Kuchh chitra mann ke kainvas se - 20 in Hindi Travel stories by Sudha Adesh books and stories PDF | कुछ चित्र मन के कैनवास से - 20 - सीयर्स टावर

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कुछ चित्र मन के कैनवास से - 20 - सीयर्स टावर

सीयर्स टावर

हम वहां की लोकल ट्रेन का भी अनुभव करना चाहते थे अतः बुररिज अर्थात जहां प्रभा रहती है उसके पास स्थित रेलवे स्टेशन हिंसडेल पर हमें प्रभा का बेटा पार्थ छोड़ गया । यह स्टेशन छोटी जगह के भारतीय रेलवे स्टेशन की तरह की है पर यहां भीड़ बहुत ही कम थी । टिकट काउंटर भी भारत जैसा ही है । इस स्टेशन से ही हमें शिकागो जाने वाली ट्रेन में बैठना था । हमने टिकट काउंटर पर टिकट ली । समय काफी था अतः सोचा आसपास का एरिया घूम लिया जाए ।

समय व्यतीत करने के लिए हम घूमने चल दिए तथा पास में स्थित एक स्टोर में प्रवेश किया। वहां डेकोरेटिव पीस थे, कुछ एंटीक पीस भी थे पर महंगे बहुत थे । उन्हें लेने का तो कोई प्रश्न ही नहीं नहीं उठता था । हम।वहां से निकलकर आगे बढ़े तो एक फर्निशिंग स्टोर दिखाई दिया। हम उसके अंदर गए तो बैड कवर सेट इत्यादि थे ...रेट 200-250 $ देखकर हम सोचने को मजबूर हो गए आखिर इनमें ऐसा है क्या, जो यह इतने महंगे हैं । इस स्थल की सभी दुकानें भारतीय दुकानों की तरह ही हैं ।

समय हो रहा था हम वापस हिंस्डल स्टेशन आ गए । घोषणा के अनुसार अभी भी ट्रेन के आने में 20 मिनट बाकी थे । हम वहां पड़ी कुर्सी नुमा बेंच पर बैठ गए ।पूरे स्टेशन पर मात्र 15-20 लोग ही थे । ट्रेन आते ही हम उसमें सवार हुए । डबल डेकर ट्रेन थी । हमें ट्रेन के नीचे वाले हिस्से में ही जगह मिल गई । 2-2 की सीट थी तथा बीच में स्पेस था । पूरी ही ट्रेन एयर कंडीशंड थी । यह ट्रेन हमारी मेट्रो की तरह थी, नाम भी मेट्रा है पर सीटिंग अरेंजमेंट में अंतर था । हर स्टेशन के आने से पहले स्टेशन के नाम की उद्घोषणा हो जाती थी जिससे यात्रियों को अपने गंतव्य स्थान पर उतरने में सुविधा होती थी ।

हमें यूनियन स्टेशन उतरना था शायद प्रत्येक रेलवे स्टेशन को यहां यूनियन स्टेशन ही कहा जाता है । वाशिंगटन और शिकागो में एक ही नाम देखकर मैंने यह निष्कर्ष निकाला । हमारे भारत की तरह यहां मेट्रा के लिए अलग स्टेशन नहीं दिखा ।

स्टेशन से बाहर निकलते ही सियर्स टावर नजर आया । स्टेशन से लगभग 100 कदम ही दूर था । देखने में यह न्यूयॉर्क के एंपायर स्टेट बिल्डिंग जैसा ही लग रहा था । टावर के बाहर से ही प्रवेशार्थियों की लंबी कतार लगी दिखाई दी । हम भी कतार में जाकर खड़े हो गए । लगभग 1 घंटे पश्चात हम टिकट काउंटर पर पहुंचे । कतार में चलने के दौरान मैं दीवार पर लिखी जानकारियां भी हम पढ़ती जा रही थी । 108 स्टोरी बिल्डिंग (मंजिल इमारत ) यह इमारत कारपोरेट हेडक्वार्टर है सीयर्स रोबक एंड कंपनी का... इसका स्काई डेक 103 मंजिल पर है । यह 365 दिन खुला रहता है तथा इसकी एलिवेटर नॉनस्टॉप चलती रहती है । यह शिकागो का मुख्य आकर्षण स्थल है ...इत्यादि इत्यादि ।

टिकट लेने के बाद हमारा सिक्योरिटी चेक हुआ । फोटो खींची गई फिर हम कतार में चलते चलते लिफ्ट तक पहुंचे । लिफ्ट से हम ऑब्जर्वेटरी डेक पर पहुंचे जो 103 मंजिल पर स्थित है । ऑब्ज़र्वेटरी डेक पर पहुंचने में हमें सिर्फ 1 मिनट लगा । मौसम साफ होने के कारण बाहर का दृश्य बहुत ही साफ नजर आ रहा था । दूर-दूर तक नजर आती मिशीगन लेक के अतिरिक्त इलिनॉइस, इंडियाना तथा विस्कोसिन स्टेट के साथ चारों तरफ फैली स्काई क्रेपर ( ऊंची ऊंची इमारतें ) ...सच खूबसूरत देखने लायक नजारा था ।

सियर्स टावर शिकागो की सबसे ऊंची इमारत है । 108 स्टोरी बिल्डिंग (मंजिल की इमारत) की इस इमारत की ऊंचाई 1451 फीट (442 मीटर ) है जबकि एंटीना तक इसकी लंबाई 1730 फीट है । सन 1973 में जब इसका निर्माण हुआ तब यह अमेरिका की सबसे ऊंची इमारत थी । इसने अपना रुतबा 25 वर्षों तक कायम रखा । जनवरी 2009 में इसके मालिक बिलीस ग्रुप ने इसका पुनर्निर्माण कराया तथा 16 जुलाई 2009 से यह इमारत ऑफीशियली 'विलिस टावर' के नाम से जानी जाने लगी है । पुनःनिर्माण में इसकी ऑब्ज़र्वेटरी (निरीक्षण स्थल ) पर ग्लास चेंबर बनाए गए हैं । इस गिलास चैंबर से नीचे का सारा नजारा नजर आता है । इस ग्लास चेंबर पर खड़े होकर ऐसा लगता है कि जैसे हम हवा में खड़े हैं । सीयर्स टावर आने वाला हर व्यक्ति इस ग्लास चेंबर पर खड़े होकर नीचे फैले विशाल दृश्य का आनंद लेता हुआ फोटो अवश्य खींचवाता है । हमने भी इस ग्लास चेंबर पर खड़े होकर फोटो खिंचाई पर मन में एक विचार तेजी से कौंधा... था अगर बाई चांस यह ग्लास चैंबर टूट जाए तो इस पर खड़े सारे आदमियों का पता ही नहीं चलेगा ...। वैसे यह ग्लास चैम्बर 4.5 मीट्रिक टन बोझ सह सकता है । इसे जनता के लिए 2 जुलाई 2009 में खोला गया ।

सीयर्स टावर शिकागो का मुख्य आकर्षण स्थल है । हर वर्ष लगभग एक मिलियन व्यक्ति इसके दर्शनार्थ यहां आते हैं । लगभग एक घंटा यहां बिताने के पश्चात हम बाहर निकले तथा टैक्सी पकड़कर नेवी पियर के लिए चल दिए । लगभग आधा घंटे की ड्राइव के पश्चात हम नेवी पियर पहुंचे ।

सुधा आदेश
क्रमशः