इसी तरह मैथ लेकर पढ़ेंगी तो आगे आई एस की तैयारी कर पायेगी और अब आगे।।
आनंदी के बोर्ड परीक्षा अगले महीने ही होने वाले थे। स्कूल में भी डेट सीट मिल गया और साथ ही एडमिट कार्ड भी सबको मिल गया और सभी जरूरी सूचनाएं भी घोषित कर दिया गया।
आनंदी घर आकर रीतू के आने का इंतजार करने लगी और जब रीतू आ गई तो सारी सूचनाएं उसने रीतू को दे दिया।
इसी तरह एक -एक समय आनंदी के लिए बहुत अनमोल था और वो उनको गंवाना नहीं चाहती थी।
समय का सदुपयोग कर उसने अपनी कड़ी मेहनत से दसवीं कक्षा के परीक्षा की तैयारी करने लगी थी।
उधर इंडिया में कृष्णा भी अपने काम में व्यस्त थी पर फिर भी उसने आनंदी के लिए व्रत भी रखा था कि आनंदी अपने परीक्षा में सफ़लता हासिल करें।
इसी तरह एक महीना बीत गया और वो दिन भी आ गया जिसका आनंदी को इन्तजार था बस आनंदी तैयार हो गई उसका पहला पेपर मैथ अंक गणित का था।
आनंदी ने रीतू के पैर छुए। रीतू ने कहा आनंदी ओल दी बेस्ट।। ये तेरे लिए तोहफा। एक सुनहरा पेन रीतू ने आनंदी के हाथ में दिया।
आनंदी बोली दीदी ये आपने क्या दे दिया मुझे, मेरे लिए ये सबसे अनमोल तोहफा है मैं इसे हमेशा सम्हाल कर रखूंगी।
रीतू मुस्कराई और बोली चल ठीक है सब चेक कर लिया ना? आनंदी ने कहा हां दीदी।
फिर वो चली गई।
आनंदी स्कूल पहुंच कर पहले एस्मबली हुआं और फिर क्लास में पहुंच गई और टेबल पर अपना रोल नं देखा जो एडमिट कार्ड पर लिखा था।
वो वहां बैठ गई फिर सिस्टर मरियम आकर एटेंडेंस लिया और फिर सारे बच्चों को नोर्मल निर्देश दे दिया और फिर बोर्ड परीक्षा वाली नोट बुक भी मिल गई ।
फिर एक बेल रिंग हुआं तो सबको पेपर दे दिया गया।
आनंदी को जैसे ही पेपर मिला उसने रीतू दीदी का दिया हुआ सुनहरा पेन निकाल कर उसी से लिखना शुरू किया।
आनंदी को सारे सवाल आ रहे थे।
आनंदी ने बहुत ही समझदारी से सारे सवालों के जवाब लिखने लगीं और तीन घंटे का पेपर उसने डेढ़ घंटे में ही कर लिए थे।
कक्षा में टीचर री चेक करने को कह रही थी।
आनंदी ने अच्छे से सारे ज़बाब को चेक किया और फिर तीन घंटे बाद मैम ने आंसर शीट ले लिया।
आनंदी मन में बहुत खुश थी और जब घर आई तो सबसे पहले अपनी मां को फोन करके सब बताया। कृष्णा भी सुन कर बहुत खुश हुईं।
आनंदी ने अपने पढ़ाई के टेबल पर ही डेट सीट लगा दिया था और अगला पेपर इतिहास था वो भी फर्स्ट पेपर जो परसों होने वाला था।
बस फिर आनंदी ने इतिहास पढ़ना शुरू किया और कब पढ़ते पढ़ते सो गई और जब आंख खुली तो पांच बज रहे थे।
आनंदी उठकर पहले फैश हो गई और फिर चाय चढ़ा दिया कुछ देर बाद रीतू आ गई और उसने पूछा गुड़िया पेपर कैसा रहा।
आनंदी ने पेपर दिखाते हुए कहा कि दीदी मुझे सब आ रहे थे।
रीतू ने पेपर देखा और कहा मुझे पता है तेरे १००मे से १००आएगे।
आनंदी ने कहा हां दीदी बिल्कुल।।
फिर दोनों ने चाय पी कर बाहर निकल गए।
रीतू बोली चल तुझे चर्च घुमाती हुं।
फिर दोनों कार में बैठ कर चली गई।
बहुत ही खूबसूरत सा चर्च है ये जहां हम जा रहे हैं। ये सब रीतू ने कहा गाड़ी चलाते हुए।
आनंदी भी खुश हो गई।
चर्च के बाहर गाड़ी पार्किंग स्थल था और उसके बाद रीतू ने आनंदी को उस चर्च की खुबिया बताना शुरु किया।
साउथ वार्ककैथेड्रल सना हुआ ग्लास खिड़कियां और फ्रिज।
आनंदी ने कहा कितना सुन्दर है ये , दीदी ये कब बना था? रीतू ने कहा १८९७मे स्थापित,यह गिरजाघर साउथ वार्क के एगिलकन सूबा की सीट है।
रीतू ने कहा अब चल आगे दिखाती हुं।
लंदन के सबसे प्रसिद्ध चर्चों में से एक इसका अपना गायक मंडल है जो हर महीने के चौथे रविवार को प्रदर्शन करता है।
रीतू बोली चल अब अन्दर चलते हैं वरना बन्द हो जाएगा ६बजे तक ही खुला रहेगा।
फिर दोनों अन्दर पहुंच कर बैठ गई आनंदी तो इतना मनोरम दृश्य देख कर दंग रह गई।
फिर दोनों ने आंखे बंद करके प्रार्थना किया।
फिर वापस गाड़ी में बैठ कर वहां से बर्गर किंग पहुंच गए और रीतू ने बर्गर मंगवा लिया । दोनों ने मज़े से कोल्ड ड्रिंक बर्गर खाकर घर लौट आए।
आनंदी ने कहा दीदी थैंक यू इतना अच्छा चीज दिखाया। रीतू बोली अरे मोस्ट वेलकम।।
रीतू ने कहा तू अपनी पढ़ाई कर मैं कुछ आनलाइन मंगवा रही हुं।मम्मी के लिए,उनके जन्मदिन के मौके पर भेजना है।
आनंदी ने कहा हां दीदी आप देखो मैं इतिहास पढ़ने जाती हूं।
फिर रीतू लैपटॉप पर देखने लगी और उसे मम्मी के लिए फैशन रिलेटेड कुछ मिला तो वह भेज दिया।
इसी तरह आनंदी का दूसरा पेपर भी बहुत ही अच्छे से हो गया।वो खुब मेहनत से पढ़ रहीं थी। रीतू ने फ्रिज में आनंदी के लिए जूस वैगरह लेकर रख दिया था।
तीसरा पेपर आनंदी का अंग्रेजी का था वो भी फर्स्ट सिफ्ट और सेकेंड सिफ्ट में।
आनंदी ने खुब अच्छी तरह तैयारी कि थी और फिर दोनों पेपर देते-देते शाम हो गई और एक्जाम के बाद ,बस से घर लौट आई।
आनंदी ने आते ही बोली दीदी आज मैं थक गई हूं पर मैंने सब अच्छे से लिखा था।
रीतू ने कहा आनंदी तू जब ग्रेजुएशन पूरी कर लेंगी तो तुम को आई एस अफसर की तैयारी के लिए दिल्ली वापस जाना होगा।
आनंदी ने कहा हां दीदी मैं एक दिन आई एस अफसर बन कर दूसरो कि मदद करूंगी।
रीतू बोली अरे वाह क्या बात है चल कोई नहीं तू आराम कर ले। मैं तेरे लिए नाश्ता तैयार करतीं हुं।
आनंदी थक कर चूर हो गई थी और फिर सो गई।
फिर उठ कर चाय नाश्ता करने लगी और अपने पेपर के बारे में बताने लगी।
रीतू ने पूछा कल तेरा कौन सा पेपर है? आनंदी ने झट से कहा नहीं कल तो छुट्टी है।
रीतू बोली अरे कल मम्मी का जन्मदिन है। आनंदी ने कहा हां मैम का जन्मदिन आ गया।
रात को डिनर के बाद विडियो कालिंग करेंगे।
क्रमशः