एक अरसे बाद जब कोई उम्मीद नहीं बचती है, तो बचती है वो रहा जिस पर हम चल रहे हैं।
मिलता तो कुछ नहीं बस मंजिल पर पहुंचने पर भटकने की भावना थोड़ी देर के लिए कम हो जाती हैं।
रिया भी कुछ ऐसे ही दौर से गुजर रही थी, खुद को काम में डूबा करो जीवन को पूरी तरह भूल जाना चाहती थी।
जीवन का move on करना उसे अपने ही की गई गलती का आईना दिखाता था।
वह एक बार फिर डिप्रेशन जैसे हालत से जाकर सुसाइड कर खुद को दोगला और कमजोर साबित नहीं करना चाहती थी।
बचपन से स्वतंत्र थी और अब भी भले ही मैनेजर की पोस्ट फिर से ना मिले पर जिस दौर मैं वो थी बस उसके लिए तो चलना ही काफी था।
कभी-कभी हम जो फैसले गलत भी ले ले तो भी वह फैसले गलतियां हमें सिख देकर जाती हैं।
लेकिन रिया तो अभी परफेक्शनिस्ट बनने की कगार पर थी।
No matter how badly You have messed up.
God hasn't changed your mission!
बाइबल की जो पंक्तियां रिया के मिशन से साझा करती थी।
अपने परिवार के साथ खड़ा रहने का,अपने सपनों को पूरा करने का, लोगों को बेटियां भी है किसी से कम नहीं होती यह दिखाने का।
भले ही रिया की मां आज इसके साथ नहीं पर जब भी वह देखती है कि उसने अपने भाई और मां के लिए कितना सही फैसला लिया है उसे गर्व होता है, अपने फैसले पर।
रियाके मां ने मरते वक्त कोई गिले-शिकवे नहीं रखे रिया की मां ने आखिरकार मान ही लिया कि 'उनकी बेटी बेटे से कम नही।'
भाई शिवम का दाखिला उसने दिल्ली यूनिवर्सिटी में मैनेजमेंट विभाग में किया।
शिवम एक होशियार छात्र है, कुछ अच्छा कर ही लेगा उसे उसकी पूरी आशा थी।
दूसरी तरफ मिसेस जोशी के घर पर भी खुशियों ने दस्तक देकर कहीं रूठ सी गई थी खुशियां।
विक्रम होली पर घर आया पर कारण कुछ हजम होने लायक नहीं था।
मिसेस जोशी भले ही यह जानना ना चाहती हो कि विक्रम इतने सालों के बाद क्यों वापस आया है? पर लोग, उनके विचारों पर तो किसी ने प्रतिबंध नहीं लगाया था ।
"अगर बार-बार एक ही चीज पर जोर दिया जाए तो हम भी उस चीज का अस्तित्व मान ही लेते हैं वह चाहे सच हो या झूठ।"
लोगों के पूछे जाने वाले सवाल अब जोशी दंपत्ति के सिर में भी मकड़ी के जाले की तरह बुने जा चुके थे,और खुद ही के अवंड़बर में वह खुद तब फंसे जब विक्रम ने वहीं रहकर खुद का बिजनेस शुरू करने का फैसला लिया।
जोशी दंपत्ति विक्रम पर किसी भी प्रकार का दबाव डालकर उसे तिलमिलाना नही चाहते थे पर वजह तो वो भी जानना चाहते थे।
आखिर अपने पत्नी और 10 साल के बेटे को छोड़ यहां रहने का एकाएक फैसला! मिस्टर मिसेज जोशी ने भले ही जुबान से कुछ नहीं बोला पर उनकी आंखें और कृति दोनों कुछ अलग हाल बयां कर रहे थे।
इसलिए एक दिन विक्रम ने अपने माता-पिता को स्पष्ट रूप से बता ही दिया।
"मेरा और जिनी का 6 महीने पहले ही डिवोर्स हो चुका है,सैम की कस्टडी जेनी के पास है।" विक्रम ने बिना हिचकिचाहट हुए एक लय में अपनी बातें सामने रखी। क्यों आखिर यह डिवॉर्स? और तुम फिर यहां कैसे? क्या वजह है? भले ही यह सवाल जोशी दंपति के मन में घूम रहे हो पर उसके तार विक्रम के सिर में धस चुके थे।
"एक साल पहले कंपनी का बहुत बड़ा नुकसान हुआ इसलिए सेल्स फोर्स कंपनी ने उसे ओवरटेक कर लिया उन्होंने कंपनी को हो रहे नुकसान को देखते हुए वर्कर को काम से निकाल दिया उसमें मेरा भी नाम शामिल था।"
"जेनी का मेरे पीठ पीछे अल्फ्रेड के साथ चक्कर...खुद के ही शब्द को सुधारते हुए खुद के गुस्से पर काबू रखते हुए, 'अफेयर' चल रहा था। अल्फ्रेड उसी कैफ़े का मालिक था, जिससे हम पहली बार मिले थे।
मेरी नौकरी चले जाने के बाद यह बात मुझे पता चली। जेनी और मेरे झगड़े के बाद शायद सब बिखर गया। जेनी और मैं ठीक 1 एक साल बाद अलग हुए।"
विक्रम की यह बातें बताते हुए जबान लड़खड़ा रही थी, खुद के ही गई गलतियों पर, लापरवाहीयो पर उसे शर्म आ रही थी, गुस्सा आ रहा था वह कुछ नहीं समझ पा रहा था, बस हालत ऐसी थी कि आँसू बाहर निकल नहीं रहे थे जब कि दु:ख गले तक भर चुका था। अल्फ्रेड ने सैम की पूरी जिम्मेदारी लेने का आश्वासन देते हुए...
अब गला भर गया कि हाथ बंध गए। जैनी से शादी कर ली। "दस दिन पहले ही शादी अटेन्ड..." इतना ही बोल पाया सोफे से उठकर कमरे की काली दुनिया में दरवाजा बंद करते ही खो गया।