Good luck - 8 in Hindi Children Stories by Asha Saraswat books and stories PDF | शुभि (8)

Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

Categories
Share

शुभि (8)



शुभि (8)

दादी जी..दादी जी..बाहर से आवाज़ आ रही थी शुभि ने बाहर जाकर देखा तो सुभाष भैया दरवाज़े पर खड़े थे ।भैया के पास ही इंद्रेश भैया खड़े थे उन्होंने बताया कि वह दादी जी को बुलाने आये हैं ।

इंद्रेश भैया शुभि के घर से थोड़ी दूरी पर रहते थे,दादी जी उनके पिताजी की चाची थी ।उनके यहाँ कोई भी उत्सव होता तो वह दादी जी को लेने आते और सभी रस्में उनसे पूछ कर की जातीं।

उनकी दीदी की शादी पर आज रस्मों की शुरुआत होनी थी।

शुभि ने दादी जी से अंदर जाकर कहा कि आपको भैया लेने आये हैं ।

दादी जी जब जा रही थी तो शुभि ने दादी जी से कहा—मैं भी आपके साथ चल सकती हूँ ।
दादी जी ने कहा—हॉं -हॉं तुम भी चलो ।

जब उनके घर पहुँचे तो वहाँ कालोनी की अन्य महिलाओं को देख कर शुभि ने इंद्रेश भैया से पूछा—क्या भैया आप सबको उनके घर पर बुलाने गये थे?
नहीं शुभि,सबके यहाँ मॉं ने फ़ोन पर समय बता दिया था और वह सब समय पर आ गई है ।कार्यक्रम शुरू होगा तो ढोलक बजा कर गाने भी गाये जायेंगे।
वहॉं और भी रिश्तेदार थे ,उनके बच्चों के साथ शुभि को बहुत आनंद आया ।

दादी जी के बताये अनुसार कार्यक्रम पूरा हो गया। सभी महिलाओं ने मिलकर गाना-बजाना किया ।

जब दादी जी आ रही थी तो इंद्रेश भैया की मॉं शुभि की ताईजी ने ,दादी जी के चरण स्पर्श किये ,दादी जी ने आशीर्वाद दिया और कहा—दूधों नहाओ ,पूतों फलो,सदैव ख़ुश रहो ।
ताई जी ने दादी जी से कहा—
चाची जी कल मेंहदी का कार्यक्रम है आपको अवश्य आना है मैं किसी को आपको लेने के लिए भेज दूँगी ,रात को आप यहाँ रुकने की तैयारी से आइयेगा,रतजगा में आप बताती रहियेगा क्या-क्या करना है ।

दादी जी को ताऊजी लेने आए और दादी जी वही रुकने के लिए चलीं गईं।मेहंदी का कार्यक्रम पूरा हुआ ।

अबकी बार इंद्रेश भैया ने बताया—हल्दी का कार्यक्रम है दादी जी आप मेरे साथ घर चलियेगा ।
शुभि का मन था, दादी से कहा—दादी जी यह हल्दी का कार्यक्रम कैसे होता है तो दादी जी ने कहा— तुम मेरे साथ चलो वहाँ देख कर तुम्हें अच्छा लगेगा ।

दीदी के हल्दी लगाने के बाद गीतों का कार्यक्रम हुआ और सबने एक दूसरे के हल्दी लगाई।हल्दी के समय के विशेष गाने दादी जी ने गाये उनका साथ सभी महिलाओं ने दिया ।

शुभि और दादी जी को भैया घर पहुँचाने आये तो बोले —दादी जी आप कल से हमारे घर पर ही रहना शादी के बाद ही वापिस आइयेगा ।अपनी दवाई और कपड़े का बैग तैयार रखना,अबसे सभी को वहाँ शादी तक रहना है ।
दादी जी ने कहा—ठीक है हम सब आ जायेंगे।

जब भैया चले गये तो शुभि ने दादी जी से कहा—दादी जी आप इतने सारे कार्यक्रम की रस्में कैसे याद कर लेती है,शुभि को वहाँ पर देखकर बहुत आश्चर्य हुआ था ।

दादी जी ने शुभि से कहा—चलो बिस्तर पर चलो मैं तुम्हें बताती हूँ ।

दादी जी ने अपने बचपन की बात सुनाई—
जब हम छोटे थे घर परिवार में कोई भी कार्यक्रम होता तो बच्चे भी ज़ाया करते थे ।मोहल्ले में किसी न किसी के घर कार्यक्रम होते रहते थे वहाँ भी मॉं के साथ ज़ाया करते ।कोई भी काम हो जब लगातार सामने होता रहता है तो सब कुछ याद हो जाता है पारंपरिक रीति रिवाज हम देखा करते थे।देखते हुए जब बड़े हुए तो हमारी मॉं हमसे भी कराया करतीं,और हम शौक़ से पारंपरिक गाने गाते हुए ढोलक बजाते ।जब सब महिलाओं का नृत्य का कार्यक्रम होता तो बच्चे भी उनकी हुबहू नक़ल करने की कोशिश करते ।इस तरह बहुत सी बातें देख कर सीख लेते ।सुनते हुए शुभि को नींद आ गई ।

सुबह सब जाने की तैयारी कर रहे थे शुभि ने देखा तो दादी जी से कहा—दादी जी मैं भी वहाँ शादी के सभी कार्यक्रम देखूँगी ।
दादी जी ने प्यार से कहा—हॉं-हॉं शुभि तुम चल सकती हो।वहॉं शुभि को बहुत अच्छा लगा ।सभी शादी की रस्में बड़े ध्यान से देख रही थी।...

✍️क्रमश:


आशा सारस्वत