chaahat - 10 in Hindi Fiction Stories by sajal singh books and stories PDF | चाहत - 10

Featured Books
Categories
Share

चाहत - 10

पार्ट - 10

एक घंटे तक डिग्री वितरण समारोह चलता रहा। उसके बाद डीन सर ने सबको फ्यूचर के लिए शुभकामनायें दी। और कनवोकेशन समाप्त हुआ। अब सब स्टूडेंट्स अपने -अपने दोस्तों के साथ बिजी हैं सेल्फी लेने में। हम सब दोस्त भी बिजी हैं सेल्फी लेने में। हमारे परिवार वाले घर चले गए हैं। हम सब दोस्त रुके हैं आखिरी बार अपने कॉलेज की यादें ताजा करने के लिए। शिव भैया और अमन भी रुके हुए हैं हमारे साथ। सलिल का हमे पता नहीं वो चला गया है या नहीं। अब हम सब कैंटीन में बैठे हुए हैं। (आखिरी बार कैंटीन की कॉफी का लुफ्त उठा रहे हैं। )

नेहा -यार ! ऐसा लग रहा है कितने जल्दी 2 साल बीत गए।

प्राची -हाँ। वैसे इन दो सालों में हमने बड़ा एन्जॉय किया है।

मैं -बिलकुल। कॉलेज के ये दो साल हम कभी नहीं भूल सकते।

सुमन -वैसे मैं तो कॉलेज को भूल ही नहीं सकती ,अमन जो मिला है मुझे कॉलेज में।

नेहा -हो गयी फिर से शुरू ...........

अमन -सच ही तो कह रही है सुमन। हम दोनों की लव -लाइफ में कॉलेज का बड़ा योगदान है।

नेहा -चलो ,अब तो तुम लव -बर्ड्स शादी करने वाले हो।

शिव भैया -हाँ भाई। तुम्हारी शादी तो नजदीक ही है। (प्राची की ओर देखते हुए ) ओर एक हमारी एक साल इंतज़ार करना पड़ेगा।

सुमन -शिव ,इंतज़ार का भी अपना मजा होता है। (अमन की ओर हँसते हुए )

नेहा -हो .........हो लव -गुरु।

शिव भैया -चीनू ,काफी टाइम हो गया है। लगभग स्टूडेंट्स चले गए हैं। अब हम सब को भी घर जाना चाहिए।

सुमन -अमन ,मुझे घर छोड़ देना।

अमन -हाँ बाबा। ये भी कोई कहने वाली बात है।

नेहा -ये देखो ! शादी से पहले ही बीवी की चाकरी करनी शुरू।

सुमन -तो नेहा ,तुम क्यों जल रही हो ? तुम भी ढूंढ लो अपने लिए चाकरी करने वाला।

नेहा -या। ढूंढ लूंगी। (सब हँसते हैं। )

प्राची -शिव ,सलिल भैया तो चले गए होंगे। तुम मुझे घर छोड़ देना।

शिव भैया -पर प्राची ,चीनू और नेहा कैसे जायेंगे। वो तो आज स्कूटी भी नहीं लाये हैं।

मैं -भैया हम दोनों ऑटो से चले जायेंगे। आप प्राची को घर छोड़ आना।

शिव भैया -ठीक है। तुम दोनों घर जल्दी आ जाना।

नेहा - बस हमें एक बार हॉस्टल में एक दोस्त से मिलकर आना है। जल्दी आ जायेंगे।

(मुझे और नेहा को छोड़कर सब घर के लिए निकल गए हैं। )

नेहा -चाहत ,चल हॉस्टल में चलते हैं।

मैं -नेहा ,तू चल मैं तब तक आखिरी बार लाइब्रेरियन (सुषमा मैडम ) से मिल आऊं।

नेहा -ठीक है। तू मुझे ऑडिटोरियम के पास मिलना। मैं थोड़ी देर में आती हूँ।

(नेहा हॉस्टल में चली गयी और मैं लाइब्रेरी में। )

मैं -(सुषमा मैडम को ) गुड आफ्टर नून मैडम !

सुषमा मैडम -अरे चाहत ! गुड आफ्टर नून ! आओ बैठो।

मैं -(बैठते हुए ) आप कैसी हैं मैडम ?

सुषमा मैडम -मैं बिलकुल अच्छी हूँ। वैसे तुम्हे badahi हो तुमने कॉलेज टॉप किया है।

मैं -thanku mam !

सुषमा मैडम -अब आगे क्या करोगी ?

मैं -जी ,मेरा पीएचडी एंट्रेंस क्लियर हो गया है दिल्ली यूनिवर्सिटी में। बस अब पीएचडी में एडमिशन की फॉर्मैलिटी बाकी है।

सुषमा मैडम -अरे। ये तो बहुत अच्छी बात है।

मैं -बस आज आखिरी बार कॉलेज में आयी तो सोचा आप से मिल के जाऊँ।

सुषमा मैडम -बहुत अच्छा लगा बेटा तुम आयी। वैसे आज मुझसे कोई और स्टूडेंट भी मिलने आया था।

मैं -mam ,ये तो अच्छी बात है।

सुषमा मैडम -हाँ। मुझे बहुत ख़ुशी हुई कि डेढ़ साल पहले तक लाइब्रेरी में पढ़ने वाला सलिल आज successfull बिजनेसमैन बन गया है।

मैं -(सोचते हुए सलिल आया था ) mam ! आज के चीफ गेस्ट आपसे मिलने आये थे ?

सुषमा मैडम -हाँ। बड़ा मेहनती बच्चा है। रोज़ लाइब्रेरी आता था। और देखो ,आज sucessful होने के बाद भी कितना मिलनसार है।

मैं -(सलिल लाइब्रेरी में। मैं तो रोज़ लाइब्रेरी आती थी ,मैंने तो कभी नहीं देखा ,)

सुषमा मैडम -अच्छा चाहत। अब मुझे वाईस प्रिंसिपल से मिलने जाना है।

मैं -sure mam .मैं भी चलती हूँ। उम्मीद करती हूँ आपसे जल्द ही मिलूंगी।

सुषमा मैडम -sure बेटा।

मैं लाइब्रेरी से बाहर निकल कर सीढ़ियों से उतरी ही थी कि एकदम सामने सलिल आ गया। मैं उसे देख कर हैरान हूँ कि ये अब तक कॉलेज में ही है।

सलिल - (मेरे पास आते हुए ) कैसा लगा मेरा सरप्राइज ?

मैं -आप ने प्राची को बताने से मना क्यों किया ?

सलिल -अगर वो तुम्हे बताती कि चीफ गेस्ट कनवोकेशन में मैं हूँ। तो तुम आती ही नहीं मुझे पता है। इसलिए मैंने प्राची को बताने से मना किया।

मैं -मैं आऊं या न आऊं इससे आपको क्या फर्क पड़ता है ?

सलिल -मुझे फर्क पड़ता है। तुमसे मिलने का मैं मौका नहीं गवाना चाहता था। पता है तुमसे मिलने का मैं कब से इंतज़ार कर रहा था।

मैं -मुझे आपसे नहीं मिलना है। और ना ही बात करनी है।

सलिल -चाहत ,देखो तुम एक बार मेरी पूरी बात तो सुन लो।

मैं -आप की बात मैं सुन चुकी हूँ। और मेरा जवाब मैं बता चुकी हूँ।

सलिल -तुम कितनी ज़िद्दी हो।

मैं -वो मेरी प्रॉब्लम है आपकी नहीं।

सलिल -तुम्हारी सारी प्रॉब्लम मेरी हैं।

मैं -क्या ?.........(आगे कुछ कहती इससे पहले नेहा आ जाती है। )

नेहा -तू यहाँ है चाहत। मैं ऑडिटोरियम के पास तुझे ढूंढ कर वापस आयी हूँ।

मैं -बस मैं आ ही रही थी।

सलिल -चलो ,मैं तुम लोगो को घर पर छोड़ देता हूँ।

नेहा -हाँ। क्यों नहीं ?

मैं -नहीं थैंक्स ! हम चले जायेंगे। (तुरंत मैंने नेहा का हाथ पकड़ा और घर के लिए निकल गए। )

आज भाभी ने डिनर में सारा खाना मेरी और नेहा की पसंद का बनाया। हमने भी जमकर खाना खाया। हमने ना सिर्फ खाना खाया बल्कि साथ में हमने भाभी की जम कर तारीफ भी की। भाभी -भैया और सावी अपने कमरे में सोने चले गए हैं। मैं और नेहा रोज़ की तरह अपने छत पर बैठे गप्पे मार रहे हैं।

नेहा -चाहत ,जब सलिल हमे घर छोड़ रहा था तब तुमने मना क्यों किया उसे ?

मैं -बस ऐसे ही। तू जानती तो है मेरा स्व्भाव ऐसा ही है।

नेहा -मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि कोई बात है जो तुम मुझे नहीं बता रही ? तेरा व्यहवार सलिल की तरफ इतना रुखा क्यों होता है ? बता मुझे।

मैं -कोई बात नहीं है।

नेहा -सच में ?

मैं -हाँ बाबा। अगर कोई बात होगी तो मैं खुद तुम्हें बता दूंगी।

नेहा -चल मैं थक गयी हूँ। सोने चलते हैं।

मैं -तू जा। मैं थोड़ी देर में आऊंगी।

नेहा -ठीक है। गुड नाईट !

मैं -गुड नाईट !(नेहा अपने रूम में चली गयी। )

मैं छत पर बैठे -बैठे सोच रही हूँ कि मैं सलिल के बारे में नेहा से शेयर करूं या नहीं ? कितनी आसान थी मेरी ज़िन्दगी सलिल के आने से पहले। इसने मेरी ज़िंदगी में फालतू की टेंशन दे रखी है। जब भी मिलता है इसका प्यार का अलाप शुरू हो जाता है। मानती हूँ अच्छा इंसान है पर ये जरूरी तो नहीं कि वो मुझसे प्यार करता है तो मैं भी करूं। ना जाने कितनी ही देर मैं उसके बारे में ना चाहते हुए भी सोचती रही।

मैं -(खुद से ही ) चाहत ,ये क्या तू उसके बारे में सोच रही है ? सो जाती हूँ इसने मेरा दिमाग ख़राब कर रखा है। (मैं फ्रेश होकर जैसे ही वाशरूम से निकली ,मैंने देखा सलिल मेरे बेड पर लेटा हुआ है। )

मैं -आप यहाँ ?

सलिल -हाँ मैं।

मैं -आप मेरे कमरे में कैसे आये ?

सलिल -दरवाज़े से।

(मैंने दरवाज़े की ओर देखा तो दरवाज़ा बंद था। )

मैं -आप शिव भैया की छत पर से हमारी छत पर आये हो ?

सलिल -नहीं।

मैं -तो कैसे आये हो ?

सलिल -पाइप से।

मैं -क्या ?? ये क्या फालतू की हरकत है ?

सलिल -प्यार में पाइप से चढ़ने का भी अपना ही मजा है।

मैं -आप अभी जाइये यहाँ से नहीं तो मैं भैया -भाभी को बुला लूंगी।

सलिल -बुला लो।

मैं -आपको ज़रा भी डर नहीं है किसी का ?

सलिल -जब प्यार किया तो डरना क्या मेरी जान ?

मैं -मैं किसी की कोई जान नहीं हूँ।

सलिल-मेरी तो तुम जान हो।

मैं -जाइये यहाँ से। (दरवाजे की ओर गयी जैसे ही दरवाज़ा खोलने लगी सलिल ने मेरा हाथ पकड़ लिया। )

सलिल -(मुझे अपने करीब खींचते हुए ) आज मैं अपने सवालों के जवाब लेकर ही जाऊंगा। चाहे कुछ हो जाये।

मैं -मैं आपको जवाब दे चुकी हूँ।

सलिल -पता है मुझे। मुझे ये जानना है तुम मुझे इग्नोर क्यों कर रही हो ? मेरा फ़ोन भी नहीं उठाती और ना ही मैसेज का रिप्लाई करती। क्यों कर रही हो मेरे साथ ऐसा ?

मैं -मैं आपको कोई इग्नोर नहीं कर रही हूँ।

सलिल -(हँसते हुए ) अच्छा ! तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे मुझे कुछ पता ही ना हो। तुम मुझसे दूर क्यों भागती रहती हो ? क्या तुम मुझसे ज़रा भी प्यार नहीं करती ?

मैं -नहीं ,मैं आपसे प्यार नहीं करती।

सलिल -(मेरे दोनों कंधो पर हाथ रखते हुए ) चाहत ! मैं तुमसे प्यार करता हूँ। और तुमसे शादी करना चाहता हूँ।

मैं -पर मैं नहीं करना चाहती आपसे शादी।

सलिल -अब तो तुम्हारे घर वाले भी चाहते हैं तुम शादी करो।

मैं -(सलिल से दूर होते हुए ) पर मैं नहीं चाहती।

सलिल -क्या तुम किसी और को चाहती हो ?(उसका चेहरा बिलकुल फीका पड़ गया है। )

मैं -नहीं ,मेरे जीवन में कोई नहीं है। मेरी अपनी कोई वजह है ना करने की। अब आप जाइये ,मुझे लगता है आपको अपने सवालों के जवाब मिल गए होंगे। (मेरी जीवन में कोई नहीं है यह सुनकर एक पल के लिए उसका चेहरा खिल गया। )

सलिल -(मेरा हाथ अपने हाथ में लेते हुए ) तुम ज़िद्दी हो तो मैं महाज़िद्दी हूँ। तुम्हारी ना को हाँ में बदल कर रहूँगा।

मैं -(अपना हाथ छुड़ाते हुए ) ऐसा कभी नहीं होगा।

सलिल -बहुत जल्द तुम मुझे खुद हाँ कहोगी।

मैं -आप जाइये अभी। (ये कहकर मैंने दरवाज़ा खोल दिया )

सलिल -(दरवाज़े के पास आकर ,जहाँ मैं खड़ी थी ,) चाहत ,देखो ,शिव देख रहा है खिड़की से।

मैं -(जैसे ही मैंने खिड़की की ओर मुँह किया ,उसने मेरे गाल पे किस किया ) आप...............

सलिल -(मुस्कुराते हुए ) गुड नाईट जान !(मैं कुछ कहती इससे पहले वो तेजी से कमरे से निकल गया। )

वो तो चला गया पर उसने मुझे सोचने के लिए मजबूर कर दिया। सब कुछ तो है उसके पास। फिर क्या वो सिर्फ मुझसे मिलने के लिए आधी रात को पाइप से चढ़ कर आया है। क्या सच में वह मुझे इतना चाहता है ? भले ही वो मुझे चाहता है पर मैं नहीं प्यार कर सकती उसको। आज सलिल की कही बातें मुझ पर कुछ ज्यादा ही असर कर रही हैं। ऐसे में सोना ही इस समस्या का हल है सोच कर बिस्तर पर लेट गयी।