अध्याय 17
विवेक जयहिंदपुरम एरिया में मदुरई वेंदन के बंगले में उनके कमरे में थे। उनके के पास में सेंथिल, कुमारन थे।
सेंथिल बोल रहे थे।
"सर! अप्पा के कमरे में धार्मिक पुस्तकें ही होंगी। उनको आडंबर बिल्कुल पसंद नहीं। इस कमरे में उन्होंने ए.सी. भी नहीं लगवाया।
"वह सब ठीक है सेंथिल....? आपकी अम्मा ने ऐसा क्यों बोला ? उनकी हत्या का कौन जिम्मेदार है मालूम नहीं। परंतु उनकी ऐसी हत्या जरूरी थी बोलने का क्या कारण था?"
"सर....! अप्पा शुरू के दिनों में इस जयहिंदपुरम एरिया के एक राउडी थे। अधिक ब्याज पर रुपया उधार देते थे। वापस रुपये यदि समय पर नहीं आया तो.... कर्जदार के घर पर जाकर तमाशा खड़ा कर देते। पंचायत में गलत-गलत फैसला देते थे। हमारी अम्मा को उनसे बिना मर्जी के शादी करनी पड़ी थी ।
"अप्पा के चाल-चलन उनका व्यवहार उन्हें पसंद नहीं। धीरे-धीरे अप्पा ने अपने राउडी रवैये को छोड़कर अम्मा के साथ अपना जीवन-यापन ठीक से करने लगे। फिर भी अम्मा का मन नहीं बदला। इसीलिए अम्मा ने अपने दु:ख में कुछ शब्दों को कह दिया...."
विवेक कमरे के सामानों की एक-एक चीजों को ध्यान से देखता हुआ पूछा।
"अप्पा सेलफोन यूज नहीं करते थे तुमने बोला। दूसरे शहर जब वे जाते थे तो वे तुम लोगों से कॉन्टैक्ट कैसे करते थे ?"
"किसी पब्लिक बूथ से बात करते थे।"
"कल शाम को तुम्हारे अप्पा मदुरई वेंदन कितने बजे घर से रवाना हुए ?"
"करीब 6:00 बजे।'
"तिरुमंगलम के पास अपने पार्टी के आदमी की शादी में सम्मिलित होने गए थे ना ?"
"हां.... सर! अप्पा अपने रिश्तेदारों के घर की शादी में भी नहीं जाते। परंतु... अपने राजनीतिक दल के सदस्यों के घर पर कोई भी फंक्शन हो वे जरूर जाते थे ।"
"बाहर जाकर.. फिर कितने बजे घर पर उन्होंने फोन किया ?"
"8:00 बजे..? तिरुमंगलम के बूथ से फोन किया?"
"किसने फोन अटेंड किया ?"
"मैंने सर !"
"क्या बोले ?"
"फंक्शन खत्म हो गया मैं रवाना हो गया.... रास्ते में एक काम है। उसे देखता हुआ रात को 10:00 बजे तक आ जाऊंगा। माँ से बोलने के लिए कहा।"
"वह कौन सा काम है बताया क्या ?"
"नहीं बताया।"
"आपने भी नहीं पूछा ?"
"नहीं पूछा सर ..."
"कौन सा काम होगा तुम्हें पता है क्या ?"
"नहीं मालूम सर !
"टेलीफोन बूथ से तुम्हारे अप्पा ने तुम्हारे मोबाइल पर फोन किया.... या... घर के लैंडलाइन पर किया ?"
"घर के लैंडलाइन पर किया सर !"
"घर के लैंडलाइन में आई.टी कॉलर है ?"
"है सर....!"
"उसे देखना है...!" विवेक ने बोला.... सेंथिल हॉल में जो टेलीफोन था उन्हें वहां ले गया।
"कल रात को 8:00 बजे तुम्हारे फादर तिरुमंगल से किसी एक टेलिफोन बूथ से फोन किया था आपने बोला था ना...? उस टेलिफोन बूथ के नंबर को मुझे ट्रेस करके एक पेपर पर लिख कर दीजिएगा..."
"वह क्यों.....?"
"प्लीज... मुझसे क्रॉस क्वेश्चन मत करिए। एक छोटा सा हथौड़ा बड़े-बड़े पत्थरों को तोड़ने में मदद करता है.... कोई छोटी-छोटी बातें इस केस में मदद कर सकते हैं।"
"ओ.के सर.. !"
ऐसा बोल कर सैंथिल टेलीफोन मे से आई.टी कॉलर को ट्रेस करके बूथ के नंबर को ढूंढ कर... एक पेपर पर लिख कर दिया। एक थैंक्स बोल कर उसे लेकर पढ़कर... शर्ट में विवेक ने रख लिया.. हॉल के बराबर में एक कमरा था उसे देखने लगा।
"यह किसका कमरा है ?"
"मेरे छोटे भाई कुमारन का रूम..."
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