Kaisa ye ishq hai - 71 in Hindi Fiction Stories by Apoorva Singh books and stories PDF | कैसा ये इश्क़ है.... - (71)

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कैसा ये इश्क़ है.... - (71)

अर्पिता पूर्वी एवं युवराज के साथ घर पहुंचती है जहां उन्हें दरवाजे पर ही ताला लगा हुआ मिलता है।जिसे देख पूर्वी और युवराज हैरान हो एक दूसरे की ओर देखते हैं।

युव्वि, मम्मीजी पापाजी तो यहां नही है कहां गये होंगे।एक बार फोन करके पूछो तो पूर्वी ने युवराज की ओर देख कर कहा।पूर्वी की बात सुन युव्वि ने फोन निकाला और फोन लगाते हुए बोला,पूर्वी अब फोन उठाना न उठाना तो उनके मूड पर निर्भर है।फोन कान से लगाता है रिंग जाती है लेकिन मिस्ड कॉल में परिवर्तित हो जाती है।युवराज न में गर्दन हिला कर फोन रख देता है।

युवराज को देख अर्पिता बोली अगर किसी व्यक्ति के बारे में जानकारी चाहिए तो उसके पड़ोसी से पूछो।जो किसी न किसी भावना के वश अपने ही पड़ोसी पर नजर रखते हैं।

हम्म सही कहा आपने अर्पिता जी!कहते हुए युवी आगे बढ़ गया और अपने पापा से घनिष्ठता रखने वाले एक अंकल से अपने पापा के बारे में उनसे पूछते हुए बोला, अंकल पापा से मिलने ये गेस्ट आई है लेकिन घर पर ताला लगा है क्या आप बता सकते है कि मम्मी पापा कहां गये हैं।

युव्वि के यूँ पूछने पर पहले तो वो अंकल मंद मंद मुस्कुराये जैसे युवराज ने उनसे पूछ कर गुनाह कर दिया हो।अब कुछ लोग होते है ऐसे जो मुंह में राम बगल में छुरी का उपयोग करते है।फिर बोले अरे बेटे वो तो कुछ देर पहले ही घूमने निकल गये है जहां वो अक्सर जाते रहते हैं।

थैंक यू अंकल युवराज ने कहा और अर्पिता के पास वापस आकर बोले,जी पापा मम्मी तो घूमने निकल गये हैं।पैरो में दर्द होता है लेकिन घूमना नही छोड़ते युव्वि ने कहा जिसे सुन अर्पिता धीमी आवाज में बोली कितनी बार कहा है कड़वा लहजा बच्चो के सामने मत इस्तेमाल करो।

युव्वि सुन लेता है तो कान पकड़ वहीं सॉरी बोल देता है।

अर्पिता हल्का सा मुस्कुराई और बोली अब ये बताओ चलना कहां है।

युवराज ने धीमे से कहा :- उसी पहाड़ी पर जहां आप कभी नही जाती।

अर्पिता शॉक्ड हो युव्वि की ओर देखती है जिसे देख युवराज बोला, जी मम्मी पापा को वो जगह बेहद पसंद है।वो अक्सर वहां घूमने जाते रहते हैं।

युवराज अंकल आंटी ही तो जाते है लेकिन हम नही जाते।अर्पिता ने कहा तो पूर्वी तपाक से बोली तो अब चलो दी कौन सा गाड़ी है जो एक बार निकल गयी तो फिर नही मिलेगी।

हम्म बात तो सही है पूर्वी युवराज ने भी पूर्वी का साथ देते हुए कहा जिसे सुन अर्पिता बोली हां हां पहाड़ी पर चलो दो दो नटखट बच्चो को लेकर।जानती हो न हरियाली दिख गयी प्रीत को तो फिर ये न रुकने वाले।और उस क्लिफ की खूबसूरती तो आप दोनो ही जानते हो।

पूर्वी चहकते हुए बोली :- तो क्या हुआ दी आप और मैं हैं न सम्हाल लेंगे लेकिन अगर आपका मन बदल गया तो फिर कैसे ..?नही रिस्क नही अब तो चलो आप..क्या पता वही प्रशांत सर भी मिल जाये..!कहते हुए पूर्वी मुस्कुराने लगती है जिसे देख अर्पिता बोली दिख रहा है दो बच्चो के साथ तीसरी भी है।चलो अब अर्पिता ने कहा और वहां से क्लिफ की ओर बढ़ जाती है।

वहीं ऊपर शान क्लिफ पर खड़े है उनके कानो में उनकी ही बनाई धुन को किसी के गिटार पर छेड़ने के स्वर सुनाई देते हैं।आवाज सुन वो उस तरफ बढ़ जाते है जहां उनकी नजर कुछ दूरी पर चटाई बिछा कर गिटार प्ले करते कुछ कॉलेज के छात्रों पर पडती है।जो धुन तो सही बना रहे है लेकिन गा नही पा रहे हैं।शान उनके पास पहूंच जाते है और उनकी धुन पर कुछ लाइने कहते है ..

विरह की घड़ियों के बाद मिलन के सुनहरे पलों का आना अभी बाकी है।
तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारा लौट कर आना अभी बाकी है।
ये मन बावरा अक्सर भटकता रहता है तुम्हारी तलाश में।इसी मन बावरे का मंजिल पर पहुंच कर ठहरना अभी बाकी है।
तेरे जाने के बाद यूँ तो किस्से बहुत सुनाये है जमाने ने मुझको
लेकिन इन्ही किस्सो का कहानियां बन कर अमर हो जाना अभी बाकी है।
तेरे हर एहसास को संजोया है मैंने खुद में मेरी रूह की तरह।इसीलिए तू मुझमे अभी बाकी है।हां तू मुझमे अभी बाकी है।

में आई..शान ने हाथ बढ़ाते हुए उन लड़को से कहा जिसे देख वो एक दूसरे की ओर देखने लगते है।शान बोले 'आवारा हूँ चोर नही भरोसा कर सकते हो'।

मतलब चारो ने एक साथ कहा जिसे सुन वो बोले तुम्हारा गिटार बजाऊंगा इसे चोरी कर यहां से भागूंगा नही।

ओके लेकिन यहीं बैठकर बजाना होगा उनमे से एक ने कहा तो शान बोले बैठ कर नही यहीं खड़े रहकर ..कहते हुए उन्होंने दोबारा हाथ आगे बढ़ाया और गिटार हाथ में ले उसे प्ले करने लगते हैं ...

गाते गाते शान रुक जाते है।और गिटार वापस उन लड़को को दे वहां से वापस अपनी जगह आकर खड़े हो जाते हैं।

मम्मा हम कहां जा रहे हैं..?अर्पिता की अंगुली पकड़ कर चलते हुए प्रीत ने पूछा तो अर्पिता बोली हम वहां ऊपर चल रहे है आपकी युविका दीदी के दादा दादी के पास।वो वहीं है न।

अच्छा मम्मा।प्रीत ने कहा।चलते हुए जब अर्पिता और बाकी सब पहाड़ी के ऊपर पहुंचने से थोड़ी दूर रह जाते है तो प्रीत ने युविका की ओर देखते हुए कहा तो दीदी एक दौल हो जाये कौन पहले पहुंछता है।

प्रीत नही गिर जाएंगे आप!प्रीत ..अर्पिता ने उससे कहा तो प्रीत ने मुस्कुराते हुए अर्पिता की ओर देखा और युविका से बोला दीदी वन तू थली... दोलो.. कह प्रीत अर्पिता का हाथ छोड़ पहाड़ी पर दौड़ लगा देता है उसके साथ ही युविका भी दौड़ पड़ती है जिसे देख अर्पिता पूर्वी से बोली लो चलो अब सम्हालो चलकर..प्रीत रुको..मम्मा ने मना किया था ऐसे नही दौड़ना है गिर जाएंगे आप प्रीत ..कहते हुए वो लांग फ्रॉक सूट विथ सिम्पल स्लीपर्स के साथ प्रीत के पीछे दौड़ पड़ती है।उसका पूरा ध्यान प्रीत पर होता है जिस कारण वो शान के वहां मौजूद होने के एहसास को महसूस ही नही कर पाई है।कायनात अपनी साजिश फिर रच रही है।नियति से मजबूर अपनी अर्पिता से जुदा हुए शान को उसके कदमो के वहां होने का एहसास हो जाता है।

पहाड़ी पर मौजूद शान को अपनी पगली के वही आसपास होने का एहसास होता है।उस एहसास को एक बार फिर महसूस कर वो बैचेनी से चारो ओर देखते हैं।लेकिन जब कोई नही दिखता तो वो वापस से क्लिफ के एंड की ओर देखते हुए सोचते है अर्पिता आज बरसो बाद मुझे तुम्हारे पास होने का एहसास हो रहा है तुम आ रही हो न बोलो ..! लेकिन मुझे कहीं दिख ही नही रही हो क्यों।अप्पू कहां हो?

प्रीत..रुकिए..!ये शब्द शान के कानो में पड़ते हैं।प्रीत हमने कहा रुकिए बच्चा आगे गहरी खाई है गिर जाएंगे रुकिए युविका आप तो रुकिए ये कोई शरारत वाली बात नही है।

मम्मा पकड़ो ....प्रीत ने कहा तो अर्पिता के जेहन में अतीत घूम जाता है।ऐसा ही तो वो दिन था ऐसे उसने भी अपने शान से कहा था और फिर उसे ...।प्रीत अभी के अभी रुकिए नही तो मम्मा नाराज हो जायेगी रुकिए वहीं अर्पिता ने सख्ती से कहा जिसे सुन दौड़ता हुआ प्रीत शान के पास आकर शान के अचानक मुड़ने से उनसे टकराते हुए रुक जाता है।

एक सुखद अनुभूति का एहसास शान को होता है।वो सामने न देख नीचे देखते हैं।
रंग रूप में अर्पिता की छवि और गुण सारे शान के लिए प्रीत शान की ही तरह एक कान पकड़ सॉरी कहता है।जिसे देख शान के मन में एक अलग ही खुशी आ जाती है और चेहरे पर बरसो बाद मुस्कुराहट वो अर्पिता के एहसास को तो भूल ही जाते है।शान प्रीत को गोद में उठाने के लिए हाथ बढ़ाते है तब तक प्रीत थोड़ा आगे दौड़ कर रुक जाता है।शान पीछे न देख प्रीत को देखने लगते हैं।अर्पिता शान के पास से होकर गुजरती है और हमेशा की तरह दो कदम बढ़ खिंचाव महसूस कर रुक जाती है।उसका हृदय जोरो से धड़कता है।

शान...यहां!अर्पिता ने बड़बड़ाया।वो हल्की सी तिरछी गर्दन कर तिरछी नजरो से हाथ की ओर देखती है जहां हमेशा की तरह शान के हाथ में उसके दुपट्टे का एक सिरा उलझा हुआ है।

वहीं पास खड़े शान के मुंह से धीमे शब्दो में आवाज निकलती है अर्पिता...!प्रीत और युविका वहीं नजरे झुका कर एक अपराधी की तरह खड़े हो जाते है दोनो अपने हाथ पीछे बांध लेते है और गर्दन नीचे किये हुए ही एक दूसरे की ओर देखते हैं।

प्रीत अर्पिता की ओर देखा तो उसकी आँखो में आंसू थे जिसे देख प्रीत ने धीमे से युविका से कहा दीदी मम्मा लो लही है।हमे कुछ कलना चाहिए?
युविका ने हाथो के इशारे से कहा - तो हम लोग बली मां को एछे एछे हग कल लेते हैं।

शान तो वहीं स्थिर खड़े रह जाते हैं।उनकी आँखे भर आती है।वो कभी सामने खड़ी अर्पिता को कभी अपने हाथ में उलझे हुए दुपट्टे को देखते हैं।ह्रदय में हो रहे एहसासों को वो जीवंत महसूस कर पा रहे हैं।अर्पिता शान ने आवाज देते हुए कहा.!

अर्पिता ने सुना उसके मुंह से हमेशा की तरह हम्म शान निकला।जो वो दिन में कई दफा बोलती रहती है।शब्दो का एहसास होने पर वो मौन हो जाती है सॉरी शान हमें जाना होगा नही तो इतने वर्षो की तपस्या सब व्यर्थ हो जायेगी।सोचते हुए अर्पिता ने प्रीत की ओर देखा और उससे बोली प्रीत युविका जाइये पूर्वी और युवराज के पास जाइये

ओके मम्मा, बड़ी मां कह दोनो वहां से दौड़ जाते है।शान प्रीत के शब्दो पर ध्यान ही नही दे पाते हैं।उनके जाने के बाद अर्पिता ने एक कदम दायीं ओर लिया ओर वहीं से बिन अपना दुपट्टा निकाले उसे वहीं छोड़ वापस आगे दौड़ जाती है।

अर्पिता के इस यरह यूँ अचानक वापस जाने पर शान चकित हो जाते है वो तुरंत उसका दुपट्टा हाथ में लपेट उसे आवाज देते हैं अर्पिता रुको!कहां जा रही हो।अप्पू..सुनो तो।वहीं अर्पिता प्रीत और युविका के पास पहुंचती है वो दो क्षण रुकती है और प्रीत को उठा क्लिफ से नीचे की ओर चली आती है।पूर्वी युवराज समझ ही नही पाते है हुआ क्या है।अर्पिता जा कहां रही हैं।वहीं शान दौड़ कर आगे आते है वो अर्पिता को आवाज देते हुए दौड़कर उसकी ओर जाते है लेकिन तब तक अर्पिता उनकी नजरो से ओझल हो चुकी है।वो वहीं खड़े हुए अर्पिता के दुपट्टे को देख कहते है मेरी पगली तुम आई भी और चली गयी।क्यों मुझे इतना तंग कर रही हो बहुत बैचेनी से मैंने इस पल का इंतजार किया था और तुम आई भी चली भी गयी...!

उनकी नजर पूर्वी युवराज और वहां खड़ी युविका पर पड़ती है।जो अर्पिता और प्रीत की ओर ही देख रही है।

शान उनके पास आकर रुकते हुए पूर्वी से बोले, "तुमने अर्पिता को यहां से जाते हुए देखा है पूर्वी"? शान ने कहा तो अर्पिता की ओर देख रहे युवराज और पूर्वी ने पलटकर शान को देखा।

पूर्वी ने हाथ से इशारा कर बताया वो रही वो घर जा रही है?

घर?कौन सा घर..?तो क्या वो यहां रहती है यहां किसके साथ रहती है कहीं मेरी तरह उसने भी तो मजबूर होकर...? नही इतना तो मैं जानता हूँ मेरी पगली ऐसा नही कर सकती है।

इससे पहले कि वो फिर से छुप जाये मुझे उसे रोकना होगा सोचते हुए शान आगे बढ़े।लेकिन तब तक अर्पिता नीचे पहुंच चुकी होती है।पूर्वी युवराज से बोली आप दी के पास जाइये मैं मम्मीजी पापाजी के साथ रुकती हूँ।युविका को यहीं रहने दीजिये।

हम्म मैं भी यही सोच रहा था पूर्वी युवराज ने कहा और उठकर घर जाने के लिए अर्पिता की ओर जाता है।शान वापस आये और पूर्वी से बोले आप जानती हो अर्पिता कहां रहती है?बोलिये पूर्वी बताइये मुझे।

पूर्वी बोली :- सर आपकी फॅमिली मेरे साथ ही रहती है।जब मैम पहाड़ी से गिरे थे उसके दो महीने बाद ही हमे बेहोश मिली थी फिर होश में आई तब से वो और प्रीत दोनो हमारे पास ही रहते हैं।

प्रीत नाम सुन शान हैरान होते हुए बोले प्रीत..!प्रीत कौन पूर्वी?

शान की बात सुन पूर्वी मुस्कुराती हुई बोली अर्पिता मैम का बेटा प्रीत..!

प्रीत....!मेरा बच्चा..हे ठाकुर जी मेरी पत्नी,मेरी पगली का तो मुझे पूरा विश्वास था कि वो कहीं न कहीं है लेकिन उसके साथ मुझे एक खुशी और मिलेगी ये मुझे नही पता था...!पूर्वी मुझे दोनो से मिलना है प्लीज मुझे अपने घर ले चलो।प्लीज... खुशी की अधिकता में शान इससे आगे कुछ नही कह पाते हैं।तो पूर्वी बोली सर मैं नही जा सकती क्योंकि मम्मीजी पापाजी को मेरी जरूरत है आप युविका को ले जाइये इसे घर का रास्ता मालूम है मैम ने इसे घर का रास्ता याद करा दिया है।

युविका अंकल को बड़ी मां के पास ले जाओ पूर्वी ने युविका से कहा तो युविका ओके मम्मा कहती हुई शान का हाथ पकड़ कर उसके साथ जाती है।

वहीं अर्पिता घर जाकर अपने और प्रीत के लिए सारी आवश्यक चीजे एक कैरी बैग में पैक कर पानी की बॉटल ले वहां से प्रीत की सारी फोटोज और डायरी ले घर के बाहर निकलती है जहां युवी उसे मिल जाता है।युवी को देख अर्पिता बोली हमे जाना होगा, इससे पहले कि शान हम तक पहुंचे हमे जाना होगा वो किसी भी समय यहां आते होंगे।बड़ी मुश्किल से उन्होंने खुद को सम्हाला है हम हमारी वजह से उन्हें फिर से हर्ट नही करना चाहेंगे।आप हटिये एक तरफ कहते हुए अर्पिता आगे बढ़ती है।तो युवी भी उसके पीछे चला आता है वो उससे बोला,ठीक है लेकिन अकेले क्यों जाना अर्पिता जी!मैं चल रहा हूँ आपके साथ पहले आप कहीं ठहर जाइये फिर मैं वापस चला आऊंगा।

युवी ये हमारा संघर्ष है इससे हमे अकेले ही लड़ना है।अर्पिता मिश्रा इतनी कमजोर नही है कि उसे किसी के सहारे की जरूरत पड़े ये बात आप अच्छे से जानते है न अर्पिता ने कहा।

जिसे सुन युवी बोला जानता हूँ?इसीलिए सिर्फ साथ चल रहा हूँ ताकि आपका नया पता ठिकाना मुझे मालूम रहे जिससे मैं और पूर्वी आपसे मिलने कभी भी आ सके।

आपसे बातों में हम उलझ गये न तो शान यहां आ जाएंगे चलो अर्पिता ने कहा और वो प्रीत एवं अपना समान दोनो सम्हाल कर वहां से निकल जाती है।वो मेन रोड़ से आकर टैक्सी पकड़ती है एवं नजदीकी स्टेशन के लिए निकलती है।

वहीं शान युविका को साथ लेकर पूर्वी के घर पहुंचते है।घर में कदम रखते ही उन्हें अर्पिता के वहां न होने का एहसास हो जाता है।तुम चली गयी अप्पू।मेरा इंतजार और बढ़ गया।लेकिन अब ये इंतजार मुझसे और नही होगा अब तो मुझे मेरे बच्चे से मिलना है।हे ठाकुर जी लगता है आपकी परीक्षाएं लेने का समय अभी खत्म नही हुआ है।कहते हुए उनकी आँखे भर आती है जिसे युविका ने देखा और उनका हाथ पकड़ नीचे बैठने के लिए बोलती है।

शान भरी आंखों से नीचे बैठते है तो युविका अपने छोटे छोटे हाथो से उनके आंसू पोंछ उनके गले लग जाती है और कहती है।
बड़ी मां ने कहा था हमे चोट लगने पर रोने की जगह उस पर मलहम लगाना चाहिए।तो आपके भी अगर चोट लगी है तो मैं दवा लगा देती हूँ आप रोना बंद कीजिये।।

शान आंसुओ से मुस्कुराते हुए बोले नही बेटा चोट लगी थी अब जल्द ही ठीक हो जायेगी।और मन ही मन सोचने लगे अप्पू ठाकुर जी ने मुझे तुम्हारे होने का संकेत दिया है तो अब जल्द ही मिलवा भी देंगे।मेरे इंतजार का अब अंत होने वाला है एक बार मिल जाओ फिर देखता हूँ तुम कैसे अपनी मनमानी करोगी। शान में युविका की ओर देखा और उससे बोले चलिये मैं आपको आपकी मम्मा के पास छोड़ देता हूँ कहते हुए शान ने युविका को गोद में उठाया और वापस पहाड़ी की ओर चलने लगते है रास्ते में शॉप देख वो युविका के लिए चॉकलेट खरीद कर उसे दिला देते हैं।

एवं वापस क्लिफ पर पहुंच कर शान पूर्वी से कहते है पूर्वी आपकी मैम थोड़ी जिद्दी है।ये आपकी प्रिंसेस बहुत प्यारी है आप इन्हें देखिये मैं अभी निकलता हूँ और धन्यवाद नही कहूंगा क्योंकि आपने मेरी फॅमिली का ध्यान रखा है तो आपका उपकार है मुझ पर शान ने कहा और बिन पूर्वी का जवाब सुने वहां से चले जाते हैं।वहां से वो शिमला के लिए निकल जाते हैं।अर्पिता से एक छोटी सी मुलाकात ही उनके गंभीर चेहरे पर मुस्कान ले आती है।वहीं उसके साथ उनका बेटा प्रीत जिसका नाम ही उनके नीरस मन में उमंग भर देता है।अर्पिता ठाकुर जी ने तुम्हारे होने का संकेत दिया है तो अब वही तुम्हे मेरे पास वापस भी लाएंगे अब मैं शिमला में तुम्हारे आने का इंतजार करूँगा।मुझे यकीन है तुम अब वहीं आओगी।इतने बरसो के इंतजार का अब अंत होने वाला है।सोचते हुए शान मुस्कुराने लगते हैं।

अर्पिता युवराज और और प्रीत के साथ ट्रेन में बैठ जाती है।ट्रेन अपने गंतव्य की ओर चल देती है।
छुक छुक!मम्मा ये ट्रेन है न।हम टीलेन से कहां जा रहे हैं।छोटे से प्रीत ने अर्पिता की ओर देखते हुए कहा।

हम लोग एक नये घर जा रहे प्रीत!अर्पिता ने जवाब दिया जिसे देख प्रीत बोला नये घल...मम्मा!
हां बच्चा।ओके मम्मा प्रीत ने कहा और अर्पिता के पास वहीं बैठ जाता है और अर्पिता का फोन उठाकर चुपचाप चलाने लगता है।

प्रीत को व्यस्त देख युवराज अर्पिता से बोला अर्पिता जी ये गाड़ी शिमला जा रही है।शिमला में आपके जानपहचान का कोई रहता है क्या?

नही युवी।अर्पिता ने कहा और खामोश हो गयी।ओके लेकिन मेरे एक दोस्त का दोस्त वहां रहता है वो आपको रूम दिलाने में मदद कर सकता है।युवराज ने खामोशी को तोड़ते हुए कहा।जिसे सुन अर्पिता बोली ठीक है हमे कोई समस्या नही है।अर्पिता ने युवराज से कहा और ये जानने के लिए कि प्रीत इतना चुप क्यों है वो उसकी ओर देखने लगती है।

अर्पिता ने देखा कि प्रीत फोन की गैलरी में कुछ बड़े ही गौर से देख रहा है।

ये देख अर्पिता ने उससे कहा प्रीत बताइये हमे इतनी गौर से क्या देखा जा रहा है दिखाइये तो कहते हुए अर्पिता ने फोन हाथ में लिया जिसमे प्रीत शान की फोटो बड़े ही ध्यान से देख रहा है।

अर्पिता के पूछने पर प्रीत बोला मम्मा ये तो वही अंकल है जो मुझे वहां उपल मिले ...?

प्रीत की बात सुन अर्पिता थोड़ी हैरान हुई और बोली आप इनसे मिले प्रीत इन्होंने कुछ कहा क्या आपसे..!

नही मम्मा!वो मैं इंसछे टकला गया था तो मैंने इनसे कान पकल कल छोली बोल दिया।प्रीत ने अपने हाथो को घुमाते हुए कहा जिसे देख अर्पिता बोली ओके ठीक है प्रीत ...तो अगली बार आप जब भी इनसे मिलोगे तो इनके पैर स्पर्श अवश्य करना।ठीक है।

ओके मम्मा!लेकिन मैं इनछे मिलूंगा कब।प्रीत ने कहा तो अर्पिता सोचते हुए बोली जब ठाकुर जी की मर्जी होगी तब आप इनसे अवश्य मिलेंगे।अब बातें बहुत हो गयी अब आप कुछ देर चुप बैठ कर अपने इस छोटे से दिमाग को आराम दीजिये।और हां यहां से कहीं जाना नही! बिल्कुल भी नही!अगर गये न तो फिर घर पहुंच कर कॉफ़ी नही मिलेगी।अर्पिता ने झिड़कते हुए प्रीत से कहा और फोन अपने बेग में रख खिड़की की ओर देखने लगती है।युवराज पूर्वी को कॉल कर उसके शिमला जाने की बात बताता है।

शान प्लेन के जरिये शिमला एयरपोर्ट पहुंचते है।एवं वहां से सीधे घर के लिए निकल जाते हैं।
घर पहुंच वो सीधे अपने कमरे में जाते हैं और मुस्कुराते हुए अर्पिता के पोस्टर की ओर देख कहते है तो आखिर तुम मिल ही गयी मेरी पगली।अब जब तुम्हारे बारे में मुझे पता चल गया है तो मुझसे अब और इंतजार हो ही नही रहा है।अब तो मुझे उस पल का इंतजार है जब मैं तुमसे और अपने बेटे से मिलूंगा..प्रीत कितना प्यारा नाम दिया है तुमने। तुमसे मेरी शिकायत अपनी जगह है और मेरा प्यार इंतजार अपनी जगह।शान ने कहा एवं मुस्कुराते हुए उसने कबर्ड से अपने कपड़े निकाले और शॉवर लेने चले जाता है।शान को आया देख चित्रा दरवाजे के पास आयी उसने अंदर झांक कर देखा और शान को वहां न देख वो वापस पीछे चली आयी।हॉल में बैठी हुई त्रिशा ने चित्रा का रिंग हुआ फोन उठाते हुए चित्रा को आवाज लगाते हुए बोली मम्मा घर से शोभा दादी का कॉल आ रहा है।

त्रिशा की आवाज सुन चित्रा हॉल में आई और त्रिशा से फोन लेते हुए शोभा से बात करने लगी।
शोभा जी बोली :- चित्रा!मैं श्रुति और प्रेम के पापा कुछ दिनों के लिए शिमला आ रहे हैं।श्रुति का बहुत मन हो रहा है अपने भाई से मिलने का।

जी आंटी जी मै प्रशांत जी से बोलती हूँ आप बिल्कुल आइये मुझे इंतजार रहेगा।चित्रा ने कहा तो शोभा जी बोली हम लोग दो दिन में वहां पहुंच जाएंगे।

ठीक है आंटी जी चित्रा ने कहा और फोन रख देती है।मम्मा क्या दादी यहां आ रही है त्रिशा ने पूछा तो चित्रा मुस्कुराते हुए बोली हां गुड़िया।ओके मम्मा त्रिशा ने कहा और टीवी देखने लगती है।

चित्रा फोन रख वापस शान के कमरे की ओर जाती है शान शॉवर लेकर आ चुके हैं वो आईने के सामने खड़े गुनगुनाते हुए अपने सर को जोर से हिलाते है जिससे उनके बालो से पानी छिटक कर चारो ओर गिर जाता है और बाल बिखर पर माथे पर आ जाते हैं।चित्रा वहीं दरवाजे से खड़ी हुई शान को देखती रहती है।

उनके माथे पर बिखरे बाल सांवला सा रंग उस पर कसा हुआ आकर्षक शरीर जिसे देख चित्रा मन ही मन सोची इतने चार्मिंग है आप शान कि एक बार अगर कोई आपके प्रेम में पड़ जाये तो उसका आपसे मोहभंग होना असम्भव सा है।शान की नजर चित्रा पर पड़ती है जिसे देख वो बोले आप यहां क्यों खड़ी है कोई कार्य था तो बोलिये अन्यथा यूँ दरवाजे पर तो मत खड़ी रहिये।

शान ने आज बेरुखी से बात नही की ये सोच चित्रा मुस्कुराई और बोली वो शोभा आंटी जी का कॉल आया था वो अंकल और श्रुति तीनो कल यहां पहुंच रहे हैं।

ओके!चित्रा मैं सम्हाल लूंगा।तुम टेंशन न लो।शान ने कहा और तैयार होने लगते है।चित्रा की नजर बेड पर पड़े दुपट्टे पर पड़ती है जिसे देख उसका ह्रदय एक पल को तो सहम जाता है वो अटकते हुए धीरे से शान से पूछते हुए बोली ..ये दुपट्टा किसका है प्रशांत जी।शान ने बिन उसकी ओर देख मुस्कुराते हुए बोले पूरी दुनिया में सिर्फ मेरी पगली का आँचल ऐसा है जिसे मुझसे उलझना पसंद है।ये उसी का है मैंने सबसे कहा था वो जिंदा है किसी ने नही माना तो ये रहा उसके होने का सबूत..!जो मुझ पर मेरे ठाकुर जी की कृपा और विश्वास का परिणाम है।

क्या..कह रहे हो आप प्रशांत!अर्पिता जिंदा है..?चित्रा ने दरवाजे का सहारा लेते हुए कहा जिसे देख शान बोले चित्रा इतना हैरान क्यों हो रही हो मैंने कितनी दफा आपसे कहा है।शायद आपने मेरी बातों को गंभीरता से नही लिया।खैर कोई बात नही अब सबको यकीन हो ही जायेगा कि मेरी पगली आ चुकी है .. जल्द ही अब वो मुझ तक पहुंच ही जायेगी इतने वर्षो बाद हम यूँ ही नही मिले है ...!

तो आपके चेहरे पर मुस्कान होने का ये कारण है।चित्रा ने पूछा तो शान बोले कारण तो एक और है लेकिन वो समय आने पर सबको खुद ब खुद पता चलेगा।कह शान तैयार हो कमरे से बाहर निकल कुक को खाना निकालने के लिए बोल कर हॉल में त्रिशा के पास बैठ जाते हैं।

ट्रेन एक स्टेशन पर रुकती है।प्रीत सो चुका है जिसका सर सर अर्पिता ने अपनी गोद में रखा हुआ है।युवराज स्टेशन पर पानी लेने बाहर गया है।

हेल्लो!क्या मैं यहां बैठ सकती हूँ ?एक बाइस वर्ष की लड़की ने अर्पिता के पास खड़े हो उससे पूछा।अर्पिता ने अपनी नजरे खिड़की से इतर की और एक नजर उस लड़की पर डाली।उसने चेहरे पर हिजाब पहन रखा है आंखों पर बड़ा सा सनग्लासेस एक हाथ में ट्रॉली बेग पकड़े है तो वही दूसरे हाथ में महंगा फोन।अंगुलियों में गोल्ड की ज्वैलरी और पैरो में हील वाले शूज!व्हाइट टॉप विथ ब्लैक ट्राउजर्स पहने वो लड़की बालो को वोल्युम दिये वही खड़ी हुई उसके जवाब का इंतजार करते हुए बोली, ओ हेल्लो सिम्पल सा जवाब मांगा है मैडम इसमे इतना क्या सोच रही हो।ओह गॉड अगर शिमला जाने की जल्दी न होती तो मैं इस स्लो मोशन रेलगाड़ी में कभी नही बैठती।टिया कुमार नाम है मेरा मेरा तो नाम ही काफी है लोगों के लिए।बड़बड़ाते हुए वो वहीं बैठ जाती है।अर्पिता ने उसे देखा और बोली जरा सम्हल कर बैठिये बच्चे के नाजुक पैरो को लग न जाये।

ओह हेल्लो!सम्हल कर तुम अपने बच्चे को रखो न फालतू का ज्ञान मुझे मत दो।टिया ने बदतमीजी से कहा और बड़बड़ाते हुए बोली, मिस्टर अजय आज मैं आपसे मिलकर आपको अपना जुनून और प्यार दोनो साबित करूँगी।

अर्पिता उसे देख मुस्कुराते हुए सोचती है लड़की खूबसूरत है लेकिन इसका एटीट्यूड और बदतमीजी इसकी खूबसूरती को निखारने की जगह दबा रहे हैं।
कुछ ही देर में युवराज भी आ जाता है और पानी की बॉटल अर्पिता की ओर बढ़ा देता है।अर्पिता धन्यवाद कहते हुए बॉटल रख लेती है।टिया ने अपना फोन निकाला और अपने डैड को फोन करते हुए बोली डैड मैं एक घण्टे में शिमला पहुंच रही हूँ स्टेशन पर किसी को भेज देना।और फोन कट कर सॉन्ग सुनने लगती है।

प्रीत उठते हुए बोला 'मम्मा पानी'!उठते समय उसके पैर टिया से टच हो जाते है जिसे देख वो हेडफोन निकाल गुस्साते हुए बोली, ओह गॉड कितना बद्तमीज बच्चा है उठने बैठने का मैनर नही सिखाई हो इसे।मेरी इतनी महंगी ड्रेस को अपने पैरो से गंदा कर दिया।

अर्पिता ने प्रीत की ओर देखा तो उसने टिया की ओर देख अपना एक कान पकड़ कहा 'सॉरी'!

टिया चिढ़ते हुए बोली अब इस सॉरी का क्या मैं टोकरा बना सर पर सजाऊँ।जाहिल कहीं के।टिया की बात सुन प्रीत ने थोड़ा सा दुखी हो अर्पिता की ओर देखा तो अर्पिता ने प्रीत को अपने पास गोद में सम्हाल क बैठा लिया और उससे बोली दुखी होने की जरूरत नही है प्रीत अगर कोई आपके सॉरी कहने पर भी बदतमीजी कर रहा है तो उसे ही बद्तमीज समझ कर इग्नोर कर देना चाहिए ठीक है।

ओके मम्मा!प्रीत ने कहा और वो पानी पीने लगता है।

टिया ने जब से सुना तो तमतमाई और अर्पिता से बोली तुमने टिया द लीजेंड को बद्तमीज कहा।

अर्पिता ने उसकी ओर देखा और बोली, 'जी बिल्कुल ' हमने आपको बद्तमीज कहा।क्योंकि एक बच्चे से कैसे बिहेब किया जाता है ये आपको नही आता है।पहले इसे सीखिये फिर हमसे उलझिए..!

टिया गुस्साई और बोली अगर तुम मुझे दोबारा मिली तो तुम्हे मैं देख लूंगी।

देखने के लिए आपको दोबारा मिलने की क्या जरूरत है हम एक घण्टे तक यहीं है!आराम से देखते रहिये ठीक है।कहते हुए अर्पिता ने प्रीत के हाथो से गिलास ले उसे झटक कर सुखाया और वहीं एक ओर रख दिया ...!

टिया गुस्से से उसे घूरती रह जाती है...!

क्रमशः ....