Broken with you... - 7 in Hindi Moral Stories by Alone Soul books and stories PDF | Broken with you... - 7

Featured Books
Categories
Share

Broken with you... - 7

अंजली चलो यहां क्यू बैठी हो अंधेरे में , चलो अभी तो तुमको बागीचे में जाने का वक्त मिला है
"" छोड़ दो तुम अब हमको नगमे दिलाने को, एक अंधेरा ही तो है अपना साया नही छोड़ता बाकी तो दगा खुद ही खुद को देना होता है ""~ वकील बाबू
तो ठीक ही हैं , वैसे भी तुम कहा किसी की सुनती हो !
चलो अब बता ही दो प्रिया को कैसे मारा , तुमने
जो एक सबूत भी ही नही है तुमरे खिलाफ सिवाए तुम खुद बोल दी की तुम मारी हो,

चल आज सुन ही ले , की जब एक लड़की की आबरू को छेड़ा जाता है, तो अंजाम क्या होता है वकील बाबू
जादा देर नही लुंगी तुम्हारा बस 5 मिनट में, सब बया कर देती हु वकील बाबू !

समय 2:10, 21 feb-_-_-_-_-_-_-_-_

सुबह ही प्रिया को डिस्चार्ज करने वाले थे डॉक्टर , उसकी मां रास्ते में थी मेरे मन में सैलाब सा उबाल रहा था की मैं बदला लू तो कैसे लू बस यही सोचते सोचते मैं गलती से हॉस्पिटल स्टोर रूम मैं जा पहुंची और बस मेरा , मन वही जा कर शांत हो गया जब सामने एक तेजाब का डिब्बा मिला और एक चाकू , बस वही से मुझे मेरी मंजिल मिल गई दिल को सुकून भरी सास ली और मेरा नसीब देखो वकील बाबू , स्टोर रूम के बगल वाला कमरे में ही प्रिया एडमिट थी ,

वो कहते है, जिसके साथ सईया उसको रोके गा कौन
बस डिब्बा लिया , और प्रिया के रूम मैं चली गई
किस्मत ने वहा भी साथ दिया प्रिया अकेली
प्रिया अकेली मुझे मिल गई

बहुत प्यार से उसको उठाया , साली को जी सब बताया , चिल्लाने लगी अब बताओ हम इतने वे रहम थोड़ी है वकील बाबू ,
एक चाकू गले की नश , पर मारी और वही मर गई साली,

लेकिन लेकिन उसकी बॉडी तो मिली ही नही न कोई खून का निशान , न कोई फिगर — वकील बाबू


शायद तुम भूल रहे हो बाबू साहब , स्टोर रूम से तेजाब भी लाई थी मैं ,
बस साली को पिस – पिस –पिस ....
काट के कमोड में डाल दिया और तेजाब से फॉल्स कर दिया और सब तेजाब से साफ कर के
वही हाल में आ कर लेट गई थी में , बस
सब सुकून उसी दिन पाया और तो तू सब जानता ही है ।
वकील बाबू –
तो तुम पूरी ज़िन्दगी यही रहोगी....

हा अपना कोई नहीं है अब तू निकल
वकील साहब भी आखों में मायूसी ले कर निकल गए और अंजली अपनी भी धुन में लग गई



( किसी की मुश्कुराहटो पे , हो निसार किस्सी का दर्द मिल सके तो लू उधार ........)











सब एक तरफ , पर जो दर्द मेरे सीने में था कम्बक्त वो कभी नही बाट सकेगे ,
इसी तरह पूरी जिंदगी सबसे दूर , अपना दर्द उसी
चार दिवारी में बीतने का सोच लिया जो लड़की कभी चार लोगों के बीच में हस्ती बोलती थी , वो खामोशी को गले लगाना ज़्यादा अच्छा समझ लिया ।
इस बात में तो सच्चाई है , कोई खुद गलत नही होता जब हालत गलत बना देते है , अगर कोई एक हाथ थाम कर , समझा देता तो काश कई लाशे आज जिंदा होती ।

( ऐसे ही सब खत्म होगया , सब खुद में ही टूटा गया , इसी के साथ फिर मिलते है , किसी अलग रूप में किसी अलग कहानी के साथ 🙏🏻 )
!!इति समाप्त!!