Anokhi Dulhan in Hindi Love Stories by Veena books and stories PDF | अनोखी दुल्हन - (मौत का सौदागर_३) 15

The Author
Featured Books
Categories
Share

अनोखी दुल्हन - (मौत का सौदागर_३) 15

वीर प्रताप जैसे ही घर पोहोचा, यमदुत उसका इंतजार कर रहा था।

" तो वो अफवा सच है। क्या अब तुम्हारी मुक्ति का वक्त पास आ गया है।" यमदूत।

" ये वो नही है। वो मुझ में कुछ नही देख सकती।" वीर प्रताप।

" शायद उसे तलवार दिखाने के लिए तुम्हे उसके सामने अपने पूरे कपड़े निकालने पड़े। पर अभी वो इस चीज के लिए बोहोत छोटी है।" यमदूत।

" हा वो छोटी है। इसीलिए उसे अकेला छोड़ दो। अगर फिर मुझे उसके आस पास भी तुम दिखाई दिए तो याद रखना।" वीर प्रताप ने गुस्से भरी आखों से कहा।

" अगर ये लड़की वो दुल्हन नही है। तो तुम्हे उस से इतनी हमदर्दी क्यों ??? क्यों बचाना चाहते हो उसे। उसकी मौत 17 साल पहले ही हो जानी चाहिएं थी। वो यहां किसी की गलती की वजह से है।" यमदूत ने भी गुस्से मे वीर प्रताप की ओर उंगली दिखाते हुए कहा।

" सही कहा। गलती तुम्हारी थी। तुम सही वक्त पर ऊस जगह नही पोहोचे। और रही बात मेरी हमदर्दी की तो तुम्हें मेरे रिश्तों के बीच मे आने की जरूरत नही है। आए, तो में तुम्हारी भी जिंदगी और मौत के बीच मे आ सकता हू जानते हो ना।" वीर प्रताप।

" में तुम्हारे किसे रिश्ते के बीच मे नहीं आवूंगा। अगर तुम इस घर से चले जाओ।" यमदूत।

" मुझे भेजने की इतनी क्यो जल्दी है तुम्हे?" वीर प्रताप।

" बस थोड़ी शांति चाहता हूं जीवन मे।" यमदूत।

" अगर यहां पर इतनी तकलीफ हो रही है। तो बाहर जाने का दरवाजा वो रहा । घर मेरा है, में यही रहूंगा।" वीर प्रताप उसे दरवाजा दिखा कर अपने कमरे मे चला गया।

उसे काफी उदास महसूस हो रहा था। अपनी लंबी जिंदगी मे उसने ये वाली भावना पहली बार महसूस की। उसे क्यों बुरा लग रहा था???? शायद उसे और कुछ साल जीना पड़ेगा इस लिए ???? या उसने जूही को हर्ट किया इसलिए??????? क्या सच मे अब वो उसे कभी नही बुलायेगी???


जूही ने पढ़ाई मे दिल लगाने की काफी कोशिश की पर नाकामयाब। उसे रह रह कर उसकी याद आ रही थी। क्या ऐसा होता है प्यार ???? वो उठी उसने लाइब्रेरी से पिशाच के बारे मे जानकारी वाली किताब उठाई और पढ़ना शुरू किया। काफी पढ़ने के बाद उसने अपने हाथों मे पकड़ा वो पत्ता उस किताब मे रखा। " अब बस अगर तुम्हे मेरी जरूरत नही है। तो मुझे भी तुम नही चाहिएं।" उसने किताब बंद की और वापस उस जगह रख दी। जहा से उसने वो किताब निकाली थी। वो चुपके से मासी के घर गई, अपने सारे कपड़े और रजाई ली और मासी का घर छोड़ दिया। उसे उसकी बूढ़ी नानी की बात याद थी। जब किसी यमदूत से तुम्हारा सामना हो जाए । तो तुरंत अपनी जगह बदल देना। वो तुम्हे नही ढूंढ पाएगा। उसने अपना सारा सामान स्कूल के लॉकर मे रखा और रात को सोने अपने ही होटल चली गई।

शाम के वक्त यमदूत तयार होकर बाहर जाने निकला। घर के दरवाजे पर ही वीर प्रताप ने उसे रोका।

" कहा जा रहे हो???"

" इसे ड्राई क्लीन कराने। और तुम?" यमदूत।

" में कुछ सामान खरीदने मार्केट जा रहा था।" वीर प्रताप।

" ठीक है फिर बाद मे मिलते है।" कह कर यमदूत वहा से चला गया।

वीर प्रताप ने भी अपने घर का दरवाजा खोला और जब वो दरवाजे से बाहर निकला तो जूही के घर मे था। तभी जूही के कमरे से यमदूत बाहर आया।

" तो ये है तुम्हारा ड्राई क्लीनर।" वीर प्रताप ने गुस्से मे कहा।

" में बस देखने आया था वो कहा रहती है। हे तुमने उसे घर बदलने के लिए तो नही कहा ??? वो अंदर नही है। " यमदूत।

" नही। में उसे यही बताने आया था। लेकिन अब कोई फायदा नही।" वीर प्रताप।

" मतलब । ऐसा क्यों?" यमदूत।

" सच बताओ। तुमने उसे मार डाला ना ???? कहा है उसकी आत्मा।" वीर प्रताप।

" पागल पिशाच। ये काफी गलत इल्जाम है। माना में मौत देता हु, पर ऐसे नही। और तुम उसे जितना चाहे छिपा लो मे इस बार उसे ढूंढ लूंगा।" यमदूत।

" हा अगर अब तक तुमने उसे नही मारा होगा तो जरूर छुपावुंगा। और ढूंढ ने की क्या बात कर रहे हो। पिछली बार एक सात साल की बच्ची को ढूढने मे तुमने दस साल लगा दिए। अब क्या कर लोगे ??? ह..........।" इतना कह वीर प्रताप वहा से चला गया।

रात के ग्यारह बजे सब काम खत्म कर, लाइट्स बंद करने के बाद जूही वही होटल में बेंच पर चद्दर बिछा कर सो गई। उसने नींद लाने की काफी कोशिश की पर नींद नहीं आई। वो उठी और रास्ते पर आस पास कुछ ढूंढने लगी। उसने हर जगह आवाज दी। आवाज लगाते हुए वो पहाड़ की निचली सीढ़ी यो तक पोहोच गई तब उसे एक आत्मा मिली।

" ए सुनो। तुम। में तुमसे बात कर रही हु।" जूही।

" क्या तुम मुझे देख सकती हो???" इस आत्मा ने पूछा।

" हा देख सकती हू। उस दिन स्कूल के बाहर तुमने मुझे अनोखी दुल्हन कह कर बुलाया था ना। वो क्यो? किसने बताया था तुम्हे???" जूही।

" तुम मुझसे बात करोगी सच मे।" उस आत्मा ने पूछा।

" हा। पहले मेरे सवालों का जवाब दो।" जूही।

" मुझे एक बूढ़ी नानी की आत्मा ने बताया था। की तुम हमारी रानी हो। पिशाच की अनोखी दुल्हन।" आत्मा।

" वो नानी। कहा है ? उन्हे बुलाओ यहां।" जूही।

ठीक है कह कर वो आत्मा 15 मिनिट मे अपने साथ तीन और आत्माएं लेकर जूही तक पोहोच गई।

" मैने देखा था। साफ साफ सब कुछ। उस शाम साल की पहली बर्फ गिरी जब उसने तुम्हे बचाया। मुझे अच्छे से याद है। उसने तुम्हारी मां की पुकार सुनी। तुम्हारी मां दिखने मे बेहद सुंदर थी इसीलिए शायद उसने उसकी पुकार सुनी होगी। एक गाड़ी तुम्हारी मां को टक्कर मार कर चली गई। फिर वो आया, उसने तुम्हे महसूस किया। तुम्हारे लिए उसने तुम्हारी मां को बचाया। उसे तो पता भी नही था, वो अपनी दुल्हन को ही बचा रहा है। और तभी बर्फ गिरना शुरू हुवा।" उस नानी की आत्मा ने जूही को कहानी बताई।

" मतलब वो मिस्टर सही कह रहा था। इस सब मे उसकी कोई गलती नही है। उसने तो मुझे मेरी मां के साथ बिताए सुंदर सात साल दिए। में खामखा उस पर नाराज हो गई।" जूही ने सर झुकाते हुए कहा।

" क्या हुवा ? तुम्हारा उसके साथ झगड़ा हुवा क्या ?" एक आत्मा ने पूछा।

" हा। और मैने उसे काफी बुरा भला कहा। अब में क्या करू ?" जूही।

" क्या करोगी। उसे जाकर मनाओ। उस से शादी करो। वो आखिर तुम्हारा पति है।" बूढ़ी नानी की आत्मा ने कहा।

पहाड़ पर खड़ा वीर प्रताप उन आत्माओं के साथ हो रही जूही की बातचीत सुन रहा था। उसे काफी देर बाद थोड़ा मुस्कुराते देख वीर प्रताप की उदासी खत्म हुई।