Kuchh chitra mann ke kainvas se - 25 in Hindi Travel stories by Sudha Adesh books and stories PDF | कुछ चित्र मन के कैनवास से - 25 - नियाग्रा फॉल- 3

Featured Books
Categories
Share

कुछ चित्र मन के कैनवास से - 25 - नियाग्रा फॉल- 3

नियाग्रा फॉल

दूसरे दिन हम सोकर उठे , आदेश जी और पंकजजी अभी सो रहे थे अतः हम दोनों बाहर बालकनी में आकर बैठ गए । सामने इंद्रधनुष दिख रहा है । पता चला कि यहां पर इंद्रधनुष दिखना आम बात है । मुझे तथा प्रभा को बेड टी की आदत नहीं थी अतः हम एक-एक करके फ्रेश हो लिए । अब तक आदेशजी और पंकजजी भी उठ गए थे । हमने रूम का पर्दा उठा दिया । फॉल पर सूरज की पहली किरण एक अलग ही नजारा पेश कर रही थी । प्रभा ने कॉफी मेकर ऑन किया तथा दोनों को काफी का कप पकड़ाते हुए कहा, ' दीदी, कल नीचे से ऊपर आते हुए मैंने देखा था कि नीचे काफी हाउस में चाय भी मिल रही है । चलो चाय ले आते हैं । मेरा काफी पीने का मन नहीं कर रहा है ।'

हम दोनों 19वीं मंजिल से लिफ्ट द्वारा नीचे आए । रेस्टोरेंट में दो तरह की चाय मिल रही थी उसने साढ़े $4 वाली चाय ऑर्डर की तथा कहा, 'यह चाय इंडिया की मसाला चाय जैसी होती है । दूसरी तो केवल उबला पानी लगती है । '

प्रभा के अनुसार हम न्यूयॉर्क और वाशिंगटन में उबला पानी ही पीते रहे थे । वह दो ढाई डॉलर में मिल जाती थी । वैसे हमें चाय के बारे में पता भी नहीं था । वहां स्मॉल कप , मीडियम कप तथा बिग कप में चाय या कॉफी मिलती थी । बिग कप में बहुत ज्यादा कॉफी या चाय होने के कारण पी ही नहीं पाते थे । स्मॉल कप महंगा पड़ता था । मीडियम कप में भी इतनी अधिक मात्रा में कॉफी या चाय रहती थी कि दो लोग उसे पी सकते थे अतः हम लोग मीडियम कप चाय या कॉफी लेकर एक एक्स्ट्रा खाली कप ले लेते थे तथा उसको दो भागों में विभक्त कर पी लेते थे । इस बार भी ऐसा ही किया ।

थोड़ी ही देर में आदेशजी और पंकजजी भी तैयार हो गए । हम नाश्ते के लिए होटल में बने रेस्टोरेंट में गए । नाश्ता कंप्लीमेंट्री था ...जूस, विभिन्न तरह के सिरियल्स, फ्रूट सलाद, ब्रेड आमलेट , केक वगैरा कई तरह के व्यंजन थे । भारत के अच्छे होटलों में भी इसी तरह की चीजें रहती हैं । इन सबके अतिरिक्त भारतीय होटलों में भारतीय डिश पूरी पराठा या साउथ इंडियन इडली दोसा, बड़ा सांभर भी नाश्ते में सम्मिलित रहते हैं ।

नाश्ता करने के पश्चात हम अपने मिशन पर निकले ... हमने Niyagra falls great gorge adventure pass लेना उचित समझा जिससे अलग-अलग जगह, अलग-अलग टिकट लेने की आवश्यकता ना पड़े । इस पास के अंतर्गत हम जर्नी बिहाइंड द फॉल, वाइट वाटर लेक, मेड ऑफ मिस्ट तथा नियाग्रा फ्यूरी देख सकते थे ।

सबसे पहले हम maid of mist के कतार में जाकर लगे मेड ऑफ मिस्ट अर्थात वह जहाज या नाव जिसमें बैठकर हमें फॉल का आनंद लेना था । यह जहाज मेड ऑफ मिस्ट प्लाजा से चलता है । मेड ऑफ मिस्ट प्लाजा में 4 हाई स्पीड एलिवेटर चलती हैं जो यात्रियों को नीचे डेक तक ले जाती है । एलिवेटर के द्वारा हम डेक पर पहुंचे जहां से आप 15 मिनट पर जहाज चलता है । जहाज में प्रवेश करने से पूर्व हमें नीले रंग का रिसाइकिलेविल रेन कोट पहनने के लिए दिया गया । अपना समय आने पर हमने जहाज में प्रविष्ट किया । जहाज में लगभग 600 यात्री बैठ सकते हैं । यह जहाज लगभग 80 फीट लंबा था तथा इसमें 350 हॉर्स पावर के दो डीजल से चलने वाले इंजन लगे रहते हैं जो जहाज को बहाव के विपरीत दिशा में ले जाते हैं ।

सब यात्रियों के बैठते ही जहाज चल दिया । जहाज घूमता हुआ पहले वह अमेरिकन साइड के फॉल फॉल के बिल्कुल नजदीक तक गया । फॉल के पानी के गिरने से उत्पन्न छीटें रिमझिम बरसात का एहसास करा रहे थे । इस सबके बीच में लोगों के कैमरे चालू थे । साथ ही फॉल के इतिहास के बारे में जानकारी देती कमेंट्री भी... इस फॉल को 1889 में किसी विदेशी ने खोजा था । तबसे यह फॉल लगातार लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है । धीरे-धीरे हमारा जहाज आगे बढ़ता गया । हमारा जहाज झरने के किनारे किनारे चलता-चलता कनाडा साइड के झरने जो घोड़े की नाल के आकार का था, के पास पहुंचा तथा बीचो-बीच खड़ा हो गया । यहां झरना अपनी पूरी ऊंचाई से नीचे गिर रहा था । लगभग पंद्रह मिनट तक जहाज वहीं खड़ा होकर दर्शकों को झरने की गहराई का एहसास कराता रहा । पानी के छींटे इतने तेज थे कि चेहरे को भी रेनकोट से ढकना पढ़ रहा था । यहां तक कि आंखें खोलना भी संभव नहीं हो पा रहा था । पानी का शोर तथा पानी की बौछारें जहां तन मन को विभोर कर रही थी वहीं आंखें मंत्रमुग्ध सी फॉल की सुंदरता को निहार रही थीं ।

अब जहाज लौट रहा था । हम उस दृश्य को आंखों में भरकर खुशनुमा एहसास को दिल में समाए हुए धीरे-धीरे हम फॉल से दूर होते जा रहे थे आखिर मेड ऑफ मिस्ट की हमारी यात्रा पूरी हुई । मेड ऑफ मिस्ट में शॉपिंग और डाइनिंग खरीदने और खाने की सुविधा दी थी इसके पश्चात अब हमें दूसरे स्थान की ओर जाना था ।

अब हम जर्नी बिहाइंड फॉल की कतार में जाकर खड़े हो गए । हम एलिवेटर द्वारा 150 फीट नीचे उतर कर ऑब्जर्वेटरी डेक (निरीक्षण स्थल) पर पहुंचे जो फॉल के फुट पर स्थित है । हमें यहां पहनने के लिए पीला रेनकोट दिया गया, उसे पहनकर हम फॉल के समीप बने गलीनुमा रास्ते से होते हुए अंदर गए । यह स्थान फॉल के एकदम नजदीक है । इसके किनारे बनी रेलिंग के सहारे खड़े होकर हम ऊपर से नीचे गिरते पानी की धारा को नजदीक से देखते हुए बौछारों का आनंद ले रहे थे पर वहां पानी की इतनी तेज बौछारें थी कि खड़ा होना तथा आंखें खोलना भी कठिन लग रहा था । रेनकोट पहने होने के बावजूद कपड़े गीले होने का एहसास हो रहा था और अच्छा भी लग रहा था । हमने यहां कुछ फोटोग्राफ भी लिए ।

लगभग एक घंटा यहां व्यतीत करने के पश्चात हमने नियाग्रा फ्यूरी की ओर प्रस्थान किया । नियाग्रा फ्यूरी का स्टूडियो कनाडा के घोड़े के नाल के आकार के फॉल के समीप स्थित टेबल रॉक वेलकम सेंटर में है । यहां 4 डी स्टूडियो में विभिन्न तकनीकों के जरिए यह बताया जाता है कि नियाग्रा फॉल कैसे निर्मित हुआ । जिस प्लेटफार्म पर हम खड़े हुए वह कभी हिलता तथा कभी हल्का तिरछा होकर हमें प्रकृति के विराट रुप का दर्शन करा रहा था तथा यह भी बता रहा था कि कैसे बड़े-बड़े ग्लेशियर पिघलकर पानी बनकर इस झरने का निर्माण करते हैं । इस क्रम में बर्फ के टुकड़े तथा पानी की बूंदे हमारे ऊपर गिर कर वास्तविकता का अहसास करा रही थीं ।यहां तक कि तापमान भी 20 डिग्री तक गिर गया था । यह लगभग 10 मिनट का शो है । यहां भी पहनने के लिए हमें रेनकोट दिया गया ।

इसके पश्चात हम नियाग्रा फॉल डिस्कवरी सेंटर गए । यहां पर फॉल और गार्ज के प्राकृतिक और स्थानीय इतिहास के बारे में जानकारी मिली । इसमें प्राचीन रॉक लेयर मिनिरल और फॉसिल्स की जानकारी के साथ ग्रेट गार्ज रूट ट्रॉली लाइन के इतिहास के अतिरिक्त और भी बहुत कुछ जानने को मिला । 180 डिग्री मल्टीस्क्रीन थिएटर प्रेजेंटेशन शो के द्वारा बताया गया कि कैसे नियाग्रा रिवर गार्ज तथा फॉल के रूप में 12,000 वर्षों से लगातार बहती आ रही है ।

अब हमें वाइट वाटर लेक देखने जाना था । वह जगह यहां से दूर थी अतः हम बस पकड़ने के लिए वहां स्थित बस स्टैंड पर खड़े हो गए । पास तो हमारे थे ही, थोड़ी ही देर में बस आ गई । दो बसें आपस में जुड़ी हुई थीं । यह बस मुझे लगभग वैसी ही लगी जैसे कोलकाता में ट्राम होती है । अंतर केवल इतना था कि ट्राम रेल की पटरियों पर चलती है जबकि यह सड़क पर चल रही थी । हम बस में जाकर बैठ गए। बस में आसपास के स्थलों के बारे में जानकारी दी जा रही थी । थोड़ी देर में हमारा गंतव्य स्थल आ गया । वहां हमें वनिता दी मिल गईं जो टोरंटो में रहती हैं । हमारे टोरंटो न जा पाने के कारण वह अपने पति धीरजी के साथ हम से मिलने आई थी ।

यहां भी शॉपिंग सेंटर था । उसे देखते हुए हम एलिवेटर तक पहुँचे । एलीवेटर ने हमें उस जगह पहुंचाया जहां से हम नियाग्रा रिवर के पानी को काफी तेजी से बेहता देख सकते थे । यहां बहता पानी एकदम सफेद नजर आ रहा था शायद इसी कारण इसे वाइट वाटर लेक का नाम दिया गया है । पानी का शोर काफी कुछ हमारे भारत की पहाड़ी नदी का एहसास करा रहा था । नदी के किनारे दर्शकों के घूमने के लिए 305 मीटर लंबा पथ बना हुआ था । कुछ समय यहां बिताकर यादगार के रूप में हमने कुछ फोटो लिए तथा बाहर निकल आए । वनिता दी और धीरजी चले गए तथा हम बस से वापस नियाग्रा फॉल लौट आये ।

वहां से होटल के लिए हम पैदल ही चल दिए जिससे कि आसपास के स्थानों के बारे में जान सकें । चलते- चलते हम थक गए थे अतः कॉफी पीने के इरादे से एक कॉफी हाउस में कॉफी पीने बैठ गए बयह काफी हाउस एक मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के पास स्थित है । मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के ऊपर की मंजिल पर एक रिवाल्विंग रेस्टोरेंट है । पता चला कि इस रिवाल्विंग रेस्टोरेंट के डाइनिंग हॉल से नियाग्रा फॉल तथा नियाग्रा शहर का विहंगम दृश्य नजर आता है । हमने उसी रेस्टोरेंट्स में खाने का मन बनाया । समय बिताने के लिए हम कुछ देर इसकी नीचे की मंजिल में स्थित स्टोर में घूमे जिसमें विभिन्न प्रकार की वस्तुएं बिक रही थीं । हमने खरीदा तो कुछ नहीं अंततः हम खाना खाने रेस्टोरेंट चले गए । नियाग्रा फॉल और नियाग्रा शहर को देखते में खाना खाया । यह नियाग्रा का प्रसिद्ध स्काइलोन टावर है ।

इस रिवाल्विंग रेस्टोरेंट में खाना खाते खाते हुए हमें मुंबई का अम्बेसडर होटल में रिवाल्विंग रेस्टोरेंट की याद आ गई । जहां बैठकर खाना खाते हुए मुंबई की मैरीन ड्राइव दूर सुदूर तक फैले समुंदर तथा पास में ही स्थित क्रिकेट ग्राउंड दिखाई देता है । दिन में जहां समुद्र की अठखेलियां करती लहरें दिल को लुभाती है वहीं रात्रि के समय मैरीन ड्राइव पर लगी लाइटें धनुषाकार रूप में अत्यंत मनमोहक पैदा दृश्य करती हैं । कुछ ऐसा ही दृश्य यहां नियाग्रा फॉल पर पडती लाइटें तथा शहर को रोशन करती लाइटें पैदा करे थीं । गलत रास्ते पर चले जाने के कारण उस दिन हमें बहुत चलना पड़ा पर नियाग्रा शहर का काफी भाग देखने को मिल गया । इतना चलने के पश्चात हम सभी बहुत थक गए थे । अब सोने के अतिरिक्त और कोई उपाय नहीं था ।

सुधा आदेश
क्रमशः