मैने विवेक को फोन लगाया।मेरी बात सुनकर वह बोला"अस्पताल आ जाओ।डॉक्टर चुग से मिल लो।वह दवा लिख देंगे।"
मैने अपने ऑटो वाले से दस बजे रेलवे अस्पताल चलने के लिए बोल दिया।हम दस बजे तक तैयार हो गए।पता किया।ऑटो वाला सुबह का ही कंही चला गया था।अभी तक लौटा नही था।पत्नी से में बोला,"सड़क तक चलो।ऑटो कर लेंगे"।
"मैं नही चल पाऊंगी।तुम ऑटो करके यहां ले आओ।"
मैं सड़क तक गया।कुछ देर के प्रयास के बाद एक ऑटो मिल गया था।हम रेलवे अस्पताल पहुंचे थे।
रेलवे अस्पताल की व्यस्था पहले भी अच्छी नही थी।कोरोना के बाद तो
मैं पत्नी से बोला,"तुम लाइन में लगो।मैं डायरी में तारीख लेकर आता हूँ।"
पत्नी लाइन में लग गयी थी।मैं डायरी में तारीख़ लेने के लिए लाइन में लग गया।कुछ देर बाद तारीख लेकर पहुंचा।डॉ चुग के चैम्बर के सामने लम्बी लाइन लगी थी।प्राइवेट अस्पताल या किसी डॉ के निजी क्लीनिक पर जाओ तो कमसे कम मरीज के बैठने का ििइंतजाम तो होता है।सरकारी अस्पताल।सरकार लाखो करोड़ो रु मेडिकल पर खर्च करती है।लेकिन मरीज के लिए कुछ नही।पत्नी के पैरों में दर्द रहता है।लेकिन एक घण्टे तक खड़ा रहना पड़ा।चिकित्सीय कार्य के बीच मे अस्पताल का ही स्टाफ बार बार कोई कागज लेकर हस्ताक्षर कराने चला जाता।आखिर नंबर आने पर मैं पत्नी के साथ अंदर गया था।
अंदर चुग के सामने कोई और लेडी डॉ बैठी थी।डॉ रमेश का पर्चा पत्नी ने उसे दिया।वह देखकर बोली,"आर टी पी सी आर लिखा है।आपने टेस्ट करा लिया।"
"नही"
मैं लेडी डॉ से बोला,"डॉ साहिब को दिखा दो।"
वह छूटते ही बोले,"टेस्ट कराना है तो करा लो।नही कराना तो मत कराओ।"
उनके बोलमे के लहजे पर मैं भी गर्म हो गया,"यहां आए किस लिए है।आप डॉ होकर सही सलाह नहीं दे रहे।"
फिर वह नर्म पड़े और बोले,"जिला अस्पताल चले जाओ या स्टेशन पर चले जाओ।वँहा पर भी टेस्ट हो रहा है।"
मैं पत्नी के साथ चैम्बर से बाहर आया।मैने विवेक को फोन किया तो वह बोला,"स्टेशन पर जहां टी सी खड़ा होता है।वंहा पर टेस्ट हो रहे है।"
मैं विवेक से बोला,"आ जाओ तो।"
"आप पहुंचो मैं आ रहा हूँ।"
और हम स्टेशन के लिए चल दिये थे।
रेलवे अस्पताल में कई डॉक्टर है।लेकिन यह समझ मे नही आता सरकार इन्हें पगार किस बात की देती है।आप फीस देकर किसी डॉक्टर के पास दिखाने जाए,तो वह पहले आपसे पूछेगा।फिर वह ब्लड प्रेशर,छाती, पीठ स्टेथस्कोप से चेक करेगा।मतलब पूरा चेकअप करने के बाद दवा लिखेगा और आपको समझायेगा।रेलवे अस्पताल के डॉक्टर मरीज का चेकअप करना अपनी तोहीन समझते है।मरीज को अपने सामने बैठाते नही।जिस तरह आप एक केमिस्ट को रोग बताकर दवा ले आते है।उसी तरह रेलवे डॉक्टर आप परेशानी बताएंगे वह दवा लिखता जाता है।वह यह चेक नही करता कि रोग क्या है?
हां।एक बेहतर उपाय है।आप पहले फीस देकर किसी प्राइवेट डॉक्टर से दवा लिखा ले।फिर उस पर्चे को रेलवे डॉक्टर को दिखा दे।वह आपको बिना पूछे दवा लिख देगा।बाहर के डॉक्टर ने लिखी है।वो ही दवा या जो सब्सिट्यूट उपलब्ध होगा।
डॉक्टर आपको नही बतायेगा, दवा कैसे लेनी है।यह बात दवा देने वाला फार्मिस्ट आपको जरूर बता देगा।कहीं डॉक्टर ने कोई टेस्ट लिख दिया,तो फिर लैब वाला और भी महाशय अल्ला।ऐसे बात करेगा