अर्पिता वहां श्रुति के साथ खड़ी थी।उसके चेहरे पर गुस्सा था तो वही जुबां से निकलते तीखे शब्द!उसे इतने गुस्से में देख मैं खुद ही चौंक गया।मैंने सोचा नही था हमेशा स्वीट सी दिखने वाली वो लड़की किसी को इस तरह हड़का सकती थी।उसे देख मेरा गुस्सा तो थोड़ा कम हो गया और ख्याल आया आ गया हूँ इन्हें छोडूंगा तो नही लेकिन उससे पहले अर्पिता से पूरी बात को जान लिया जाये सो मैं वही एक ओर रुक उसकी बाते सुनने लगा।
वो तल्खी से बोली 'तो मिस्टर एक्स वाइ जेड.. या कहे घटिया लोगो का लीडर।सबसे पहले तो हमारा कारनामा नम्बर एक देखिये' कहते हुए उसने अपना फोन निकाल कर उसके आगे कर दिया जिसमे क्या था ये मुझे नही पता था लेकिन लड़के के चेहरे को देख समझ आ गया कि उस फोन में कुछ तो ऐसा है जो उसके लिए सही नही था।उसके चेहरे के हावभाव थोड़े असामान्य हुए।अर्पिता के तेवर देख उस लड़के के साथ साथ श्रुति सात्विक और मेरे भी होश उड़ गये।श्रुति और सात्विक दोनो एक दूसरे की ओर देख रहे थे।तो वहीं मैं खुद को यकीन दिला रहा था क्या है वो।अर्पिता श्रुति के कानो के पास जाकर धीरे से कुछ फुसफुसाई।पूरा मामला क्या था ये तो मुझे उस समय समझ नही आया,'लेकिन उसकी वो हरकत मुझे बड़ी अच्छी लग रही थी,जानने की चाह बढ़ती जा रही थी कि आखिर उसने क्या कारनामा किया।क्या तिकड़म भिड़ाई?
अर्पिता मुस्कुराते हुए उस लड़के से बोली 'तो कहो लगा झटका।अब भी अगर तुमने हमारी बात नही मानी तो हम ये फोटो कानपुर में तुम्हारे घर भिजवा देंगे।काहे कि यहाँ तो तुम किराये पर रहते हो।यहाँ तुमसे कहने सुनने वाला कौन है।लेकिन वहाँ है।'
उसके लफ्ज सुन मैं दंग रह गया।मन ही मन बोला 'इतनी हिम्मत गजब का आत्मविश्वास' और मेरा दिल उस पर एक बार फिर फिसल गया'।
'तो अब सीधी तरह बताओ हमारी बात मानोगे या नही।हमारी श्रुति का वो फेक फोटो डिलीट करोगे या नही।'उसने सपाट स्वरों में फिर दोहराया।जिसे सुन कर वो लड़का तो खामोश हो गया लेकिन मैं पूरी बात समझ गया।वो लड़का बड़ी बेशर्मी से बोला,'नही मै वो फोटो डिलीट नही करुंगा तुम्हे जो करना है वो कर लो और हाँ ये सोच रही हो कि शैव्या को लेकर उसे मोहरा बना कर तुम मुझसे वो फोटो डिलीट करा लोगी तो तुम गलत हो।तुम शैव्या का बस नाम ही जानती हो...ऐवें ही कुछ भी।'उसके शब्द सुन मुझे बहुत तेज गुस्सा आया।गुस्से मे कब मैंने हाथ झटक दिया मुझे पता ही न चला।
'अच्छा हमारे इतना कहने के बाद भी तुम्हे अब भी हमारी बात का यकीन नही है कि हम शैव्या को भी जानते हैं।ठीक है तो फिर हम तुम्हे उसकी एक तसवीर ही दिखाते हैं।फिलहाल ये सादा वाली देख लो अगर फिर भी यकीन नही आया तो 'वो' वाली भी हम दिखाने में तनिक भी नही सोचेंगे।' कहते हुए अर्पिता ने अपने मोबाइल को उसके आगे कर दिया।मैंने सोचा शैव्या उसकी बहन ही हो सकती थी क्योंकि अर्पिता ने फॅमिली का नाम लिया और लड़के ने शैव्या का।समझ कर अर्पिता के दिमाग को देख मेरा मुंह खुला ही रह गया।मैं वही खड़ा खड़ा सोच रहा था कि ये है क्या इतना तेज दिमाग!मैं तो बस गुस्से से अपना काम निकलवा लेता और वो दिमाग से खेल रही थी।सच में ठाकुर जी आपने मुझे मिलाया तो मिलाया भी किससे 'तीखी छुरी' से।उस समय बस यही ख्याल मन में आया।
शैव्या की तसवीर उसके पास देख वो लड़का चौंक गया।वो हिचकिचाते हुए बोला ये तसवीर तुम्हारे पास कहाँ से,और कैसे आई..?उसके चेहरे को देख कर ही मैं समझ गया कि अर्पिता का काम बन जायेगा।अर्पिता के तेवर से उस लड़के की तो हवाइयां उड़ चुकी थी।उसे देख साफ समझ आ रहा था कि वो इस पलटवार के लिए कतई तैयार नही था।वहीं अर्पिता अब भी रुकने के मूड मे नही थी कहने लगी - 'कहाँ से कैसे?ये भी तुम्हे जानना है तो सुनो,वैसे ही आई जैसे तुम्हारे पास हमारी श्रुति की तसवीर आई।अब अगर तुम वाकई में नही माने न तो हमें मजबूरन एक भाई को उसकी बहन की कुछ तसवीरे... ।कहते हुए वो एक पल को रुकी।फिर बोली हमे तो कहने में भी संकोच हो रहा है और तुम ऐसा कारनामा कर गुजरे।अब फिर भी तुम नही माने तो हम कहे दे रहे है हमे भी कुछ सेकंड लगेंगे उस तसवीर को वायरल करने में।'उस ने तल्ख लहजे में कहा और उसे ऐसे घूरने लगी जैसे अभी शेरनी बन उसका शिकार कर डालेगी।जो वो अपने दिमाग से उस पल कर रही थी।अर्पिता की बात सुन वो लड़का सोचते हुए बोला 'ठीक है,मुझे एहसास हो चुका है कि मैं जो कर रहा हूं वो गलत है।मै अभी के अभी वो फोटो हटा देता हूँ तुम प्लीज मेरी बहन के साथ कुछ गलत नही करना।प्लीज!'कहते हुए वो तुरंत उसके सामने धीरे धीरे गिड़गिड़ाने लगा।
अर्पिता ने गुस्से से उसे घूरते हुए कहा 'गुड्।अब आ गये न लाइन पर।हटाओ.. अभी हटाओ और सब जगह से हट जानी चहिये।नही तो सोच लेना हम क्या करेंगे..!'कहते हुए उसने अपने साथ वहीं एक ओर खड़ी लड़की की ओर देखा जिसके चेहरे पर हिजाब था।उसका चेहरा तो मैं नही देख पाया लेकिन ये देख लिया कि अर्पिता ने इशारे में उससे कुछ कहा था।शायद वो उस लड़की को जानती थी।अगले ही पल अर्पिता श्रुति की ओर देख उससे कहने लगी 'तो श्रुति सब रिकॉर्ड हो गया न्।'
उसके कहे गये ये शब्द मेरे लिए एक और झटका मिलने जैसे थे।पिछले दस मिनट से मैं उसके नये नये रंग देख रहा था।उसने धमकाया सो धमकाया साथ ही कन्फर्मेशन भी वीडियो के जरिये साथ ले लिया जिससे आगे कोई परेशानी न हो और श्रुति के साथ हुए गलत को वो गलत साबित कर सके।उस पल वो मुझे एहसास करा गयी अगर रिश्ते निभाने की चाह हो न तो परेशानियां मायने नही रखती।अपनी सोच से वो मेरे मन र्क बार फिर चुरा ले गयी।
श्रुति भावुक हो कुछ बोल ही नही पाई बस 'हाँ ' में गरद्न हिला रह गयी।अर्पिता ने उसे देखा तो उसके पास आ उसे गले से लगा कर धीरे से बोली “पगली।तुम बस मुस्कुराती रहा करो।काहे कि तुम मुस्कुराती हुई ही अच्छी लगती हो और इन सब के लिये हम है न।अगर कभी कोई प्रॉब्लम आई भी न तो इसी तरह सब मिल कर सामना करेंगे।" उसकी बात सुन कुछ दूर खड़ा हुआ मैं हौले से बोला 'हां तुम हो तो कुछ गलत होने भी नही दोगी'।मुझे उस पल से उस पर विश्वास हो चुका था।वो उनमे से नही थी जो कोई भी रिश्ता नाम के लिए बनाती थी, वो उनमे से थी जो रिश्तो को सहेजना बखूबी जानती थी।
उस लड़के ने अपनी गरदन नीची कर ली और झुकी हुई गरद्न के साथ फोन निकाल कर खड़ा हो गया।अभी भी वो खड़ा ही था।डिलीट करने की हिम्मत अभी भी नही थी उसकी।उसे खड़ा देख मुझसे चुप नही रहा गया मैं आगे बढ़ उसे एक चमाट जड़ते हुए उससे तुरंत डिलीट करने को कहने लगा।वो पक्का ठीठ था फिर भी नही सुना उसने।बिल्कुल नही सुना उसने जैसे उसे कोई फर्क ही न पड़ा हो मेरी बात का।पुलिस की धमकी दी फिर भी परिणाम वही ढाक के तीन पात।गुस्साते हुए उसे वहीं पीट दिया।अर्पिता और श्रुति दोनो मुझे वहाँ देख एक दूसरे की ओर हैरानी से देखने लगी अपनी आदत के अनुसार अर्पिता बोल पड़ी 'ओह गॉड ये यहाँ।'वही श्रुति के चेहरे की तो हवाइयां उड़ चुकी थी।उड़ना ही था उनके हिसाब से ये बात तो मुझे पता चलनी ही नही थी और मैं गुस्से में उनके सामने खड़ा उस लड़के को पीटे जा रहा था।
मेरा गुस्सा चरम पर था और मैं गुस्से से पीटते हुए बड़बड़ाता जा रहा था तुम्हारे जैसे सनकी लोगो की वजह से ही लड़कियां डर डर के जीती है।तुम्हारी हिम्मत हुई कैसे मेरे घर की दोनो लेडीज के साथ ऐसी घटिया हरकत करने की।याद रखियो प्रशांत नाम है मेरा।उस लड़के का फोन छीना और उसे हाथ मे लेकर सारा डाटा मिटाते हुए उसे फोन थमाते हुए बोला 'हो सकता है कि तुम्हारा कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण डाटा मिट गया हो लेकिन ये तुम्हारे द्वारा की गयी गलती से बहुत छोटा है।'
इतना करने पर भी मेरा गुस्सा कम नही हो रहा था!क्या करूँ आदत से मजबूर था गुस्सा बहुत कम आता था मुझे,लेकिन जब आता था तो मुझे नुकसान पहुंचा कर ही जाता था।मैं उसे फिर से पीटने लगा।मुझे इतने गुस्से में देख अर्पिता आगे आयी।उसने मेरा हाथ थाम लिया और कहने लगी “सही कहा आपने प्रशांत जी”।उसने मेरी आंखों में झांका और गरदन हिलाते मुझे आगे उस पर हाथ उठाने से रोक दिया।मेरा आधा गुस्सा तो उसकी छुअन के एहसास से ही चला गया।उस लड़के ने जो किया वो भूलने के काबिल तो नही था।मैं बोला 'लेकिन अर्पिता.... इसने...।'मेरी नजर उसकी आंखों पर पड़ी और मैं सब भूल कर चुप हो उसका हाथ झटक मुन्ह फेर कर खड़ा हो गया।मेरा गुस्सा तो जा चुका था लेकिन फिर भी मूड बहुत खराब था।
अर्पिता लीडर की ओर देख बोली 'अगर किसी इंसान की किसी बात से तुम्हे परेशानी है तो उसे सही तरीके से डील करो।उससे लड़ो झगड़ो गुस्सा कर लो लेकिन किसी के साथ गलत मत करो और तुमने तो जरा सी बात का कितना बड़ा इश्यू बना दिया।तुम्हारी इस हरकत की वजह से हम पर क्या मुसीबत आ सकती थी तुमने सोचा भी नही।बात अभी खत्म नही हुई अभी तो तुम्हारी सजा बाकी है।श्रुति से माफी मांगो वो भी सबके सामने और हमारे बारे में जो भी रायता फैलाया है न मैच मेकर जोड़ी बनाने वाली और भी जो कुछ है उसे बटोर कर साफ करो जस्ट नाउ'।उस पल उसे सुन मैं समझ गया,"सम्मान के साथ जीना ये उसकी ताकत है।"
वो लड़का घबराते हुए कहने लगा "मै सब कर लूंगा लेकिन तुम पहले मेरी बहन की फोटो डिलीट कर दो प्लीज..।मै तुमसे रिक्वेस्ट करता हूँ।' उसे देख वहां खड़ी लड़की अपने चेहरे से हिजाब हटा कर उसके सामने चली आई वो बोली 'भैया इन्होने ऐसा कुछ किया ही नही बल्कि ये तो मेरी मदद से आपको सबक सिखाना चाहती थी।'
क्या...? उस लड़के ने चौंकते हुए अर्पिता की ओर देख कर कहा..।उसके साथ साथ मैं भी चौंका।क्योंकि आम तौर पर कोई भी होता तो ज्यादा से ज्यादा क्या करता उसकी शिकायत कर देता,या फिर उसके साथ कुछ गलत करता,उसके खिलाफ आवाज उठाता जिसने गलत किया।फॅमिली को बीच में कोई नही लाता।लेकिन वो..!क्या लिखूं उसके बारे में उसके जैसी वो इकलौती ही है!
वो लड़की बोली 'हाँ भाई।ये इनका ही प्लान था कि मै इनका साथ दूं।पहले तो मुझे यकीन नही था लेकिन जब इन्होने मुझे सारी बातें बताई तब मै सच का पता लगाने के लिये इनके साथ यहाँ आ गयी।भाई इतनी गलत हरकत कैसे कर गये आप्।ये बात तो मै जानती थी कि आपको गुस्सा बहुत जल्दी आता है और अगर कोई आपकी बात काटे तो आपको वो पसंद भी नही।लेकिन भाई इन्होने गलत क्या कहा आप ही बताइये अगर आप किसी से गलत बात बोलोगे तो आपको कोई फूलो की माला थोड़े ही पहनायेगा बल्कि जूते ही तो सर पर उठाकर मारेगा।लेकिन आप ... ।जब बात अपने घर पर आई तो आप पिघल गये और जब इनकी दोस्त जैसी बहन के साथ आपने गलत किया तब आप पत्थर बन गये।आप भूल गये कि आपकी भी दो बहने है।अब अगर आपको सच मे अपना गुनाह रियलाइज हो गया तो इन दोनो से माफी मांगिये और सब ठीक करने की कोशिश कीजिये।नही तो सबूत अभी भी इनके पास है आपकी कंफेशन वाली वीडियो।जो अगर सब ने देख ली तो आपकी जो बची खुची अच्छी छवि है उसे खराब होने में समय नही लगेगा,माफी मांगिये।' बोलते बोलते उसकी आँखे भर आई।
उस लड़की की बात सुन अर्पिता उसके पास गई। उसके आंसुओ को पोंछ वो उसके गले से लग गई।उसके व्यक्तित्व का ये रंग देख मैं अर्पिता को देख मुस्कुराते हुए मन ही मन बोला -
इश्क की दुनिया के रंग भी कमाल है
कहीं चमकीले है तो कहीं लाल है
इसी इश्क़ की दुनिया में मैंने
तुम श्वेत रंग पहने थी इसका
फिर जब मिली लगी गुलाबी सी
मेरी ख्वाहिशो को जगाती सी
अब जब मिली हो तो ये लाल है
इसके हर रंग सच में बेमिसाल है...।
मेरा मन भी अच्छा हो गया और मै मुस्कुराते हुए अर्पिता की ओर मुंह कर खड़ा हो गया।मैंने देखा अर्पिता उस लड़की को सान्त्वना दे श्रुति के पास चली आई। मेरी थोड़ी सी नटखट श्रुति रोते हुए बोली 'आज मै तुम्हे थैंक यू नही कहूंगी,काहे कि तुमने आज मुझे दोस्ती का सही अर्थ समझा दिया।सच ही कहते है लोग दोस्ती के नाम पर लम्बी फ्रेंड लिस्ट रखने से अच्छा है कि एक मित्र ऐसा हो जो तुम्हारे साथ हर कदम पर खड़ा रहे।उससे कभी मदद करने के लिये कहना न पड़े और मै अब फक्र से कह सकती हूँ कि मेरे पास भी तुम्हारे रूप में एक ऐसा ही दोस्त है जिसे अगर मै एक बार याद करुंगी तो वो मेरे सामने आकर खडी हो जायेगी। लव यू यार्।लव यू अप्पू' कहते हुए श्रुति भावुक हो गयी थी।उसके रोने का कारण मैं समझ रहा था।
श्रुति को सुन अर्पिता हैरानी हो कहने लगी 'अप्पू? हमारा नाम तो अर्पिता है और हमें हमारे नाम से बहुत प्यार है।फिर ये अप्पू काहे?'
श्रुति बोली 'अप्पू !इसीलिये क्युकि मुझे अच्छा लगा।और ये नाम तो मैंने तुम्हे प्यार से दिया है और अब से मै तुम्हे इसी नाम से बुलाउंगी।' उसका ये स्वीट साउंड करता हुआ नाम मुझे भी भा गया।और मैंने मन ही मन दोहराया ..'अप्पू!'
वो आदतन मुस्कुराते हुए बोली 'ठीक है फिर हमें कोई ऐतराज नही।दोस्तो के बीच में चलेगा लेकिन दोस्तो के अलावा कोई और ना ले इस नाम को ये ध्यान रखना काहे कि हमने पहले ही कहा कि हमें हमारे नाम से बहुत प्यार है।' वो एक फिर नजरे फेर उस लड़के से बोली 'अब तुम्हारे लिये क्या हम निमंत्रण पत्रिका छपवाये तब जाकर सॉरी कहोगे देखो बहुत समय हो गया अब शुरु हो जाओ।'
उसकी बात सुनकर मुझे हंसी आ गयी लेकिन मैंने जताया नही।'थोड़ी पगली सी है मेरी पगली'।
गार्डन मे झगड़ा हो रहा है सुन वहाँ और भी छात्र चले आये।वो लीडर अपने कान पकड़ उठक बैठक करते हुए बोला 'मै अपनी गलती एडमिट करता हूँ।श्रुति और अर्पिता के बारे में मैंने जो भी कहा वो सब झूठ था मै तो बस इनसे अपनी इंसल्ट का बदला लेना चाहता था और इसीलिये मैंने श्रुति को डरा धमका दिया। सॉरी श्रुती।सॉरी अर्पिता...।' कह लीडर चुप हुआ।उसे देख मैं मन ही मन बोला 'वाकई सबक सिखाये तो तुम्हारे जैसा अर्पिता!ना हाथो में लाठी न ही तलवार बस दिमाग और हौंसला तुम्हारे हथियार!'पहली बार मैंने कोई इतनी तेज लड़की देखी थी।जिसमे डर नामक प्राणी तो कतई नही था।
इस कांड मे उस लड़के के
और भी हिस्सेदार जो शामिल थे वहां आ चुके थे थे उन्हे देख अर्पिता बोली 'अरे तुम लोग भी आ गये।बहुत बढिया।तुम लोग भी तो इस सब में बराबर के भागीदार हो तो सजा अकेले ये तुम्हारा दोस्त काहे भुगते।तुम लोग भी शुरु हो जाओ नही तो फिर हम शुरु हो जायेंगे।अर्पिता ने अपना हाथ ऊपर करते हुए इस अंदाज में कहा।' कि मेरे मुख पर अनायास ही मुस्कान आ गयी।उसके ऐसा करते ही बाकी के चारो भी शुरू हो गये।
कुछ देर तक उठक बैठक करने के कारण वो सब थक गये।उनके चेहरे से पसीना टपकने लगा और सांस फूलना शुरू हो गयी।उनकी हालत देख श्रुति उनके पास जा कहने लगी 'आपकी सजा पूरी हो चुकी है।आप लोग बस करिये और जाइये यहाँ से।याद रखना शेर को सवा शेर मिल ही जाता है।हर लड़की श्रुति के जैसी कमजोर नही कुछ अर्पिता जैसी भी है और अब से मै भी कमजोर नही हूँ गॉट इट्।'श्रुति के शब्द सुन मैं मन ही मन खुद को गर्वित महसूस कर रहा था।
' हाँ ' सभी ने एक स्वर में कहा।जिसे सुन अर्पिता ने उन्हें जाने के लिए कहा।उसके कहते ही सभी वहाँ से रफूचक्कर हो सर पर पैर रख भागे।
उनके जाने के बाद वहीं साथ खड़ी एक और लड़की अर्पिता से सॉरी कहने लगी।उसके चेहरे पर शिकन के भाव थे तो वहीं उसके हाथ जुड़े हुए।जिसे अर्पिता थामते हुए कहने लगी 'अरे उन्हे सजा भी मिल गयी और सबक भी।अब सॉरी की कोई जरुरत नही।तुम यूँ आंसू बहा कर खुद को कमजोर जताना बन्द करो और मुस्कुराते हुए घर जाओ।
वो बोली अच्छा लगा आपसे मिलकर।आपका झूठ भी मुझे पसंद आया कि आप और श्रुति बहने है।जबकि आप दोनो तो दोस्त है।जो भी हो आपका रिश्ता बड़ा प्यारा है।'
'शुक्रिया और हमें भी आपसे मिलकर खुशी हुई ।मिलते रहेंगे बाय्'अर्पिता ने कहा और मुस्कुराते हुए अपनी पलके झपकाई।वो लड़की वहां से चली गयी।
उसके जाने के बाद मैंने अपना फोन निकाला और अपने पेज पर वही चंद लाइने शेयर कर दी।फोन रख मैं श्रुति के पास आया।मैं उससे कुछ कहने को हुआ कि तभी अर्पिता की नजर मेरे हाथ पर पड़ी।जिसे देख उसके चेहरे पर परेशानी के भाव आ गये वो कहने लगी 'ओह ग़ॉड आपके तो चोट लग गयी प्रशांत जी'।उसने इतना कहा और आगे बढ मेरा हाथ पकड़ कर मुझे वहाँ से ले चली।उसकी इस हरकत का कारण तो उस समय मैं समझ नही पाया।लेकिन मेरे मन के उन एहसासों के कारण मैं बिना कुछ कहे चुपचाप उसके साथ चल दिया।
एक बेंच के पास पहुंच
वो रुक गयी।उसने उस बेंच के पास लाकर मेरा हाथ छोड़ा और धीमी आवाज में बैठने को बोली।उसे सुन मै बिना ना नुकुर के चुपचाप बैठ गया।वो अपने बैग मे रखी पानी की बॉटल निकाल मेरे जख्म खाये हाथ को साफ करने लगी।साथ ही धीरे धीरे बड़बड़ा भी रही थी 'क्या जरुरत थी आपको हाथ उठाने की बिन मार कूट के भी किसी को सबक सिखाया जा सकता है।लगा ली न खुद से चोट देखो तो हाथ कैसे खुरच गया है।इस हिस्से की तो पूरी स्किन ही निकल गई है और कैसे नील पड़ गये हैं आसपास।पता नही आज कल लोगो को गुस्सा इतना जल्दी आता काहे है।'वो बड़बड़ा रही थी लेकिन मुझे उसकी बड़बड़ाहट सुन मन ही मन बेहद खुशी मिल रही थी।उस के मन में अपने लिये फिकर देख मैं मन ही मन खुश होते हुए बोला 'ये तो बहुत अच्छा साइन है मेरे लिये अगर तुम इसी तरह मेरी परवाह करती रहो तो मै बार बार जख्म खाने के लिये तैयार हूँ अप्पू।' उस समय उसके चेहरे पर अपने लिए दर्द देख मुझे तकलीफ कम खुशी ज्यादा हो रही थी।
जख्म साफ होने पर अर्पिता ने अपने बैग मे रखा अपना रुमाल निकाला और मेरे हाथ मे बांध दिया।फिर उसने अपनी नजरे उठा कर कुछ क्षण मेरी ओर देखा और अपनी गरदन हिला कर मुझसे पूछा 'अब ठीक है '!मैंने आदतन बस हलका सा सर हिला दिया और उसकी आंखो मे देखा।जहां मुझे मेरे लिए शिकायते साफ नजर आ गयी।अगले ही पल न जाने क्या सोच कर उसने अपनी नजरे फेर ली और 'हम अभी आये श्रुति' कह कर वो तुरंत ही वहाँ से निकल गयी।वो तो निकल गयी लेकिन अपने पीछे छोड़ गयी अपनी एक सुन्दर सी याद अपने पैरो में पहनी हुई एक लड़ी वाली साधारण सी पायल।जो दिखने में बिल्कुल साधारण सी थी लेकिन उसमे कुछ विशिष्ट था और वो था'उसका अर्पिता से जुड़ा होना।' मेरी नजर उस पर पड़ी और मैंने झुक कर उसे उठा मन में कहा
“तुम्हारी पायल का यूं इस तरह मेरे पास आना ये कायनात का इशारा है किसी कहानी के शुरू होने का” और इस कहानी की शुरूआत बता रही है कि ये कहानी इस दुनिया से परे ही होगी...।इंतजार रहेगा अगली मुलाकात का।
“अप्पू' तुम्हारी ये पायल मुझे उतनी ही प्यारी है जितनी कि तुम।" वो पायल मैंने अपने पास रख ली।सात्विक भी अर्पिता के पीछे पीछे वहाँ से चला गया।उसके जाने के बाद मुझे एहसास हुआ कि इतनी भी गंभीरता अच्छी नही जो मेरे अपने मुझसे अपने मन की बात करने से भी जिझके।वो मुझे एहसास करा गयी कि कभी कभी गंभीरता भी हमे हमारे अपनो से दूर ले जाती है।
मैं श्रुति से शिकायते करते हुए उससे न बताने की वजह पूछने लगा।क्यों नही बताया उसने मुझे।क्या इतना ज्यादा कम बोलता था मैं।या इतना रुद था कि मुझसे बात करने से डरती थी।' बोलते बोलते मैं थोड़ा सा भावुक गया।श्रुति कहने लगी,'वो भाई.. वो मै डर गयी थी।कि आप न जाने कैसे रियेक्ट करो।'जिसे सुन कर मैं बोला।'तुम्हे मुझसे डरने की कोई जरुरत नही।तुम तो हम भाइयो की लाडली बहन हो फिर डरती काहे हो।अर्पिता को देखा किस तरह धमका कर आई है।है तो वो भी लड़की ही और तुम्हारे ही उम्र की भी है।फिर तुम्हे डर किस बात का।ये तो बहुत अच्छा है कि कल तुम्हारा कॉल ऑन रह गया और मेरे फोन में सब रिकॉर्ड हो गया।जिसे मैंने सुना और चला आया।श्रुति,अर्पिता जैसी स्मार्ट और सुलझी हुई लड़की तुम्हारी दोस्त है जिसके निर्णय लेने की क्षमता भी कमाल की है।चुटकियो में सही निर्णय लेती है उसका साथ कभी मत छोडना।'
'हाँ भाई कभी नही छोड़ेंगे' श्रुति ने अपने आंसू पोंछ मुस्कुराते हुए कहा।उसे सुन मैं हल्का सा मुस्कुरा उसके सर पर हाथ रखा।एक बार फिर चारो ओर देखा शायद अप्पू कहीं दिख जाये।लेकिन वो कहीं नही दिखी।मुझे लगा शायद वो हम भाई बहनो के मध्य आकर कुछ बोलना नही चाहती थी।कुछ देर बाद मेरी क्लाइंट के साथ मीटिंग थी जिस कारण मुझे निकलना था।मैं श्रुति से बोला 'ओके श्रुति अब मै निकलता हूँ एक क्लाइंट के साथ कुछ देर बाद मीटिग है' बाय्।और हाँ अपने दोस्तो को ट्रीट देना मत भूलना।मैं वहां से निकल आया