Vivek you tolerated a lot! - 24 in Hindi Detective stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 24

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विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 24

अध्याय 24

मेटरनिटी वार्ड के पास विवेक और विष्णु के जाते समय....

ट्रॉली को दखेलते हुए एक नर्स दिखाई दी।

"स्टाफ नर्स पुष्पम कहां है?"

"रेस्ट रूम में सो रही हैं सर! अभी देख कर आ रही हूं...." - कहकर नर्स चली गई.... विष्णु गुस्से में आया।

"देखा बॉस? सब काम कर करा कर.... बिल्ली जैसे सो रही है...!"

"कल से उसको नींद बंद । रेस्ट रूम कहां है देखो....!"

"देख लिया बस। वह वहां....!"

बरामदे के कोने के रेस्ट रूम के पास गए। दरवाजा उड़का हुआ था।... उसे धीरे से धक्का दिया।

अंदर -

मेज पर सिर रखकर हाथ का तकिया बना कर सो रही थी पुष्पम।

विष्णु उसके पास जाकर धीमी आवाज में "सिस्टर....!"

जवाब नहीं आया।

दो बार धीरे बुलाने पर भी... आवाज नहीं आई तो उसके कंधे को हाथ से हिलाया।

पुष्पम के सिर को सीधा करके देखा नाक से खून आ रहा था जान निकल गई थी।

"अरे विष्णु यह क्या है?"

"यही तो मेरे समझ में नहीं आ रहा है! हाथ में एक लेटर जैसा दिख रहा है बॉस!"

"निकाल देखते हैं!"

विष्णु ने निकाला।

एक सफेद लंबे कागज पर दोनों तरफ लिखा हुआ था।

विष्णु ने जोर से पढ़ा।

सुरक्षाकर्मी,

मेरी आत्महत्या के लिए इस पत्र के पहले लाइन में ही मैंने बता दिया। यह मैंने अपने आप को हत्या का दंड दिया। पुलिस मुझे पकड़े उसके बाद.... मैं छुपू यह मेरी इच्छा नहीं है।

जो-जो हत्याएं हुई है, अब कल होने वाले हत्या उसमें मैं भी एक कारण हूं। एक्स डी.जी.पी. बालचंद्रन, राजनीतिक मदुरई वेंदन, डॉ अमरदीप - इन तीनों के हृदय की जगह पत्थर होगा क्या ? इस सोच में ही हमने उनकी ओपन हार्ट सर्जरी करने का तय किया।

बालचंद्रन, मदुरई वेंदन दोनों में हृदय को तो.... निकालकर उस जगह पर एक पत्थर रखा। कल डॉ अमरदीप का ह्रदय है या नहीं देख लेंगे। इन तीनों को यह दंड क्यों! आप पूछ सकते हैं।

यह आपका जवाब आ रहा है।

एक्स डी.जी.पी. बालचंद्र पुलिस डिपार्टमेंट में काम करते समय भी सही.... अपने पद से रिटायर होने के बाद भी.... बहुत सारे गैर कानूनी काम करके बहुत सारी संपत्ति जमा कर ली थी। देश विरोधी शक्तियों और विदेशियों से संबंध रखा। बड़े होशियारी से अपनी पत्नी की हत्या एक्सीडेंट से करवा दिया। कई लड़कियों से संबंध बनाए रखा।

कोच्चि में उनका एक छोटा घर है। उनकी एक लड़की भारवी है। भारवी 32 साल की है। उसकी इस कम उम्र में ही दोनों किडनी खराब हो गई। अमरदीप से बोला इनको किडनी ट्रांसप्लांट करना पड़ेगा। भारवी का ब्लड ग्रुप ए.बी. नेगेटिव था। यह ग्रुप बहुत कम मिलता है.... इसलिए भारवी को किडनी मिलना बहुत बड़ी समस्या हो गई।

उसी समय पोरको नामक युवा.... उसे अक्सर आने वाले सिर दर्द के बारे में अमरदीप से ट्रीटमेंट कराने आए। पोरको का परीक्षण करने से डॉक्टर को उसका खून का ग्रुप एबी नेगेटिव मालूम हुआ। पता लगते ही वह उत्साहित हो गए। उन्होंने समाचार बालचंद्रन को दिया। एक बड़ा अमाउंट ट्रांसफर हुआ। उसके कारण साधारण सर दर्द कहकर आए पोरको को स्क्रॉल सायप्रो नामक वायरस ने आप पर अटैक किया है ऐसा कह के एक झूठा स्कैन रिपोर्ट तैयार किया...

पोरको के पूरे कुटुंब को.... विश्वास दिला कर ऑपरेशन के नाम पर पोरको की दोनों किडनियों को निकाल कर भारवी को लगा दिया।

डॉक्टर के मित्र मदुरई वेंदन के बेटे कुमारन को लिवर की जरूरत थी....पोरको के लिवर को निकालकर उसे कुमारन को लगा दिया। इसके लिए उनको एक बहुत बड़ा अमाउंट मिला। इन तीनों के पास मानवता ही नहीं थी...पोरको का पूरा परिवार इस पृथ्वी से गायब हो गया। मैंने इस पत्र में जो बातें बताई है वह 6 महीने पहले ही हो गया था। परंतु मुझे जब यह सच सिर्फ 3 महीने पहले ही पता चला। मालूम होते ही... अंदर ही अंदर मैं तड़पती रही। उन तीनों जनों को मैंने दंड देने की सोची।

उसी समय चेन्नई में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन हुआ। उस आंदोलन में मैं भी शरीक हुई। अगले 24 घंटे के अंदर मुझे पांच जनों से मेरी गहरी दोस्ती हो गई। वे मेरे बहुत नजदीक हैं। उसमें एक डॉक्टर हैं। हम पांचों जनों ने 'मनुष्य' के नाम पर संस्था बनाई। मनुष्य का नाम रख कर... जिसमें मनुष्यता नहीं है उन मनुष्यों का शिकार करते हैं ऐसा हमने फैसला किया। हमारे पहले लिस्ट में बालचंद्रन, मदुरई वेंदन, अमरदीप इन नामों को लिया। दो जनों का शिकार कर लिया। कल रात के अंदर डॉ अमरदीप के शरीर में हृदय की जगह पत्थर मिलेगा। मैं अभी नहीं हूं तो भी वह 'आदमी' संस्था बहुत जल्दी अपनी दूसरी लिस्ट तैयार करेगी। शिकार जारी रहेगा। मेरे मित्र लोग पक्का पुलिस के हाथों नहीं आएंगे।

उनको एक पुण्य काम 'मनुष्य' करने के लिए मेरी शुभकामनाएं!

भवदीया

पुष्पम

विष्णु पत्र को जैसे पढ़कर खत्म किया.... विवेक ने एक दीर्घ-श्वास छोड़ा और बोला।

"यह पुष्पम नहीं.... तूफान थी।"

"बॉस ! डॉ अमरदीप कल पत्थर के साथ पोस्टमार्टम होने के पहले वह 'मनुष्य' संस्था में से छुड़ा सकेंगे...?"

"सकेंगे..."

"कैसे बॉस?"

"पुष्पम के आत्महत्या को इस एरिया के पुलिस स्टेशन में बताने के बाद मेरे साथ रवाना हो..."

"कहां बॉस?"

"पहले पुलिस स्टेशन को फोन करो बाद में..."

विष्णु ने अपने सेलफोन को निकाला।

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