यह कहानी बहुत ही रोमांचित है इसमें किसी पात्र या फिर किसी का कोई जिक्र नहीं बस एक खुशी का जिक्र है हम सब यह जानते हैं कि हमारी जिंदगी का पहला फोन हमारे लिए कितनी खुशियां लाता है मैं बस अपनी उस दिन की खुशी को आपके साथ बांटना चाहूंगी. तो चलो मैं शुरू करती हूं और आपको बताती हूं मेरा पहला फोन मेरा पहले खुशी पहला दिन.
जब मैंने बाहर भी कक्षा पूर्ण की तब मेरे पापा ने मुझे एक फोन दिलाया फोन के आने से पहले मेरे मन में कई सारे ख्याल आते रहते थे और फोन को लेकर में बहुत सारे सपने देखती थी जब मैं jस्कूल में जाया करती थी बस स्टॉप पर खड़े कुछ लड़कियां लड़कियों के हाथ में वह फोन देख कर मेरा भी बहुत मन करता था कि मैं भी इन्हीं की तरह एक फोन लूं खैर फोन होना कोई बड़ी बात तो नहीं थी पर कहते हैं ना जो चीज हमारे पास नहीं होती उसकी कदर बहुत होती है. रोज में स्कूल जाती और रोज बस स्टॉप पर उन लड़कियों लड़कियों के हाथ में एक अच्छा सा फोन देखती. कई बार तो मन भी बना लिया था कि पापा से बात कि एक फोन दिला दे पर पढ़ाई के चक्कर में इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाए. 1 दिन पापा ने मुझे कहां कि क्या तुम्हें भी फोन दिला दिया जाए? मैं यह सुनकर बहुत खुश हो गई और खुशी के मारे जूम उठी. उस दिन मेरी खुशी का कोई ठिकाना ना था बस फोन लाने की बात सुनकर ही मैं पागल सी हो गई थी और क्या था मैंने फटाक से हां कर दी. फिर पापा ने मुझे बताया कि मैं तुम्हें फोन तो दिला दूंगा पर क्या तुम उसका उपयोग और दुरुपयोग जानती हो मैंने कहा जी पापा बिल्कुल हम आपको शिकायत का मौका नहीं देंगे. यह सुनकर पापा भी खुश हो गए. फिर अचानक से पापा ने कहा रहने दो तुम्हारे लिए फोन की क्या जरूरत है यह सुनकर मैं उदास हो गई. बहुत बुरा भी लगा और गुस्सा भी आया पर पापा के आगे किसकी चलने वाली थी? फिर दूसरे ही दिन पापा जब घर आए और मुझे पानी लाने को भेजा आ जाओ लौटकर आई तब मैंने देखा मेरे सामने एक छोटी सी प्लास्टिक की थैली जिसमें एक बॉक्स था पापा ने कहा जरा खोलो तो बेटा निकाल कर देखो कि नहीं? हम अचंभे में पड़ गए और सोचने लगे क्या होगा? फिर सोचा सोचने से अच्छा है खोल कर ही देख लेते हैं और मैंने वह प्लास्टिक की थैली उठाई और इस बॉक्स को खोला तो इसमें एक सुंदर सा फोन था मैं खुशी से पागल होकर झूमने लगी मम्मी पापा को बहुत सारा थैंक्यू बोला और मम्मी पापा मेरी खुशी को देखकर खुश हो गए. मैंने उस बॉक्स को खुला और उस बॉक्स में से फोन निकाला इतना आराम से मैंने उसे निकाला जैसे मेरी जान ही है वह फिर मैंने हल्के से हाथ से उसे अपने हाथों में लिया उसकी कंपनी और उसके मॉडल को देखा जो मीना पहला फोन था उस वह सैमसंग कंपनी का था और उसका पिछला कवर सुनहरी रंग का था मुझे वह बहुत पसंद आया मैंने फिर उस बॉक्स में क्या क्या है वह चेक किया उसमें ईयर फोन थे और चार्जर था. मैंने उस फोन में से सबसे पहले सेल्फी ली मम्मी पापा और पूरी परिवार की फोटो खींची. फोन के सारे अंदर की जो सिस्टम थे वह सब कुछ चेक की है कौन सा सिस्टम कहां काम करता है क्या करता है कैसे करता है वह सारा पता लगा लिया एक ही दिन में फोन के बीच जैसे मैं पागल सी हो गई थी जैसे कुछ अलग सी खुशी थी वह उस दिन की खाना-पीना तक भूल गई थी अपने फोन के पीछे लगी हुई थी. सबसे पहले मैंने व्हाट्सएप चालू किया जो मुझे चलाना भी नहीं आता था उस वक्त फिर मैंने भैया से पूछ कर उसका इस्तेमाल करना सीखा सबसे बातें करने लगी सबसे चैटिंग करने लगे धीरे-धीरे फोन से मैंने बहुत कुछ सीखा एक फोन की वजह से ही मैं एक लेखिका बन पाई हूं मेरी जिंदगी का वह बहुत खास दिन था जब मेरी जिंदगी में मेरा पहला फोन आया था ना मेरी खुशियों का कोई ठिकाना था मेरे आनंद का कोई ठिकाना था.