Kaisa ye ishq hai - 59 in Hindi Fiction Stories by Apoorva Singh books and stories PDF | कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 59)

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कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 59)

शोभा जी ने प्रशांत से कहा और अर्पिता के सर पर हाथ रखते हुए बोली,अब तुम न ही चरित्रहीन ही और न ही बदचलन!अब बस इस परिवार की बहू हो।जिसका मान सम्मान अब तुमसे जुड़ चुका है अब से तुम्हारे द्वारा चला गया हर कदम तुम्हारे व्यक्तिगत जीवन के साथ हमारे परिवार को भी प्रभावित करेगा
जी ताईजी हम पूरा ध्यान रखेंगे अर्पिता ने कहा।

प्रशांत इसे घर ठहरा देना मैं इसका समान भिजवाती हूँ जब बारात निकले तब इसे साथ ले आना।लेकिन घर के अंदर नही बाहर!ग्रह प्रवेश होने पर ही मैं इसे अंदर ले कर जाउंगी। समझ गये न शोभा ने कहा तो शान ने हां में सर हिलाया!

चलते हुए शोभा मुड़ी और प्रशांत के पास वापस जाकर बोली वैसे ये शान नाम भी अच्छा है। ये सुन शान हल्का सा मुस्कुरा दिये।

शोभा और नृपेंद्र जी वहां से चले जाते है उनके जाने के बाद शान और अर्पिता ठाकुर जी और राधे रानी को प्रणाम करते हैं।

शान :- घर चले अर्पिता!
अर्पिता कुछ नही कहती और आगे बढ़ कर गाड़ी में बैठ जाती है।
उसकी ये हरकत देख शान मन ही मन सोचते है शान बहुत ज्यादा मेहनत लगने वाली है अर्पिता को मनाने में।शान भी आकर गाड़ी में बैठ जाते है।अर्पिता शान के पास वाली सीट पर न बैठ पीछे बैठी हुई है ये देख शान बोले,अप्पू वहां क्यों बैठी हो यहां आगे आओ मेरे पास!

अर्पिता ने आँखे तरेरी और दो शब्द बोली 'घर चलो'
अर्पिता की बाते सुन शान बोले, " शान तुम दुनिया के पहले इंसान हो जिसकी शादी भी उसकी मर्जी से उसके प्यार से हुई है लेकिन वो प्यार शादी के तुरंत बाद ही मुंह फुलाये बैठा है"! शान की बाते सुन, शान की ओर देखते हुए अर्पिता बोली,अभी हम सड़क पर है इसीलिए हमारी खामोशी का फायदा उठाया जा रहा है आपको तो हम घर पहुंच कर बताते हैं।कहते हुए वो फिर चुप हो जाती है और खिड़की के बाहर देखने लगती है।

अब तो तुम्हारा टॉर्चर सहना ही पड़ेगा अप्पू!अब तो मैं बच के कहीं जा भी नही सकता परिंदा चाहे घर से कितनी ही दूर उड़ जाये लौट कर उसे घर ही आना है।अर्पिता का मूड ठीक करने के लिए शान खुद से कुछ गुनगुनाने लगते हैं

छोड़ो भी ये गुस्सा अब मान भी जाओ न
छोड़ो भी ये गुस्सा अब मान भी जाओ न

मानी मैंने गलती अब मान भी जाओ न।
छोड़ो भी ये गुस्सा अब मान भी जाओ न।

देखो इस मौसम को हाय कितना है सुहाना
चलो इस मौसम की कोई धुन सुनाओ न
छोड़ो भी ये गुस्सा अब मान भी जाओ न।

तुम जब से रूठी हो मुझसे ये दुनिया भी रूठी है
जब तुम मानो तो ये दुनिया भी मान जाये ना
छोड़ो भी ये गुस्सा अब मान भी जाओ न।
भूल के सारा गुस्सा अब तो मुस्कुराओ न
छोड़ो भी ये गुस्सा अब तो मान भी जाओ न।

शान के गाने के बोल सुन अर्पिता ने अपने मुंह पर हाथ रखा और मुस्कुराई लेकिन जल्द ही बनते हुए फिर सख्त हो बैठ गयी।

वहीं शोभा नृपेंद्र जी एक दूसरे से बातचीत करते हुए घर पहुंचते है।प्रेम छाया(मासी की लड़की) को लेकर आ चुके हैं।बारात निकालने के लिए सभी शोभा का ही इंतजार कर रहे हैं। शोभा आई और मुस्कुराते हुए सबसे बोली, बस अब कुछ देर और मैं अभी आती हूँ फिर रस्मे शुरू करते हैं।शोभा ने श्रुति को देखा उसे अपने पास बुला कर उससे बोली, "अर्पिता का कुछ समान पैक कर लो और हमारे दूसरे घर जाकर रख आओ वो वहीं है।

जी मामी श्रुति बोली और अर्पिता के कमरे में चली जाती है वहां उसका सारा समान पैक कर अर्पिता के पास जाने के लिए निकल जाती है।वहीं शोभा राधु स्नेहा और कमला मिलकर परम को तैयार कर लेती है।और बाकी सब भी तैयार होने लगती है।

शीला बार बार दरवाजे की ओर देखती है।प्रशांत को अब तक आया न देख वो शोभा के पास गयी और उससे बोली, "जीजी प्रशांत कहां है बारात में उसे भी तो जाना है"!

शोभा धीमे लेकिन स्पष्ट स्वर में शीला से बोली:- शीला बारात खुशी और उल्लास का प्रतीक होती है लेकिन तुमने प्रशांत की खुशी और उल्लास की वजह ही छीन ली तो भला वो बारात में जाकर क्या करेगा।

जीजी मैंने वही किया जो सही है!एक चरित्रहीन लड़की मेरी बहू नही बन सकती।शीला बोली।

शोभा भी तुरंत नहले पर दहला मारते हुए बोली और चरित्र हीन तुम्हारा बेटा भी तो है शीला ,अकेले अर्पिता से तो कुछ हुआ नही होगा!ताली दोनो हाथो से बजती है शीला समझी या नही!और मैं चेताये दे रही हूँ अब उस लड़की के बारे में मैं एक भी गलत शब्द नही सुनूँगी।शोभा उठी और राधु के पास जाकर बोली, राधिका एक बार और सोच लो तुम्हे चलना है या नही!मुझे नही लगता इस अवस्था में तुम्हारा जाना ठीक रहेगा किरण को हम यहीं लाएंगे तब तुम बाकी रस्मो में शामिल हो जाना।

ठीक है मां जैसा आप ठीक समझे राधिका ने कहा।
यो शोभा मुस्कुराते हुए बोली "गुड!ये हुई न बात"!

वहीं दूसरी ओर प्रशांत अर्पिता को लेकर प्रेम के घर पहुंच चुके हैं।शान गाड़ी से उतर कर अर्पिता को घर के अंदर ले जाते हैं।पूरा घर खाली पड़ा होता है सभी छोटे की बारात निकलने की खुशी में मग्न होते है।अंदर पहुंचते ही अर्पिता सीधी साधी लड़की के गेटअप से निकल कर एक दम झलकारी बन जाती है और आस पास चारो ओर नजरे घुमाती है तो हॉल में रखी पतली सी स्टिक दिख जाती है।

"अब रुको आप शान बहुत तंग किया है आज आपने हमे सबका प्रतिकार हम सूद समेत लेंगे बचो अब आप शान" कहते हुए अर्पिता तेज कदमो से जाकर वो स्टिक उठाती है और शान की ओर आती है, अर्पिता को देख शान पूरे हॉल में दौड़ने लगते है और कहते है बाप रे,सच में मैं दुनिया का पहला ऐसा इंसान हूँ जो शादी के दिन ही अपनी बीवी से डंडे से मार खायेगा!अप्पू कुछ तो रहम करो किसी ने देख लिया तो मेरी इज्जत का तो कचरा हो ही जायेगा लेकिन तुमसे भी यही कहेगा देखो कैसी बीवी है बेचारे पति का डंडे से स्वागत कर रही है।अप्पू नही,अप्पू रहने दो न इसे रख दो देखो मैं ज्यादा देर तक उछल कूद नही कर पाऊंगा प्लीज पहले दिन तो रहम करो ।

क्यों करे हमे ब्लैकमेल करने से पहले आपने सोचा एक बार भी!आपके तो हाथ में ब्लड भी निकल आया था हम कितना डर गये थे।पहली बार आपका गुस्सा और आपकी जिद एक साथ देखी।बताओ ऐसा भी कोई करता है हमने हां नही करी तो आप खुद को ही नुकसान पहुंचाओगे।कल को अगर हम न रहे फिर आप क्या हमारे पीछे पीछे गोलोक में आएंगे!

अर्पिता की बात सुन शान रुक गये और हाथ आगे कर बोले तुम्हे मारना है न मार लो जितना मारना है, डाँटना है तो डांट लो लेकिन बस ये कभी छोड़ कर जाने की बात न करना।।मैं मानता हूँ जीवन का कोई भरोसा नही है लेकिन जितने भी पल हम साथ जिए उन्हें हम में जिए न तुम और न मैं केवल हम!

ठीक है नही करेंगे ऐसा!लेकिन इसका अर्थ ये नही है कि हम आपसे नाराज नही है! हम नाराज अभी भी है।अर्पिता बोली और सोफे पर जाकर बैठ गयी।

ठीक है तो तुम नाराज होकर बैठो मैं चला भाई के कमरे में फ्रेश होने।अब तुम्हे मनाने के तरीके वहीं बैठ कर सोचूंगा!ठीक है बाय स्वीटहार्ट!कहते हुए शान प्रेम के कमरे की ओर बढ़ जाते है।

अब हम क्या यहां बैठ कर दीवारों से बातें करे शान!हमारे तो कपड़े भी यहां नही है जो हम चेंज भी कर लेते।अर्पिता बुदबुदाई।तभी दरवाजे की घण्टी बजती है।लगता है ताईजी ने किसी को हमारा समान लेकर भेज दिया है सोचते हुए अर्पिता उठकर दरवाजा खोलती है।सामने श्रुति होती है जो अर्पिता को देख हैरान हो कहती है "अर्पिता ये तुमने कब किया मुझे बताया भी नही" यार सुबह तो तुम मुझे कैसी मिली और अब दुल्हन के लिबास में!और तुम यहां क्या कर रही हो?
श्रुति की बात सुन अर्पिता बोली, "हम क्या बताये अपने भाई से पूछो जो प्रेम भैया के कमरे में है।हम किसी से कुछ न कहने वाले जाओ उनसे ही पूछो?

भाई से मतलब प्रशांत भाई से, वो यहां क्या कर रहे है?मुझे कुछ समझ नही आ रहा है मामी ने मुझे यहां तुम्हारा सामान छोड़ जाने को कहा था लेकिन तुम्हे यूँ देख मैं सकते में हूँ यार!यूँ चन्द घण्टो में किससे शादी कर ली तुमने।

श्रुति मेरी प्यारी सहेली हमसे नही अपने भाई से पूछो उनसे सारे सवालो के जवाब लो। पूछना उन्होंने क्यों किया ये, जाओ जाओ वो अंदर कमरे में है।

श्रुति मतलब मैं तुझे चोरनी सही बोलती हूँ यार तूने तो सच में मेरे भाई को ही चुरा लिया चलो।अच्छा नही बहुत अच्छा हुआ अब तुम मुझसे दूर कहीं नही जाओगी।श्रुति ने खुश होते हुए कहा जिसे देख अर्पिता बोली तुम खुश हो हमे जानकर अच्छा लगा श्रुति।।लेकिन हमारे ख्याल से ये बात अभी अपने तक ही रखो जब तक शोभा ताईजी कोई रास्ता नही निकाल लेती।

इसका मतलब वो तुम्हारी शादी के बारे में जानती है।श्रुति ने हैरान हो कर पूछा।

अर्पिता बोली :- हां उनके ही आशीर्वाद से ये शादी सम्पन्न हुई है।
श्रुति :- ओके ठीक है फिर तो फिर शादी के लिए बहुत बहुत बधाई अप्पू!अब मैं भाई से मिलकर उनसे कुछ गिफ्ट लेकर आती हूँ कहते हुए श्रुति अंदर चली जाती है।

अर्पिता भी नीचे ही गेस्ट रूम देख उसमे जाकर तैयार होने चली जाती है।शान के पसंदीदा रंग की साड़ी और जैसा उन्होंने बताया वैसी ही गोल्डन ज्वैलरी,चूड़ियों से भरी कलाई,गले में मंगलसूत्र और मांग सिंदूर से सजी हुई जिस के ऊपर मांग टीका खूब सज रहा है।बाल खुले रखे है।श्रुति प्रशांत से बात कर बाहर आ वापस चली जाती है।शान भी उसके पीछे पीछे आ जाते है।श्रुति के जाने के बाद सारा समान समेट अर्पिता भी बाहर चली आती है।
शान अर्पिता को देख उसके पास आकर उसके कानो में धीरे से कहते है, इतना खूबसूरत होना भी अच्छा नही है अप्पू, मेरी नजर ही नही हट रही है तुमसे।अर्पिता कुछ नही कहती और दूसरी ओर पलट हल्का सा मुस्कुरा देती है।

लेकिन इन बालो को सँवार लो खुले हुए रखोगी तो नजर लग जायेगी इन्हें!शान ने अपने चिर परिचित अंदाज में कहा।

अर्पिता ने शान का हाथ पकड़ा और गेस्ट रूम में ले जाकर आईने के सामने जाकर छोड़ दिया और कॉम्ब आगे कर देती है।

ये तो गलत है अप्पू,एक गलती की इतनी सारी सजाएं नही अब बस भी करो बहुत हो गया!देखो मुझसे तुम्हारी चुप्पी बर्दाश्त नही हो रही।मैं तुमसे बात कर रहा हूँ अप्पू!कुछ तो बोलो मुझसे।मैंने जो किया वो आवश्यक था अर्पिता नही तो न तुम चैन से रह पाती और न मैं सुकून से दो पल कहीं बैठ पाता।शान अर्पिता के बाल संवारते हुए बोले।

अर्पिता ने कुछ सोचा मोबाइल उठाया और उसपर एक संदेश टाइप कर के शान को सेंड कर पढ़ने का इशारा कर दिया।

हम्म कहते हुए शान ने फोन उठाया और अर्पिता का संदेश पढ़ा, 'अब प्रेमिका नही बीवी हैं हम, तो बीवी के नखरे भी झेलिये☺️'! ये संदेश पढ़ शान बुदबुदाये 'ये मेरी पगली,पगली से सयानी कब बन गयी'।

अब कुछ स्पेशल सोचना ही पड़ेगा बुदबुदाते हुए शान कमरे से निकल जाते हैं।उनके जाने के बाद अर्पिता बोली हमे धमकी थी न ब्लैकमेल किया था हमे अब भुगतो परिणाम शान!अब तंग करना तो बनता है वैसे हम आपसे नाराज नही है नाराजगी की कोई ठोस वजह नही है लेकिन हमे आनंद आ रहा है आपको तंग करने में।वैसे बाल भी अच्छे खासे संवार दिये है आपने अब इनमे हम फूलो का परांदा लगाएंगे अच्छे लगेंगे।

अर्पिता सोचते हुए बाहर आती है।बाहर शान को न देख घबराते हुए सोचती है ये हमे यहां अकेला छोड़ कर तो नही चले गये।वो बैचेन हो वहीं सोफे पर बैठ जाती है कुछ देर बाद शान आते हुए दिखाई देते है उनके हाथो में एक पॉलीथिन होती है वो अर्पिता के पास जाते है और नीचे जमीन पर बैठ उसका हाथ थाम कहते है अप्पू मैंने तुम्हारे लिए कुछ लिया है तुम प्लीज ये नकली गुस्सा छोड़कर मेरी असली भावनाओ को समझने की कोशिश करना।कहते हुए वो पॉलीथिन में से एक बॉक्स निकालते है और अर्पिता की ओर बढ़ाते हुए कहते है ये शादी के बाद मेरी पगली के लिए, मेरा पहला तोहफा .!देखो शायद तुम्हे पसंद आये!शान ने कहा तो अर्पिता बोली "तोहफा हमारे लिए देखे क्या लाये है आप" कहते हुए वो उस बॉक्स को ओपन करती है उसमे रखे तोहफे को देख अर्पिता के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान आ जाती है और वो खुशी से कहती है शान ये पायल बेहद खूबसूरत हैं।ये बिल्कुल उन पायलों की जैसी है जो हमे मॉल में बहुत बहुत पसंद आई थी।शान बोले, " जानता हूँ तभी तो मैंने इन्हें जब देखा तो सो सोचा तुम्हे जरूर पसंद आएंगी और फिर इन्हें दोगुना दामो में वहीं खरीद लिया।तब जाकर मुझे ये मिली हैं" तुम्हारे चेहरे की मुस्कान देख अब लग रहा है कि पूरी मेहनत सार्थक हो गयी।

इतना प्रेम शान!कभी कभी तो हम डर जाते है शान! कहीं इस प्रेम को किसी की नजर न लग जाये।अर्पिता चिंतित सी बोली।

तो मुझे माफ किया अप्पू!शान बोले।
'हां!वो तब ही कर दिया था बस थोड़ा तंग कर रही थी' आपको अर्पिता बोली जिसे सुन शान अपना सर पीटते हुए बोले "इसे तंग करना कहते है अप्पू"!

अर्पिता खड़ी होती है और दौड़ते हुए कहती है "हां शान इसे ही तंग करना कहते है"।

फिर तुम रुको, मेरा जी तबसे हलक में अटका पड़ा था और तुम्हे मस्ती सूझ रही थी अब नही छोडूंगा तुम्हे अब बच कर कहां जाओगी!शान रुकते हुए बोले!

अर्पिता (स्माइल करते हुए):- तो क्या करते हम अब हमे कोई ब्लैकमेल करे और हम यूँ ही देखते रहे शान?

शान :- नही अप्पू!देखना नही था लेकिन यू तंग करना भी नही था।शान आगे कुछ बोलते तब तक शोभा का फोन आ जाता है तो वो रुकते हुए कहते है चलते हैं अप्पू, बारात निकलने का समय हो गया है।

अर्पिता, ठीक है एक मिनट रुकिए शान!कहते हुए अर्पिता अपनी साड़ी,ज्वैलरी चोटी सब एक बार फिर सम्हालती है और शान की ओर देखती है तो शान उसे 👌 कर देते हैं।चलिये अब अर्पिता ने कहा।

शान :- ऐसे कैसे मेरा गिफ्ट तो बेचारा वहां पड़े हुए इंतजार कर रहा है कह रहा है कि कोई आये और मुझे पहन ले! बताओ ये क्या बात हुई।

शान की बात सुन अर्पिता हंसते हुए बोली, आप इतनी बातें भी करते हैं शान हमे इस बारे में पता ही नही था।

शान :- हम्म मैं करता नही था लेकिन तुमने सिखा दिया अप्पू! खैर अब बातें बाद में अभी तुम यहीं रुको मैं पायलें लेकर आता हूँ,कहते हुए शान आगे बढ़े और सोफे पर रखी पायलों को उठाकर नीचे बैठ अर्पिता को खुद ही पायल पहनाने लगे!

अब चलो अप्पू!शान ने उठकर कहा और आगे बढ़ गये।बाहर खड़ी गाड़ी में दोनो बैठ कर सबके पास जाने के लिए निकलते है एवं घर के पास पहुंच शान बोले अप्पू अब तुम यहीं इंतजार करो,मैं जरा सबको लेकर आता हूँ।'ठीक है शान' अर्पिता बोली और गाड़ी से उतर जाती है।राधिका को आता न देख परम जिद कर प्रेम को साथ ही ले आता है।राधिका के साथ शीला और कमला दोनो घर ही रुक जाती हैं।शोभा प्रेम परम तीनो शान के साथ गाड़ी में बैठते हैं एवं बाकी बाराती बस में लखनऊ के लिए निकल जाते हैं।

शोभा :- प्रशांत! अर्पिता कहां है उसे कहां छोड़ आये तुम?

ताई जी वो रही सामने देख लीजिये?शान ने सामने इशारा करते हुए कहा।प्रेम और परम दोनो ने सामने देखा तो हैरान होते हुए बोले मां!ये कब हुआ?

शोभा (मुस्कुराते हुए) :- ये कुछ देर पहले हुआ।

शान गाड़ी रोक देते है तो अर्पिता गाड़ी के पास आकर रुक जाती है।शोभा जो प्रेम के साथ पीछे बैठी होती है प्रेम से आगे बैठ ड्राइव करने को कहती है शान को पीछे बुला लेती है।

परम जो अभी तक शॉक्ड है वो कभी अर्पिता तो कभी प्रशांत को देख रहे है वो प्रशांत से कहता है आपकी अर्पिता की शादी हो गयी और आप इतने खुश है क्या सदमा लग गया आपको?

प्रशांत मुस्कुराते हुए बोले 'नही छोटे! मैं खुश हूँ जो मेरा था वो मेरा ही है''।

मतलब आपकी..और ..परम ने हैरानी से कहा।
हां छोटे।शान बोले और उठकर पीछे आ गये।एवं गाड़ी मे शोभा के एक तरफ बैठ गये तो अर्पिता शोभा की दूसरी ओर बैठ जाती है।प्रेम जी गाड़ी दौड़ा देते हैं।

परम राधु को फोन लगा लेता है और कहता है भाभी आप बिल्कुल उदास मत होना मैं हूँ न हर एक बात लाइव टेलीकास्ट कर आपको बताता रहूंगा।हमे पता है छोटे लेकिन फिलहाल ये काम आप अपने भाई को करने दो आप अपनी शादी एन्जॉय करिये।बात कराओ उनसे जरा! परम फोन स्पीकर पर डाल देते है तो सब राधु से बाते करते हुए सफर पर आगे बढ़ रहे हैं।

रात हो जाती है और सभी निर्धारित स्थल पर पहुंचते हैं।शोभा अर्पिता को अपने साथ सबके पास ले जाती है।तो परम प्रेम और शान तीनो वहीं गाड़ी में बैठे रहते है प्रेम और परम दोनो शान को छेड़ने लगते हैं।

बारात में आये सभी व्यक्ति अर्पिता को यूँ अचानक से एक सुहागन के वस्त्रो में देख चौकते हुए फुसफुसाने लगते है जिसे देख शोभा सबसे बोली "ये है हमारे परिवार की तीसरी बहु यानी प्रशांत की पत्नी अर्पिता "।शोभा की बात सुन स्नेहा चित्रा सुमित छाया सभी हैरान हो जाते है जिसे देख शोभा बोली अब इसमे इतना हैरान होने वाली कोई बात नही है, भई आज के समय की यही मांग है अगर आधुनिक और पुरानी दोनो सोच में तालमेल बिठा कर नही चलोगे तो रिश्ते टूटेंगे और मनमुटाव भी बढ़ेगा'।जब दोनो बच्चे एक दूसरे को पसंद करते है और फिर सभी गेस्ट यही मौजूद है तो फिर मैंने सोचा लगे हाथ इनकी भी शादी करा ही देते हैं।सो अर्पिता के पेरेंट्स से मिल कर इन दोनो की शादी भी करवा दी।उम्मीद है आप लोग इस बात को समझेंगे।

अर्पिता स्नेहा चित्रा और श्रुति चारो साथ ही रहना मैं अभी आती हूँ।।शोभा ने चारो से कहा और वहां से चली जाती है।अर्पिता और चित्रा ने सेम कलर के कपड़े पहने हुए हैं। बस ज्वेलेरी में थोड़ा सा अंतर है।
बारात आ गयी है ये जान कर हेमंत जी और आरव बारातियो की अगवानी के लिए आते है।

वहीं शान परम और प्रेम के पास से एक तरफ जा कर एक फोन करते है और कहते है, "आप लोग कितनी देर में आ रहे हैं"?

हम यही दरवाजे के पास ही खड़े है किस तरफ आना है बेटे?अर्पिता के पेरेंट्स बोले।

जी आप लोग वहां से दाये जो पहला रूम है वही पहुंचिये मैं आपकी बेटी को लेकर वहीं आता हूँ ठीक है।शान ने कहा और फोन रख वो अर्पिता के पास जाकर खड़े हो उससे कहते है 'मेरे साथ चलो तुम्हारे लिए सरप्राइज है अप्पू' और वहां से चले आते हैं।
अर्पिता सबसे वापस आने का बोल वहां से चली जाती है।शान अर्पिता के साथ चलते हुए कहते हैं देखो मेरे सरप्राइज से भावुक मत हो जाना क्योंकि फिर तुम रोने लगोगी जिससे तुम्हारी ये खूबसूरत आँखे लाल हो जायेगी फिर सब मुझे ही डांटेंगे कि मैंने तुमसे कुछ कहा होगा फिर...!

शान!हमने इतना बोलना नही सिखाया आप तो कुछ ही घण्टो में क्या से क्या हो गये..?अर्पिता ने हैरान होते हुए कहा।

जिसे सुन शान बोले क्या करूँ आज खुशी मन में दब ही नही रही है तो सोचा शब्दो के जरिये ही इसे बाहर निकाल दूँ।

अच्छा शान!दोनो कमरे के पास पहुंचते है जिसे देख शान बोले तुम्हारा सरप्राइज वहां उस कमरे में है जाकर देख लो मैं यहीं खड़े होकर तुम्हारे रिएक्शन का इंतजार करता हूँ।

हम्म ठीक है अर्पिता बोली और अंदर कमरे में चली जाती है जहां वो सामने देख हैरान हो कहती है मां पापा आप, आप यहां !

क्रमशः ...