मिस्टर पटेल के कमरे मे आवाजे सुन अजय और मीरा चौक गए। घर मे उस वक्त दोनो के अलावा और कोई नही था।
" तू यही रुक मे देख कर आता हु।" अजय ने कहा।
" नही। रुक दोनो साथ चलते है।" मीरा ने कमरे मे से उसकी हाॅकी स्टिक उठा ली।
" ये किस लिए ????" अजय।
" चोर हुवा तो। ये खुद को बचाने के लिए है।" मीरा।
वो दोनो धीरे धीरे उस कमरे की तरफ बढ़ रहे थे। मिस्टर पटेल ने अजय को सिर्फ इतना बताया था, की स्वप्निल से मीरा का साथ छुड़ाने के लिए वो कुछ करने वाले है। पर वो अपनी ही बेटी को किडनैप कराएंगे। ऐसा अजय ने सोचा नहीं था। इसीलिए वो काफी धीरे धीरे कदम उठा रहा था।
" हाउ एक्साइटिंग !!!! देख ना मुझे ऐसा लग रहा है, जैसे यहां कोई शुटिंग चल रही हो अब हमे एक्शन के लिए तैयार रहना है।" मीरा ने अजय से कहा।
" ज्यादा उतावला पन मत दिखा और जरूरी हो तो ही इसे इस्तेमाल करना । वरना किसी का सर फुट जायेगा।" अजय ने उसे समझाया।
" रुक। हमे नही पता अंदर कितने लोग है। इसलिए उसे बाहर बुलाते है।" मीरा ने दरवाजे के पास रुकते हुए कहा।
" कैसे बुलाएंगे बाहर ???" अजय।
" अगर वो चोर है, तो पैसे देख के बाहर जरूर आयेंगे। मेरे कमरे मे 5 लाख कैश पड़ी है वो भी rs.100 के नोट्स। काम बन जाना चाहिए। में अभी लेकर आती हू।" मीरा अपने कमरे मे से वो पैसे ले आई और कमरे के दरवाजे पर सामने रख दिए। वो और अजय उस दरवाजे के आस पास छुप गए। फिर धीरे से मीरा ने उस दरवाजे को धक्का दिया। अंदर एक आदमी शॉल और मास्क पहने खड़ा था। उसने बाहर जैसे ही कैश पड़ा देखा वो तुरंत कैश लेने दौड़ा। वो जैसे ही कैश तक पोहोचा। अजय उसे दबोचे उस से पहले ही मीरा ने हॉकी स्टिक से उस का सर फोड़ दिया। यही वो घड़ी थी जब मिस्टर पटेल ने अपने घर मे कदम रखा, और दो चीखे सुन वो बचाने दौड़े।
15 मिनिट मे एक गाड़ी पटेल मेंशन के बाहर रुकी। जिस मे से 4 डॉक्टरों की एक टीम अंदर की तरफ भागी। गेस्ट बेडरूम मे बेचारा लक्ष्मण बेहोश पड़ा था। अजय और मीरा सर झुकाए गुन्हे गारो की तरह मिस्टर पटेल के सामने खड़े थे। जैसे ही डॉक्टर अंदर आए।
" प्लीज चेक कीजिए।" मिस्टर पटेल ने कहा।
दस मिनिट चेक करने के बाद,
" उन्हे तीन टाके आए है। घाव गहरा नही है इसलिए फिक्र की कोई बात नही है। 103 बुखार होने की वजह से और इस हादसे के साथ डर के मारे वो बेहोश हो गए है। बाकी दवाइयां मैने दे दी है।" डॉक्टर वहा से चले गए। मिस्टर पटेल ने एक नर्स लक्ष्मण के लिए बुलवा ली थी। जो कमरे मे उसका ध्यान रख रही थी। जैसे ही डॉक्टरों की टीम ने पटेल मेंशन के बाहर कदम रखा मेंशन के अंदर मिस्टर पटेल के गुस्से की सुनामी सी आ गई।
" खेल जब देखो तब खेल। क्या समझते हो तुम दोनो ये कोई पिक्चर है।" मिस्टर पटेल ने चिल्लाते हुए कहा।
" डैड सारी गलती उस लक्ष्मण की है। पूछिए अजय से कैसे कैश पर दौड़ा वो मैं तो अपना बचाव कर रही थी।" मीरा ने सफाई दी।
" हा अंकल। इसबार सच मे उस कार्टून की गलती है। कौन दुसरो के घर मे चोरी छुपे जाता है। वो भी आपके कमरे मे। ऊपर से लुटेरों की तरह पहनाव।" अजय ने मीरा की हा मे हा मिलाई।
" अरे वो बीमार है। ये भी बीमार थी इसीलिए मैंने उसे चाबी दी। जाओ आराम करो कह कर। इतने सारे कमरों मे भूल गया होगा उसका कमरा। पर किसी को मारने से पहले देखो तो सही। पूछो वो कौन है ???" मिस्टर पटेल।
" क्या जोक मार रहे है डैड। अगर उसकी जगह असली चोर होता। तो हमे उसे बिठाकर चाय पिलाकर पहले पूछना चाहिए था की, चोर भाई साब क्या आप चोर है ? या मेरे डैड ने आपको भी चाबी दी है।" मीरा ने हसते हुए अजय को ताली दी।
" हा, हा हा। अच्छा मजाक है। जब उसके डैड केस करेंगे ना तुम दोनो पर हाफ मर्डर की तब जेल मे ऐसे ही एक दूसरे को तालिया देते रहना। समझे।" मिस्टर पटेल ने कहा।
" अरे डैड वो जैसे ही होश मे आएगा में माफी मांग लूंगी फिक्र मत कीजिए।" मीरा ने सोफे पर बैठते हुए कहा, " अजय देखा तूने मैने क्या शॉट लगाया हॉकी से सीधा क्लीन बोल्ड।" अजय ने इसमे मीरा की ओर तरफदारी की।
" बोहोत अच्छे और वो शॉट लगाने के बाद तुम दोनो चीखे क्यों??" मिस्टर पटेल।
" वो बाद मे हमने उस के चेहरे पर से मास्क हटाया ना। फिर हम और ज्यादा डर गए।" अजय और मीरा ने फिर एक साथ अजय की इस बात पर हा मे गर्दन हिलाई।
" ये क्या??? कब से दोनो एक साथ गर्दन हिला रहे हो? तुम अपने कमरे मे जाओ और तुम घर जाओ।" मिस्टर पटेल ने पहले मीरा को कमरे मे भेज दिया।
" क्या अजय मैने तुम्हे यहां सब संभालने भेजा था या बिगाड़ने।" मि पटेल।
" फिर भी में पूरे वक्त सोच ही रहा था, अंकल की आप भला खुद मीरा को किडनैप कराना क्यो चाहेंगे ?" अजय।
" किडनैप मतलब??" मिस्टर पटेल।
" आवाजे ऐसी आ रही थी, जैसे आपके कमरे मे चोरी चल रही हो। तो मुझे लगा उन दोनो को दूर करने के लिए आपने मीरा को किडनैप कराना चाहा। आपसे पूरी विलन वाली फीलिंग आ रही थी मुझे।" अजय ने हंसते हुए कहा।
" मतलब तुम्हे सच मे गलत लगता हु??? अपनी बेटी का भला चाहने वाला हर बाप उस के लिए सब कुछ करेगा। तो क्या वो गलत है???" मिस्टर पटेल।
" आपके हिसाब से नही पर दूसरे एंगल से देखे। तो आप दो दिलो को दूर कर रहे है। तो आप गलत है।" अजय।
" निकल जाओ। अभी मेरे सामने से निकल जाओ।" मिस्टर पटेल।
" अरे अंकल में आपके ही टीम मे हू। लेकिन अगर आपने मीरा को किडनैप करने का सोचा भी ना तो हम अलग हो जायेंगे।" अजय ने सोफे पर से उठते हुए कहा।
" अरे किसे बनानी है तुम्हारे साथ टीम जाओ यहां से।" मिस्टर पटेल ने उसे वहा से भगा दिया।
दूसरे दिन सुबह सुबह मीरा ने ये वाक्या स्वप्निल और समीर को सुनाया। समीर की हसी रुकने का नाम नहीं ले रही थी।
" ये क्या बचपना है। तू क्यों इतना हसे जा रहा है???" स्वप्निल ने समीर से कहा।
" फैंटास्क्टिक मीरा। तुम यार कमाल हो। मतलब हॉकी स्टिक से वाउ। ब्रेव। बोहोत अच्छे।" समीर।
" उसे चढ़ा मत। उस बेचारे लक्ष्मण की जान भी जा सकती थी। मिस्टर पटेल ने तुम्हे डाट कर सही किया। हमेशा सिचुवेशन देख के कदम उठाना मीरा। ऐसी जल्दबाजी मे अक्सर गलत डिसीजन हो जाते है।" स्वप्निल।
" क्या बॉस। वो लक्ष्मण बेचारा और में?? में भी कल बीमार थी अगर सच मे चोर होता और मुझे कुछ हो जाता तो।" मीरा।
"तुम्हारे मेंशन मे आने जाने के लिए भी परमिशन लगती है मीरा। चोर आना पॉसिबल नही है। हर जगह सीसीटीवी कैमरा लगे है। बात को समझो। तुम्हारे भले के लिए कह रहा हूं। अगर लक्ष्मण ने सच मे केस किया तो जेल मे जाना पड़ेगा।" स्वप्निल।
" फिर सोचो जब तक तुम जेल से वापस आवोगी इसके तो बच्चे भी हो चुके होंगे।" समीर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा।
उनका हसी मज्जाक शुरू ही था तब तक मिस्टर हुड्डा ने सब को मीटिंग रूम मे बुलाया।
" चलो देखते है, कही फिर मिस्टर पटेल का कोई गिफ्ट ना हो तुम्हारे लिए।" समीर ने स्वप्निल को कहा।
मिस्टर हुड्डा मीटिंग रूम मे आए,
" हमारे क्लाइंट और मेरे अच्छे दोस्त मिस्टर पटेल के सलाह से में मिस्टर लक्ष्मण शाह को स्वप्निल के अंडर असिस्टेंट मैनेजर नियुक्त करता हु।
मीरा और स्वप्निल ने एक दूसरे को देखा " क्या????"