Kuchh chitra mann ke kainvas se - 15 in Hindi Travel stories by Sudha Adesh books and stories PDF | कुछ चित्र मन के कैनवास से - 15 - हॉलीबुड स्टुडियो

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कुछ चित्र मन के कैनवास से - 15 - हॉलीबुड स्टुडियो

हॉलीबुड स्टुडियो

बूंदाबांदी अभी हो ही रही थी । मैप के अनुसार हमने पहले पवेलियन' दी ग्रेट मूवी राइड' में प्रवेश किया । यहां पर छोटे आकार की गाड़ी में हमें बैठा दिया गया । इस गाड़ी के चलते ही अंधेरा हो गया । इसके साथ ही सन 1930 की फिल्मों से हमारी यात्रा प्रारंभ हुई । कुछ पुरानी क्लासिकल फिल्मों के द्वारा यह दर्शाया जा रहा था कि कैसे फिल्मों का निर्माण प्रारंभ हुआ तथा धीरे-धीरे कैसे इसमें सुधार आता गया । लगभग 45- 50 विभिन्न फिल्मों के दृश्यों द्वारा इस 22 मिनट की विकास यात्रा से हमें बहुत सारी जानकारियां मिलीं ।
जब हम इस शो से बाहर आए तो पानी की रफ्तार काफी तेज हो चुकी थी । पानी से बचने के लिए हमने दूसरे नंबर के पवेलियन 'अमेरिकन आइडियल एक्सपीरियंस' में प्रवेश किया । पहले से ही एक बड़े हॉल में हमारे जैसे अनेकों व्यक्ति वहां खड़े होकर शो प्रारंभ होने का इंतजार कर रहे थे । कुछ देर पश्चात हमने उस हाल में प्रवेश किया जहां शो होना था । जैसे ही हम सीट पर बैठे , शो प्रारंभ हो गया । वह अमेरिकन आईडल का फाइनल शो था । सबसे अच्छी बात तो यह थी कि हमें आगे की पंक्ति में बैठने की जगह मिल गई । स्टेज पर तीन जज बैठे हुए थे । प्रतिभागियों का एक के बाद एक आना प्रारंभ हुआ । ठीक उसी तरह जैसे हमारे भारत में इंडियन आइडियल प्रोग्राम में होता है । अभी हम शो का आनंद उठा रहे थे कि संगीता का फोन आ गया कि शुभ्रांशु जी चल दिए हैं, लगभग आधा घंटा में वे पहुंच जाएंगे आप लोग बाहर आ जाइएगा ।
किसी तरह से हम शो से बाहर निकले । बाहर इस शो का प्रसारण बड़े-बड़े टी.वी .सेट द्वारा भी हो रहा था । बाहर रिमझिम बरसते पानी में भी खड़े होकर लोग शो का आनंद ले रहे थे । सचमुच आनंद लेना कोई इन अमेरिकन से सीखे । यह लोग जीवन सचमुच जीवन का मजा लेना जानते हैं । जहां हम भारतीय हर जगह सज धज कर निकलते हैं, यह लोग सामान्य कपड़ों में ही निकल पड़ते हैं । घूमना इनके लिए फन है तभी तो कम से कम साधनों के साथ यह लोग घूमने निकल पड़ते हैं । इन्हीं एहसासों को दिल में लिए हम बाहर आए ही थे कि सुभ्रांशु जी आ गए उनके साथ हम घर आ गए ।
घर पहुंचे तो पिंकी और बच्चे इंतजार करते मिले । हमारे पहुंचते ही संगीता ने गरमागर्म चाय सर्व कर दी । सुखद एहसास हुआ... अपने तो अपनों के लिए करते ही हैं पर जब दूसरे जिनसे हमारा दूर तक खून का संबंध नहीं होता, अपने जैसे बन जाते हैं तथा अपना जैसा व्यवहार करते हैं तो हमारे मन में उनके लिए मान और सम्मान और अधिक बढ़ जाता है । यह पिंकी और सुभ्रांशु जी के साथ रहकर हमें महसूस हो रहा था । उनका अपने लिए प्यार, सम्मान और व्यवहार देखकर बिल्कुल भी ऐसा नहीं लग रहा था कि वह हमारे अपने बच्चे नहीं है ।
सचमुच इस समय हमें एक कप घर की गरमागर्म चाय की तलब हो रही थी । बच्चे खेलने में लग गए तथा पिंकी और सुभ्रांशु हमारे साथ हमारे अनुभव शेयर करने लगे । खाना पिंकी ने पहले ही बना कर रख लिया था बस रोटियां ही सेकनी थीं । दूसरे दिन हमें सी वर्ल्ड जाना था । सीबवर्ल्ड ऑरलैंडो में स्थित बहुत बड़ा पार्क है । इसमें अनेक प्रकार के थलचरीय , समुद्री जीव जंतुओं के साथ रोलर कोस्टर राइड, वाटर पार्क इत्यादि भी हैं । यद्यपि अंशु और सोम कई बार इस पार्क को देख चुके थे फिर भी दोबारा इसे देखने की चाहत के कारण वे सब भी हमारे साथ चल रहे थे । सुबह जल्दी निकलना था अतः जल्दी खाना खाकर सो गए ।
सुधा आदेश
क्रमशः