April-Fool ... (A chat-story) in Hindi Love Stories by निशा शर्मा books and stories PDF | अप्रैल-फूल...( ए चैट-स्टोरी )

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अप्रैल-फूल...( ए चैट-स्टोरी )

शैली - हैलो ! डॉक्टर स्मिता !

डॉक्टर - जी बताइए शैली जी,कैसी हैं आप ?

शैली - बहुत बुरी !

डॉक्टर - देखिए शैली जी आप मुझपर पूरी तरह से भरोसा कर सकती हैं और बेफिक्र होकर आप अपने दिल की बात मुझसे कह सकती हैं !

शैली - तो क्या आप मेरी दोस्त जैसी ही हैं ?

डॉक्टर - शैली, दोस्त जैसी ही क्यों ? मैं तुम्हारी दोस्त ही हूँ !

शैली ( सिसकियाँ भरते हुए) - मैं मर जाना चाहती हूँ मैम,मुझे अब और नहीं मर-मरकर जीना इस दुनिया में मैम ! नहीं जीना !

डॉक्टर - देखो शैली, पहले तो तुम रोना बन्द करो क्योंकि रोना इस दुनिया की किसी भी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन नहीं है डियर!

शैली - तो फिर आप ही बताइए मैम कि मेरी प्रॉब्लम का क्या सॉल्यूशन है ?

डॉक्टर - मैं तुमसे वादा करती हूँ शैली डियर मैं तुम्हें तुम्हारी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन जरूर बताऊँगी मगर उसके लिए पहले तुम्हें अपनी प्रॉब्लम मुझसे पूरी ईमानदारी के साथ बतानी पड़ेगी !

शैली - मेरी गलती क्या थी मैम ? आखिर ऐसी कौन सी भूल हो गयी मुझसे जिसकी इतनी बड़ी सज़ा मिली है मुझे ?

डॉक्टर - पहले तुम मुझे पूरी बात बताओ फिर मैं बता पाऊँगी कि गलती किसकी है !!

शैली - डॉक्टर मैं, मैं मयंक से बहुत प्यार करती थी मगर वो!
( कहते-कहते शैली एक बार फिर से फफक पड़ी )

डॉक्टर - मयंक ! अच्छा तो तुम्हारे ब्यॉयफ्रेंड का नाम मयंक था !

शैली - ब्यॉयफ्रेंड नहीं, मेरी जिंदगी का नाम मयंक था !

डॉक्टर - शैली तुम मुझे विस्तार से पूरी बात बताओ डियर !

शैली - वो मुझे और मैं उसे बहुत प्यार करती थी । वो मैडिकल का स्टूडेंट था और मैं लॉ की! हम दोनों में सबकुछ बहुत अच्छा चल रहा था मगर फिर न जानें कहाँ से मैडिकल की ही एक लड़की स्मिता उसकी जिंदगी में आ गई और उसके बाद मैं ये शहर छोड़कर अपनी माँ के पास जयपुर चली गई थी ! डॉक्टर मैं अभी पिछले महीने ही एक केस के सिलसिले में दिल्ली आयी थी और अचानक ही वो एक बार फिर यहाँ मुझसे टकरा गया । मैम उसनें उसी लड़की स्मिता से शादी भी कर ली है और सच कहूँ मैम तो अब तो मैं उसे भूलने भी लग गई थी लेकिन मैम कल ही उसनें मुझे ये बताकर दोबारा मेरे दिल के बंद दरवाज़े पर दस्तक दे दी कि वो आज भी मुझसे ही प्यार करता है और उसकी पत्नी उसका सपना नहीं बल्कि समझौता है !!

डॉक्टर - आय एम सॉरी बट,आपका आज का सैशन खत्म हो चुका है !!

( डॉक्टर की आवाज़ में बेरूख़ी और दर्द एक-साथ सुनाई दे रहे थे )

शैली दूसरी तरफ़ से हैलो, हैलो बोलती जा रही थी मगर इस तरफ़ से डॉक्टर बड़े ही अनप्रोफेशनल तरीक़े से शैली का फोन डिसकनेक्ट कर चुकी थीं !

डॉक्टर - हैलो ! मयंक, कहाँ हो ?

मयंक - बस क्लीनिक में और कहाँ ?

डॉक्टर - मुझे तुमसे कुछ बात करनी है,कुछ ज़रूरी बात ! क्या तुम अभी यहाँ हॉस्पिटल आ सकते हो ?

मयंक - नहीं सिमि, अभी तो आना पॉसिबल नहीं होगा बाकी अगर कोई बहुत जरुरी बात है तो तुम चाहो तो हम फोन पर बात कर सकते हैं !

डॉक्टर - नहीं हम शाम को घर पर ही बात करेंगे ! अब मैं फोन रखती हूँ !

मयंक - एक मिनट रुको,सिमि तुम कुछ परेशान सी लग रही हो,बताओ न आखिर बात क्या है ? आज पूरी दुनियाभर के लोगों की परेशानियाँ दूर करनेवाली हमारी साइकॉलजिस्ट मैडम खुद किस परेशानी को गले लगा बैठीं ?

डॉक्टर - तुम इतनी एक्टिंग कर कैसे लेते हो,मयंक ? कल किसी और को अपना सपना और मुझे अपना समझौता बता रहे थे और आज चले हो मुझे सपने दिखाने,यू चीटर !

मयंक - अरे- अरे! तुम ये क्या बोल रही हो ? मेरी तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है और फिर अगर कोई समस्या है भी तो उसका हल भी जरूर होगा । तुम इतना हाइपर क्यों हो रही हो ? खुद पर काबू रखो डियर और आराम से मुझे अपनी पूरी बात बताओ तभी तो मैं कुछ बता पाऊँगा न !!

डॉक्टर - महान बनने का नाटक बंद करो,घटिया इंसान !
( डॉक्टर अब चीख रही है )

मयंक - अच्छा चलो अब तुम मेरी बस एक आखिरी बात सुन लो फिर फैसला तुम्हारे हाथ में !! अभी कल शाम को ही किसी नें मुझसे ये कहा था कि समस्या कितनी भी बड़ी क्यों न हो मगर उसका कोई न कोई हल तो जरूर ही होता है जिस बात से मैं भी पूरी तरह से सहमत हूँ मगर उन मोहतरमा का ये भी कहना था कि बस यही सोचकर हमें बड़े से बड़े हार्ट-ब्रेक होने पर भी खामोशी से सबकुछ हैंडल करना चाहिए और अपने इमोशंस को पूरी तरह से कंट्रोल करके हर एक विषम से विषम परिस्थिति में भी सामान्य व्यवहार करना चाहिए न कि आजकल के लड़के-लड़कियों की तरह ज़रा सा दिल-टूटने या ब्रेकअप होने पर रोना-चिल्लाना या शोर मचाना चाहिए!! क्यों मोहतरमा कुछ याद आया ?

डॉक्टर - हाँ मुझे बिल्कुल याद है और मैं अभी भी अपनी उसी बात पर टिकी हुई हूँ मगर इस समय उन सब बातों का क्या मतलब ?

मयंक - जी उन सब बातों का ही तो मतलब है इस समय माय डार्लिंग डॉक्टर स्मिता आहूजा जी मैडम !

डॉक्टर - मैं अभी भी कुछ नहीं समझी और न ही अब मैं तुम्हारी कोई भी बकवास सुनना या समझना चाहती हूँ,समझे !!

मयंक - जी मैं तो समझ गया मगर अब आपकी बारी है डियर! मुझे लगता है कि हार्ट-ब्रेक का दर्द तो हार्ट-ब्रेक होने पर ही समझा जा सकता है जो कि मैंने आपको कल भी कहा था और समझाने की कोशिश भी की थी !

डॉक्टर - तो !

मयंक - तो ये कि दिल टूटा तो दर्द महसूस हुआ,हैं न ?

डॉक्टर - मयंक, प्लीज़ मयंक मेरे साथ ऐसा मत करो ! आय कान्ट लिव विदाउट यू !

मयंक - आय नो माय डियर ! बस इसीलिए तो ये हिमाकत मैंने आज की है ।

डॉक्टर - मतलब ?

मयंक - मतलब ये है कि माय डियर वाइफ,आज क्या तारीख है ?

डॉक्टर - आज...एक अप्रैल !

मयंक - और एक अप्रैल मतलब ?

डॉक्टर - ओह्ह माय गॉड !! अप्रैल-फूल ! तो तुमनें मुझे अप्रैल-फूल बनाया और वो लड़की, शैली ?

मयंक - वो, वो मेरे एक कलीग की गर्लफ्रैंड है यार और हाँ वो सच में लॉ की स्टूडेंट है । आज वो लोग हमारे घर डिनर पर भी आ रहे हैं और हम साथ में मिलकर आज अप्रैल-फूल सेलिब्रेट करेंगे,बोलो क्या कहती हो ?

डॉक्टर - सेलिब्रेट तो आज मैं करूँगी अच्छे से, तुम पहले घर तो आओ मिस्टर डॉक्टर मयंक द चीटर !

( अब फोन पर दोनों तरफ़ बस डॉक्टर मयंक और उनकी धर्मपत्नी डॉक्टर स्मिता के हंसी के ठहाकों की आवाज़ गूंज रही थी )

लेखिका...
💐निशा शर्मा💐