drunk Love in Hindi Short Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | प्यार का नशा

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प्यार का नशा

प्यार का नशा
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रमा अमीर बाप की बेटी थी।रमेश छोटा सा सरकारी नौकर।रमा ,रमेश की सादगी और व्यक्तित्व पर ऐसी मोहित हुई कि माँँबाप के न चाहने पर भी उसने उससे शादी कर ली।
प्यार सपनो की दुनिया पर टिका होता है।जबकि शादी हकीकत पर।पिता की शानदार कोठी में रहनेवाली रमा को शादी के बाद पति के किराए के मकान मे आना पड़ा।पीहर में उसके यहां नौकर थे।ससुराल में घर की मालकिन और नौकर वह दोनों थी।पिता के घर मे पैसों की कोई कमी नही थी।पति के घर मे पैसों का अभाव।
साथ जीने मरने की कसम खानेवाली रमा के सिर से प्यार का नशा छः महीने में ही उतर गया।
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जंजीर
"फिर जंजीर देखने बैठ गए?"पति को देखकर कविता बोली,"एक ही पिक्चर को बार बार देखकर भी बोर नही होते?"
"नही।"
"ऐसा क्या है इस पिक्चर में जो तुम्हे इतना लगाव है?कविता ने पति से पूछा था।
"तुम शायद भूल गई।चालीस साल पहले हमारी शादी के एक सप्ताह बाद मेने तुम्हारे साथ पहली बार यही पिक्चर देखी थी,"रितेश बोला,"जब भी मैं यह पिक्चर देखता हूँ।मुझे चालीस साल वाला तुम्हारा रूप याद आ जाता है।"
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कब तक
"मम्मी मेरी सगाई तो रूपेश के साथ हुई थी।फिर शादी की चर्चा दिनेश के साथ क्यों हो रही है?"
"बेटी तेरी शादी अब रूपेश के साथ नही,दिनेश के साथ होगी?"बेटी की बात सुनकर माँ बोली।
रितिका की सगाई रूपेश से हुई तब वह एम टेक के अंतिम वर्ष में था।एम टेक करते ही कॉलेज कैंपस में उसका पुणे की एक कम्पनी में सलेक्शन हो गया।उसके साथ ही दीपाली का भी सिलेक्शन हुआ था।दोनो पुणे चले गए।वे एक ही मकान लेकर लिव इन रिलेशन में रहने लगे।एक छत के नीचे रहते हुए वे कब तक दूर रह सकते थे।एक रात रूपेश ने दीपाली का हाथ पकड़ा तो वह बोली,"यह क्या कर रहे हो?"
"प्यार,"
"नो"
दीपाली ने इनकार कर दिया।लेकिन एक छत के नीचे रहते हुए उनके बीच दूरी कब तक रह सकती थी।कई रातों तक बचने के बाद एक रात दीपाली ने समर्पण कर ही दिया।और फिर हर रात---प्यार,वासना का खेल खेलते समय वे कोई सावधानी नही बरतते थे।फलत एक दिन दीपाली बोली,"मेरे दिन चढ़ गए है।"
"क्या?"रूपेश उसकी बात सुनकर बोला,"डॉक्टर के पास चलना।गर्भपात कराना पड़ेगा।"
"मैं गर्भपात नही कराऊंगी?"दीपाली ने गर्भपात कराने से साफ इंकार कर दिया।
"तो क्या कुंवारी माँ बनोगी?"
"कुंवारी माँ क्यो बनूँगी।हमारा बच्चा है।पहले तुमसे शादी करूँगी फिर बच्चे को जन्म दूंगी।"
"मैं तुमसे शादी कैसे कर सकता हूँ।मेरी तो सगाई हो चुकी है।"रूपेश ने दीपाली को अपनी सगाई की बात बताई थी।
"अगर तुमने यह बात पहले बताई होती तो मैं हरगिज समर्पण नही करती।और तुम्हे भी यह नही करना था,"दीपाली बोली,"अब तुम्हे मुझसे शादी करनी पड़ेगी?"
न चाहते हुए भी विवश होकर रूपेश को दीपाली से शादी करनी पड़ी।
रितेश ने फोन करके अपने माता पिता को अपनी शादी की बात बता दी।रितेश के पिता मोहन,रितिका के पिता कमल स मिले और उन्हें रूपेश की शादी की बात बता दी।वह बोले,"कमलजी, मैं बहुत शर्मिंदा हूँ।अगर आप चाहे तो आपकी बेटी की शादी मेरे छोटे बेटे दिनेश से हो सकती है।"
कमल जानता था कि अगर वह अब कहीं और अपनी बेटी का रिश्ता करेंगे तो बड़ी मुश्किल होगी।इसलिए उन्होंने मोहन का प्रस्ताव मान लिया।
माँ कि बात सुनकर रितिका सोचने लगी।आखिर औरत को कब अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने की आज़ादी मिलेगी