Kalam meri likhti jaye - 5 in Hindi Poems by navita books and stories PDF | कलम मेरी लिखती जाएँ - 5

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कलम मेरी लिखती जाएँ - 5

🎼🎼 कलम मेरी लिखती जाएँ 🎼🎼



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🎼🎼 सपनो से डरना नहीं 🎼🎼



ए ज़िन्दगी तू लेकर चली कहा
चली मैं लेकर तेरे सपनो के जहाँ

सपने टूटे दर्द बहुत होये
हिम्मत कर सपने पुरे होये

सपने पुरे जो कर ना होये
डर डर सपने ना सँजोये

चलते चलते मुस्किले तो आये
बिन मुस्किले सपनो की कीमत ना होये

कभी सपना देखना हो जाये ना गुहनाह
सपनो को पाने को तू ज़िद बना

ज़िद जो सपनो को पाने की करे
हर सपना तेरे कदमो नीचे आ धरे ..

सपनो को तो हिमत , मेहनत के पंख लगा
सब कुछ भूल ,अपने सपनो की तरफ बढ़ता जा ...



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🎼🎼 वक़्त नहीं , कहने वाले 🎼🎼



चलते नहीं अब कोई साथ ,जो थे तुम्हे चाहने वाले
वक़्त नहीं अब वो ,जो थे कहने वाले

गलती करते अपनों को रोको ,
चले जाते वो तुम्हे ही गलत कहने वाले
वक़्त नहीं अब वो , किसी को गलत कहने वाले

अपनों को डाँटो , तो चले जाते वो मुँह😡 दिखाने वाले
वक़्त नहीं अब वो , जो देखे डाँट मे छुपे प्यार को देखने वाले

वक़्त नहीं अब वो , जो थे कहने वाले




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🎼🎼 उन्हें गवा लिया 🎼🎼



कुछ गलतिया होइ अनजान
कुछ गलतियो को भुला दिया
हमने फिर भी उन्हें गवा दिया ...

कुछ गलत फेमिया होइ दोनों दरमियाँ
जो बन गई आज एक दूसरे का अपमान ...

बाते कभी होइ ना दोनों दरमियाँ
फाँसले बने ज्यादा महान...

ना उन्हों ने समझना चाहया
ना हम कुछ समझ पा सके
धीरे धीरे रास्ता अलग बना लिया...

खुद को आज अकेला पा लिया
हमने फिर उन्हें गवा लिया..


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🎼🎼 हर दिन एक नई किताब है 🎼🎼



हर दिन एक नई किताब है
जे ज़िन्दगी जीने का एक नया एहसास है ,

कही गम से भरी किताब है
तो कही प्यार भरी गर्माहट है ,

कही मुश्किल की घबराह्ट है
तो कही हिम्मत से आगे बढ़ने की मुस्कराहट है ,

हर दिन कुछ नया सीख पाने की किताब है
यहाँ हर दिन एक नई किताब है l



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🎼🎼 वो बात नहीं रही 🎼🎼



रिश्तो मे प्यार की गर्माहट नहीं रही
अब वो बात नहीं रही....

दुःख सुख मे थे जो साथ चलने वाले
अपनों के लिए थे जो लड़ने वाले
अब बन गए अपनों से ही लड़ने वाले
अपने अपने राही सब चलने वाले

वो प्यार की गर्माहट नहीं रही
अब वो बात नहीं रही ....

दोस्त था जो दोस्ती निभाता
दोस्त के लिए खुद था मर जाता
अब दोस्त खुदगर्ज कहलाता

दोस्ती की वो पहचान ना रही
अब वो बात नहीं रही ....


बड़ो का था सन्मान करना
चाचा चाची , ताया ताई सब की एक घुर से था डरना
एक घर रह कर सब रिश्तो का था मान करना
अब बन गया माँ बाप को ही ना कुछ समझना

बड़ो का सन्मान कही नहीं
अब वो बात नहीं...


घुर -- गुस्सा



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Kavya sangrah ✍️✍️ I hope, every one like this Kavya sangrah😊😊



To be countined.....😊😊😊



Please give me your valuable rating and review 🙏🙏😊😊



Thanku so much everyone 🙏🙏😊😊