Kaisa ye ishq hai - 72 in Hindi Fiction Stories by Apoorva Singh books and stories PDF | कैसा ये इश्क़ है.... - (72)

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कैसा ये इश्क़ है.... - (72)

टिया के यूँ गुस्से में घूरने को अर्पिता ने इग्नोर किया वो तो बस अपने बच्चे प्रीत से बात करने लगती है।टिया को इस तरह खुद का यूँ उपेक्षित किया जाना बिल्कुल अच्छा नही लगता वो मन ही मन सोची तुम्हारा एटीट्यूड तो बिल्कुल मेरे अजय की तरह है लेकिन अजय पर एटीट्यूड जंचता है तुम पर नही तुम्हे तो सबक सिखाना बनता है।

टिया को नही पसंद कि कोई भी उसके अजय जैसा स्वभाव रखे।या कोई भी उसके अजय के आसपास भी ठहरे।टिया अजय के प्रति आकर्षण के जुनून में बहुत आगे बढ़ चुकी है जिसमे वो सही।और गलत भावनाओ में अंतर समझ ही नही रही है।उसका बढ़ना भी स्वाभाविक है ये तो मानवीय स्वभाव है कि जहां उसे लीक से हट कर कुछ मिले तो इंसान का ध्यान बरबस उसकी ओर आकृष्ट होता है। जहां चार वर्ष शान और अर्पिता एक दूसरे के पास होकर भी दूर रहे है तो वहीं चार वर्ष के अलगाव का जुनून टिया ने भी पाला है।जुनून में सही उसने वही किया जो मिस्टर अजय ने उससे कहा।

टिया चारो ओर देखती है और फिर कुछ सोचते हुए झटके से खड़ी होती है और ट्रेन की चेन पुलिंग कर वहीं अपनी जगह बैठ जाती है।अर्पिता और युवराज ने उसकी इस हरकत पर उसे घुरा तो टिया ने अपने दाएं हाथ की अंगुलियों को अपने आगे कर अर्पिता के आगे करते हुए बोली कहा था मैंने तुम्हे देख लूंगी..!अब देखो मैं क्या करती हूँ।

ट्रेन झटके से रुक जाती है।अर्पिता ने उसकी ओर गुस्से से देखा और फिर कुछ सोचते हुए उसने प्रीत से कहा, प्रीत मम्मा और प्रीत दोनो ऐसा करते है आँखे बन्द कर सो जाते है और बाहर कोई भी कुछ कहे आप कुछ कहना नही।हिलना बिल्कुल नही।क्योंकि अभी ट्रेन में एक बेड अंकल आने वाले है उनके हाथ में डंडा होगा जिसे भी आँखे खोल देख लिया तो पिटाई कर देंगे।समझ गये आप..!

ओके मम्मा प्रीत ने कहा और अर्पिता की गोद में सर रख फिर से लेट गया वहीं अर्पिता ने अपनी हल्की शॉल उठाई और युवराज की ओर इशारा कर सोने का अभिनय करने को इशारा कर दिया।लगभग बीस सेकण्ड ही गुजर पाये होते हैं कि तभी वहां पुलिस के गार्ड के साथ एक टीसी भी आ धमकता है।

कांड करने के बाद टिया मस्त अपने कानो में हेडफोन लगाये सॉन्ग सुन रही है।कम्पार्टमेंट में सबको सोया देख पुलिस गार्ड सीधे टिया को धमकाते हुए बोला, "ऐ लड़की तुमने चेन पुलिंग क्यों की?टिया ने तेज नजरो से उन्हें देखा और बोली मैंने नही की इन्होंने की है कहते हुए वो अर्पिता की ओर नजरे घुमाती है।उन्हें सोया देख वो हड़बड़ाते हुए कहती है ये लोग एक्टिंग कर रहे है अभी तो ये सभी जाग रहे थे।टिया की बात सुन टीसी बोला जागी तो आप लग रही हो मैडम जी।क्यों दूसरो पर दोषारोपण कर रही हो।

टिया झल्लाते हुए बोली माइन योर लेंग्वेज!आई एम द टिया कुमार!एंड आई एम अ वेरी फेमस पर्सन इन म्यूजिक़ अकैडमी गॉट इट।मैंने कहा इस लेडी ने चेन खींची है ये यूँ ही बहाना बना कर सो रही है।आप इससे पूछो तो।

टिया की बात सुन हंसता हुआ पुलिस मेन चुप हो जाता है और अर्पिता को आवाज लगाते हुए कहता है मैडम उठ जाओ!ये बताओ चेन पुलिंग क्यों करी।अर्पिता ने जागने का अभिनय कर अपने चेहरे से शॉल हटाई और उनींदी आंखों से दोनो की ओर देखा और बोली क्या बात है सर आप इस समय नागरिको को क्यों परेशान कर रहे हैं।

पुलिस गार्ड बोला इन मैडम का कहना है कि आपने बेवजह ट्रेन की चेन पुलिंग कर ट्रेन रोक दी है आपको पता है इससे ट्रेन हादसा भी हो सकता है।आपने इतने सारे नागरिको के जीवन को संकट में डाल दिया अब आपको जुर्माना भरना पड़ेगा!

पुलिस गार्ड की बात सुन अर्पिता बोली आपको किसी ने कोई गलत सूचना दी है। यहां हम अपने बच्चे के साथ सो रहे है भला हम क्यों बेवजह चेन पुलिंग करेंगे।

पुलिस गार्ड बोला बच्चा कहां है मैडम?यूँ ही बचने के बहाने ढूंढ रही है।

अर्पिता ने अपनी गोद में सो रहे प्रीत की ओर इशारा करते हुए कहा बच्चा ये रहा और अब आप लोग किसी और को परेशान करो।

अर्पिता की बात सुन टिया बोली हां तो बच्चे को नीचे बैठा कर चेन पुलिंग नही की जा सकती क्या?

टिया की बात सुन अर्पिता शांति से बोली जरा आप ही कर के दिखा दीजिये?कैसे होती है।

टिया उठी और खिंचते हुए बोली ऐसे!ऐसे होती है चेन पुलिंग।अर्पिता ने गार्ड और टीसी से कहा आपको आपका अपराधी मिल गया है अब ले जाइये इन्हें।अब आप किस बात का इंतजार कर रहे हैं।इनके दोबारा ट्रेन रोकने का।अर्पिता की बात सुन टिया ने हैरानी से उसकी ओर देखा तो अर्पिता बोली कहा था हमने हमसे मत उलझिए।

गार्ड टिया की ओर देख कहता है उन्होंने चेन पुलिंग की या नही ये किसी ने नही देखा लेकिन आपने अभी हमारे सामने ही ट्रेन पुलिंग की है तो अब अपराधी आप ही है चलिये जुर्माना भरिये।

टिया आँखे बड़ी बड़ी कर अर्पिता को देखती रह जाती है।अर्पिता उसकी ओर ध्यान न देख मुस्कुराते हुए प्रीत को देखने लगती है जो आँखे बन्द किये मुस्कुरा रहा है।

टिया उनसे बहस करते हुए बोली बड़े ही अजीब है आप लोग जिसने चेन पुलिंग की उसे नही पकड़ रहे है बल्कि आप लोग एक इज्जतदार भारतीय नागरिक को परेशान कर रहे है।
पुलिस गार्ड बोला आप जितना देर करेंगी ये ट्रेन उतनी ही लेट होगी और आप का जुर्माना बढ़ता जायेगा।

गार्ड की बात सुन टिया ने एक बार फिर अर्पिता को गुस्से में देखा और गार्ड से बोली जुर्माना भरती हूँ।कह वो अपना फोन निकाल ऑनलाइन पे कर उन्हें वहां से जाने को कहती है और खुद वहीं बैठ जाती है। वो अर्पिता को देखते हुए मन ही मन सोचती है ये तो मिस्टर अजय से एक कदम आगे ही निकली है।वो शेर है तो ये सवा शेर है।इसे सबक सिखाने गयी और खुद की ही बेइज्जती करा बैठी।अब अगर ये भविष्य में कभी मिली न तो इसे सबक सिखाने के लिए मुझे कुछ बड़ा सोचना पड़ेगा।वहीं युवराज अर्पिता की इस हरकत पर मुस्कुराने लगता है।

ट्रेन चलना शुरू हो जाती है एवं अपनी मंजिल शिमला के एक स्टेशन पर ही जाकर रुकती है।स्टेशन आ गया है मिस्टर अजय!और अव आपकी लाइफ में टिया भी वापस आ गयी है।सोचते हुए वो उठी और अपना सामान उठा कर ट्रेन से बाहर उतरती है।

अर्पिता ने प्रीत को उठाया और समान लेकर ट्रेन से नीचे उतर आती है।युवराज अर्पिता और प्रीत दोनो को लेकर वहां से स्टेशन से बाहर निकल जाते है।स्टेशन से बाहर निकलते ही टिया को वहां एक गाड़ी खड़ी मिलती है।वो उसमे बैठ जाती है और अजय यानी शान के विषय में सोचते हुए आगे बढ़ती है।

शान बरसो बाद चैन की नींद सो रहे हैं।त्रिशा शान के साथ ही होती है।शान के चेहरे पर सुकून और हल्की सी मुस्कुराहट दोनो ही नजर आ रही है।

स्टेशन से निकल युवराज ऑटो करता है और शिमला के मॉल रोड़ की ओर चलने को कहता है।अपने दोस्त के दोस्त के किराये के कमरे तक पहुंच युवराज उससे मिल कर अंदर बैठ कर सारी बातचीत करते हैं जहां वो बताता है कि रेंट पर रूम मिल जायेगा।कोई समस्या नही आयेगी।यहां के मकान मालिक के एक रिलेटिव्स ने कुछ दिन पहले ही अंकल से किरायेदार के लिए बोला था।मैं कल सुबह ही अंकल से इस बारे में बात करता हूँ अगर सब ठीक रहा तो आप लोग वहां रह सकते हो।

धीरे धीरे सुबह हो जाती है।शान उठ कर अपने रूटीन वर्क करते है एवं कुछ देर बाद वो बाहर आकर बैठते हैं।उन्हें फ्री देख चित्रा शान के पास आयी और मुस्कुराते हुए गुड मोर्निंग बोली।

शान ने जवाब दिया और टेबल पर रखा अखबार उठा कर पढ़ने लगते है।शान का मूड अच्छा देख चित्रा बोली, प्रशांत जी जब आपको अर्पिता मिल गयी थी तो उसे अपने साथ वापस क्यों नही लाये? अकेले क्यों चले आये आप?

शान ने अखबार नीचे रखा और एक गहरी सांस ली।फिर बोले क्योंकि चित्रा अभी उसका लुका छिपी का खेल पूरा नही हुआ है।अगर उसे वापस आना ही होता तो ये कदम क्यों उठाती।वो फिर से छिप गयी है क्योंकि उसे लगता है कि हालात अभी भी पहले जैसे होंगे।मां उसे कभी नही एक्सेप्ट करेगी।उसे लगता होगा कि मैंने बड़ी मुश्किल से खुद को सम्हाला होगा और वो मेरे पास वापस आकर मुझे फिर से तोड़ना नही चाहती।क्या कहूँ अब मैं वो मेरी पगली है तो उसका थोड़ा सा पागलपन करना बनता है।अब वो वहां रुकती तब तो मै बताता उसे कि अब सभी को उससे कोई शिकायत नही है।मां तो बड़ी बेसब्री से उसके लौटने का इंतजार कर रही है।और एक वो है मुझे उसके उस शहर में होने का पता चला तो पगली फिर से शहर छोड़ कर चली गयी।इसीलिए अब मैं यहां से कहीं नही जाऊंगा अब वो खुद मेरे पास आयेगी।इतने वर्षो के बाद मेरी उससे मुलाकात यूँ ही तो नही हुई है।शान ने कहा तो चित्रा भावुक होते हुए बोली इसका अर्थ ये हुआ कि अब मुझे आपको टोकने की आवश्यकता नही पड़ेगी।मुझे जल्द ही यहां से जाना होगा कहते हुए चित्रा ने एक उम्मीद भरी निगाहों से शान की ओर देखा।इस उम्मीद से शायद शान उससे कुछ सकारात्मक जवाब दे

शान ने उसके शब्दो में छुपे सवालो को समझ खामोशी से उसकी ओर देखा फिर बोले चित्रा तुम मुझे एक अच्छे दोस्त की तरह टोक सकती हो।इससे मुझे और न ही अर्पिता को कोई परेशानी हो सकती है।

चित्रा सवालिया नजरो से शान की ओर देखती हुई बोली इतना भरोसा अर्पिता पर।
शान बोले:- हां चित्रा!उसका कहना है जहां विश्वास नही वहां प्रेम ठहर ही नही सकता।प्रेम का आधार ही विश्वास है।

चित्रा कुछ सोचते हुए बोली अगर ऐसा है प्रशांत जी तो फिर मुझे भी आपके भरोसे को देखना है।जब आपकी अर्पिता आपके पास आ जायेगी तब सिर्फ एक दिन के लिए आप मेरे साथ होने का अभिनय करेंगे।सिर्फ एक दिन के लिए मैं बस ये देखना चाहती हूँ कि क्या वाकई में आपका विश्वास इस योग्य है या यूँ ही बोल रहे हो क्योंकि जहां तक मैं समझती हूँ दुनिया में ऐसी कोई पत्नी नही है जो अपने पति को उसकी सौतन के साथ देख सके।

चित्रा की बात सुन शान ने गुस्साते हुए उसकी ओर देखा और उठकर वहां से जाने लगते है जिसे देख चित्रा बोली।प्रशांत जी क्या मेरे चार वर्षो का समर्पण इस योग्य भी नही हुआ है कि आप बस एक दिन के लिए मेरे साथ होने का अभिनय कर सके वास्तविकता तो मुझे भी पता है और इसी वास्तविकता के साथ ही मै अपने दोस्तो के विरुद्ध जाकर पिछले दो वर्षो से आपके साथ एक नाम के रिश्ते में हूँ।क्या अब भी आपको मुझ पर इतना विश्वास नही हुआ है कि आप एक दिन यानी बारह घण्टे के लिए अभिनय कर पाये।

चित्रा की बात सुन शान के बढ़ते कदम रुक गये और बोले!चित्रा बाकी सब भावनाये आती है जाती है लेकिन प्रेम की भावना एक ऐसी भावना है जो एक बार आने के बाद कभी जाती नही है।कभी बदलती नही है।अगर इस भावना में अपने प्रेमी का साथ मिल गया फिर चाहे वो साथ झूठा ही क्यों न हो मन बावरा वास्तविकता भूल जाता है और उस झूठ को हकीकत समझ कर जीने लगता है और मै तुम्हे कोई भी किसी भी तरह की उम्मीद नही देना चाहता क्योंकि जब उम्मीद टूटती है तो बहुत दर्द देती है।

शान की बातें चित्रा उठ कर खड़ी हुई और चलकर उसके पास आयी और बोली प्रशांत जी ये दर्द भी मुझे स्वीकार है।झूठ ही सही लेकिन मैं वो झूठ सत्य में जीना चाहती हूँ।और मुझे नही लगता कि इससे आपका कुछ घट जायेगा प्रशांत जी।सब कुछ जानते हुए भी मैं इस राह पर चल रही हूँ तो मुझे नही लगता कि मैं इतनी कमजोर हूँ जो इस दर्द के साथ बह जाउंगी।नही प्रशांत जी मेरा यही एकतरफा प्रेम मेरी शक्ति है मेरी ताकत है जो मुझे टूटने नही देगा।

चित्रा की बात सुन शान बोले ठीक है तुमने मुझे दिये इस निस्वार्थ समय के बदले पहली बार मुझसे कुछ मांगा है जो मैं तुम्हे दे सकता हूँ। मुझे मंजूर है चित्रा शान ने कहा और वो वहां से चले जाते है।शान के जाने के बाद चित्रा बोली शुक्र है इतने वर्षो में अब आप मुझसे अच्छे से बात तो कर रहे हो।नही तो इतने समय से दो दिन पहले तक तो आप मुझसे कुछ बोलने से पहले भी कितनी बार सोचते थे।
खैर मुझे खुशी है कि आप दोनो की इस प्रेम कहानी में प्रेम को समझने जानने का मौका मिला।लेकिन अर्पिता के आने से अब आपके जीवन में मेरा कोई अस्तित्व नही रहेगा।ये सोचकर थोड़ा दुख हो रहा है लेकिन इसमे आपका कोई दोष नही है प्रशांत जी।ये सच तो मैं हमेशा से ही जानती हूँ कि अर्पिता आपके साथ रहे न रहे आप इतने कमजोर नही है कि यूँ ही किसी की बाहों में टूट जाये।सोचते हुए चित्रा थोड़ी भावुक हो गयी।उसने अपने आंसुओ को जल्दी से पोंछा और त्रिशा के पास चली आती है।

अर्पिता प्रीत, युवराज और उसके दोस्त के साथ रेंट पर रूम देखने जाती है जहां बातचीत कर वो रूम भी फाइनल कर लेती है।युवराज का दोस्त वहां से चला जाता है तो अर्पिता युवराज से बोली युवी हम यहां किरायेदार बनकर रह रहे है ये बात आप किसी से नही कहोगे पूर्वी से भी नही।

अर्पिता की बात सुनकर युवराज असमंजस में पड़ गया और बोला लेकिन कुछ ही देर पहले मैंने उसे फोन कर बताया है कि हम लोग यहां रूम देखने आ रहे हैं।

युवराज की बात सुन अर्पिता ने अपना सर पीटा और बोली तुम्हारे पेट में हमेशा यही गुड गुड होती रहती है कब कोई न्यू खबर मिले और मुझे पूर्वी को बताने का मौका मिले।या कहो उससे बात करने का मौका मिले।अर्पिता की बात सुन युवराज हंस दिया और अर्पिता की ओर देखते हुए बोला हम्म कुछ ऐसा ही है अर्पिता जी।

अर्पिता कुछ नही बोली और अपने साथ लाया हुआ थोड़ा सा समान वहीं रूम में सम्हाल कर जमा देती है।नन्हा सा प्रीत वहीं नीचे फर्श कर बैठे अपनी अंगुलियों पर कुछ गिनने लगता है।अर्पिता और युवराज दोनो उसे देखते हैं तो मुस्कुरा देते हैं।

युवराज का फोन रिंग होता है जो पूर्वी का होता है।युवराज फोन उठा कर बात करता है।फोन के दूसरी ओर छोटी सी युविका होती है।वो युवी से बात करते हुए बोली, 'पापा, आप कब आएंगे,हम आपको बहुत मिस कर रहे हैं!

ऑ मेरी प्रिंसेस!पापा भी आपको बहुत मिस करते हैं।और इस बार जब पापा आएंगे तब आपके ढेर सारी टॉफी चॉकलेट्स और एक आइसक्रीम भी लाएंगे।ओके पापा युविका ने कहा जिसे सुन युवराज ने अपने बालो पर हाथ फेरते हुए कहा ठीक है बच्चा।
वहीं पास ही बैठा नन्हा सा प्रीत युवी की बात सुन अपनी कजरारी आँखे बड़ी कर अपने मासूम से चेहरे पर सवालो के भाव लिए युवी की ओर देखने लगता है।बच्चा छोटा सा है लेकिन समझ और शरारते करना दोनो उसे अपने माता पिता से विरासत में मिली है।वो उठा और फर्श साफ कर रही अर्पिता के पास जाकर पीछे से अर्पिता के गले में बाहें डाल कर लटक जाता है।जिसे देख अर्पिता अपना कार्य वहीं छोड़ प्रीत के हाथ पकड़ उसे आगे लाकर कहती है क्या बात है प्रीत, क्या चाहिए बताइये?

प्रीत अर्पिता की गोद में बैठ एक हाथ उसकी थोडी पर और दूसरा अपने बालो पर फेरते हुए बोला, मम्मा अभी एछे एछे बाल कलने वाले अंकल दीदी छे बोल लहे थे कि पापा आपको बहुत मिछ कल लहे हैं,पापा बहुत छी चॉकलेट और टॉफी लेकल आएंगे कहते हुए वो चुप हो जाता हैऔर कुछ सेकण्ड बाद बोला मेले पापा छान कब आएंगे मम्मा।उसकी बात सुन अर्पिता मुस्कुराते हुए बोली प्रीत मम्मा ने आपको बताया था न कि मम्मा प्रीत और आपके पापा लुका छिपी खेल रहे है वो आपको ढूंढते हुए जल्द ही आएंगे प्रीत।
ओके मम्मा!प्रीत ने कहा और वहां से उठकर वापस अपनी पुरानी जगह आकर बैठ जाता है।उसके बहलते ही अर्पिता प्रीत को देखते हुए धीरे से बोली,आप थोड़े से और बड़े हो जाओ फिर धीरे धीरे आप सारी बाते समझने लगोगे प्रीत।अभी के लिए हम आपसे यही कह सकते हैं।

अर्पिता ने प्रीत को उसके पापा शान का सिर्फ नाम ही बताया था।वो शायद बताती भी नही लेकिन वो दिन में कई दफा उस नाम को खुद ही दोहराती रहती जिस कारण तीव्र बुद्धि प्रीत ने एक दिन सुन लिया और अर्पिता ने प्रीत को शान के बारे में इतना ही बताया कि वो उसके पिता है।युवराज पूर्वी और युविका से बात कर फोन रख देता है और प्रीत के पास आकर बोला प्रीत बाहर घूमने चलोगे।कुछ सामान लेकर आना है तो आप चलना चाहोगे।

हम्म अंकल!प्रीत ने खड़े होते हुए कहा।जिसे देख अर्पिता बोली प्रीत अंकल को ज्यादा तंग मत करना ठीक है।

अर्पिता की बात सुन प्रीत ने युवी की ओर देख और फुसफुसाया,अंकल मिल्क छेक,ऑल कॉफि मुझे चाहिए।युवी ने अर्पिता की ओर देखा तो पाया कि अर्पिता उसे प्रीत को बाहर के मिल्क शेक के लिए मना कर रही है।

प्रीत की बात सुन युवी धीमे से बोला ओके प्रीत केवल कोफि लेकिन मिल्क शेक तो आपको घर ही मिलेगा।

ओके अंक प्रीत ने कहा।युवराज प्रीत को लेकर आगे बढ़ गया तो अर्पिता भी अपना कार्य समाप्त कर रूम लॉक कर फोन ले मार्केट की ओर निकल जाती है।जहां वो कुछ बहुत ज्यादा आवश्यक वस्तुए लेती है और वापस चली आती है।वहीं युवी भी प्रीत और बेसिक सामान को लेकर चला आता है।

कुछ ज्यादा समान तो नही होता है कुछ गर्म कपड़े, एक ब्लैक फर वाला ब्लैंकेट एवं प्रीत के विकास के लिए आवश्यक चीजे।अर्पिता सारी चीजे उनके उचित स्थान पर रख देती है।

अर्पिता की सारी व्यवस्था देख युवी बोला अब आपकी सारा अरेंजमेंट हो चुका है अर्पिता जी मुझे अब यहां से निकलना चाहिए।

'जी'युवराज' लेकिन अभी नही कुछ देर बाद!कुछ देर आप रेस्ट कर लीजिये हल्का सा नाश्ता कर लीजिये फिर निकल जाइयेगा।

ओके अर्पिता जी युवी ने कहा और प्रीत के साथ बातचीत करने लगता है अर्पिता नाश्ते के साथ मिल्क शेक भी तैयार कर लेती है।

वहीं प्रीत युव्वि के साथ खेलते हुए बोला अंकल आपके पाछ छान की तछविल है मुझे छान को देखना है।युवराज बोला तस्वीर तो मेरे पास है प्रीत लेकिन आपकी मम्मा के बिन कहे आपको नही मिलेगी।

प्रीत ने अपने सर खुजाया और बोला आप बले भी न !ठीक है मैं मम्मा छे पूछ कल आता हूँ।कहते हुए प्रीत रूम से अटैच किचन में मौजूद अर्पिता के पास जाकर उसके अंचल को खिंचते हुए बोला --

मम्मा छुनो, ये ऐछे ऐछे (अपने बालों पर हाथ फेरते हुए)वाले अंतल (युवराज)ने तहा कि तुनके पाछ 'छान' पापा की तछवील है।तो आप उनछे तहो कि वो तछवील मु..झे दे दे। मैं भी 'छान' पापा को देखूंगा।

अर्पिता :- अले अले!!तो लिटिल बेबी छान पापा तो देखना चाहता है।

हम्म(हाँ में गर्दन हिलाते हुए)

अर्पिता :- ओके।तो पहले ये मिल्क शेक फिनिश करना पड़ेगा।।

न्..ही।टोफी (कॉफी)

अर्पिता :- अले अले! पी लो नही तो इसे हम छान(शान) को दे देंगे।

ओके .कह पूरा मिल्क शेक फिनिश कर हंसते हुए गिलास लौटाते हुए कहता है पिलित(प्रीत) खम्म मिल्त छेक।अब आप अंकल छे बोलो मुझे वो तछविल दिखाये।

आप अंकल को परेशान न कीजिये हम जब फ्री होंगे तब आपको दिखाएंगे अभी के लिए आप अंकल से साथ रहिये ठीक है।

ओके मम्मा!कह प्रीत युवी के पास गया और अपने बाल बिखेरते हुए बोला मम्मा..दिखाये गी।

इधर शान घर से निकल कर अकैडमी पहुंचते है और मिस्टर अभिनव से मिल अपनी क्लास में जाते हैं।जहां वो सामने अपनी जगह टिया को देख चौंक जाते है।टिया उसी के अंदाज में बैठ कुछ ट्यून कर रही है।टिया में हुई प्रोग्रेस को देखने के लिए शान वहीं सभी छात्रों के बीच बैठ जाते हैं।टिया बोली!गाइज इन चार वर्षो में मैंने बहुत कुछ सीखा है कामयाबी हासिल की है और अब मैं इतनी सक्षम बन चुकी हूँ कि खुद से ही नयी नयी धुने बना सकती हूँ।उसकी बाते सुन शान वहां से उठे और आगे आकर बोले गाइज व्यर्थ की बातें बहुत हुई अब आपको जो सिखाया है उस पर अपना ध्यान दो और याद रखो ज्ञान हमे झुकना सिखाता है अकड़ कर तने रहना नही।ठीक तो अब आप सभी को जो राग सिखाये है उसे दोहराओ ठीक।कहते हुए वो सभी ऑर्डर दे उनके बीच में घूमने लगते हैं।

टिया वहां से बाहर चली जाती है और अपने डैड के पास आ उनके पास बैठते हुए बोली।डैड ये मिस्टर अजय तो बिल्कुल नही बदले इनका एटीट्यूड तो अब तक वैसा ही है।

अभिनव जी मुस्कुराये और बोले नही बेटे!अजय में एटीट्यूड तो है लेकिन सही बात के लिए है गलत बात का सपोर्ट वो बिल्कुल नही करता।थोड़ा ज्यादा गंभीर है उसका कारण शायद उसका अतीत है।जिसके बारे में वो कभी जिक्र करना पसंद नही करता।

टिया कुछ सोचते हुए बोली ओके डैड मुझे एक बात बताइये अजय के साथ जो बच्ची और उसकी मां रहने आई थी वो वापस चली गयी क्या?

कौन चित्रा और त्रिशा बेटे।अभिनव ने पूछा तो टिया बोली हम्म डैड वही चित्रा और त्रिशा।

अभिनव :- नही बेटे!वो यहीं है।

क्या!अभिनव की बात सुन टिया चौंक जाती है।वो हैरान होते हुए बोली लेकिन क्यों डैड वो अब तक गयी क्यों नही?इतने समय तक भला वो यहां क्यों रुकी हुई है।

अभिनव ने टिया के चेहरे की ओर देखा जहां उन्हें टिया की आंखों में बैचेनी दिखती है उसके चेहरे पर सच जानने की ललक साफ दिखाई दे रही है।

अभिनव ने मन ही मन सोचा शायद तुम्हारे मन में अभी भी कुछ साल पहले की बातें चल रही है टिया।इस कारण तुम अजय के विषय में जानने में कुछ ज्यादा ही इंटरेस्ट दिखा रही हो।तुम्हारा सच जानना अब आवश्यक है।अभिनव अपनी कुर्सी से उठे और बोले टिया ये कैसा प्रश्न है टिया वो दोनो पति पत्नी है तो चित्रा के वहां रहने में समस्या क्या है।

क्या ...? अभिनव की बात सुन टिया सन्न रह जाती है।वो ऐसा अनुभव करतो है जैसे उसके हृदय पर किसी ने भयानक विस्फोट कर दिया हो।उसकी इतने वर्षो की मेहनत को निरर्थक कर दिया हो।टिया गुस्से में अपना आपा खोते हुए तेज आवाज में बोली डैड!आप झूठ बोल रहे है या मजाक कर रहे है क्यों?अजय ऐसा कैसे कर सकते हैं।वो मेरी चाहत है मेरा जुनून है और आप कह रहे है कि मिस्टर अजय ने चित्रा से शादी कर ली।आपने उन्हें ऐसा करने से क्यों नही रोका। बोलो डैड जवाब दो मुझे।

टिया की बात सुन अभिनव बोले टिया क्या कुछ सालो पहले तुमने जो कहा उसका कोई अर्थ था?क्योंकि अजय ने तुम्हे कभी उस नजरिये से देखा ही नही।

डैड!अजय के कहने पर ही तो मैं कुछ बनने के लिये यहां से गयी थी और आप कह रहे हो मेरी उन बातों का कोई मतलब नही था।कहते हुए टिया जोर से चीखती चिल्लाती है और गुस्साते हुए वहां से निकल जाती है।उसका गुस्सा देख अभिनव शॉक्ड हो वहीं खड़े रह जाते है।जब गुस्सा ठंडा होगा तो खुद आयेगी सोचते हुए वो वही बैठ कहते है टिया
अजय सच में अजेय है।वो आपकी ओर कभी ध्यान देगा ये मुझे नही लगता कभी पॉसिबल होगा इस सच को आप जितनी जल्दी समझ ले वही बेहतर है।

टिया के जाने के कुछ देर बाद शान अभिनव के पास आये और बोले मिस्टर अभिनव कल मैं अकैडमी नही आ पाऊंगा आप मैनेज कर लेंगे।

अभिनव :- आपके न आने की कोई वजह मिस्टर अजय।क्योंकि रविवार तो कल ही निकल कर गया है।

जी कुछ पर्सनल वर्क है जो आवश्यक है।शान ने शांति से कहा।

ठीक है मिस्टर अजय!अभिनव ने बोला तो शान वहां से जाकर स्टाफ रूम में बैठ जाते हैं।

अर्पिता फ्री हो कुछ देर प्रीत के साथ खेलती है।कभी पकड़म पकड़ाई तो कभी आंख मिचौली।खेलते खेलते प्रीत थक जाता है और वहीं सो जाता है।

युवराज ने अर्पिता को अपना ध्यान रखने का कहा एवं वहां से वापस मसूरी के लिए निकल जाता है।
उसके जाने के बाद अर्पिता ने नीचे लगे बिस्तर पर प्रीत को लिटाया और उसे ब्लैंकेट ओढा रूम से बाहर चली आती है।बाहर आ उसे चारो ओर बड़ा ही सुन्दर दृश्य दिखता है।जिसे देख वो बड़बड़ाई शान देख रहे है आप चारो ओर सुन्दर हिम आच्छादित ये मनोरम रास्ते,उस पर बने ये घरौंदे हम आज एक नये संसार में ही आ गये हैं।जहां सब कुछ परियो के देश जैसा श्वेत ही श्वेत है।

वो कुछ देर यूँ ही खड़े हुए देखती रहती है।वापस अंदर आ कर इंटेरनेट की मदद से लोकल वर्क के लिए कुछ साइट्स देखती है एवं प्रीत के जागने पर वो उसके साथ ही कुछ समय व्यतीत करती है।जी

टिया अकैडमी से निकल कर घर पहुंच खुद को लॉक्ड कर लेती है और खुद के गुस्से को कंट्रोल कर कुछ सोचते हुए सीधे शाम को ही निकलती है। एवं हॉल में बैठे हुए अपने डैड अभिनव के पास जाकर शिकायती लहजे में बोली, डैड जो हुआ सो हुआ लेकिन आपने मेरे लिए कोई पार्टी अरेंज नही की क्यों?अब मैंने अपनी पहचान बना ली है तो एक सक्सेस पार्टी तो बनती है न डैड।

टिया के इस पल पल बदलते मुड़ स्विंग को अभिनव जी समझ नही पाते है वो हैरानी से टिया के चेहरे की ओर देखते है।उनके चेहरे के भाव देख वो बोली डैड रिलेक्स!मैं आज के समय की एक सक्सेसफुल लड़की हूँ।यूँ ही नही टूट सकती।मेरे हुनर और मेरी आवाज तो लाखो लोगों को झूमने पर मजबूर कर देती है।मुझे नही लगता कि कोई मुझे कभी बीट कर सकता है।आप रिलेक्स करो और मेरे यहां आने की खुशी में एक ग्रांड पार्टी दिजिये।

टिया की ये फरमाइश जान वो उससे बोले मुझे खुशी हुई कि तुमने सच को जल्द ही एक्सेप्ट कर लिया।उन्होंने उसके सर पर हाथ रखा और बोले पार्टी अब आज और कल तो हो नही सकती क्योंकि आज शाम हो चुकी है और कल अजय छुट्टी पर है।तो आपकी पार्टी तो अब परसों ही अरेंज हो पायेगी।
अभिनव की बात सुन टिया मुस्कुराई और मन ही मन सोची डैड इतना इंतजार किया है तो दो दिन और कर लूंगी।इतनी आसानी से मैं अजय का पीछा छोड़ने वाली नही हूँ।टिया को खुश देख अभिनव अपने कमरे में चले जाते हैं।

रात गुजर जाती है अगले दिन शोभा नृपेंद्र जी और श्रुति तीनो शिमला में शान और चित्रा के पास पहुंचते है।शान सबको प्रणाम कर श्रुति की ओर देखते है जो चित्रा के साथ बैठ मुस्कुराते हुए बाते कर रही है।श्रुति को खुश देख शान भी मुस्कुरा देते है शोभा जी शान के चेहरे पर मुस्कान देख खुश होते हुए मन ही मन सोची इतने समय बाद ही प्रशांत दिल से मुस्कुराया तो।उन्होंने चित्रा की ओर देखा उसकी आंखों में उन्हें नजर आ जाती है ये देख वो असमंजस में पड़ जाती है और सोची जब मौका मिलने पर चित्रा से बात कर उसकी उदासी का कारण पूछती हूँ।और ये मौका तो घर मिलने से रहा बाहर ही घूमने निकलना सही रहेगा।ये सोच वो शान से बोली प्रशांत हम लोग यहां दो दिन के लिए ही आये है तो मन में ख्याल आ रहा है कि इस बार शिमला ही घूम ले।

प्रशांत जी बोले - ठीक है बड़ी मां!अभी कुछ देर रेस्ट कर लो दोपहर के तीन बजे से निकलते हैं।और आकर अपनी बड़ी मां के पास उनके पैरो से बैठ कर हमेशा की तरह अपना सर उनकी गोद में रख लेते है।

क्रमशः...