After hanging - 19 in Hindi Detective stories by Ibne Safi books and stories PDF | फाँसी के बाद - 19

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फाँसी के बाद - 19

(19)

वापसी पर ब्लैकी को हमीद ने वहीँ पाया जहां छोड़ गया था । उसके पूछने पर ब्लैकी ने कहा ।

“इस इमारत के एक कमरे में इस समय सुहराब जी और प्रकाश सहित छ आदमी है और कुछ संधियों पर बहस हो रही है ।”

“कोई औरत भी है ?” – हमीद ने पूछा ।

“जी नहीं ।”

“”वह सब यहाँ कैसे आये है ?”

“एक ही गाड़ी पर आये है जो बाहर खड़ी है और कदाचित हमारे यहाँ पहुंचने से पहले ही से मौजूद है । आपके कारण मैं चला आया वर्ना उनकी पूरी बात सुनता ।”

हमीद ने अपनी कहानी सुनाने के बाद कहा ।

“अब वहीँ चलो जहां से तुम उनकी बातें सुन रहे थे ?” – हमीद ने कहा ।

ब्लैकी उसे लिये हुये इमारत के पिछले भाग की ओर पहुंचा । पिछली दीवार इतनी ऊँची थी कि उपरी छत पर पहुँचना असंभव था । पाइप भी नहीं था कि उसी के सहारे ऊपर तक पहुँचा जा सकता । हमीद कुछ कहने ही जा रहा था कि उसने ब्लैकी की जेब से रस्सी का एक लच्छा निकालते हुये देखा । रस्सी के एक सिरे से कोई जानवर बंधा हुआ था । उसने जानवर वाले सिरे को चक्कर देकर छत को ओर उछाल दिया । दुसरे ही क्षण रस्सी छत से लगी नीचे तक झूल रही था ।

“क्या रस्सी में कोई आंकड़ा था जो ऊपर फंस गया ?” – हमीद ने पूछा ।

“जी नहीं । वह गोह थी । उसने पत्थरों पर अपने पैर जमा दिये हैं । अब अगर दस मन का भी बोझ ऊपर चढ़ाया जाए तो उसके पैर अपने स्थान से नहीं हटेंगे । हां रस्सी ही टूट जाए तो दूसरी बात है ।”

“तुम लोगों को कर्नल साहब ने बड़ा अच्छा प्रशिक्षण दे रखा है ।” – हमीद ने कहा ।

“पहले मैं चढ़ रहा हूं फिर आप आ जाइएगा ।” – ब्लैकी ने कहा और रस्सी के सहारे ऊपर चढ़ने लगा ।

फिर हमीद भी ऊपर पहुंच गया और छत से पेट चिपकाकर अपना शेष चेहरा छिपाते हुए केवल अपनी आंखें रौशनदान से लगा दीं ।

***

राबी और रोहन खड़े थे । न्यू मैन ने उनसे पूछा ।

“क्या रहा ?”

“सीमा तो नहीं मिली । वह मौजूद नहीं थी । ऐसा लगता है जैसे उसका अपहरण किया गया है ।”

“निम्बाल्कर स्टेशन वैगन लेकर गया ?” – न्यू मैन ने पूछा ।

“जी हां । मगर किसी ने स्टेशन वैगन का मोटर साइकल से पीछा किया था और वही मोटर साइकल अब भी स्टेशन वैगन के पीछे गई है ।”

“तुम लोग अपने कमरे में जाओ और मादाम ज़ायरे का आमादा करो कि वह संधिपत्र पर हस्ताक्षर कर दे । तुम लोग उससे तफरीह भी कर सकते हो और उसे यह धमकी भी दे सकते हो कि तुम दो ही नहीं और भी हैं । ठीक साढ़े ग्यारह बजे उसे मेरे कमरे में भेज देना और हां, यह लो गैराज के बगल वाले कमरे की कुंजी । आल्मारी में कीमती शराब की एक बोतल है वह तुम्हारा इनाम है ।” – न्यू मैन ने कहा और दूसरी ओर मुड़ गया । राबी और रोहन अब उस कोठरी में पहुंचे जिसमें मादाम ज़ायरे को रखा गया था तो वह उन्हें देखते ही चीखने लगी ।

“मैं जानती हूं कि मुझे किसने अपहरण करवाया है । उससे कह देना कि मैं उसके दोनों नाम जान गई हूं । उससे कह देना कि रनधा जीवित है और यह भी कह देना कि मैं सुहराब जी को बता दूँगी कि वह मुझे और सीमा को...” – उसकी आवाज़ चीखों में बदल गई इसलिये कि दोनों ने उसे दबोच लिया था ।

***

जब साढ़े ग्यारह बजने में दो मिनिट रह गये तो सुहराब जी ने अपने साथियों की ओर देखा और कहने लगा ।

“एग्रिमेन्ट्स तैयार हो गये हैं जिन्हें मैं एक बार पढ़कर सुना चुका हूं और अब केवल हस्ताक्षर करने शेष हैं । एक एग्रिमेन्ट वह है जिसका संबंध यहां एक फैक्ट्री और एक मिल स्थापित करने से है जिसमें हमें दो करोड़ की पूंजी लगानी पड़ेगी और यह रकम हमें लंदन की एक फर्म से कर्ज़ के तौर पर मिलेगी । दूसरा एग्रिमेन्ट पांच करोड़ के प्रोजेक्ट का है और यह रक़म भी हमें कर्ज़ ही लेनी पड़ेगी, मगर इस दूसरे एग्रिमेन्ट में नागर और बूचा सम्मिलित नहीं हैं ।”

“प्रश्न यह है कि इससे हमें लाभ क्या पहुंचेगा ?” – मेहता ने पूछा ।

“क्या बचकाना सवाल आपने किया है ।” – सुहराब जी ने कटु स्वर में कहा – “आप सबको मालूम है कि हमारी गाढ़ी कमाई पर सरकार की ओर से छापे पड़ रहे हैं । सरकार ने उसका नाम काला धन और काला रूपया रखा है । अगर हम उसे बेंक में रखें तो पछत्तर प्रतिशत टैक्स दें, लोकर में दें तो सरकार ले ले । घर में रखें तो रनधा चुरा ले या फिर सरकार ही जब्त कर ले मगर इन दोनों प्रोजेक्टों से आप सबकी रक़म व्हाईट हो जायेगी । विदेशी बेंको में आपका जो धन है वह जब्त नहीं होगा और आपके काम आयेगा और इसका क्रेडिट केवल मिस्टर नौशेर को जाता है ।”

“पहली दस्तखत किसे करनी है ?” – नौशेर ने पूछा ।

“मादाम ज़ायरे को, जो प्रकट में तो एक डांसर है मगर वास्तव में उस विदेशी कंपनी की एजेंट है और रुपये की बहुत बड़ी स्मगलर है ।”

वैसे ही द्वार खुला और मादाम ज़ायरे दाखिल हुई ।

***

हमीद ने जैसे ही रोशन्दान से आँखे लगाईं थी वैसे ही मादाम जायरे कमरे दाखिल हुई थी । उसने सबको देख भी लिया था और पहचान भी लिया था ! मादाम जायरे के आगमन की प्रतिमा क्रिया सबसे अधिक सुहराब जी पर हुई थी । वह चहक कर कुछ कहने वाला था कि मादाम जायरे का उतरा हुआ चेहरा देखकर सन्नाटे में आ गया । नौ शेर ने बड़े कोमल स्वर में कहा ।

“ऐग्रीमेंट तैयार है मादाम ! आप उस पर दस्तखत कर दीजिये ।”

“पहले मैं यह जानना चाहूंगी कि मुझे यहाँ इस प्रकार क्यों बुलवाया गया है ?”

“आप ही नहीं वरन हम सब ही इसी प्रकार यहाँ इकत्रित हुये है ।” – नौ शेर ने कहा “समय कम है । एक बजे फ्लाइट से सारे कागजात लेकर मैं लंदन के लिये रवाना हो जाऊंगा । मेरे साथ आप भी चलेंगी इसलिये जल्दी से ऐग्रीमेंट पर दस्तखत कर दीजिये ।”

“इस समय मैं किसके मकान पर हूँ ?” – मादाम जायरे ने कहा ।

“एक विदेशी जो लंदन का रहने वाला है ।” – नौ शेर ने कहा फिर दोनों ऐग्रीमेंट उसके सामने रखते हुये कहा “दस्तखत न करने की सूरत में करोड़ों की हानि होगी और क्या कहूं – आप ख़ुद ही समझदार है । बाकी लोग दस्तखत कर चुके है ।”

मादाम जायरे ने गर्दन घुमाकर नौ शेर की ओर देखा और मुस्कुरा पड़ी फिर दोनों ऐग्रीमेंट पढ़ कर उन पर हस्ताक्षर कर दिये । नौ शेर दोनों ऐग्रीमेंट तह करके जेब में रखने ही जा रहा था कि दरवाज़ा खुला और पांच आदमी दाखिल हुये । सबसे आगे सीमा और लाल जी थे । उनके पीछे वह ड्राइवर था जिसके बारे में सीमा ने बताया था कि वह रमेश है और उस आदमी के मेकअप में है जिसे पुलिस तलाश कर रही है ।”

हमीद उस ड्राइवर को बड़े ध्यान से देख रहा था । उसे ड्राइवर से सम्बंधित सारी बातें याद आ रही थीं और वह निर्णय नहीं कर पा रहा था कि यह वास्तव में वही न्यू मैन है जिसकी पुलिस को तलाश है या रमेश ही न्यू मैन से मेकअप में है और यह कि रमेश मरा नहीं बल्कि जीवित है – मगर इससे अधिक चौंक देने वाले वह दो आदमी थे जो ड्राइवर के पीछे पीछे कमरे में दाखिल हुये थे । उनमें से एक रनधा था जिसका चेहरा देख कर डर लगता था मगर इस समय वह खाली हाथ था और दूसरा एक लम्बा कद का नकाब पोश था जो दरवाज़े से बिल्कुल चिपका हुआ था ।

अचानक रनधा के अधरों पर मुस्कान थिरक उठी फिर उसने कहा ।

“तुम लोगों के न चाहते हुये भी तुम्हारा सेवक रनधा आज फिर तुम लोगों की सेवा में हाजिर है ।”

“अब हम लोगों के पास क्या है जिसे लूटने आये हो ?”

“क्या है यह तो अभी मालूम हो जायेगा । पहले यह बताओ कि जब तुम लोगों को मना किया गया था कि अपने घरों से न निकलना तो फिर क्यों बाहर निकले ।”

किसी ने कुछ नहीं कहा । सब परेशान नजर आ रहे थे मगर सुहराब जी और नौ शेर कुछ संतुष्ट नजर आ रहे थे । रनधा बोलता जा रहा था ।

“सीमा आ गई है उसके एग्रीमेंटों पर हस्ताक्षर करा लो – और जो जो दिल चाहे करो – मुझसे कोई मतलब नहीं । मैं केवल अपनी लूटी हुई दौलत वापस लेने आया हूँ जिसे मेरे जेल जाने के बाद एक आदमी ने हड़प कर लिया । उसी आदमी के पास वीना भी है ।”

“क्या तुम्हें फाँसी नहीं हुई थी ?”

“मैं नहीं चाहता कि तुम लोग अंधकार में रहो इसलिये बता रहा हूँ जिस रात मुझे गिरफ़्तार किया गया था उसी रात कर्नल विनोद मुझसे मिला था । मैं कर्नल विनोद से घृणा करता था मगर उस रात उसने मुझे जीत लिया था । तुम लोगों ने मुझे जेल में ट्रांसमीटर भिजवाया था मगर वह ट्रांसमीटर मुझे कर्नल वोनोद के माध्यम से मिला था मगर मैंने तुम लोगों से बातें नहीं कीं – बस वीना की प्रेम भरी बातें सुनता रहा था ।”

अचानक रनधा ने पैतरा बदला और पीछे से गरजदार आवाज उभरी ।

“खबर्दार ! कोई अपने स्थान से नहीं हिलेगा ।”

जितने अपनी जेबों की ओर हाथ ले जा रहे थे अपने अपने हाथ खींच लिये और रनधा फिर कहने लगा ।

“यह भी कर्नल विनोद ही का कारनामा है जिसने मुझे फांसी नहीं होने दी और सब को धोखे में रखा ।”

“तो फिर वह लाश किसकी थी ?”

“किसी की रही होगी ।”

“और वह दोनों जो लाश लेकर गये थे ?”

“उन दोनों को लाश सहित कर्नल विनोद के आदमियों ने हर लिया था और अब वह सरकारी गवाह बना लिये गये हैं ।”

“मगर सारे बड़े सरकारी आदमी तक यही कहते हैं कि तुम्हें फांसी हो गई ।” – नौशेर ने कहा ।

“वह यह कहने के लिये विवश थे इसलिये कि उनको ऊपर से यही आदेश दिये गये थे ।”

“तो तुम कर्नल विनोद से मिल गये ?”

“नहीं ।” – रनधा ने गरजकर कहा – “मैं अब भी उसी हरामी का वफादार हूं जो मुझ से काम लेता रहा था और जिसने मेरे गिरोह के एक एक आदमी को चुन चुनकर क़त्ल कर दिया । उसी ने कल रात बूचा के भाई को बम देकर जेल के पास ख़त्म कर दिया । उसी ने मेरे साथी निम्बाल्कर को स्टेशन वैगन पर झरियाली की ओर भेज कर टाइम बम द्वारा ख़त्म कर दिया और अभी थोड़ी देर पहले राबी और रोहन को ज़हरीली शराब पिलवाकर ख़त्म कर चुका है ।”

“कल रात तुमने ही हम लोगों को गिरफ्तार किया था ?”

“नहीं । कर्नल विनोद ने ।”

“कर्नल विनोद तो लंदन है ।”

“हां, वह लंदन में है मगर उसका असिस्टेंट हमीद तो यहां है ।”

“वह बेचारा तो ख़ुद ही हम लोगों के साथ कैद में था ।”

“तो फिर कर्नल विनोद का कोई और आदमी रहा होगा ।” – रनधा ने उक्ताकर कहा – “हां, इतना और सुन लो कि कर्नल विनोद लंदन में न्यू मैन के षडयंत्रों को समाप्त कर चुका है । अगर प्रमाण चाहते हो तो वह भी दे दूं ।”

“लाओ, प्रमाण दो ।” – नौशेर ने कहा ।

“पहले दोनों एग्रिमेन्ट मेरे हवाले कर दो ।”

“लो ।” – नौशेर ने दोनों कागज़ात रनधा की ओर बढ़ाये । रनधा ने भी कागज़ात लेने के लिये हाथ बढ़ाये ।

“खबर्दार !” – पीछे से गर्जना सुनाई दी और रनधा हाथ खींचकर कहने लगा ।

“अब तुम लोग इस एग्रिमेन्ट पर भी हस्ताक्षर कर दो ।” – उसने जेब में हाथ डालकर सात फार्म निकाले और उन्हें सीमा की ओर बढ़ाते हुए कहा – “एक एक फार्म सबको दे दो और कह दो कि यह लोगों इन्हें भर दें । जो नहीं भरता वह ज़िन्दा नहीं बचेगा ।”

जब सीमा ने एक एक फार्म सबको दे दिया तो रनधा ने कहा ।

“मिस्टर नौशेर ! तुमने यह नहीं पूछा कि मेरे साथ कौन खड़ा है ?”

“मैं क्यों पूछूं ? मैं तुमसे बात भी नहीं करना चाहता ।” – नौशेर ने गरजकर कहा – “तुम डाकू हो । तुम एक बार मेरे घर से मेरी सारी दौलत लूटकर ले गये थे और अब यहां इस प्रकार ड्रामा कर रहे हो जैसे हम सब मुजरिम हैं और तुम पुलिस इन्स्पेक्टर हो ।”

“खैर, मैं ख़ुद ही बता देता हूं ।” – रनधा ने हंसकर कहा – “यह मिस्टर न्यू मैन हैं । यही आदमी मुझसे डाके डलवाता था और मेरी लूटी हुई रक़म का केवल दस प्रतिशत मुझे देता था । लड़कियां अपहरण करके इसी के पास मैं पहुंचाता था । इसी ने दो बार मुझे फांसी से बचाया था । यह दुनिया का सबसे खतरनाक आदमी है, हां – तो तुम इसे नहीं पहचानते मिस्टर नौशेर ?”

“नहीं ।”

“सीमा !” – रनधा ने कहा – “इनको न्यू मैन का वास्तविक रूप दिखा दो ।”

सीमा ने आगे बढ़कर सबसे पहले उस ड्राइवर के सिर पर लगा हुआ विग हटाया । अधरों पर चिपके हुए टेप अलग किये फिर जैसे ही भवें अलग कीं – ऊपर हमीद चौंक पड़ा क्योंकि अब न्यू मैन कि जगह रमेश खड़ा था !

“हां, तो मिस्टर नौशेर ।” – रनधा ने कहा – “मेरा विचार है कि अब तुम्हारी सुंदर दाढ़ी, तुम्हारी मोंछ तुम्हारी विग और तुम्हारे होठों पर लगे हुए टेप भी अलग हो जाने चाहिए – क्या खयाल है – खैर यह तो बाद में भी हो जायेगा । कुछ और बातें भी सुन लो । मिस्टर रमेश को इस भेस में तुम्हें इसलिये दिखाया था कि तुम घबड़ाहट और बौखलाहट का शिकार होकर मूर्खताएं करते जाओ । आज तुमको फिर इसी भेस में मिस्टर रमेश को दिखाया गया था और उसका परिणाम यह निकला कि तुम बिलकुल ही बौखला गये और तुमने जल्दी में यह प्लान बनाया कि आज ही दो बजे की फ्लाईट से वीना तथा सारी दौलत को लेकर तुम निकल जाओ । मिस्टर रमेश को मैं न्यू मैन के भेस में इसीलिये यहां ले आया था ताकि तुम्हारे साथियों को यह समझा सकूं कि तुम किस प्रकार असली न्यू मैन होते हुए भी नौशेर बनकर उन्हें धोखा देते रहे हो, और अब तुम्हारा यह मेकअप हटाया जायेगा तो तुम्हारा असली चेहरा यह लोग भी देख लेंगें ।”