पाक स्थान (व्यंग्य)
आपने शीर्षक तो ध्यान से पढा है न ? यहाँ हम अपने उस पडोसी की बात नहीं कर रहे है जिसे लाख कोशिशों के बाद भी हम बदल नही सके । हमारा पडोसी पाकिस्तान हमेशा ही हमें अपने दिल में सजाए रखता है । उसके लिए हम इतने महत्वपूर्ण है कि वो जान जाए जलेबी खाए को चरितार्थ करते हुए हमेषा ही घुसपैठ की कोशिश में लगा रहता है अब इसमें उसके कुछ लोग मरते है तो मरते रहे । हमारे इस पडोसी को जब मन आए दीवाली मनाने लगता है । हम हैं कि अपने पड़ोसी की इस हिमाकत पर जल -भुन कर राख होते रहते हैं। हमारे दुबले-पतले कवि कभी पड़ोसी को धूल चटाते हैं, कभी नामोनिशान मिटाते है और कभी सबक सिखाने की बात करते है। ये वे ही हैं जो कभी शायद काकरोच भी नही मार सकते परन्तु उन्हे तो बस जनता को उकसाना हैं और वे उकसाते भी हैं। हमारे हुक्मरान भी ईट का जवाब पत्थर से देने की बातें करते रहते है। अब जब सब कुछ हो ही रहा है तो हमारा ये पड़ोसी अंग्रेजो के जमाने के जेलर की तरह सुधरता क्यों नही है ?
आम जनता के पास तो पाकिस्तान को जवाब देने का कोई तरीका ही नहीं हैं लेकिन हमारी आम जनता ने भी उस पड़ोसी की कारगुजारियों को अपने दिल में बसा कर रखा हुआ हैं । हालत यहॉ तक है कि अब तो हर घर मे पाक स्थान को लेकर सरकार भी चिंतित दिखाई देती है। जिनके घरों में पाक स्थान हैं, वे तो सुबह -सुबह वहाँ जाकर दो चार बम गिराकर मन को हल्का कर ही लेते हैं। जिनके घरों में पाक स्थान नहीं है वे अक्सर ही सुबह और शाम में पाक स्थान की खोज में सडकों ,खेतों और रेल लाईनों की तरफ लोटा ले कर जाते हुए दिखाई देते है । जब वे पाक स्थान पर बमबारी कर रहे होते है तो उनकी बदले की भावना इतनी बलवती होती है कि वे अपनी शर्म और दूसरों की लाज तक भूल जाते है ।
साहब , पाक स्थान हमारे घरों का अभिन्न हिस्सा है । किसी महात्मा ने तो इसे मंदिरों से भी अधिक महत्वपूर्ण बताया है । वैसे ऐसा भी ज्ञात हुआ है कि जल्दी ही एक आंदोलन खडा होने वाला है जिसमें किसी महापुरुष के पाक स्थान को पुनः स्थापित करने का संकल्प लिया जा रहा है । अब वे लोग शपथ ले रहे है कि पाक स्थान वहीं बनेंगा । कब बनेगा और कैसे बनेगा ये बाद की बात हैं, लेकिन बनेगा जरुर । वो बने या न बने नारे तो लगाने होगें यही नारे तो सत्ता के गलियारों में स्थान दिलाते है । पाक स्थान वह जगह है जहॉ आप यदि समय पर पहुॅच जाए तो पाक याने पवित्र हो जाते हैं और देर हो जाए तो नापाक याने अपवित्र उसके साथ ही साथ अधोवस्त्र बदल कर स्नान ध्यान करना होता है । कुछ लोगों को सारा का सारा संसार ही पाक स्थान दिखाई देता है वे जहॉ बैठ गए बस उसे कर दिया पवित्र । अब बाद में उस स्थान से जाने वाला नाक पर रुमाल रख कर जाए तो जाए उनकी बला से । किसी-किसी गॉव में तो पूरा का पूरा गॉव ही पाक स्थान को खोजता है और वहॉ इस चक्कर में आज भी बारुदी सुरंगें सुबह और शाम को सडकां के किनारे प्राप्त हो ही जाती है । इस चक्कर में अक्सर ही लोग घायल होते रहते है । वैसे मैं आपको बता ही दूॅ कि अब पाक स्थान हर गॉव में घर-घर तक पहुॅच गया है लेकिन केवल सरकारी कागजों में । आपको अब भी लोग पाक स्थान खोजते हुए या बाकायदा बम गिराते हुए मिल सकते है । इन पाक स्थानों के बनाने वाले अमले का हाजमा अच्छा है क्यांकि जो लोग बाहर पाक स्थान खोज रहे है उनके पाक स्थान इस अमले के पेट में न जाने कब चले गए ये बात किसी को भी नहीं मालूम है । अब यदि हम सीमा की बात करे तो सीमा पर इस अमले को भेज देना चाहिए इन्होनें पाक स्थान खाए है, ये पाकिस्तान को भी .......................।
आलोक मिश्रा