Short stories in Hindi Short Stories by नवीन एकाकी books and stories PDF | छोटी कहानियां

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छोटी कहानियां

दो जिस्म एक जान

चाचा जलेबी खानी है...

तो खा ले बेटा...

पर मेरे पास आज पैसे नही

तो कल दे देना...

हम्म्म्म...ठीक है चाचा, कल पैसे दे दूंगी।

ठीक है बिटिया, ले खा ले...!

जलेबी खा कर वो ठुमकती हुई चली गयी।

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दो दिन बाद....

अरे बिटिया सुन तो...

हां चाचा,...

अरे वो जलेबी के पैसे तो दे

कौन सी जलेबी चाचा

अरे! अभी परसो ही तो जलेबियाँ खाई थी तूने।

नही तो..परसो से तो मैं घर मे ही थी, तबियत नही ठीक थी न मेरी चाचा..

अरे! क्यूँ झूठ बोल रही है छोरी... सुबह सुबह ही खाई थी

ओह! अब समझी...

क्या समझी बिटिया?

अरे चाचा वो सन्नो थी और मैं बन्नो हूँ... हम दोनों जुड़वा ठहरे। एक जैसे ही दिखते हैं न....जुड़वा बहने है न हम दोनों।

हे भगवान! तुम दोनों तो बिल्कुल एक दूसरे की कार्बन कापी हो...अरे बिटिया! गलती हो गयी, मैंने सोचा तू वही है...

कोई बात नही चाचा, हमारे ज़िस्म अलग हैं पर जान एक ही है, बोलो कित्ते पैसे हुए आपके जलेबियों के...

रैन दे बिटिया, उसी से ले लूंगा...

न चाचा, मैं बड़ी हूँ उससे पूरे डेढ़ मिनट, तो मैं देती हूं न पैसे..

चल छोड़ बिटिया, जैसे तू वैसे वो...आ तू भी जलेबी खा ले।

न चाचा, पहले उसके पैसे लो फिर आपकी जलेबियाँ..

अरे बिटिया, आज के बाद मेरी सारी मिठाइयां तुम दोनों के प्यार के लिए मेरी तरफ से फ्री..

पर चाचा...

पर वर कुछ नही...जलेबी ले और स्कूल भाग, स्कूल की पहली घण्टी बज चुकी है...

जी चाचा... मुस्कान उसके चेहरे मे चमक रही थी और वो स्कूल की गेट की तरफ भाग निकली...

#एकाकी

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जौहरी

जब देखो कोयले से दीवारें गन्दी करता रहता है, जा काम पे जा...औऱ शाम से पहले लौटा तो टांगें तोड़ दूंगा। तेरी मां तो मर गयी तुझ निठल्ले को मेरे सर मढ गयी...चल जा कामचोर कंही का....

अरे मेरी गाड़ी बन गयी क्या ?

जी साब...आप टेस्ट कर लो।

अरे ये मेरे गाड़ी के शीशे पे किसने बनाया है।

माफ करना साब, ये छोटू है न....क्यो रे तुझे गाड़ी पोछने को कहा था और तू उसमे कलाकारी कर आया...चल साफ कर...

जी भईया

सुनो, ये तुमने बनाया है ?

माफ कर दो साब, अभी साफ कर देता हूँ!

अरे नही नही, ये तो बहुत खूबसूरत है, तू तो बहुत बड़ा कलाकार है, यंहा क्या कर रहा है... तेरी जगह ये नही...तू चलेगा मेरे साथ...

कँहा?

जहाँ तेरे जैसे बहुत सारे बच्चे हैं, उन सबमें कुछ न कुछ खास है और वँहा उस ख़ास को ही निखारा जाता है।

खाना मिलेगा ?

हाँ... हाँ... खाना भी और कपड़ा भी साथ ही स्कूल भी

चलोगे न ?

पर मेरा बापू ?

ले चल मुझे, मैं बात करता हूँ।

ये आपका बेटा बहुत होनहार है, इसके अंदर एक चित्रकार छुपा है, ईश्वर ने इसे एक हुनर बक्श है, जिसे बस उभारने की ज़रूरत है, देखना एक दिन ये बहुत बड़ा कलाकार बन सकता है। आपको इसपर फक्र होगा।

पर साब, हम गरीब लोगों को अपने पेट भरने के लिए काम करना पड़ता है, इस तरह चित्र बनाने से का होगा।

मैं भी कभी तुम लोगो जैसा था, पर किसी ने मेरे अंदर के हुनर को निकलने का मौका दिया और आज मैं यंहा हूँ। तुम्हारा बेटा हीरा है, और हीरे की परख है मुझे। मुझ पर यकीन रखो।

ठीक है साब, जैसा आपको ठीक लगे।

गुड, चलो बेटा आज से तुम्हें निखारने की ज़िम्मेदारी मेरी। अब तुम गाड़ियां नही पेंटिंग्स बनाओगे, एक मशहूर कलाकर कहलाओगे।

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अरे किन ख़यालो में खोए हो, आर्ट गैलरी नही चलना क्या, आज तुम्हारी पेंटिंग्स की एग्जीबिशन है।

कुछ नहीं... बस एक जौहरी की याद आ गयी। चलो चलें....

#एकाकी