The Author मदन सिंह शेखावत Follow Current Read Crush a love story - 3 By मदन सिंह शेखावत Hindi Love Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books ઈર્ષા ईर्ष्यी घृणि न संतुष्टः क्रोधिनो नित्यशङ्कितः | परभाग... સિટાડેલ : હની બની સિટાડેલ : હની બની- રાકેશ ઠક્કર નિર્દેશક રાજ એન્ડ ડિક... જીવન એ કોઈ પરીકથા નથી - 6 ( છેલ્લો ભાગ ) "જીવન એ કોઈ પરીકથા નથી"( સાત હપ્તાની ટુંકી ધારાવાહિક)( ભાગ -... ભાગવત રહસ્ય - 117 ભાગવત રહસ્ય-૧૧૭ જગતમાં શિવજી જેવો કોઈ ઉદાર થયો નથી. અને થવ... શ્રાપિત પ્રેમ - 18 વિભા એ એક બાળકને જન્મ આપ્યો છે અને તેનો જન્મ ઓપરેશનથી થયો છે... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by मदन सिंह शेखावत in Hindi Love Stories Total Episodes : 3 Share Crush a love story - 3 (3) 1.9k 5.6k एक नई सुबह मेरे लिए राज का राज लेके आने वाली थी। क्या ऐसा होने वाला था। में अपने मिशन पर निकल चुका था। सुबह के नौ बज चुके थे। सूरज अपनी लालिमा फैला चुका था। जैसे ही सेजल की दीदी संगीता ने खिड़की के पर्दे हटाये सूरज की रोशनी सीधी सेजल के चेहरे पर पड़ी। "अनिकेत सोने दो ना क्यों डिस्टर्ब कर रहे हो।" सेजल अपने दाहिना हाथ दोनों आंखों के सामने लाते हुए अनिकेत से अनुरोध करने लगी। साथ मैं करवट भी बदल ली ताकि सूरज की रोशनी आंखों पर ना पड़े। "अरे सेजल मैं संगीता दीदी हूँ। उठो देखो सूरज कहाँ आ गया है" संगीता दीदी ने सेजल की चादर खीचते हुए कहा। ये सुनते ही सेजल नींद से उठकर बैठ गयी और अचम्भे में बोली "दीदी आप यहाँ। अनिकेत कहाँ है?" सेजल ने सवाल किया "तुमको नही बताया क्या। अनिकेत तो जल्दी ही उठकर पापा की गाड़ी लेकर कही गया है। और हमने किसी ने पुछा नही" संगीता कमरे की सफाई करते हुए जवाब दे रही थी। "क्या अनिकेत कही गया है। मेरे को तो कुछ नहीं बताया। अभी फ़ोन करके पता करती हूँ।" सेजल थोड़ा गुस्सा करते हुए फोन ढूढ़ने लग गयी।"कहाँ हो अनिकेत? मुझे तो कुछ बताया ही नही।" जैसे ही अनिकेत ने सेजल का फोन उठाया सेजल ने सवाल किया। "मैं माफी चाहता हूँ सेजल। मैं तुम्हें बता नही पाया क्योंकि तुम तो सो गई थी। में नवी मुंबई में अपने दोस्त से मिलने आ गया वो आज लंदन जा रहा है।" मैंने सेजल से झूठ भी बड़ी चालाकी से बोला। "अरे कोई बात नही लेकिन आज श्याम को तो हम दिल्ली जा रहे थे।" सेजल ने मुझको याद दिलाते हुए कहा।"दिल्ली जाना तो रद्द कर दिया है। अरे मुझे तेरे साथ मुम्बई घूमना है। आज श्याम को मरीन ड्राइव चलेंगे ओर कैंडल लाइट डिन्नर भी करेंगे।" मैंने सेजल को खुश करने के लिए ये सब कहा। "सच मे। में भी यही सोच रही थी। तुम पहले ही मेरे दिल की बात कैसे जान लेते हो।" सेजल की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और बिस्तर पर उझलने लग गई। मैंने बाद में बात करने की बात कहकर फोन रख दिया क्योंकि मैं मदद अनाथालय पहुँच गया था। उधर सेजल को उझलते देख संगीता ने पूछा। "क्या हुआ तुझे, अभी तो नींद से उठ नही रही थी और अब नाच रही हो।" बिस्तर से नीचे उतर कर दीदी को गले लगाते हुय खुशी से बताया "नाचने वाली तो बात ही है। आज हम दिल्ली नही जा रहे है। आज श्याम को तो में ओर अनिकेत मरीन ड्राइव ओर कैंडल नाइट डिन्नर पर जा रहे है।"इतना कहकर सेजल मम्मी को बताने के लिए रसोईघर की तरफ दौड़ी। मदद अनाथालय के सामने एक चाय की दुकान थी जिसका नाम काका चाय स्टाल था। मैंने काका चाय स्टाल के पास ही गाड़ी पार्क कर दी। मदद अनाथालय तीन मंजिल की बिल्डिंग थी। उसके आस पास में बड़ी बड़ी बिल्डिंग थी शायद 10 से 15 मंजिल की। चाय की दुकान के पीछे बी एम सी का बहुत बड़ा गार्डन था जहां अभी भी काफी भीड़ थी। करीब 9 साढ़े नौ बज चुके थे। अनाथालय का दरवाजा अभी भी बंद था बाहर कोई भी चौकीदार नज़र नही आ रहा था। अनिकेत ये देखकर सोचने लगा। "शायद अनाथालय का मुख्य दरवाजा ये नही है। मुझे चाय वाले से पूछना चाहिये" मैंने चाय की दुकान के पास गया और चाय वाले को विनम्रता से बात शुरू की। "नमस्ते भैया" "नमस्ते नमस्ते" चाय वाले ने मेरा अभिनन्दन स्वीकार किया। "क्या आप मुझे ये बता सकते हो कि मदद अनाथालय का मुख्य दरवाजा कोनसा है" मैंने विनम्रता से अपना सवाल किया। "अरे ये ही तो मुख्य दरवाजा है" चाय वाले ने दरवाजे की तरफ इशारे करते हुए कहा। "लेकिन दरवाजे पर तो कोई चौकीदार नज़र नही आ रहा है।" "शायद उनकी ड्यूटी बदल रही होगी इसलिये दोनों अंदर एक दूसरे को समान के बारे में बता रहा होगा।" चाय वाला ने अंदाजा लगाते उत्तर दिया। इतने में दरवाजा खुलता है और दो आदमी निकलते है जिसमे एक चौकीदार की ड्रैस में था और दूसरा सादा कपड़े पहने हुए था। उनको देखकर कर चाय वाला अपनी बात को सही ठहराते हुय कहता है "देखो शमशेर सिंह ड्यूटी पर आ गया और देशमुख साब ड्यूटी खत्म कर घर जा रहे हैं। लेकिन आपको क्या काम है? किससे मिलना है?" "में यहाँ सेजल से मिलने आया हूं।" मैंने धीरे से फुसफुसाया। मैंने सोचा कि चाय वाला काफी दिनों से होगा तो शायद अनाथालय के बच्चों को जानता हो। उसका अंदाजा एकदम सही था । "सेजल बिटिया से मिलने आये हो" ये जवाब सुनकर मेरा मन ही मन बहुत खुश हुआ। "आप सेजल को जानते हो" "सेजल को यहाँ कोन नही जानता । यहाँ आस पास सब जानते है। सेजल तो इस अनाथालय की शान है।" ‹ Previous ChapterCrush a love story - 2 Download Our App