श्री गाली कथा in Hindi Short Stories by Amulya Sharma books and stories PDF | श्री गाली कथा

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श्री गाली कथा

"श्री गाली कथा "

कभी कभी मै इस सोच में पड़ जाता हूँ की आखिरकार गालियों का उद्भव कब और कहाँ हुआ होगा ?कौन होगा वह वयक्ति , जिसने सबसे पहले गाली दी होगी?

अपनी इस जिज्ञासा को शांत करने हेतु मैंने गूगल बाबा की शरण ली तो वह से पता चला की जनाब, गालियाँ तो ज़माने से दी जा रही है । कुछ श्लोको का भी उल्लेख किया गया था। कुल मिला कर या ज्ञात हुआ की यह कला तो सदियों पुरानी है ।

मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि गालियों का प्रभाव और महत्व, उनको देने वाले की आवाज और उच्चारण पर निर्भर करता है । ऊँची आवाज में और खींच-खींच कर दी गई गालियों का शत्रु पर त्वरित प्रभाव होता है और उनका मनोबल टूट जाता है वही धीमी आवाज में दी गई गालियों का कोई ख़ास प्रभाव देखने में नहीं आता ।

गालियों का महत्त्व उनकी मौलिकता में भी निहित है। कल्पनाशीलता के खजाने से निकली किसी मौलिक गाली का प्रभाव , पूर्व प्रचलित गालियों से कही अधिक देखा गया है । जो वीर पुरुष ,जरूरत पड़ने पर विधुत गति से किसी मौलिक गाली की रचना करने में सछम होता है, उसकी लोकप्रियता चारो दिशाओ में फैलती है। गाहे- बगाहे उसे गाली देने हेतु आमंत्रित किया जाता है, जहां वो अपनी मौलिक रचनाओं से धूम मचा देता है। गॉवो में ऐसे लोगो की प्रसिद्धि किसी फिल्म स्टार से कम नहीं होती।

ग्रामीण महिलाओ ने मौलिक गालियों की रचना और उनके प्रयोग पर पी . एच . डी . की हुई होती है। किसी हैंडपंप या कुएं में पानी भरते हुए होने वाली लड़ाइयों में आप ग्रामीण महिलाओ की इस प्रतिभा से परिचित हो सकते है । महिलाओ को निर्बल मान कर उनके सशक्तिकरण की बात करने आने महानुभावो को अगर उनके इस अवतार को देख ले तो उन्हें हृदयाघात अगर ना भी हुआ तो कम से कम लकवा तो मार ही देगा ।

गाली का शब्दकोष विकसित करने में छात्र जीवन का बहुत योगदान होता है । जो भी गाली शब्द कोष छात्र जीवन में विकसित होता है , वह शेष जीवन में काम आता है। ऐसे छात्र ,जो की छात्रावास में कुछ वर्ष व्यतीत कर चुके है , उनका तो गाली भंडार इतना व्यापक हो चुका होता है की वह छत पर टंगे पंखे को भी १५ -२० अलग अलग प्रकार की गालियां दे सकते है और वो भी तय समय सीमा के अंदर।

मित्रता के सम्बन्ध में गालियों का विशेष महत्त्व है । बिना गाली के आप मित्रता की कल्पना भी नहीं कर सकते । यदि मित्र को आपने गाली नहीं दी और मित्र ने भी दी गई गालियों में मय सूद के साथ आपको वापस नहीं लौटाया , तो ऐसी मित्रता की काम की?गाली सच्ची मित्रता की पहचान मानी गई है ।

आज कल की वेब सीरीज़ में भी गालियों के महत्व को बखूबी दिखाया जाता है । यहाँ तक की किसी सीरीज़ की सफलता और असफलता का काफी श्रेय गालियों को ही दिया जा सकता है। और अगर वेब सीरीज़ में अगर किसी महिला पात्र ने गालियों का प्रयोग किया है तो दर्शको को चरम आनंद की प्राप्ति सुनिश्चित मानी गई है।

लोग बाग़ रोजमर्रा में सरकार को भी गालियां देते है और बदले में सरकार भी उनको गालियां देती है पर उनका रूप थोड़ा अलग होता है। कभी वह मॅहगाई के रूप में आती है तो कही टैक्स के रूप में।

एक बात तो तय है की जिसने भी इतिहास में पहली गाली दी होगी , उसे परम शांति का अनुभव हुआ होगा और फिर उसी सुख की तलाश में उसने अपना यह प्रयोग जारी रखा होगा । लेकिन हमें कहीं भी उस महापुरुष का उल्लेख नहीं मिलता जिसने यह महान खोज की थी।