Marjawa - 1 in Hindi Love Stories by Harshul Sharma books and stories PDF | मरजावां - 1

Featured Books
  • उजाले की ओर –संस्मरण

    मनुष्य का स्वभाव है कि वह सोचता बहुत है। सोचना गलत नहीं है ल...

  • You Are My Choice - 40

    आकाश श्रेया के बेड के पास एक डेस्क पे बैठा। "यू शुड रेस्ट। ह...

  • True Love

    Hello everyone this is a short story so, please give me rati...

  • मुक्त - भाग 3

    --------मुक्त -----(3)        खुशक हवा का चलना शुरू था... आज...

  • Krick और Nakchadi - 1

    ये एक ऐसी प्रेम कहानी है जो साथ, समर्पण और त्याग की मसाल काय...

Categories
Share

मरजावां - 1

नमस्कार मेरा नाम हर्षुल शर्मा है।मैं आपके लिए लेकर आया हूँ एक बहुत ही अनोखी कहानी-मरजावां।

★★★एपिसोड 1★★★

[इस कहानी की शुरुआत होती है दिल्ली के मल्होत्रा मेंशन से।

मल्होत्रा मेंशन में सविता मल्होत्रा नाम की महिला दिखाई देती है जिसका ये घर है।]

सविता: अरे सब लोग कहां हैं?मन्दिर जाने के लिए देर हो रही है।
आदित्य: ताई जी मैं तो यहां हूँ।बाकी सब का मुझे पता नहीं।

(आदित्य सविता का भतीजा मतलब उसके देवर का बेटा है)

सविता: पर तुम्हारी माँ के बारे में तो पता होगा तुम्हें?कहाँ है कविता?
आदित्य: हाँ वो पता है।कविता तैयार हो रही है।
सविता: क्या?
आदित्य: मेरा मतलब मेरी मम्मा तैयार हो रही हैं।
सविता: इतनी देर हो गई वो अभी तैयार नहीं हुई।
आदित्य: अरे ताई जी आपको पता है ना कि वो अपने आप को किसी सल्तनत की राजकुमारी समझती हैं और राजकुमारियों को तैयार होने में टाइम तो लगता है ना।
सविता: ए!माँ है तुम्हारी ऐसे नहीं बोलते।
आदित्य: यही तो परेशानी है कि वो मेरी माँ हैं।अब देख लो मेरी बहन अदिति को वो भी तो लड़की है उसे तो कभी इतना टाइम नहीं लगता।
सविता: मतलब वो तैयार हो गई?
आदित्य:हाँ वो तो कबकी तैयार हो गई।
सविता: तो अब वो कर क्या रही है?
आदित्य: अरे अब वो आपके प्यारे और लाड़ले बेटे सुकृत भैया के कपड़े सिलेक्ट कर रही है।
सविता: क्या?सुकृत अभी तैयार नहीं हुआ?
आदित्य: अरे अदिति खुद तो तैयार हो गई पर भैया को तैयार होने ही नहीं दे रही है।
सविता: क्यों?
आदित्य: वो कह रही है कि भैया ने ये सभी कपड़े तो पहने हैं।इसलिए आज कोई नये और स्पेशल कपड़े ही पहनेंगे भैया।
सविता(हंसते हुए): क्या?
आदित्य: हाँ और नही तो क्या...
अदिति: ताई जी!
(अदिति सविता की भतीजी और आदित्य की बहन है)
अदिति: ताई जी!देखिये ना भैया के पास कोई भी अच्छे कपड़े बचे ही नहीं हैं।सब पुराने हो गए हैं।
सविता: अरे बेटा ये तो तो सुकृत ने एक बार ही पहना है।
अदिति: अरे तो!आज भैया के लिए बहुत खास दिन है इसलिए आज वो कोई स्पेशल कपड़े ही पहनेंगे।और वैसे इतनी बड़ी कंपनी के मालिक हैं वो।तो वो ऐसे कपड़े पहनेंगे तो सब क्या बोलेंगे?
सविता: अरे पर....
अदिति: नहीं...नहीं...नहीं...भैया ये कपड़े नहीं पहनेंगे।
सुकृत: अदिति!
(सुकृत सविता का बेटा है)
सुकृत: तो तू ही बता मैं क्या पहनूँ फिर?
अदिति: अरे भैया आप उसकी चिंता मत करो।मैंने आपके लिए एकदम नए और स्पेशल कपड़े ऑर्डर कर दिए हैं।वो बस आते ही होंगे।

[सुकृत देख नहीं सकता फिर भी उसने इतना बड़ा बिज़नेस बनाया है]

[तभी वहां पर कविता आती है जो सविता की देवरानी,अदिति-आदित्य की माँ और सुकृत की चाची है]
सविता:कविता तुमने कितनी देर लगा ली।तुम्हें पता है ना हमें जल्दी
पहुंचना है।
कविता:अरे दीदी आपको पता है ना मुझे मेकअप करने में थोड़ा सा टाइम लगता है।
आदित्य:थोड़ा सा?
कविता:हाँ मतलब थोड़े से थोड़ा ज़्यादा।
आदित्य:मम्मा!अगर आपको तैयार होने के लिए पूरा दिन भी दिया जाए ना तो भी आपका श्रृंगार खत्म नहीं हो पायेगा।
कविता:ए!मेरे बारे में जो कुछ बोलना है वो बोला लेकिन मेरे मेकअप के बारे में कुछ बोला तो मैं तेरा सिर फोड़ दूंगी।
आदित्य:अरे मम्मा मैं तो....
जगदीश:अरे इस घर में ये युद्ध क्यों हो रहा है?
[जगदीश कविता-सविता का ससुर और अदिति,आदित्य और सुकृत का दादाजी है।]
कविता:पिताजी!देखिये ना अपने पोते को,ये मेरे मेकअप के बारे में क्या क्या कह रहा है।
जगदीश:आदित्य बेटा!जब तुम्हारी माँ तुम्हारे काम में कोई दखल नहीं देती तो तुम क्यों उसके मेकअप के बारे में कुछ बोल रहे हो?
आदित्य:सॉरी दादाजी।
जगदीश:सॉरी मुझसे नहीं अपनी माँ से बोलो।
आदित्य:सॉरी मम्मा।
कविता:हाँ आज सॉरी बोलेगा और कल फिर वही काम करेगा।
आदित्य:अब वो तो मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है।
कविता:पिताजी
जगदीश:आदित्य
आदित्य:अरे मज़ाक कर रहा था।