉल का निर्माण करते हैं । एक अमेरिकन साइड का सीधा फॉल तथा दूसरा कनाडा का घोड़े के नाल के आकार का फॉल...। सन 1959-60 में इसके पूर्वी भाग को 8.5 एकड़ में बढ़ाया गया जिससे पार्किंग की सुविधा तथा हेलीपैड बनाया जा सके ।

करीब एक घंटा यहां व्यतीत करने के पश्चात हम 'केव ऑफ विंड' देखने चल दिए । केव ऑफ विंड का ट्रिप हमें नियाग्रा फॉल के पानी के अत्यधिक समीप तक ले जाता है । मुख्य ओरिजिनल केव जो ब्राइडल वेल फॉल के पीछे हैं वह 130 फीट ऊंची, 100 फीट चौड़ी तथा 30 फीट गहरी है जिसको सन 1834 में खोजा गया तथा जिसका नाम ग्रीक गॉड ऑफ विंड ' के नाम पर 'एओलिस केव ' दिया गया । इसके लिए गाइडेड टूर सन 1841 में प्रारंभ हुआ तथा सन् 1920 तक चलता रहा पर अचानक एक शिला (चट्टान) के गिर जाने के कारण इसे बंद किया गया । टूर को सन 1924 में फिर प्रारम्भ किया गया पर इस बार पर्यटकों को ब्राइडल वेल फॉल के पिछले भाग की बजाय सामने।के भाग द्वारा कई पैदल रास्तों के द्वारा घुमाया जाता है ।

केव ऑफ विंड के ट्रिप के लिए एलिवेटर के द्वारा हम 175 फीट डीप नियाग्रा गोर्ज अर्थात पर्वत के बीच के संकुचित मार्ग तक पहुंचे । वहां हमें पहनने के लिए ब्राइट यलो पोचो तथा विशेष रूप के जूते पहनने के लिए दिए गए । तथा गाइडेड टूर ओपरेटर की सहायता से हमें लकड़ी के बने रास्तों से गुजरना पड़ा जिसमें हरिकेन डेक भी शामिल था । जब हम रेलिंग के सहारे खड़े हुए थे तब हम ब्राइडल वेल फॉल से मात्र 20 फीट दूर थे । पानी की तेज बौछारों के साथ फॉल की तेज आवाज हमारे मन मस्तिष्क में गूंज कर कंपन पैदा करने लगी । फॉल से 150 फीट दूर फॉल के बेस पर डेक बनाई गई है जिसे मुख्यतः अपंग, बुड्ढे तथा छोटे बच्चों के लिए बनाया गया है ।

नियाग्रा सीनिक ट्रॉली जो तीन मील का गाइडेड टूर उपलब्ध कराती है, के द्वारा हमने नियाग्रा पार्क के कुछ आकर्षक स्थल देखे ।

नियाग्रा फॉल ग्रेट गार्ज पास 13 वर्ष से अधिक के लिए $ 42.71 , 12 वर्ष तक के लिए $26. 68 डॉलर तथा 5 वर्ष से कम के लिए टिकट की आवश्यकता नहीं है । यह पास किसी भी टिकट विंडो से लिए जा सकते हैं । अमेरिका में नियाग्रा फॉल तथा अन्य दर्शनीय स्थलों को देखने के लिए पासपोर्ट टू द फॉल नामक टिकट मिलती है जिसके द्वारा हर दर्शनीय स्थान की टिकट पर 30 परसेंट की छूट मिलती है । यह टिकट नियाग्रा फॉल स्टेट पार्क विजिटर सेंटर तथा अमेरिकन ऑटोमोबाइल एसोसिएशन ऑफिस (बफेलो) से प्राप्त किए जा सकते हैं । इसके अतिरिक्त info@niyagrafallslive.com पर मेल कर जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं ।

हर स्थान की हर जगह देख पाना तो किसी के लिए भी संभव नहीं है । समय हो गया था हम नियाग्रा फॉल की खूबसूरती को आंखों में कैद कर अपने कमरे में लौट आए अगले दिन हमें वापस लौटना था ।

सुबह नाश्ता करके हम शिकागो के लिए चल दिए । जाते समय वीजा को लेकर मन में तनाव था अब वह नहीं था...साथ ही खूबसूरत फॉल को देखने की इच्छा पूर्ण होने से मन में शांति थी । खूबसूरत एहसासों को दिल में समेटे आसपास के प्राकृतिक सौंदर्य को देखते हुए तथा बातचीत करते हुए रास्ता आराम से कट रहा था । एक बार फिर यही एहसास मन में जगा कि धरती तो हर जगह एक जैसी ही है । सूर्य जहां अपने किरणें बिखेरकर, प्रकाश फैलाकर धरा को जीवन देता है वहीं चंद्रमा थके हारे जीवन को अपनी शीतलता के आगोश में छुपाकर उसे विश्राम देकर, पुनः जीवन संग्राम में उतरने की संजीवनी देता है ।

4 घंटे की यात्रा के पश्चात कुछ खाने के इरादे से एग्जिट से बाहर निकलकर एक रेस्टोरेंट के सामने पंकज जी ने गाड़ी रोकी । हम वही बने वॉशरूम में जाने लगे तो एक महिला नाक पर हाथ रखते हुए वॉशरूम से बाहर निकली तथा बोली, ' वेरी डर्टी नो टॉयलेट पेपर ।'

सचमुच वॉशरूम बहुत ही गंदा था । मजबूरी में हमें भी वॉशरूम यूज करना पड़ा । विकसित देश में हम पहली बार इस तरह की गंदगी से रूबरू हुए । अब स्टेरिंग प्रभा के हाथ में था । अभी कुछ दूर ही आ पाए थे कि बरसात होने लगी पानी की बौछारें के बीच गाड़ी ड्राइव करना किसी चुनौती से कम नहीं है पर फिर भी उसने कुशलता से गाड़ी चलाई । जब बरसात और तेज होने लगी, तब उसने पंकज जी से कहा, ' अब आप गाड़ी चलाइए ।'

आखिर सीटें फिर बदल गईं । उस दिन घर लौटने में रात हो गई थी । चाय के साथ कुछ खा-पीकर अब हमें आराम करना ही श्रेयस्कर लगा ।

सुधा आदेश
क्रमशः