love Vs ego - 2 in English Love Stories by Alone Soul books and stories PDF | love Vs ego - 2

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love Vs ego - 2

#fiker { aaj bhi he}


बस यू ही खामोशी, से रिद्धिमा ने उन्ही आखों से इजाज़त लगी जिनके साथ वो , कई लम्हे रहती थी ,
बस दोनो एक दुसरे को जी भर के देख रहे थे !

"साहब आपका बिल "– वेटर

आचनक आखों ने आखों जैसे बोल दिया हो बस करो कोई देख लेगा ,
फिर रोहन ने गुस्से से वेटर को देखा और पैसे देते हुए बोला – अब कुछ नही चाहिए वापस न आना !

काफी देर बाद रिद्धिमा खुद को आपने दायरे में करते हुए बोली – तुमरी मीटिंग कितने बजे की ही !

रोहन हमेशा की तरह उसके बालो को निहार रहा था (चौक कर बोला) – वो! वो! कैंसल मीटिंग कैंसल

इतना नर्वस क्यों हो गए तुम जैसे कोई झूठ बोला हो तुमने – रिद्धिमा
रोहन – (चुप ही रह गया और फिर रिद्धिमा की जुल्फो में खो गया)

जब जब्बाब नही मिला तो रिद्धिमा भी आपने फोन चलने का नाटक करने लगी जैसे उसको कोई फर्क ही नहीं था , कितना प्यार से रोहन उससे देख रहा था,


करीब 5 min बाद रोहन बोला – तुम्हे पता है, मुझे तुम्हारी फिक्र आज भी है, मै आज भी अकेला ही रहता हु , बस इस इंतजार मैं की तुम मेरी फिक्र हो

वो नही रहा मैं जो था , तुम गई मैं खुद ही खो गया
आज भी मैं तुम्हारे मुस्कुराने को न भुला सका
आज भी मुझे याद है हमारी "पहली मुलाकात"


(इतना सब सुन के रिद्धिमा का मन भर आता है, जो दर्द तकलीफ़ दिल मैं थी , दोनो के धीरे धीरे जुबा पर आ रही थी)

" पहली मुलाकात" ! हा जब दोनो एक दूसरे की आखों में भी देख नही पाए थे , जो बाते हमारे दर्मिया थी मैं भी भूली नहीं हु , इन नजदीकियों की तम्माना कब से थी मुझे भी थी ।
आज जब तुमको इतने करीब से देखा तो बस इतना ही कहूंगी
"अच्छा लगा जो भी है अच्छा लगा"– रिद्धिमा

बस इन सब बातो के बीच में अचानक रिद्धिमा को रोहन का पुराना बर्ताव याद आने लगा – कैसे वो हर रोज सिर्फ ऑफिस ही जाता था , कैसे हर रोज सिर्फ
खुद को ही देखता था , जो निगाहे आज उस पर अटकी है, उन्ही के लिए कई साल वो तरसी है,
की केसे एक आदमी बदल सा जाता है ,

(रिद्धिमा सब खत्म करना चाहती थी)

मैं इन सब में बस इतना ही कहूंगी की – आज भी तुम वैसे ही हो जैसे कल थे।


रोहन – मतलब मैं समझा नहीं ,
रिद्धिमा – मुझे समझाना ही नही है (फिर फोन चलने का नाटक करने लगती है)

{"फिर बात "एगो"पर ही जा कर रुक जाती है, न रिद्धिमा, न रोहन दोनो में से कोई अपना "एगो" खत्म ही नही करने को तैयार थे"}

वो कहते है न जी की देंेेे
" With right amount of communication and forgiveness any relationship on the planet can blossom"

(Let see what happens in next chapter रिश्ते में एगो जीता था , इस बार भी वही बाजी मार जायेगा या प्यार फिर गुल खिलाएगा )