Vivek you tolerated a lot! - 20 in Hindi Detective stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 20

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विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 20

अध्याय 20

डॉ. अमरदीप के सामने बैठी.... अधेड़ उम्र की महिला एक तेज़ आवाज में बोल रही थी। रात 9:00 बज रहे थे।

"वेरी सॉरी टू से दिस... आपके पति का यह बहुत रिस्की ऑपरेशन है। ऑपरेशन का सक्सेस रेट 30% ही है। ऐसे सक्सेस रेट कम वाले ऑपरेशन करना मैंने छ: महीने से बंद कर दिया...."

"वह मुझे मालूम है डॉ....! छ: महीने पहले आपका जो ऑपरेशन असफल हुआ... उस पेशेंट की पूरी फैमिली आपके सामने ही आत्महत्या कर के मर गई जिसको मैंने अखबार में पढ़ा और टीवी में भी देखा था। ऐसे ही मानसिकता सबकी होती हैं आप सोचते हैं यह गलत है!

"हम जो जीवन जी रहे हैं वह विश्वास के कारण ही जी रहे हैं। मेरे पति का ऑपरेशन आप करिए डॉक्टर...! उसका अंत कुछ भी हो मैं स्वीकार कर लूंगी।"

"वेरी वेरी सॉरी.... मैंने जो डिसिजन ले लिया सो ले लिया। आप अपने पति को डॉक्टर ज्ञान मूर्ति के पास ले जाइए। ही इज एक्सपर्ट इन लेप्रोस्कोपी सर्जरी !"

"इट्स ओ.के.!" कहकर.... अपने कंधों को उचकाकर वह अधेड़ उम्र की महिला कुर्सी पर से उठ रही तभी....

नर्स पुष्पम अंदर आई।

"डॉक्टर मिनिस्टर के घर से कार आ गई। मिनिस्टर को 2:00 बजे की फ्लाइट पकड़कर दिल्ली जाना है। आप तुरंत आकर उन्हें देखें..... आप आकर उन्हें देखें तो ठीक है ऐसा उनके पीए ने तीन बार फोन कर दिया।"

"उनकी क्या समस्या है ?"

"फूड प्वाइजन बोले।"

"मेरे मेडिकल किट को निकालो.... उसमें आरणीओ, गुलाब- टी गोलियों को भी निकाल कर रखो। इन लोगों के शहर में और डॉक्टर नहीं है....? मुझे टॉर्चर करते हैं...! कितनी आउट पेशेंट बाहर खड़े हैं देखो...."

बडबडाते हुए डॉ अमरदीप बाहर आए।

इंतजार कर रहे पेशेंटों के बीच में चलकर -

पोर्टिको में खड़े उस गाड़ी में चढ़ गए।

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