Gumnaam - Murder Mystery - 19 in Hindi Crime Stories by Kamal Patadiya books and stories PDF | गुमनाम : मर्डर मिस्ट्री - 19

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गुमनाम : मर्डर मिस्ट्री - 19

अजय कुर्सी से उठकर विक्रम और आलिया की ओर रिवाल्वर ताककर कहता है

"तो फिर!! इन दोनों का आझाद कर ही देते है।"

प्रिया चिल्लाकर अजय से कहती है

"अजय!!! तुम क्या कर रहे हो?"

सब लोग अजय के इस बर्तन को देखकर दंग रह जाते हैं।

"प्रिया!! मैं सही कह रहा हूं अगर इन दोनों को आजाद करना है तो विक्रम और आलिया का नामो निशान मिटाना पड़ेगा।"

"जीजाजी!! आपकी बातें हमारी समझ से बाहर है। कुछ समझ में आए ऐसा बोलिए।"

"सब कुछ समझ में आ जाएगा तुम बस देखते जाओ।" यह कहकर अजय अपने दूसरे हाथ में फ़ोन लेता है और किसी को फोन लगाता है। सामने से आवाज आती है

"जय हिंद..... अजय!!! बोलो विक्रम की क्या खबर है?"

"जय हिंद..... कमिश्नर साहब!!! एक अच्छी खबर है और एक बुरी खबर है।"

"अजय!!! पहेलियां मत बुझाओ, जो कुछ भी कहना है साफ साफ कहो। क्या हुआ??"

"सर!!! मैंने विक्रम का केस सॉल्व कर दिया है लेकिन....."

"very good..... लेकिन क्या??"

"सर बुरी खबर यह है कि Vikram is dead now...."

"Ohhh....no....अजय!!! यह तो बहुत ही बुरा हुआ।" कमिश्नर साहब 2 मिनट के लिए मौन रहते है बाद में, अजय से कहते हैं

"ठीक है..... तुम सब रिपोर्ट लेकर जल्द से जल्द मेरे पास आ जाओ।"

"ठीक है सर!!! जय हिंद...." यह कहकर अजय अपना फोन कट कर देता है।

"अजय सर!!! क्या आप सचमुच विक्रम को मारेंगे?" मुस्कान गभराकर अजय से पूछती है।

"मारूंगा नहीं लेकिन उसका नामोनिशान मिटा दूंगा।"

सब लोग हैरान होकर अजय की ओर देखते हैं।

"मतलब सर?? हम लोगों को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है।" रणवीर आश्चर्यचकित होकर अजय से पूछता है।

"हमें दिमाग से काम करने की ट्रेनिंग दी जाती है। हमें हरबार सबूतों और गवाहों के आधार पर कार्यवाही करनी होती है। हमारे काम में emotion के लिए कोई जगह नहीं है लेकिन तुम लोग एक ऐसे आदमी को माफ कर रहे हो जिसने तुम्हारे अपनो को मारा है क्योंकि तुम लोगों को लगता है कि यही न्याय है। तुम लोगों की यहीं बातें सुनकर मेरे दिल मे भी इंसानियत जग गई है इसलिए मैं इन दोनों को जीने का और एक मौका देना चाहता हूं। मतलब यह कि मैं विक्रम और आलिया का नामोनिशान मिटाकर अर्जुन और अदिति को फिर से जिंदा देखना चाहता हूं।"

अजय की बातें सुनकर सब लोग खुश हो जाते हैं और अपनी कुर्सी से उठकर तालियों से अजय के फैसले का स्वागत करते हैं। विक्रम और आलिया की आंखों में भी खुशियों के आंसू उमड़ पड़ते हैं। वो अजय को दिल से धन्यवाद करते हैं। अजय भी अपने आंखों के इशारे से उन दोनों को अपने नये जीवन की शुभकामनाएं देते हैं और सबसे कहते हैं

"लेकिन मेरी बात गौर से सुनो, अब तुम लोगों को भी एक बात ध्यान मे रखनी होगी कि ये दोनों कभी भी विक्रम और आलिया ना बने और दूसरी बात तुम लोग कभी भी कानून की कार्यवाही में दखलअंदाजी या अपनी मनमानी नहीं करोगे।"

"बिल्कुल सर!!!" यह कहकर सबलोग अजय को सैल्यूट करते हैं।

"उसकी फिकर आप मत कीजिए सर!!! अब मैं आलिया उर्फ अदिति के साथ ही रहूंगा और उसका ख्याल रखूंगा।" रेहान अजय से कहता है।

"ओर मैं भी विक्रम यानी कि अर्जुन का साथ कभी भी नहीं छोडूंगी।" मुस्कान अजय से कहती है।

उन दोनों की बात पर अजय हल्का सा मुस्कुरा देता है।

"जीजाजी!!! एक confession मैं भी करना चाहता हूं।" ईशान अपना हाथ उठाकर अजय से कहता है।

" क्या?"

"हमारे साथ यहां पर अमन मिश्रा करके एक गाइड आया हुआ था। जब यह सब हादसे हो रहे थे तब मेरे और उसके बीच में हाथापाई हुई थी। हमारी लड़ाई के दरमियान वह waterfall के पुल से नीचे गिर गया था मुझे पता नहीं है कि वह जिंदा है या नहीं?" ईशान अपना अफसोस व्यक्त करते हुए अजय से कहता हैं।

"फिक्र मत करो ईशान!!! वो जिंदा है।"

"क्या? वो जिंदा है?" ईशान एकदम exited होकर अजय से पूछता है। बाद में, जोर जोर से हंसने लगता है।

"हा..... वो जिंदा है। मैं जब विक्रम को ढूंढते हुए waterfall पर आया और पुल पर जाकर देखा तो मुझे पुल के नीचे से किसी के दर्दभरी आवाजें सुनाई दे रही थी। मैं पुल पर से नीचे गया और वहां झाडियों मे से अमन को बाहर निकाला और उसे ऊपर ले आया। बाद में, उसीने ही मुझको तुम सब के बारे में बताया मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि तुम सब लोग यहां पर आ पहुंचे हो। बाद में, मैंने ambulance को बुलाया और उसको hospitalize किया और खुद विक्रम और तुम सबको ढूंढने निकल पड़ा।"

"Thank...you....God.... आज आपने मेरे सर से बहुत ही भारी बोझ उतार दिया।" ईशान अपने हाथ ऊपर की ओर जोड़कर भगवान से प्रार्थना करता है।

"ईशान!!! वो आदमी भगवान की दया से बच गया लेकिन आगे से तुम्हें ध्यान रखना पड़ेगा और अपने गुस्से पर काबू रखना पड़ेगा।"

"उसका गुस्सा काबू करने के लिए मेरे पास best idea है ना? क्यों रोशनी? करोगी मेरे भाई से शादी?" प्रिया रोशनी की ओर देखकर मुस्कुराकर पूछती है।

प्रिया की इस बात पर रोशनी शर्मा जाती है और अपनी गर्दन शर्म से नीचे कर लेती हैं।

"क्यों भाई रणवीर?? बनोगे मेरे साले??" ईशान रणवीर से मजाक करता हैं।

"भाई!!! यह तो पहले से ही तय था कि मेरी बहन की किस्मत में तुम जैसा लल्लू ही लिखा है।" रणवीर भी ईशान की खिंचाई करता है। रणवीर की इस बात पर सब लोग हंस पड़ते हैं।

"Guys!!! हमारी Gang में दो नये members जुड़ चुके हैं।" मुस्कान उत्साहित होकर सबसे कहती है।

"हा .......पूजा....... और..... अनिरुद्ध। यह तो रबने बनादी जोड़ी जैसे लग रहे है। क्यों?" रेहान सबसे कहता है।

"हां..... और यह दोनों मन ही मन एक दूसरे से प्यार भी करते हैं। क्यों पूजा?" रोशनी पूजा को चिढ़ाते हुए कहती है।

"हां......भाई। इन दोनों के प्यार की साक्षी तो मैं भी हूं। मैंने कई बार इन दोनों को एक दूसरे की फिक्र करते हुए देखा है।" प्रिया सबसे कहती है।

"भाई लोग..... इतना प्यार करते है कि kidnap भी एक साथ ही हुए थे।" रणवीर हंसकर सबसे कहता है।

"हां......भाई। यह तो सच है........ इश्क छुपता नहीं छुपाने से...... तेरा आशिक हूं मैं जमाने से.......।" ईशान दोनों की खिंचाई करते हुए कहता है। ईशान की इस बात पर सब लोग हंस पड़ते हैं। सब लोगों की बातें सुनकर पूजा और अनिरुद्ध के चेहरे शर्म से लाल पड़ जाते हैं।

"अच्छा..... अब मजाक मस्ती बहुत हो गई। अब हम सबको यहां से निकलना चाहिए, सुबह हो गई है। वैसे भी मुझे कमिश्नर साहब के पास जाकर इस केस की reporting जल्द से जल्द करनी है।" यह कहकर अजय विक्रम के पास जाता है और कहता है कि "अच्छा..... विक्रम!!! मैं चलता हूं। उम्मीद करता हूं कि मुझे तुमको दोबारा इस नाम से पुकारना ना पड़े। तुम अपने जख्मी हाथ का इलाज कर लेना और तुम्हारे पापा का सपना पूरा करना। उम्मीद करता हूं कि तुम्हारी पिछली जिंदगी तुम्हारे भविष्य के आडे ना आए। तुम दोनों को बेहतर भविष्य के लिए मेरी शुभकामनाएं ......all the best!"

"सर!!! आपने जो हम पर उम्मीदें रखी हैं उस पर हम खरे उतरेंगे और आपने जो हमें जिंदगी जीने का एक नया मौका दिया है उसके लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।" विक्रम आभार व्यक्त करते हुए अजय से कहता है।

"Thank you very much sir!!! हमारी भावनाएं समझने के लिए और हमारा साथ देने के लिए। आपने ना सिर्फ हम दोनों को बल्कि हम चारों को नया जीवन दिया है। मैं और रेहान, अर्जुन और मुस्कान.....आपका यह अहसान कभी भी नहीं भूलेंगे।" आलिया अजय का शुक्रिया अदा करते हुए कहती है।

"चलो भाई!!! जिसको भी मेरे साथ आना है वह मेरी जीप में आ सकता है। चलो प्रिया.....!!!" यह कहकर अजय और प्रिया वहां से निकलते है। रोशनी, ईशान, अनिरुद्ध, पूजा और रणवीर अर्जुन और मुस्कान और अदिति और रेहान को शुभकामनाएं देकर वहां से धीरे धीरे निकलते हैं।

जीप में बैठते हुए प्रिया अजय से पूछती है कि "अजय!!! मैंने तुमको अपने फर्ज के प्रति चट्टान की तरह खड़े होते हुए देखा है तो फिर तुम मोम की तरह की पीघल क्यों गए?"

"प्रिया!!! कभी-कभी हमारा दिमाग हजार बार कहता है कि यह गलत है लेकिन हमारा दिल जानता है कि सच क्या है। मुझे भी तुम लोगों की तरह उसकी बातों में दर्दभरी सच्चाई नजर आ रही थी। दरअसल हमने सब नियम इंसान को सुखी करने के लिए बनाया है। ऐसे नियमों का क्या फायदा जिससे आदमी दुखी हो जाए।"

"सही कह रहे हो..अजय!!! लेकिन तुम कमिश्नर साहब को क्या बताओगे? उसने तुमसे बहुत उम्मीदें रखी थी।"

"सिर्फ सर्च बताऊंगा और क्या?? कमिश्नर साहब भी इंसान है। आखिर मैंने दो गुनेहगारो को इंसान बनाया है, इतनी सी बात तो वह समझ सकते हैं। फिर भी अगर वह नहीं माने तो , देखते हैं आगे क्या होता है? ज्यादा से ज्यादा मुझे नौकरी से इस्तीफा देना पड़ेगा। तुम इसके लिए तैयार हो....ना....?"

"मैं तो हमेशा से तुम्हारे साथ ही हूं।"

"......और हम सब भी आपके साथ है सर!!!" जीप में से सबके चिल्लाने की आवाज आती है।

"Thanks........!!!" अजय हल्का सा मुस्कुराकर सबसे कहता है और अपनी जीप को स्टार्ट करके वहां से निकलते हैं।

अंधेरे के बादल छट चुके थे, एक नया सवेरा उन सबकी राह देख रहा था। सूरज के चमकते किरणों की तरह सबके दिलों में नई उमंग, आशाए भर चुकी थी और चेहरो पर मुस्कान झलक रही थी। कुछ अच्छा करने का सबके चेहरो पर सुकून था। सही मायनो में आज एक नई सुबह का जन्म हुआ था।

क्रमशः