Wo Ankahi Baate - 5 in Hindi Fiction Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | वो अनकही बातें - भाग - 5

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वो अनकही बातें - भाग - 5




फिर एक घंटे बाद शालू दादर उतर कर अपने मेन ब्रांच पहुंच गई।

नायरा बोली ओह माई गॉड अति सुन्दर।

शालू बोली धन्यवाद आपका।

फिर दोनों हंसने लगी।

फिर मिटिग शुरू हो गया।मिटिग काफी देर तक चला। शालू ने देखा कि समीर का मेसेज आया है।

यौवना अवस्था में जैसे एक लड़की को पहले प्यार का एहसास होता है वैसे ही शालू को होने लगा था।वो मन ही मन मुस्कुरा रही थी।

तभी राजीव पीछे से आकर बोले शालिनी कैसी हो? शालू बोली राजीव जी ठीक हूं।
राजीव बोले लगता है नाराज़ हो।
शालू बोली नहीं तो।

राजीव बोले क्या हम चाय पीने चले?
शालू बोली नहीं मुझे कहीं और जाना है। फिर शालू वहां से निकल गई।

बाहर आते ही समीर का फोन आया और बोला मैं बस अभी पहुंचता हुं।

शालू बोली ठीक है।

फिर समीर की कार आ कर रूका।

समीर उतर कर शालू को हंस कर अभिवादन किया और सामने कार का दरवाजा खोला और अंदर बैठने का इशारा किया। शालू अन्दर बैठ गई ।

फिर समीर भी अपनी सीट पर बैठ गया और शालू को देखने लगा और बोला अरे वाह क्या बात है । अच्छी लग रही हो।।

शालू ने सिर्फ देखा समीर को गाड़ी चलाते हुए । समीर ने पूछा और कहां जाना है?
शालू ने कहा तुम बताओ?

समीर ने बोला चलो पहले लंच करते हैं तुम्हारे पसंदीदा जगह पर। शालू बोली अच्छा।

समीर ने बोला घुर क्या रही हो, मैंने पाली हिल पर रिसोर्ट बुक किया है और हां ओपन प्लेस पर तुम्हें लंच करना अच्छा लगता है। तो हम वहीं चलते हैं।

शालू एक दम चौंक गई और सोचने लगी समीर को सब कुछ याद है।ना जाने कितने पड़ाव बाद आज ओपन प्लेस पर जाऊंगी।

शालू के लिए ये सब बहुत ही खुशनुमा पल था।

समीर बोला मुझे पता था कि तुम क्या चाहती हो। आज बहुत दिनों बाद सुकुन मिल रहा है मुझे। शालू तुम कुछ बोलोगी नहीं।।

शालू बोली ये सब मेरे लिए सपना सा लग रहा है। फिर शालू अपने अतीत में खो गई काश उस रोज अगर मिनल की बात ना मानी होती तो आज मैं सोमू के साथ जिंदगी बिताती। ये किस मोड़ पर हम आ गए और फिर शालू की आंखों से आंसू बहने लगे।


समीर ने कहा अरे अब मुझे भी रूलाओगी क्या ?।। शालू बोली नहीं, नहीं मैं कुछ सोच रही थी।

समीर बोला कभी तो अपनी दिल की बात बोला करो , देखना कितना अच्छा लगता है , अच्छा चलो कोल्ड कॉफी पीने चले ।मुड फे्श होगा। शालू बोली हां चलो।

फिर दोनों एक कैफेटेरिया गए ।समीर ने कोल्ड कॉफी का आॉडर दिया और फिर एक खामोशी के साथ दोनों ही अतीत में खो गए और फिर समीर ने कहा अरे कहां खो गई , शालू ने कहा नहीं कुछ नहीं। फिर दोनों एक दूसरे को देख कर अपना ग्लास खत्म कर दिया।

वेटर ने बिल दिया और समीर ने कार्ड के द्वारा पेमेंट कर दिया और वहां से निकल गए।

समीर बहार निकलते हुए कहा ,रविवार को आ रही हो ना।
शालू बोली आज तो हम मिल लिए।
समीर ने कहा ऐसा मत कहो हम जितना भी मिले कम लगता है और बहुत सारी शिकायत है इस दिल का इस दिल से।

शालू बोली अब इतने बरसों बाद क्या फायदा।।
पुराने जख्मों को कुरदने से।हम तो बरसों बाद मिलें हैं।
समीर बोला मुझे इन्तजार रहेगा , पता है ना मुझे कभी बारसात का मौसम पसन्द नहीं था पर उस दिन से बारिश से मुझे प्यार सा हो गया है जिस दिन तुम मुझे मिली।

शालू ने कहा समीर अतीत में जीना सिर्फ दर्द को बुलावा देने जैसा है।

समीर बोला शालू तुम मुझसे कुछ छुपा रही हो ?

शालू बोली नहीं तो।




फिर कुछ देर में पाली हिल रिसोर्ट आ गया।

शालू का चेहरा खिल उठा था चारों तरफ हरियाली देख कर शालू दौड़ पड़ी।

समीर भी उसके पीछे।। समीर हंस कर कहा इस उम्र में दौड़ाएगी क्या?

शालू बोली अरे डॉ सहाब आप एक डॉक्टर होकर ऐसा बोल रहे हैं।।।

शालू तो जैसे उड़ने लगी उसने कहा समीर तुमने मुझे आज वो दिन दिया है जिसका मैं कब से इंतजार कर रही थी। थैंक यू।

समीर बोला मुझे भी कुछ ऐसा ही लग रहा है।

शालू बोली अरे वाह क्या जगह है मुझे तो यही रहना है। पता है समीर मुझे हमेशा से एक ऐसी जगह की तलाश थी और मेरा एक सपना भी था की एक अपना रिसोर्ट हो और हर छुट्टियां बिताने वहां जाएं ।

तभी समीर बोला अरे वाह मैंने भी ऐसा सोचा था पर जिंदगी में बहुत सारी उथल-पुथल मची थी और फिर तुम भी तो चली गई।
अच्छा चलो पहले थोड़ा सा आराम करते हैं फिर लंच।
शालू बोली ओके।

फिर दोनों रिसोर्ट के मैनेजर के पास जाकर बातचीत करने लगे और फिर रूम सर्विस बाॅय ने रूम की चाबी लेकर रूम खोल दिया। और समीर बोला सरप्राइज देना था तुझे।
शालू ने कहा कितने सालों बाद तु शब्द अच्छा लगा। बहुत सारा अपनापन महसूस हो रहा है।

समीर ने हंस कर कहा मुझे कोई दिक्कत नहीं है,तु बोलने में पर पता नहीं तुझे कैसा लगे।। पर एक बात बताना भुल गया ,हां रुम एक ही मिल पाया है कोई दिक्कत तो नहीं?

शालू बोली तुम मेरे लिए अजनबी नहीं हो कभी हम अच्छे दोस्त थे।

समीर हंसने लगा और फिर बोला सिर्फ अच्छे दोस्त थे क्या?

शालू बोली जाने दो मै वाॅस रुम से आती हुं।

समीर बेड पर लेट गया और उसने अपनी आंखें बंद कर दी। और कुछ देर बाद शालू आ गई और बोली तुम भी फे्श हो जाओ फिर लंच करते हैं मुझे बहुत भुख लगी है।

समीर बोला हां बाबा चलता हुं।पर एक बात तो बताओ तुम्हारा पति कहां है? क्या वो तुम्हारे साथ नहीं रहता?

शालू सुनकर खुब हंसने लगी और एकाएक समीर उसके सामने आ गया और बोला देखो अब तुम मुझे धोखा मत देना वरना इस उम्र में सहन नहीं कर पाऊंगा।

शालू बोली अरे मैंने कहा तुम्हें धोखा दिया वो तो मिनल ने।

समीर बोला क्या मिनल ! हर बार मिनल बीच में आ जाती है यार! मैं और सहन नहीं कर सकता हूं।
शालू बोली देखो अब लंच करते हैं तुम रुही मुझे देखते हो और बार -बार मेरे करीब आ जाते हो मुझे अच्छा नहीं लगता।।

समीर बोला अब बस करो मुझे मेरा दायरा पता है एक गैर मर्द की पत्नी से मैं कहां मोहब्बत कर सकता हूं।

शालू बोली ठीक है। फिर दोनों ओपन प्लेस में आ गए जहां युवा पीढ़ी की भीड़ लगी थी।

शालू को अच्छा लग रहा था। फिर दोनों अपनी बुकिंग की हुई जगह पर बैठ गए।

शालू तो एक सोलह साल की लड़की की तरह अटकलों के साथ अपने में मगन हो रही थी और समीर भी इन पलों को अपने मोबाइल में कैद कर रहा था।

शालू बोली सोमू इतना अच्छा लग रहा है कि।।।

समीर बोला तुम्हारे मुंह से सोमु अच्छा लगा काश ये पल यही थम जाएं। शालू बोली अरे हां बाबा।

समीर बोला आज क्या लंच में खाएं?
शालू बोली अरे तुमको जो पसंद हो?

समीर ने मेनू कार्ड से खाना मंगवाया और फिर दोनों एक दूसरे की आंखों में आंखे डाल कर खाना खाने लगे। और एक युवा प्रेमी युगल की तरह एक दूसरे में खो गए।

फिर दोनों ने देखा कि टेबल में दोनों की प्लेट खाली हो गई थी। शालू बोली अरे खाना कहां गया? और फिर दोनों खुब हंसने लगे।

समीर बोला अरे वाह खाना तो हम दोनो के पेट में गया। शालू फिर हंसने लगी और बोली हाय समीर हम दोनो ने एक दूसरे को तो खिला दिया और खाना ख़त्म।

समीर बोला याद है कालेज के दिनों में हम दोनो एक दूसरे को खिला दिया करते थे फिर हमारी नकल पुरा कालेज करता था।
शालू बोली हां सब याद है।उन दिनों मिनल कुछ ज्यादा ही मेहरबान हुआं करती थी तुम्हारे ऊपर।

समीर बोला अरे हां, मिनल से याद आया, वो फोन कि थी और तुम्हारे लिए पुछ रही थी। कुछ शायद बोलना था उसको पर फोन कट हो गया।

शालू बोली अब उसकी बात मत करो।

समीर बोला कुछ तो अटपटा सा है।

शालू ने कहा पता नहीं पर सोनल को ज्यादा भाव तुम देते थे और इस का फायदा उठाकर वो मुझे परेशान करती थी।

समीर ने हंस कर कहा हां ऐसा था क्या?
सब तो मेरे पीछे आते थे पर मैं तो हमेशा तुम्हारे पीछे रहता था। और फिर तुम लड़कियों का कुछ समझ नहीं आता था सौ नखरे हां, और थोड़ा सा क्या हंस कर बोल लिया तो सब पीछे ही पड़ जाती थी।

शालू ने इतराते हुए कहा हां सोमू तुम तो हीरो थे। समीर ने हंस कर कहा अरे अब नहीं हुं क्या तुम्हारा हीरो??

शालू तो शर्म के मारे उठ गई और बोली मैं आती हूं अभी।
समीर अपनी गाल में हाथ रखकर सोचने लगा कि शालू तुम क्यों नहीं बता पा रही हो जो दिल में है तुम्हारे।।
फिर शालू आकर अपने चुड़ियों की खनखन से समीर को बोली अरे कहां हो मेरे सोमू।
समीर अपने में खोया हुआ था और फिर बोला अरे क्या हुआ।
शालू बोली अरे वाह लगता है दिन में सपना देख रहे हो।
फिर दोनों रूम में चले गए।

क्रमशः