Kuchh chitra mann ke kainvas se - 8 in Hindi Travel stories by Sudha Adesh books and stories PDF | कुछ चित्र मन के कैनवास से - 8 - स्टेच्यू आफ़ लिबर्टी 

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कुछ चित्र मन के कैनवास से - 8 - स्टेच्यू आफ़ लिबर्टी 

स्टेच्यू आफ़ लिबर्टी

टैक्सी से न्यूयॉर्क हार्वर पहुंचने में हमें लगभग 20 से 25 मिनट लगे । यह 19वीं शताब्दी से मध्य बीसवीं शताब्दी तक लाखों प्रवासियों के लिए यह न्यूयार्क का ऑफिशियल पोर्ट था । 'स्टैचू ऑफ लिबर्टी' के लिए टिकिट बैटरी पार्क में स्थित कास्टल क्लिंगटन नेशनल मॉन्यूमेंट में स्थित काउंटर से लेनी होती है । मेनहट्टन आइसलैंड के दक्षिण की ओर बने इस बैटरी फोर्ट का निर्माण न्यूयॉर्क हार्वर के बचाव के लिए किया गया था। यह किला 1812 के युद्ध के समय यू.एस. आर्मी का हेड क्वार्टर था । यहां पहुंच कर हम टिकट की कतार में लग गए ।

स्टैचू ऑफ लिबर्टी समुद्र के बीचो-बीच बने टापू पर स्थित है जहां केवल शिप द्वारा ही जाया जा सकता है । शिप (फेरी सर्विस) 9.30 से 3.30 तक रोजाना बैटरी पार्क लोअर मैनहैटन तथा लिबर्टी स्टेट पार्क न्यू जर्सी से चलते हैं । इसकी राउंडट्रिप टिकिट मिलती है जो 'स्टैचू ऑफ लिबर्टी 'के साथ ' एलिस आइसलैंड ' भी घूमाती है । फेरी के टिकट का मूल्य बच्चों के लिए $5 (12 वर्ष तक) $12 (62 वर्ष तक) तथा $10 (62 से अधिक उम्र )के लोगों के लिए रखी गई है ।

जैसे ही हम टिकट काउंटर की कतार में खड़े हुए , घोषणा हुई कि 'स्टैचू ऑफ लिबर्टी 'के अंदर जाकर देखने के टिकट समाप्त हो गए हैं, सिर्फ बाहर से ही उसे देखा जा सकता है । हमारे पास कोई ऑप्शन नहीं था क्योंकि न्यूयॉर्क में हमें सिर्फ 2 दिन ही रहना था । अगर आज टिकट नहीं लेते हैं तो कल फिर आना पड़ता । अगर स्टैचू ऑफ लिबर्टी को कल के लिए छोड़ते हैं तो हो सकता है हम न्यूयार्क के अन्य स्थानों को नहीं देख पाते हैं ।

बाहर आए तो देखा फिर एक लंबी कतार हमारा इंतजार कर रही है । इतनी लंबी कहीं उसका ओर छोर ही नजर नहीं आ रहा था । कहते तो हैं कि अमेरिका की जनसंख्या कम है पर यहां का नजारा देख कर तो ऐसा नहीं लग रहा था । आदेश जी ने मुझे बैठने के लिए कहा तथा स्वयं लाइन में लगने के लिए चले गए । मैं वहीं रेलिंग के किनारे बने स्पेस में बैठकर चारों ओर निहारने लगी । गेटवे ऑफ इंडिया और ताज होटल के खूबसूरत नजारे को छोड़ दें तो समुद्र में खड़े शिप तथा नावें काफी कुछ मुंह मुंबई के दृश्य की याद कराने लगी थीं । वैसे ही समुद्र की अठखेलियां करती लहरें, लहरों पर लहराते जलयान... नजारों को आंखों ही आंखों में कैद कर लेना चाहती थी कि तभी कहीं से एक आदमी आया तथा एक आदमी को इंगित करते हुए कहने लगा, ' आपने चीटिंग की है आप बीच में ही कतार में लग गए हैं ।'

उस आदमी ने सकपका कर इधर-उधर देखा फिर थोड़ी देर पश्चात उसने उसकी बात पर ध्यान देना बंद कर दिया । उस आदमी ने दो तीन बार अपनी बात कही पर किसी को अपनी बात पर ध्यान ना देता देख वह चला गया । उसे देखकर मुझे लगा कि कहीं यह आदमी पागल तो नहीं, पर अमेरिका में... अभी सोच रही थी कि कहीं से संगीत की सुमधुर ध्वनि सुनाई देने लगी... नजर घुमाई तो पाया एक आदमी काफी मनोयोग से गिटार बजा रहा है तथा कुछ लोग उसके पास रखे कटोरे में सिक्के डाल रहे हैं । यद्यपि वह आदमी काफी सभ्य लग रहा था तथा अपने गिटार से धुन भी काफी मनोहारी निकाल रहा था पर फिर भारतीय मन सोचने को विवश हुआ कि यह भी तो एक तरह की भीख ही है ।

आदेश जी के पास आते ही मैं लाइन में सम्मिलित हो गई । बहुत तेज धूप थी कुछ लोग छोटे-छोटे पंखे से हवा कह रहे थे तो कुछ हाथों की ओट से छाया करने का प्रयास कर रहे थे । धीरे-धीरे हम एक हॉल में प्रविष्ट हुए यहां हमें सिक्योरिटी चैक कराना था, ठीक वैसे ही जैसे एयरपोर्ट पर होता है ।इसके बाद हमें शिप में बिठाया गया । शिप भी लगभग वैसा ही था जैसा मुंबई के दर्शकों को एलिफेंटा केव ले जाने के लिए प्रयुक्त होता है । शिप के फुल होते ही शिप चल पड़ा । शिप में बैठकर चारों ओर निहारना बहुत ही अच्छा लग रहा था । चारों तरफ पानी ही पानी तथा बीच-बीच में चलते हैं छोटे-बड़े शिप, दूर से ही नजर आती स्टैचू ऑफ लिबर्टी की मूर्ति... शिप से ही विभिन्न एंगल से उसके कई फोटो खींचे ।

लगभग 45 मिनट की यात्रा के पश्चात हम टापू पर पहुंचे । टापू से मूर्तिस्थल थोड़ी दूर है अतः यात्रियों की सुविधा के लिए एक छोटी ट्रेन की भी व्यवस्था है । कुछ सहयात्री तो पैदल ही चल दिए । हमने ट्रेन का इंतजार करना उचित समझा । ट्रेन के आते ही हम सवार हो गए । यह खिलौना गाड़ी की तरह थी । लगभग 10 मिनट में मुख्य स्थल पर पहुंच गए ।

टिकट काउंटर से हमने इंट्री पास लिया तथा मूर्ति को पास से देखने के लिए चल दिए । मूर्ति के चारों ओर बाउंड्री बनी थी । अंदर जाकर देखने की हमारी टिकट नहीं थी अतः बाहर से ही देखकर तथा घूम- घूमकर हम फोटो ले रहे थे । तभी आदेश ने एक जगह खड़े होकर स्टैचू की तरह हाथ ऊंचा करके फोटो खिंचवाई । इनका फोटो खिंचवाना था कि अनेक हाथ खड़े हो गए आदेश जी की तरह फोटो खिंचवाने के लिए... तब ऐसा महसूस हुआ कि किसी ने सच ही कहा है कि इंसान कभी बंदर था ।

स्टैचू ऑफ लिबर्टी जिसके बारे में अभी तक सिर्फ मैगजीन, टी.वी .या पिक्चर में देखा सुना और पढ़ा था, मेरी आंखों के सामने खड़ी थी । इस मूर्ति को अपनी नंगी आंखों से देखना बहुत ही भला लग रहा था । सचमुच स्टैचू ऑफ लिबर्टी न सिर्फ न्यूयार्क की वरन विश्व की भी सबसे लंबी तथा अद्भुत रचना है । अगर आप अमेरिका जा रहे हैं तो इसे देखने की योजना अवश्य बनाइए ,इसको देखे बिना आपका अमेरिका का अधूरा रहेगा । इसकी अद्भुत कारीगरी को देखते हुए मैं हाथ में लिए हुए लिटरेचर को पढ़ने लगी । जिससे इसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकूं ।

151 फीट लंबी, कॉपर की बनी मूर्ति जिसे फ्रांस ने अमेरिका को अमेरिकन रिवॉल्यूशन के समय बने एलाइंस की यादगार के रूप में उपहार में दिया था, कलाकार की अद्वितीय रचना है । इसकी ऊंचाई पृथ्वी से मशाल की टिप्स 305 फीट है । मूर्ति की ऊंचाई 151 फीट, इसके पेडेस्टल के ऊंचाई 154 फीट है । इसकी नाक की लंबाई 4 फीट 6 इंच है । सिर्फ यही बात आपके मन मस्तिष्क में इसकी ऊंचाई का नक्शा बना देगी... इसकी कॉपर की खाल की मोटाई 1 इंच का 3.2 (2.37 एम.एम ) या दो सिक्कों की मोटाई के बराबर है । इसकी पतली कॉपर स्किन को स्टील की छड़ों, जो आपस में जाली में गुंथी है , से सहारा दिया गया है तथा यह छड़ें ,चार मुख्य छड़ों से जुड़ी हैं, जिससे की मूर्ति को मजबूती मिल सके ।

सच कहें तो इसकी नींव सन 1811 में रख दी गई थी । जब बेडलोए ( जो अब लिबर्टी आइसलैंड ) के नाम से जाना जाता है , में तारे के आकार का वुड फोर्ट बना । लगभग 54 वर्ष पश्चात सन 1865 में फ्रेंच बुद्धिमानों का एक ग्रुप जिसकी अगुवाई एडवर्ड डी. लेबोयूलेय कर रहे थे, के मन में पहली बार लिबर्टी मोनुमेंट का विचार आया तथा इसे मूर्त रूप देने के बारे में उन्होंने आपस में विचार विमर्श किया । वे यूनाइटेड स्टेट अमेरिका को इसे लिबर्टी (आजादी) के प्रतीक के रूप में उपहार में देना चाहते थे क्योंकि उसी समय यहां सिविल वॉर समाप्त होने के साथ दास प्रथा की समाप्ति हुई थी । देश आगे बढ़ना चाहता था । स्मारक तथा इमारत बनाने की नई नीतियां खोजी जा रही थीं लिबर्टी के निर्माण में एक नहीं कई हाथ और दिमाग लगे ।

सन 1871 में एडवर्ड डी. बारथोलडी ने अमेरिका का भ्रमण किया तथा न्यूयार्क हारबर में इसके लिए स्थान का चयन किया । सन 1876 में लिबर्टी के हाथ और मशाल का फिलाडेल्फिया में आयोजित शताब्दीय प्रदर्शनी ( सेंटिनियल एक्सपोजिशन) में प्रदर्शन किया गया । सन 1877 में इसके स्थान के चुनाव के लिए कांग्रेस को अधिकार दिए गए । सरकार के पास धन की कमी थी जिसके कारण निजी उपायों के द्वारा इसकी आधारीय संरचना ( पेडस्टल ) के निर्माण के लिए अमेरिका में अभियान चलाया ।

सन 1879 में एलेक्जेंडर गोस्टेव एफिल जिन्होंने एफिल टावर का निर्माण किया था, ने इस मूर्ति के अंदरूनी डिजाइन का प्रारूप तैयार किया । सन 1881-84 तक स्टेचू को पेरिस में असेंबल किया गया तथा इसी के साथ बैडलोए आइसलैंड (अब लिबर्टी ) में इसकी नींव का काम प्रारंभ कर दिया गया । सन 1884 में रिचर्ड मौरिस ने पेडेस्टल की पूरी डिजाइन को बना लिया ।

सन 1885 में स्टेचू को डिस्मेंटल कर शिप के द्वारा न्यूयार्क लाया गया । उसी समय पेडेस्टल के निर्माण के लिए पूरे देश में जोसेफ पुल्टिजर द्वारा पैसा इकट्ठा करने के लिए अभियान चलाया गया । इसके साथ ही इसको बनाने का काम भी चल रहा था । सन 1886 में स्टेच्यू को असेंबल्ड कर बैडलोए आइसलैंड में 28 अक्टूबर को स्थापित किया गया । इस अवसर पर आयोजित समारोह में अमेरिका को इसे उपहार देते समय फ्रेंच राष्ट्रपति ने कहा... लिबर्टी की यह प्रतिमा फ्रांस को समुद्र पार भी गौरवान्वित करेगी और यह सच साबित हुआ । आज न केवल अमेरिका वरन पूरे विश्व के लोग इस प्रतिमा को देखकर दांतो तले उंगली दबा लेते हैं ।

यद्यपि यह विशाल मूर्ति कॉपर की बनी हुई है पर निरंतर हवा पानी के संपर्क में रहने के कारण यह हरे रंग में परिवर्तित हो गई है। हरे रंग में इसकी आभा को क्षीण नहीं वरण दुगणित ही किया है । स्टैचू ऑफ लिबर्टी अपने कई चिन्हों द्वारा स्वतंत्रता का संदेश देती प्रतीत होती है । इसके पैरों की टूटी जंजीर दर्शाती है कि अब क्रूर शासन से मुक्ति मिल गई है । इसका मुख्य आकर्षण इसके दाएं हाथ में स्थित मशाल तथा उसकी लौ न्याय और सच्चाई का संदेश देते हुए दूसरे देश से आए लोगों की आशाओं के लिए प्रकाश की किरण है वहीं बाएं हाथ में स्थित कानून की पुस्तक जिसमें रोमन लिपि में अमेरिका की स्वतंत्रता का दिन 4 जुलाई 1776 अंकित है , के द्वारा शायद इस देश और समाज को अवगत कराया जा रहा है कि एक स्वतंत्र देश में सबको न्याय और बराबरी का दर्जा मिलेगा वहीं इसका क्रॉउन इस बात का संदेश देता है कि यहां अमेरिका में एक आम आदमी भी राजा बन सकता है । इसके क्राउन में बनी सात किरण इस विश्व के सात महाद्वीपों तथा सात समुद्रों का प्रतिनिधित्व करती हैं । सन 1883 में इसकी भव्यता तथा इसमें निहित संदेश से प्रेरित होकर इमा लाजारस नामक कवि ने 'द न्यू कोलोसस ' नामक कविता की रचना की जिसने पेडस्टल निर्माण के लिए धन एकत्रित करने के अभियान को संपूर्णता प्रदान करने में सहायता दी

इस मूर्ति की योजना बनाने तथा इसे साकार करने में लगभग 21 वर्ष लगे । अमेरिका में अधिकतर लोग प्रवासी ही हैं अर्थात दूसरे देश से आकर बसने वाले ...। 19वीं शताब्दी के अंत में अत्यधिक देशांतरवास तथा इसी कारण देशांतर वास रोकने के कड़े नियम बनने के कारण आजादी की प्रतीक यह प्रतिमा निर्वासितों के लिए मां के रूप में उनके मन मस्तिष्क में बस गई । शायद इसीलिए इसे 'मदर ऑफ एक्सजाइल' अर्थात 'निर्वासितों की मां' का नाम भी दिया गया है । वास्तव में यह प्रतिमा उन लाखों प्रवासियों के लिए आजादी का प्रतीक है जो दूसरे देशों से आकर यहां बसे तथा जिन्होंने अपना तन, मन, धन इस देश को उन्नत बनाने में लगा दिया ।

पहले विश्व युद्ध के पश्चात 'स्टैचू ऑफ लिबर्टी' अमेरिका की पहचान बन गई । लगभग 38 वर्ष पश्चात अर्थात सन 1924 में 'स्टैचू ऑफ लिबर्टी ' को अमेरिका के राष्ट्रीय धरोहर का सम्मान मिला । सन 1933 नेशनल पार्क सर्विस वॉर डिपार्टमेंट से इसके रखरखाव की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली । सन 1956 में बैडलोय आइसलैंड का नामकरण लिबर्टी आइसलैंड के रूप में कर दिया गया ।

सन 1986 में स्टैचू के शताब्दी समारोह के लिए इसका जीर्णोद्धार कर इस मूर्ति को नई भव्यता प्रदान की गई । सन 2001 में 11 सितंबर को हुए आतंकवादी हमले के कारण यह दर्शनार्थियों के लिए बंद कर दी गई थी किंतु उसी वर्ष 20 दिसंबर को यह आइसलैंड खुल गया पर मूर्ति तक जाने की इजाजत नहीं दी गई । 3 अगस्त सन 2004 को पूर्ण सुरक्षा के इंतजामात के साथ मूर्ति जनता के अवलोकनार्थ पुनः खोल दी गई ।

स्टैचू ऑफ लिबर्टी का मुख्य द्वार जो इस स्टैचू के आधार के पीछे वाले भाग में स्थित है, से प्रवेश कर दर्शनार्थी एलिवेटर के द्वारा पेडेस्टल की दसवीं मंजिल तक जा सकते हैं । 24 सीढ़ी चढ़कर मूर्ति के अंदर वाले भाग को तो देखा ही जा सकता है । साथ ही न्यूयॉर्क हार्बर, मैनहट्टन, ब्रुकीलैंड , स्टेटन आइसलैंड तथा न्यूजर्सी के विहंगम दृश्यों का भी आनंद प्राप्त कर सकते हैं । इसके नीचे के टहलने के सार्वजनिक भाग के द्वारा दर्शनार्थी ऐतिहासिक स्थल के द्वारा बाहर निकल सकते हैं ।

अगर आप स्टैचू ऑफ लिबर्टी को देखने जाना चाहते हैं तो 25 दिसंबर के अलावा यहां हर दिन जाया जा सकता है । यहां खाने पीने का कोई भी सामान ले जाना वर्जित है । इसके साथ ही बड़ा बैग या कोई हथियार ले जाना भी नियम विरुद्ध है । अन्य सूचनाओं के लिए 212 -363- 3200 पर फोन किया जा सकता है तथा इस वेबसाइट पर भी क्लिक कर सकते हैं www.nps.gov/stli. बैटरी पार्क तथा लिबर्टी स्टेट पार्क न्यू जर्सी से टिकट के लिए क्रमशः 212-269-5755 तथा 201-435-9499 पर फोन कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।

अब भूख लगाई थी । पास ही ओपन एयर रेस्टोरेंट था । पेट पूजा के इरादे से हम रेस्टोरेंट्स गए । सेल्फ सर्विस थी । मैं खाली जगह देख कर बैठ गई । आदेश जी वेज बर्गर के साथ स्प्राउट का बड़ा गिलास लेकर आ गए तथा कहा कि वेज में और कुछ समझ में नहीं आया तो यहीं ले आया । यहां मुझे भी यही अच्छा लग रहा था अतः खाने लगे । वैसे भी जब भूख लगी हो तब खाने के लिए कुछ भी मिल जाए अच्छा लगने लगता है । अब लौटने का समय हो गया था । हम ट्रेन द्वारा डेक पर पहुंचे तथा शिप पर सवार हो गए। सभी यात्रियों के आते ही शिप अपने अगले गन्तव्य स्थल की ओर चल पड़ा ।

सुधा आदेश
क्रमशः