Anokhi Dulhan in Hindi Love Stories by Veena books and stories PDF | अनोखी दुल्हन - ( मौत का सौदागर_२) 14

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अनोखी दुल्हन - ( मौत का सौदागर_२) 14

आजका पुरा दिन बस खत्म होने ही वाला था। ८ बजने वाले थे, उसने अब तक वीर प्रताप को नहीं बुलाया था। यमदूत के जाने भर से ही हाथो मे किताब थामे वो उसके बुलावे का इंतजार कर रहा था।

" क्या करू ? क्या करू?" वीर प्रताप ने सोचा। " रुको में भला उस लड़की का इंतजार क्यों कर रहा हूं??? कही इंसानों के साथ रहते रहते में पागल तो नहीं हो गया।" वो अपनी जगह से उठा और टहलने लगा ताकि वो जूही को अपने दिमाग से निकाल सके।

अपने होटल की नौकरी खत्म कर जूही, एक बगीचे मे बैठी। उसने अपने बैग से माचिस और वो लैमिनेट किया हुवा मेपल का पत्ता निकाला।

" चलो अब उसे ये तोहफा दे दिया जाए।" जुहि ने माचिस की लौ जलाई और फुक मार कर उसे बुझाया। किसी की आहट सुनते ही वो पीछे मुड़ी। " आ गए। मैने तुम्हारा इंतजार......" उस आदमी को वहा देख वो चौक गई। उसने अपने गले पर हाथ लगाकर उसे ना देखने का दिखावा किया। " कहा गया मेरा स्कार्फ।"

" कोई मतलब नहीं। में जानता हू तुम मुझे देख सकती हो गुमशुदा आत्मा। पिछली बार भी यही बहाना बनाया था।" यमदूत ने आगे आते हुए कहा।

उसकी तरफ देखे बिना सारा सामान अपनी बैग मे भर जूही आगे जाने लगती है। तभी यमदूत अचानक से उसके सामने आ जाता है। एक चीख के साथ डर के मारे वो दो कदम पिछे चली जाती है।

" अभी भी मुझे ना देखने का दिखावा कर रही हो? पता है दस सालो से धुड़ रहा हु। आज तो यहां तुम्हे बचाने वाला भी कोई नही है। " यमदूत ।

" मेरे नाम का कार्ड आज भी नही होगा तुम्हारे पास। इसलिए तुम मुझे नहीं ले जा सकते।" जूही ने हिम्मत जुटाते हुए कहा।

" नही है। पर तुम्हारा कोई रिकॉर्ड ही नहीं है तो कैसे आएगा कार्ड। 17 साल पूरे 17 सालो का पेपर वर्क करना पड़ेगा मुझे तुम्हारी वजह से।" यमदूत।

" तुम क्यों मेरे पीछे पड़े हो। देखो! मुझे ये जिंदगी भगवान ने दी है। मैने मौत को टाला है और वैसे भी अभी में सिर्फ 17 साल की हु। ये मरने का सही समय नही है।" जूही।

" लोग 7 साल के होते है तब भी मरते है। मरने का कोई सही समय नही होता। यही मौत है।" यमदूत ने जूही की तरह एक कदम आगे बढ़ाया और जूही ने दो कदम पीछे लिए। यमदूत फिर वही रुक गया " अब ये किसके साथ हो तुम ?"

ये बात सुनते ही जूही पीछे मुड़ी। वीर प्रताप वही खड़ा था। जूही दौड़के उसके पास गई और उसने वीर प्रताप की आखों के सामने अपने हाथ पकड़े। " उसकी आंखो मे मत देखो। वो यमदूत है। में यहां से भागने का कोई रास्ता सोचती हु।" जूही ने फुसफुसाते हुए कहा।

वीर प्रताप ने उसे एक प्यार भरी नजर से देखा। वो उसे बचाने आई है जो लोगो को एक नजर मे मौत से मिलवा सकता है। जिसने लाखो को अपनी तलवार से काटा। पर किसी तलवार या तीर ने उसे छूने की हिम्मत नही थी। कोई भला इतना मासूम और प्यारा कैसे हो सकता है। वीर प्रताप ने जूही के उन हाथो को अपनी आखों से दूर किया और उसे अपने पीछे खींच लिया।

" क्या तुम अभी काम पर हो?" वीर प्रताप ने यमदूत से कहा।

" बिल्कुल सही। में मेरा काम कर रहा हूं। पर क्या तुम जानते हो तुम क्या कर रहे हो ?" यमदूत ने एक ठंडी नजर वीर प्रताप और जूही पर डाली।

" तुम्हारी भाषा मे, में फिर इंसानी दुनिया मे अपनी टांग अड़ा रहा हूं।" वीर प्रताप।

" ये सही वक्त है। चलो यहां से भाग चलते है।" जूही ने वीर प्रताप को खींचने की कोशिश की पर असफल।

उसने जूही की तरफ देखा, " फिक्र मत करो। कोई भी यमदूत उस लड़की को नही ले जा सकता, जो एक पिशाच से शादी करना चाहती हो।" फिर उसने यमदूत की तरफ देखा "खास कर ऊस पिशाच कि आखों के सामने।"

उसके ऐसा कहते ही, जूही चौक गई। लेकिन अब वो जानती थी की उसे डरने की कोई जरूरत नही है।

यमदूत और वीर प्रताप एक दूसरे को घुरे जा रहे थे। बिजली कड़कना शुरू हो गई थी।

" तुम्हे समझ नही आ रहा, में अपनी बात को लेकर कितना गंभीर हू।" वीर प्रताप।

" तो ये है वो। अनोखी दुल्हन।" यमदूत।

" हा। में। में ही हु वो अनोखी दुल्हन।" जूही बीच मे बोल पड़ी पर उसने अभी भी वीर प्रताप का हाथ कस के पकड़ रखा था।

" ओ.....। पता नही क्यों लगता है यहां मे ही बुरा आदमी हु जो एक परिवार के बीच आ रहा हूं। वो रहा मेरा शिकार। चलो काम पर वापस जाने का वक्त हो गया। बाय गुमशुदा आत्मा, जल्द मुलाकात होगी। यूंही या तो इंतेफाक से या फिर समय, जगह और हादसा तय कर के।" यमदूत वहा से चला गया।

जूही ने चैन की सांस ली। " देखा, मतलब तुम सच में पिशाच हो।"

" हा तो?" वीर प्रताप।

" तो जब में कहती थी तुम पिशाच हो तो झूठ क्यों बोला?" जूही।

" पहले मुझे लगा कि हम वापस कभी नही मिलेंगे इसलिए तुम्हे बताना जरूरी नही समझा। लेकिन फिर मुलाकाते अक्सर होने लगी। किसने सोचा था की तुम मेरे पीछे मेरे दरवाजे से आ जा सकोगी। आज तक किसीने ऐसा नहीं किया।" वीर प्रताप।

" तो इसका मतलब में अनोखी दुल्हन हू।" जूही।

" नही। तुम नहीं हो।" वीर प्रताप।

" अभी भी झूठ बोल रहे हो। तुमने ये भी कहा था तुम पिशाच नही हो।" जूही।

" ये झूठ नहीं है। तुम अनोखी दुल्हन नही हो।" वीर प्रताप।

" तो क्या हू में?" जूही ने चीखते हुए कहा। " मुझे आत्माएं दिखती है। इंसान इसे पागलपन कहते है। पता है इतने सालो अकेले कैसे जी रही हु में।" वो बोलती रही, और वीर प्रताप बेजान सा उसे सुन रहा था। " आत्माएं हमेशा परेशान करती है। उन्हे अनदेखा करु तो मुझे आकर डराती है। देखू तो मुझसे लिपट जाती है। यहां तक कि में उस यमदूत को भी देख सकती हू। जानते हो कितना मुश्किल है ऐसे इंसानों के बीच रहना। बचपन से आज तक उन सब ने मुझे मेरा वजूद अनोखी दुल्हन के रूप मे दिखाया है। अब इतने सालो बाद तुम मिले और क्या कह रहे हों? में वो दुल्हन नही हु। तो क्या हू में??"

" तुम अपनी परेशानियों के लिए मुझे जिम्मेदार नहीं ठहरा सकती। ये तुम्हारी प्रोब्लम है। में बस यही बताना चाहता हूं, तुम अनोखी दुल्हन नही हो।" वीर प्रताप।

" अब तुम मुझे हर्ट कर रहे हो। में सुंदर नही हु इसलिए ये सब कह रहे हो ना ? में तुम्हारी कल्पनाओं जैसी बिल्कुल नहीं हू । यही वजह है ना जो बार बार मुझे ठुकरा रहे हो।" जूही ने अपने आसुवोको रोकते हुए कहा।

" तुम सुंदर हो। लेकिन सुंदरता वो चीज नही है, जो में पिछले ९०० सालो से अपनी दुल्हन मे ढूंढ रहा हु। मुझे कोई ऐसा चाहिए, जो मुझमें उस चीज को देखे जिसे सब नही देख सकते। तुम्हे भी तो मुझ में कुछ अलग नहीं दिखता। यही वजह है, तुम्हारी अनोखी दुल्हन ना होने की।" वीर प्रताप।

" में कैसे मानलू की तुम सच बोल रहे हो। तुमने पिशाच होने की बात भी मुझसे छिपाई।" जूही।

" मत मानो। वैसे भी तुम्हे मुझसे लगाव करने की कोई जरूरत नही है। में कुछ दिनों बाद यहां से जा रहा हु। हमेशा हमेशा के लिए। इसलिए मेरे बारे मे सोचना बंद कर दो। मुझे बुलाना भी बंद करदो। यही तुम्हारे लिए अच्छा है।" वीर प्रताप।

" कहा जा रहे हो?" जूही ने उस से पूछा, पर वो कुछ कहें उस से पहले ही रोक लिया। " मत बताओ मुझे। मुझे मेरा अच्छा बुरा बताने वाले तुम कौन हो???? मेरे पति???? नही वो तो तुम नही हो। में भी कहा उन आत्माओकी बातो मे आ गई। क्या में तुमसे शादी करती ??? पागल हो क्या 17 साल की उम्र मे कौन शादी करता है। तुम्हे क्या लगा तुम मुझे छोड़ सकते हो। बिल्कुल नही। में हु वो जिसने तुम्हे बुलाया था, और में ही तुम्हे छोडूंगी। नही। अभी..... यही..... छोड़ती हु। आज के बाद न में तुम्हे बुलावूंगी। ना तुम मुझे मिलने आना । " इतना कह जूही चुपचाप आगे निकल गई।

चार कदम उसने आगे ही बढ़ाएं थे, तभी वो वापस पीछे मुड़ी। सिर्फ उसे एक नजर देखने के लिए। पर वो जा चुका था।