Wo Ankahi Baate - 3 in Hindi Fiction Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | वो अनकही बातें - भाग - 3

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वो अनकही बातें - भाग - 3

शालू ने खिड़की के पास जाकर देखा तो बारिश रुक गई थी। तभी शालू बोली मुझे जाना होगा । समीर ने कहा हां ठीक है मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूं।
शालू ने कहा नहीं उसकी जरूरत नहीं है।

समीर ने कहा अपना घर भी नहीं दिखाना चाहती हो ना। क्या चाहती हो तुम?
मैं बार-बार परेशान नहीं करुंगा । तुम्हारे पति से मिलना था बस।।
शालू ने कहा,वो यहां नहीं है।
समीर ने कहा अच्छा, फिर मन में बोला शालू कितना झूठ बोलोगी? कितनी बदल गई हो ?

शालू ने पूछा कुछ कहा क्या?

समीर ने कहा कि कहना तो तुम्हें था।"वह अनकही सी बातें।" जो तुम उस समय भी नहीं बोल पाई और आज भी
शालू ने कहा,मुझे निकलना होगा आफिस।
समीर ने बोला हां , हां कहां रोक रहा हूं। वैसे तुम्हारा आफिस कहां है?
शालू ने कहा,अंधेरी में।

समीर ने कहा अरे बातों-बातों में तुम्हारा प्लेट तो खाली हो गया।
शालू ने बोला मन नहीं है खाने का।
समीर ठीक है थोड़ा खा लो।

फिर समीर ने रोमांटिक मुड में कहा वैसे गुलाबी रगं में बहुत सालों बाद देखा तुम्हें। चहेरे का नूर अभी तक है और ये रंग जच रहा है तुम पर।

शालू ने पूछा ,याद आया ये सूट किसका है? वैसे नया लग रहा है।।

समीर ने हंसते हुए कहा ,मै किसी का चीज तुमको नही दे सकता ,इतना तो समझती हो तुम मुझे।

शालू ने बोला ठीक है मैं अब कुछ नही बोलूगी ,
समीर ने कहा चलो मै तुमको छोड़ देता हुं।

शालू ने कहा, अच्छा ठीक है।

समीर मायुस आंखों से शालू को देख रहा था और मन ही मन सोच रहा था तुफान आ जाएं और सब कुछ थम जाएं।

समीर ने कहा अच्छा ठीक है चलो।
आकाश गराज से कार निकालता है और समीर आकर बोलता है कि आकाश मैं आज डाइविंग करता हूं तुम आराम करो। आकाश सर हिला कर सेल्युट करता है।

शालू ने पूछा समीर तुम मेरे लिए इतनी दूर क्यों जाओगे भला। मुझे लोकल तक छोड़ दो।
समीर ने कहा शालू सीट बेल्ट लगा लो। जहां तुमको जाना है वहां मुझे जाना है और मैं इतना बेवकूफ नहीं हुं। कि तुमको छोड़ने जाऊंगा।
शालू ने कहा ठीक है।
समीर ने अपना कार्ड दिया,ये मेरा कार्ड रख लो।
शालू ने कहा, थैंक यू।

समीर ने हंस कर कहा कितनी बार बोलोगी थैंक यू , मुझे इसकी जरूरत नहीं है।

फिर शालू ने कहा गाड़ी चलाते हुए बात नहीं करते हैं।
समीर ने कहा,हां पता है। खैर अपना नंबर तो दिया नहीं तुमने पर देखते है फोन करती हो या नहीं?

तुमको अधेरी छोड़ना है ना? ये समीर ने पूछा।

शालू ने कहा, हां बस स्टेशन पर छोड़ देना।
समीर ने कहा हां एक ही शहर में हम दो अजनबी जैसे ... मैंने इतना कुछ बोल दिया पर तुम कुछ नहीं बोली।

शालू ने कहा समीर मुझे इन सब बातों के लिए समय चाहिए मैंने बहुत कुछ देखा है जिंदगी में।

समीर ने कहा हां, सही कह रही हो, देखा तो मैंने भी बहुत कुछ है।
आगे समीर बोलता है बातों- बातों में भुल गया चाय समोसे जलेबी, कॉफी पी लें।
शालू ने कहा अरे बाप ये! इतना कुछ।

समीर ने फ्लाक्स में से कॉफी निकाल कर पेपर ग्लास में लिया और शालू को दिया फिर एक गाना एफ एम पर आने लगा।तुम बिन फिल्म का गाना "प्यार हमको होने लगा ,खोना था दिल खोने लगा"!!!.....

समीर शालू की आंखों में देखने लगा। ये क्या हो रहा है मुझे शालू ने कहा। फिर शालू बोली समीर मुझे लेट हो रहा है। समीर हां बाबा चलता हुं।

फिर अंधेरी स्टेशन पर शालू उतरी।

शालू थैंक यू ।। समीर ने कहा फ्री होकर फोन करना ।

शालू ने कहा चलो चलतीं हुं।

समीर वहां से निकल गया और शालू अपने आफिस पहुंच गई।

मशीन द्वारा अनुवादित किया और अपने केविन में जाकर बैठ गई।

सब कुछ भुलाकर आगे बढ़ रही थी शालू पर ये क्या हो गया।
तभी गोपाल ने आकर कहा,मैम सर ने बुलाया है ।
शालू ने कहा, हां आती हुं।

फिर बांस के रूम ।

शालिनी ने कहा कौशिक सर गुड मॉर्निंग।

कौशिक सर ने कहा शालिनी कल पार्टी में सब ठीक था?
शालू ने मुंह बना कर बोली,नो सर कुछ अच्छा नहीं था।
कौशिक सर ने बोले क्या बात हुई?
शालू ने कहा राजीव ने मेरे साथ बहुत ही खराब व्यवहार किया की।
मैं किसी तरह से निकल गई।
कौशिक सर ने कहा ओह माई गॉड। शालिनी तुम ठीक हो।
शालू ने कहा यस सर। कौशिक सर ने कहा ओके! शालिनी।

फिर शालू अपनी नई प्रोजेक्ट पर लैपटॉप पर काम करने लगी।
तभी शालू का फोन बजा , देखा राजीव शुक्ला लिखा है शालू ने फोन रिसीव किया और बोली क्या बात है कल की बात अगर बोलोगे तो मैं फोन रख दुंगी।
राजीव बोले कि कल के बर्ताव के लिए माफी मांगना चाहता हूं। शालू ने कहा मुझे इस बारे में बात नही करनी है। राजीव बोले शालिनी मैं तुमसे शादी करना चाहती हुं।

शालू गुस्से में बोली मैं तुमको सिर्फ दोस्त मानती हूं। शालू ने फोन काट दिया।

फिर लैपटॉप में काम करने लगी।
फिर अचानक सोमू का चहेरा सामने आ गया। समीर हो सके तो माफ़ करना मुझे। शालू मन में बोली और उस सूट को छुआ और फिर सोचने लगी क्या हो रहा है मुझे मैं क्या कभी सोमू को अपने दिल की बात कह पाऊंगी।
शालू को उस अतीत में सब कुछ कल जैसा अनुभव होता है क्या मैं सोमू को धोखा दे रही हुं। समीर ने शादी क्यों नहीं किया? शायद कुछ छूट रहा है। रह रह कर पुरानी यादें ताजा हो रही है।

फिर लंच ब्रेक हो गया। नायरा ने कहा अरे शालिनी कैंटीन चले? शालू ने कहा हां-हां चलो। फिर दोनों कैंटीन में जाकर बैठ गई। क्या लाऊं?नायरा ने पूछा।।।शालू मेरा एक टोस्ट विद चिज़।नायरा ओ के।

फिर नायरा ने शालिनी से पुछा क्या बात है कुछ बुझी सी लग रही हो।
शालू ने कहा कल समीर मिले।
नायरा ने कहा ओह माई गॉड क्या बात है।
शालू ने कहा नारू मैं मजाक के मूड में नहीं हुं।
नायरा पता है मुझे पुरी बात तो बता।
फिर शालू ने सारी बात बताई।नायरा बोली इसका मतलब समीर अभी तक तुम्हारे लिए इन्तजार कर रहा है। शालू बोली नहीं पता मुझे।

फिर ब्रेक खत्म हो गया और फिर सब काम करने लगें।
फिर शाम हो गई सब जाने लगे।

नायरा बोली आफिस से निकलते हुए शालिनी तुम इस बारे में सोच घर जाकर । शालू बोली क्या सोचु अब,शायद बहुत देर हो चुकी है।
फिर शालू,नायरा आफिस की कार में सवार हो गए। शालू ने कहा पता है आज घर जाने का मन नहीं।
नायरा ने कहा हां मैं समझ सकती हुं।नायरा चल मैं गोरे गांव उतर जाती हुं, तरूण से मिलने।
शालू ने कहा ठीक है। शालू का घर मलाड में था।वो भी मलाड उतर गई।


क्रमशः