अध्याय 15
विष्णु और रूपला को मुन्नार में ही छोड़कर... सिर्फ विवेक अकेला मदुरई जा पहुंचा.... राजकीय चिकित्सालय मर्चरी में असिस्टेंट कमिश्नर अरगरपेरुमालै से मिले। हॉस्पिटल के अंदर और बाहर स्वयं सेवकों की भीड़ थी |
हाथ मिलाने के बाद बोले "यह घटना कब घटी ?"
"कल रात को मदुरई वेंदन अपने दल के किसी के यहां शादी के रिसेप्शन में जाकर.... तिरुमंगलम के रास्ते से घर लौट रहे थे। कार को वे स्वयं ड्राइव कर रहे थे। रात तक वे घर नहीं पहुंचे तो सुबह तक आ ही जाएंगे ऐसा उनकी पत्नी ने सोचा। पर फिर भी नहीं आने पर पुलिस को इत्तला दिया ।
"उसके बाद ही पुलिस ने उन्हें ढूंढना शुरू किया। उनकी कार चिमकल्लू के पास पीपल के पेड़ के नीचे अनाथ जैसे खड़ी हुई थी। बट... उनकी हत्या हुई वह जगह तिरुमंगल में नारियलों के पेड़ों के बीच में ही हुई। एक्स डी.जी.पी. बालचंद्रन की मुन्नार में जिस तरह हत्या हुई थी.... उसी तरीके से मदुरई के वेंदन की भी हत्या हुई है...."
"पोस्टमार्टम हो गया क्या ?"
"हो गया... आइए बॉडी को देखते हैं !"-असिस्टेंट कमिश्नर अरगर पेरूमाल विवेक को लेकर मोर्चरी के अंदर गए।
बड़ी सफेद मूछें के साथ गंजे सिर मुंह खुला हुआ सीधे पड़े हुए दिखें - मदुरई वेंदन 60 साल के थे। दोनों डॉक्टर एक ब्राउन कलर के पेपर पर पोस्टमार्टम का विवरण लिख रहे थे। विवेक को देखते ही वे उठकर खड़े हुए।
"सर! वेरी क्रुएल मर्डर। शरीर के हृदय को रिमूव करके वहां पर उसी के नाप का पत्थर को रखके ऑपरेशन किया है। ऐसा एक ऑपरेशन कुशल डॉक्टर ही कर सकते हैं, सो... इस मर्डर के पीछे पक्का एक डॉक्टर ही होगा।"
"वह पत्थर कहां है ?"
डॉक्टर ने एक पॉलिथीन के लिफाफे में रखे हुए उस पत्थर को निकाल कर दिखाया । "ऐसे एक मर्डर हमने अभी तक नहीं देखा...."
"यह घटना रात के कितने बजे होने की संभावना है ?"
"10:00 बजे से 11:00 के बीच में हुआ होगा। एनंथिसिया देकर हॉट को रिमूव करके उस जगह पर पत्थर रखकर... सफाई से सी दिया। वेरी वेल प्लांड सर !"
विवेक थोड़ी देर अंदर रहकर फिर... असिस्टेंट कमिश्नर के साथ बाहर आया।
मदुरई वेंदन की पत्नी रो-रो कर थकी हुई आंखों से खड़ी थी | उसके दोनों बेटे पत्रकारों पर अपना गुस्सा उगल रहे थे। कुछ ग्रामीण, पिता को भगवान ही सोच कर आए हैं। उनकी किस लिए ऐसे कठोर हत्या की है मालूम नहीं...."
विवेक ने उन दोनों को देखा।
“अप्पा का राजनीतिक दृष्टि से कोई शत्रु था ?"
"विरोधी होने की कोई बात ही नहीं थी सर ! अप्पा तो भगवान के बहुत बड़े भक्त थे । परनी मुरूगन मंदिर में हर तमिल के महीने के पहली तारीख को वे जाते थे। मेरा नाम सेंथिल... मेरे छोटे भाई का नाम कुमरन उन्होंने इसी भक्ति के कारण ही रखा...!"
"ठीक ! केरल के रिटायर डी.जी.पी. बालचंद्रन आपके पिता के मित्र थे क्या?"
"नहीं... सर ! अप्पा सिर्फ मदुरई के पुलिस अधिकारियों को ही जानते थे। दूसरे स्टेट में रहने वाले पुलिस अधिकारियों को नहीं जानते थे।"
"नहीं जानते थे आप कह रहे हो.... परंतु उस डी.जी.पी. की और तुम्हारे अप्पा मदुरई वेंदन दोनों की एक ही तरह की हत्या हुई है। वह कैसे ?"
"नहीं मालूम सर !"
"नहीं मालूम बोल रहे हो..... कोई एक कारण होने के कारण ही दोनों की एक ही तरीके से हत्या हुई है। आपके फादर जो सेलफोन यूज करते थे वह अभी किसके पास है?"
"अप्पा हमेशा ही दो सेलफोन यूज करते थे। परंतु.... थोड़े दिनों से सेलफोन को यूज नहीं करते। हमने क्या कारण है पूछा ? उसकी रेडियो एक्टिव शरीर के लिए अच्छा नहीं है किसी एक पत्रिका में मैंने पढ़ा था। उसके बाद से सेलफोन से बात करना ही बंद कर दिया। शहर से बाहर जाने पर भी लैंडलाइन से ही बात करते थे।"
"उन्होंने कितने दिनों से सेल फोन को उपयोग नहीं किया ?"
"छ: महीने से...! अब हम उस सेलफोन को काम में लेते हैं...."
विवेक उन लोगों से बातें करने के बाद मदुरई वेंदन की पत्नी की तरफ घुमा।
"आप बताइए मां जी.... आपके पति की हत्या का क्या कारण होगा ?”
उसने विवेक की ओर देखा।
"क्यों अम्मा ऐसे देख रही हो ?"
"उनकी हत्या का क्या कारण है मुझे नहीं पता। परंतु... उन्हें इस हत्या की जरूरत थी !" कह कर वे बेहोश हो गई।
***********