After hanging - 18 in Hindi Detective stories by Ibne Safi books and stories PDF | फाँसी के बाद - 18

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फाँसी के बाद - 18

(18)

“मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि कोई शक्ति रनधा के पीछे थी जो रनधा के फांसी पा जाने के बाद रनधा ने नाम से लाभ उठा रही है । मगर एक दूसरी शक्ति भी है जो पहली शक्ति का रास्ता काट रही है ।” – हमीद ने कहा । फिर बोला – “मुझे आश्चर्य है कि कर्नल साहब लंदन में हैं मगर यहां की सारी बातों को जानते हैं ।”

“कर्नल साहब के लये कोई भी बात असंभव नहीं है । फिर इस जुर्म की बुनियाद तो लंदन में ही है, यहां तो केवल शाखाएं हैं । पांच करोड़ वाला प्रोजेक्ट, बूचा का भाई तथा मादाम ज़ायरे – इस सब का संबंध लंदन ही से है ।”

“तुम तो इस प्रकार बातें कर रहे हो जैसे इस केस के बारे में सबकुछ जानते हो !”

“जी हां । कर्नल साहब इस केस के संबंध में उस समय से मुझसे काम ले रहे हैं जब आप लोगों ने रनधा को गिरफ्तार नहीं किया था ।”

“उस समय क्या काम ले रहे थे ?” – हमीद ने चौंकते हुए पूछा ।

“उन्हें एक ऐसे आदमी की तलाश थी जो विदेशी था मगर सूरत बदलकर यहां के नागरिक के रूप में रहता था । यहां से दूसरे देशों को रुपये स्मगल करता था । कर्नल साहब का विचार था कि रनधा की पीठ पर वही है । मुझे उसी आदमी पर उन्होंने लगा रखा था ।”

हमीद कुछ और पूछना चाहता था कि आगे वाली स्टेशन वैगन एक इमारत के सामने रुक गई और हमीद ने भी मोटर साइकल रोक दी । स्टेशन वैगन से दो आदमी उतरकर इमारत में दाखिल हो गये और स्टेशन वैगन आगे बढ़ गई ।

“मैं स्टेशन वैगन के पीछे जा रहा हूं । तुम मेरी वापसी तक यहीं रहोगे । मेरा ख्याल है कि इस इमारत से कोई अब बाहर नहीं निकलेगा ।” – हमीद ने कहकर ब्लैकी को उतारा और मोटर साइकल आगे बढ़ाई ।

अब वह स्टेशन वैगन का पीछा नहीं करना चाहता था बल्कि उसे पकड़कर चेक करना चाहता था इसीलिये पूरी गति से मोटर साइकल चला रहा था, मगर जैसे ही स्टेशन वैगन झरियाली रोड पर पहुँची एक ज़ोरदार धमाका हुआ और हमीद ने मोटर साइकल में पूरे ब्रेक लगाए । सामने थोड़ी ही दूरी पर वह स्टेशन वैगन जल रही थी । वह मोटर साइकल से उतरकर स्टेशन वैगन के निकट पहुंचा । अभी पिछले भाग में आग नहीं लगी थी । उसने जल्दी से उसकी नंबर प्लेट निकाली और जलती हुई गाड़ी को एक नज़र देखकर पलटा और मोटर साइकल पर बैठकर वापस हुआ । फिर जैसे ही पहला टेलीफोन बूथ नज़र आया उसने मोटर साइकल रोकी और उतरकर बूथ में दाखिल हुआ । डी.आई.जी. के नंबर रिंग किये और कहने लगा ।

“सर, मैं बूथ नंबर चार सौ इक्तालीस से हमीद बोल रहा हूं । झरियाली रोड पर तेरहवीं और चौदहवीं मील के मध्य में एक लाश और जली हुई स्टेशन वैगन मौजूद हैं । लाश उठवा ली जाए और गाड़ी चेक करने योग्य हो तो चेक की जाए और कृपा करके आप ख़ुद एक मजिस्ट्रेट तथा फ़ोर्स के साथ नरीमान रोड की तीसरी कोठी पर आ जाइये । समय बहुत कम है इसलिये मैं विवरण नहीं बता सकता । इसके लिये क्षमा चाहता हूं ।”

डी.आई.जी. का उत्तर सुनने से पहले ही उसने संबंध काट दिया और बाहर निकलकर नरीमान रोड की ओर चल पड़ा जहां वह ब्लैकी को छोड़ आया था ।

***

इस समय दस बजे थे । नरीमान रोड की तीसरी कोठी बाहर से तो अंधकार में डूबी थी, मगर अंदर से एक कमरे में रौशनी हो रही थी और उसमें एक आदमी टहल रहा था । फिर एक दूसरा आदमी दाखिल हुआ और पहले वाले से कहा ।

“सब ठीक है । यध्यपि कैप्टन हमीद ने सबको मना कर रखा है कि कोई घर से बाहर न निकले मगर सब जायेंगे – लेकिन कदाचित सीमा और लाल सिंह न जाएं । इसलिये कि हमीद ने उनसे कहा है कि जिन पाँच आदमियों ने प्रोजेक्ट तैयार किया है उन्हीं में से कोई मुजरिम है । दूसरी रिपोर्ट यह है कि सुहराब जी ने हमीद को बताया था कि जिस आदमी ने मादाम ज़ायरे से प्रेम प्रदर्शन किया था उसका नाम जिस दिन मादाम ज़ायरे उसे बताने वाली थी उसी दिन उस पर गोली चलाई गई थी ।”

“अच्छा । तो तुम रोहन और रावी को साथ ले जाओ और मादाम ज़ायरे तथा सीमा का अपहरण करके उन्हें यहीं ले आओ । स्टेशन वैगन तुम ही ड्राइव करोगे, जाओ ।”

वह आदमी जैसे ही बाहर निकला वैसे ही दूमीचंद की लड़की वीना दाखिल हुई ।

“सुनो डार्लिंग !” – उस आदमी ने कहा – “आज की रात बहुत महत्वपूर्ण है । विनोद जब लंदन से वापस आयेगा तो यह मालूम करके आयेगा कि न्यू मैन उसके शहर में मौजूद है इसलिये मैं आज ही अपनी न्यू मैन वाली हैसियत ख़त्म कर दूंगा वर्ना हो सकता है विनोद मुझे पहचान ले । अब तक मेरी वास्तविकता तो तीन ही आदमी जानते थे । एक था रनधा जिसने मुझे उस समय देख लिया था जब वह तुम्हें लेकर मेरे पास आया था । दूसरा बूचा का भाई जिसे मैंने जेल के पास बम का शिकार बनवा दिया था और तीसरा निम्बालकर जो अभी अभी यहाँ से गया है और अब मैं उसे भी ख़त्म करने जा रहा हूं ।”

“तुमने मेरे बाप को भी क़त्ल कर डाला । बड़े निर्दयी हो !” – वीना ने कहा ।

“तुम्हारे बाप को मेरी इच्छा के विरूद्ध रनधा ने क़त्ल किया था और उनका क़त्ल हो जाना आवश्यक भी था इसलिये कि वह हम दोनों के बारे में बहुत कुछ जान गये थे । अगर वह जीवित रहते तो न हमें मिलने देते और न हमारा कारोबार चलता और यह भी हो सकता था कि वह तुम्हें क़त्ल कर देते ।”

“सीमा के बारे में तुमने क्या सोचा ?” – वीना ने पूछा ।

“थोड़ी देर बाद वह जहां जा जायेगी और तुम्हारे सामने उसे नंगी होकर नाचना पड़ेगा ताकि वह कभी तुमसे आंखे न मिला सके । यही तो तुम्हारी इच्छा है ना ?”

“हां ।” – वीना ने मुस्कुराकर कहा । फिर पूछा – “क्या सचमुच रनधा को फांसी हो गई ?”

“हां ।”

“तो फिर रमेश को किस रनधा ने क़त्ल किया ? मिस्टर राय एडवोकेट के आफिस में हमीद इत्यादि को किसने कैद कर रखा था ?”

“यही तो समझ में नहीं आ रहा है ।” – उस आदमी अर्थात न्यू मैन ने कहा – “अच्छा ठहरो । मैं अभी आता हूं तो तुमसे बातें करूँगा ।”

बात समाप्त करके न्यू मैन पिछले दरवाजे से बाहर निकलकर एक कमरे में पहुंचा । एक आल्मारी खोली जिसमें दो छोटे छोटे बम रखे हुए थे । एक के साथ पॉकेट साइज़ घड़ी अटैच थी । उसने उस बम की घड़ी की सुई एक घंटा आगे कर दी और दूसरा बम अपने भीतरी जेब में रखा । फिर कमरे से निकलकर गैराज की ओर बढ़ा ही था कि निम्बाल्कर नज़र आया । उसने निम्बाल्कर से कहा ।

“तुम चलो ! मैं स्टेशन वैगन लेकर आ रहा हूं । यह ख्याल रहे कि स्टेशन वैगन सीमा और हमीद की नज़रों में आ चुकी है इसलिये वापसी में तुम सीमा, राबी और रोहन को यहां उतारकर झरियाली की ओर चले जाना । वहां जंगल में पहुंचकर स्टेशन वैगन जला देना और कल सवेरे टैक्सी से वापस चले आना ।”

बात समाप्त करके वह गैराज में दाखिल हो गया । एक तख्ता हटाकर वह निचले गैराज में पहुंचा । एक काले रंग की स्टेशन वैगन खड़ी थी । उसके डेशबोर्ड से लगे हुए खाने का ढक्कन खोलकर वह बम रखा जिसकी सुई एक घंटा आगे कर दी थी । फिर ढक्कन बंद करके उसमें ताला लगाया । उसके बाद उसे ड्राइव करके ऊपर वाले गैराज में लाया फिर उसे बाहर लाकर निम्बालकर के हवाले किया और अपने हाथ से गैराज बंद करके फिर उसी कमरे में पहुंच गया जिसमें वीना को छोड़ गया था । वीना टहल रही थी मगर अब कुछ उदास सी दिखाई दे रही थी ।

“तुम कुछ चिंतिंत सी नज़र आ रही हो – क्या बात है ?” – उसने वीना से पूछा ।

“हाँ ।” –वीना के कहा “न जाने क्यों मुझे ऐसा लगता है जैसे रनधा अभी जीवित है ।”

“असंभव – मैं तस्दीक कर चुका हूँ ।” – न्यू मैन ने कहा ।

“फिर उसकी लाश क्या हुई – उसे तो तुम्ही ग़ायब करने वाले थे ?”

“इसकी चिंता मुझे भी है – मेरे वह दोनों आदमी पता नहीं क्या हो गये ।”

“मुझे ऐसा लगता है जैसे कोई आदमी रनधा के नाम से अनुचित लाभ उठा रहा है और मुझे ब्लैक मेल भी करना चाहता है । तुमने रनधा को अकारण गिरफ़्तार कराया ।”

“मैंने गिरफ्तार कराया ?”

“हाँ ।” – वीना ने कहा “रनधा जहां था वहां के टेली फोन का तार पहले ही काट देता था मगर सीमा के यहां उसने तार नहीं काटे थे । प्रकट है कि वह तुम्हारा ही आदेश रहा होगा ।”

 

“तुम जानती हो कि रनधा की मांग क्या थी ?´- न्यू मैन ने पूछा ।

“नहीं ।”

“उसने कहा था कि या तो मैं सारी दौलत उसके हवाले कर दूं या तुम्हें उसके हवाले कर दूं इसलिये मैं स्टेशन वेगन लेकर लौट आया था कि कहीं वह मुझे न गिरफ़्तार करा दे या ततुम्हें न उठा ले जाये ।”

“तुमने अकारण ही मेरी आवाज जेल में प्रसारित......।”

“तुम्हारी आवाज पर ही तो वह मौन रहा था वर्ना सब कुछ उगल दिया होता ।”

“अब क्या प्रोग्राम है ?” – वीना ने पूछा ।

“मादाम जायरे के माध्यम से पहले तो उस मशीन के संधि पर हस्ताक्षर कराना और फिर उसे क़त्ल कर देना ।”

“तो फिर दुसरे लोगों को क्यों बुलवाया है ?”

“वह सब लोग भी संधि पर हस्ताक्षर करेंगे । मैं सेक्रेटरी हूँ । सारे अधिकार मेरे पास है । पांच करोड़ रुपये पलक झपकाते ब्लैक से व्हाइट हो जायेंगे । सूद अलग मिलेगा फिर हम तुम लंदन चले जायेंगे और ऐश का जीवन व्यतीत करेंगे ।”

उसी क्षण घडघड़ाहट सुनाई दी और न्यू मैन ने वीना को संकेत किया । वह बाहर निकल गई । दुसरे ही क्षण द्वार खुला और सुहराब जी – मेहता – प्रकाश – बूचा – और नागर वाला अंदर दाखिल हुये ।

*******