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एंथनी गोवा जाने वाली बस पर बैठा था। उससे कुछ सीट पहले बैठा विनोद नफीस को फोन पर बता रहा था कि वह एंथनी का पीछा करते हुए गोवा जा रहा है। उसने अपना रूप हिप्पी की तरह बना रखा था। नफीस ने उससे सावधान रहने को कहा। सारे रास्ते विनोद की नज़र एंथनी पर बनी हुई थी। दो एक बार एंथनी की नज़र भी उस पर पड़ी थी। विनोद को लगा था कि उसने उसे नहीं पहचाना है।
गोवा पहुँचकर एंथनी बस से नीचे उतरा। विनोद भी हिप्पी के भेष में उस पर नज़र बनाए हुए नीचे उतरा। एंथनी बस से उतरकर सीधा वॉशरूम की तरफ बढ़ गया। विनोद बाहर खड़े होकर उसका इंतज़ार करने लगा। करीब आधा घंटा बीत जाने के बाद भी जब एंथनी बाहर नहीं आया तो विनोद ने अंदर जाकर देखा। लेकिन एंथनी दिखाई नहीं पड़ा। उसने देखा कि शायद कहीं और से भी बाहर जाने का रास्ता हो। पर बाहर जाने का कोई और रास्ता नहीं था। विनोद परेशान हो गया कि उसने एंथनी को बाहर निकलते नहीं देखा तो वह कहाँ गया।
बस स्टैंड से बाहर निकल कर भी विनोद ने एंथनी को तलाशने की कोशिश की। पर वह कहीं नहीं मिला। विनोद ध्यान से सोचने लगा। एंथनी उसके देखते हुए वॉशरूम के अंदर गया था। वह खड़ा होकर उसके बाहर आने की राह देखने लगा। उसके बाद कई लोग बाहर निकले। पर एंथनी नहीं निकला। अचानक उसे याद आया कि एंथनी के वॉशरूम जाने के कुछ मिनटों के बाद ही एक आदमी पठानी सूट में बाहर आया था। उसके चेहरे पर दाढ़ी थी। कद-काठी के हिसाब से वह एंथनी की तरह ही था। विनोद समझ गया कि उसे ना पहचानने का दिखावा करने वाला एंथनी उसे पहचान गया था। बड़ी चालाकी से उससे पीछा छुड़ाकर चला गया। विनोद ने फौरन नफीस को फोन पर सब बता दिया।
पठानी सूट पहने एंथनी डिसूजा विला के गेट पर खड़ा था। गेट पर बैठा सिक्योरिटी गार्ड उससे पूछताछ कर रहा था। एंथनी ने हवा में तीर छोड़ते हुए कहा,
"भाई तुम यहाँ नए आए हो। इसलिए पीर मोहम्मद अली को नहीं जानते हो। डिसूज़ा साहब का पसंदीदा कुक था। कोई भी पार्टी हो। खाने की सारी ज़िम्मेदारी मेरी होती थी।"
सिक्योरिटी गार्ड सचमुच नया था। उसे बस इतना पता था कि यह विला मार्वल डिसूज़ा का है जो अब इस दुनिया में नहीं है। उसकी पत्नी जेनिफर अपने दोस्त के साथ यहाँ रह रही है। एंथनी जिस तरह से बात कर रहा था उससे उसे उसकी कही हर बात पर यकीन हो रहा था। फिर भी उसने कड़क कर कहा,
"हो सकता है। पर मार्वल डिसूज़ा सर अब जीवित नहीं हैं। उनकी पत्नी यहाँ रह रही हैं।"
एंथनी ने आँखों में नमी और आवाज़ में दुख लाकर कहा,
"पता चला कि हमारे प्यारे डिसूज़ा साहब नहीं रहे। अल्लाह उनकी रूह को सुकून दें। दरअसल जब वह बाहर चले गए थे तो मैंने भी नौकरी छोड़ दी थी। अपने घर महाराष्ट्र चला गया था। किसी काम से गोवा आया था तो आ गया।"
सिक्योरिटी गार्ड को उसकी बात पर पूरा भरोसा हो गया था। उसने कहा,
"उनकी पत्नी जेनिफर मैडम से मिलना है। वो घर में ही हैं।"
"एक बार सलाम कर लेता तो अच्छा था। हालांकि वह मुझे जानती नहीं हैं। उनके आने से कुछ साल पहले ही मैंने नौकरी छोड़ दी थी। लेकिन अगर कोई तकलीफ हो तो रहने दो।"
सिक्योरिटी गार्ड कुछ कहता उसी समय एक कार गेट पर आई। जब कार अंदर जा रही थी तब एंथनी ने देखा कि कार में वही आदमी है जो सीसीटीवी फुटेज में था। सिक्योरिटी गार्ड गेट खोलकर कार अंदर कराने में व्यस्त था। एंथनी चुपचाप वहाँ से चला गया।
निर्भय ने कार अंदर करते समय गेट पर पठानी सूट में किसी को देखा था। कार पार्क कर उसने सिक्योरिटी गार्ड से पूछा,
"गेट पर पठानी सूट पहने कौन था ?"
सिक्योरिटी गार्ड एंथनी के अचानक गायब हो जाने से परेशान था। उसने कहा,
"सर कह रहा था कि डिसूज़ा सर का पुराना कुक था। पीर मोहम्मद नाम बता रहा था। मैंने कहा कि जेनिफर मैडम से मिलना दूँ। पहले तो हाँ बोला। फिर आप आ गए। मैं गेट खोलने लगा। तब तक कहीं चला गया।"
निर्भय कुछ परेशान हो गया। पर उसे छिपाकर बोला,
"कोई अजनबी आए तो उससे अधिक बात ना किया करो।"
सिक्योरिटी गार्ड डर रहा था कि बहुत डांट पड़ेगी। पर निर्भय ने इतना कहकर छोड़ दिया। उसने कहा कि वह ध्यान रखेगा।
निर्भय अंदर गया तो मानवी सोफे पर बैठी एक फैशन मैगज़ीन देख रही थी। वह सोचती थी कि जब सबकुछ ठीक हो जाएगा तो वह अपना फैशन हाउस खोलने का सपना पूरा करेगी। निर्भय को देखकर उसने मैगज़ीन बंद करके रख दी। वह उससे पूँछने वाली थी कि जिस काम से गया था वह हुआ कि नहीं। पर उसके चेहरे पर परेशानी देखकर बोली,
"क्या बात है ? परेशान लग रहे हो ?"
निर्भय ने उसे गेट पर सिक्योरिटी गार्ड से बात करने वाले पीर मोहम्मद के बारे में बताया। सब सुनकर मानवी भी परेशान हो गई। निर्भय ने कहा,
"तुमने कभी मार्वल के मुंह से पीर मोहम्मद का नाम सुना था।"
"नहीं.... बल्की उसने बताया था कि वह कई सालों बाद लंदन से यहाँ आया था। उसके बाद मुझसे शादी करके यहाँ से चला गया। फिर तो वहीं उसकी मौत हो गई।"
अपनी बात कहकर मानवी बहुत डर गई। निर्भय ने समझाते हुए कहा,
"डरने की बात नहीं है। हो सकता है कि तुम्हारे आने से पहले वह यहाँ कुक रहा हो। वह सच कह रहा हो।"
"तो फिर अचानक चला क्यों गया ? मुझे तो लगता है कि वह अंजन का भेजा हुआ आदमी होगा। हमारे बारे में पता करने आया था।"
निर्भय के मन में भी यही डर था। लेकिन वह नहीं चाहता था कि मानवी डर जाए। ऐसा होने पर उसे संभालना मुश्किल होता। उसने कहा,
"अंजन को अगर हमारे बारे में पता चला गया होता तो वह किसी को भेजने की जगह खुद हमसे बदला लेने के लिए आता। तुम बेकार में डरो नहीं। हम सावधान रहेंगे और जल्दी यहाँ से चले जाएंगे।"
निर्भय ने किसी तरह मानवी को शांत करा दिया। पर उसके अपने मन में बहुत कुछ चल रहा था।
विनोद एंथनी के हाथ मिली अपनी हार से बहुत दुखी था। नफीस ने तो उससे कहा था कि वह वापस मुंबई चला आए। लेकिन विनोद ने तय किया था कि वह भी एंथनी का पता किए बिना वापस नहीं जाएगा। बस स्टैंड से बाहर निकल कर उसने अपने हिसाब से पठानी सूट वाले आदमी के बारे में पूँछना शुरू किया। उसे एक टैक्सी ड्राइवर ने बताया कि उसने इसी तरह के हुलिए वाले व्यक्ति को एक विला के पास छोड़ा था। विनोद ने उस टैक्सी ड्राइवर से कहा कि उसे भी वहीं पहुँचा दे।
विनोद भी डिसूज़ा विला के सामने खड़ा था। वह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर एंथनी यहाँ क्यों आया होगा। उसने वहीं से खड़े होकर नफीस को फोन पर सारी बात बताई। नफीस ने उससे कहा कि अगर एंथनी वहाँ गया था तो ज़रूर कोई खास बात रही होगी। इसलिए वह उस विला पर नज़र रखने की कोशिश करे।
निर्भय ने तय कर लिया था कि वह मानवी को लेकर सिंगापुर चला जाएगा। वहाँ जाकर सोचेगा कि आगे क्या करना है। मीरा सिंगापुर में उसके घर पर ही थी। उसने अपना फैसला मानवी को बता दिया।
विनोद डिसूज़ा विला पर नज़र बनाए हुए खड़ा था। डिसूज़ा विला बीच के पास था। उसके सामने नारियल के कुछ पेड़ थे। विनोद उन्हीं की आड़ में खड़ा था। अंधेरा हो गया था। उसे भूख लग रही थी। अभी तक सब ठीक था। उसने सोचा कि आसपास जाकर देखता है कि शायद खाने को कुछ मिल जाए। वह खाने के लिए कुछ तलाशने के लिए चला गया।
कुछ दूर जाने के बाद उसे सड़क पर सी फूड का एक कार्ट दिखाई पड़ा। वहाँ उसने पॉन कटलेट खाए। पेट भरने के बाद वह वापस विला के पास जाकर खड़ा हो गया।
वह सोच रहा था कि ना जाने कब तक इस विला पर नज़र रखेगा। तभी अचानक दो जीप आकर डिसूज़ा विला के सामने रुकीं। उसमें से कुछ लोग उतरे। विनोद को वो लोग ठीक नहीं लगे। उनके पास हथियार थे। वो सब जबरदस्ती विला के अंदर घुस गए।
विनोद अचानक हुए इस हमले से घबरा गया। वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे। वह अकेला था। उसके पास कोई हथियार भी नहीं था। जब उसे कुछ नहीं सूझा तो उसने पुलिस कंट्रोल रूम में फोन कर हमले की जानकारी दे दी।
वह विला के गेट पर नज़र रखे हुए था। कुछ समय बाद उसने देखा कि अंदर गए हुए लोग एक आदमी और एक औरत को लेकर बाहर आए। उन्हें जीप में बैठाकर ले गए। विनोद ने एक जीप का नंबर नोट कर लिया था।
कुछ देर बाद पुलिस विला पर पहुँची। विनोद ने उन्हें सारी बात बताई। उन्हें उस जीप का नंबर भी दे दिया जो उसने नोट किया था।
एंथनी ने अंजन को सूचना दी कि डिसूज़ा विला में उसने सीसीटीवी में दिख रहे आदमी को देखा है। अंजन ने उसकी सूचना के आधार पर अपने एक दोस्त से संपर्क किया। वह भी अपराध की दुनिया से संबंध रखता था। उसने उसे सारी बात बताकर मानवी और निर्भय को अगवा करने का आदेश दिया।
अंजन के उसी दोस्त के आदमी मानवी और निर्भय को लेकर गए थे।