Vivek you tolerated a lot! - 13 in Hindi Detective stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 13

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विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 13

अध्याय 13

सिल्वरलैन स्टेट बंगला एक छोटे समुद्र जैसा फैला हुआ था। ए.बी.सी.डी. के कार्यक्रम खत्म करके दूसरे दिन | सिम्हा ने ऊपर अपने पिताजी के कमरे को दिखाया। "यह उनका कमरा है...."

विवेक और विष्णु कमरे के अंदर गए।

दो कांच की अलमारी भरकर किताबें थी। विवेक एक अलमारी को खोल कर पुस्तकों को निकाल कर देखने लगा।

'लॉ एंड ऑर्डर ऑफ यू. एस. ए.'

'एप्पलोंट इंटरपोल'

'ए पुलिसमैन प्लस 365 10 टेन्स'

'चैक एंड मीट'

'टेल ऑफ ए टेरेरिस्ट'

'आई-यू-ही'

विवेक के पीठ के पीछे से सिम्हा बोली "यह सब मेरे अप्पा की लिखी हुई किताबें हैं। आखिर में उनकी लिखी किताब 'साइलेंस इज दी बेस्ट लैंग्वेज !' अप्पा एक अच्छे लेखक थे। सी.आई.डी. ने आपको जो समाचार भेजा है वह झूठा है।"

"ठीक...आपके अप्पा की हत्या किसने की होगी आप सोचते हैं ?"

"मुझे नहीं पता...."

"आपकी मदर एक रोड एक्सीडेंट में मर गई थी ऐसा मैंने सुना था। क्या यह सच है ?"

"हां..."

"कितने साल पहले ?"

"दो साल पहले...."

"दुर्घटना कैसे घटी ?"

"अम्मा-अप्पा सुबह 5:00 बजे घर के पास जो रेस कोर्स रोड है वहाँ वाकिंग के लिए जाते थे। ऐसे ही उस दिन वॉकिंग जाते समय.... तेजी से एक कार ने टक्कर मारी वे स्पॉट पर ही मर गई।"

"वह किसकी कार थी ?"

"मालूम नहीं ! हिट एंड रन.….. जिस कार से दुर्घटना घटी वह बिना रुके चला गया।"

"पुलिस ने उस कार को ढूंढा नहीं ?"

"नहीं ढूंढा।"

"क्यों ?"

"ढूंढ नहीं पाए...."

"ढूंढ नहीं पाए आपको किसने कहा ?"

"पुलिस ने !"

"उस पर आपने विश्वास कर लिया ?"

"हां! पुलिस बोले तो.... विश्वास करना पड़ेगा!"

"पुलिस बोले तो..... उस पर विश्वास करना चाहिए ऐसा कोई कानून है क्या?"

सिम्हा विवेक को गुस्से से देखी। "सर! आप जो बात कर रहे हैं वह सही नहीं है। मेरे अप्पा ने डी.जी.पी. का काम किया था । उनकी सुपर विजन में ही यह काम हुआ है। अम्मा से कार टकराई और उनके मरने के बाद उस कार को ढूंढ नहीं पाए।"

"मिस सिम्हा ! आपने अपने अप्पा को एक ही तरफ से देखा है। इसीलिए आपको बहुत सारी बातों का पता नहीं है। आपकी मदर को एक्सीडेंट के नाम से जिन्होंने खत्म करवा दिया वह आपके अप्पा ही हैं।"

"य.. यह... क्या! मेरे अप्पा?"

"हां..."

"ऐसा किसने बोला ?"

"विधि देव।"

"विधि देव...?"

"हां... आज सुबह होटल में मैं गहरी नींद में सो रहा था... मेरे कमरे में लैंडलाइन टेलिफोन की घंटी बजी। उठाकर कौन है पूछा। एक आदमी की आवाज थी। उसे मैंने वैसे ही मेरे सेलफोन में रिकॉर्ड कर लिया। उस बात को आप सुने.... आपको अपने अप्पा के दूसरी तरफ कितना अंधकार है यह सच आपको पता चल जाएगा ।"

विवेक बोलते हुए.... अपने सेलफोन को निकालकर रिकॉर्डिंग किए हुए ऑडियो को ऑन किया।

आवाज आने लगी।

"मिस्टर विवेक !"

"होल्डिंग..._

"सॉरी सर..... आपकी नींद मैंने खराब कर दी।"

"नो प्रॉब्लम.... आप कौन हैं ?"

"मुझे सम्मान की जरूरत नहीं साहब मुझे आप तू... या तुम... कह कर ही बोलिए।"

"ठीक है... तुम कौन हो ?"

"अभी के लिए मेरा नाम विधि देव है। मैं आपसे दो मिनट बात कर सकता हूं ?"

"20 मिनट भी बात कर सकते हो।"

"सॉरी सर.... यह पब्लिक टेलीफोन बूथ है। दो मिनट से ज्यादा बात करें तो... मैं फंस जाऊंगा।"

"क्या बोलने वाले हो ?"

"रिटायर्ड डी.जी.पी. बालचंद्रन की हत्या के बारे में पेपर और टी.वी. में जो देखा। मन में बहुत संतोष हुआ। मेरे लिए आज ही दिवाली है। कल रात को मैंने पटाखे छुड़ाए। पास में जो अग्रवाल मिठाई की दुकान है उससे मिठाई लेकर खाया।"

"रिटायर्ड डी.जी.पी. की हत्या तुम्हारे लिए दिवाली में बदलने का क्या कारण है ?"

"उस आदमी ने अपनी पत्नी को वॉकिंग जाते समय खत्म करवा दिया वह बहुत बड़ा पापी है सर..."

"तुम क्या बोल रहे हो ?"

"मैं सच बोल रहा हूं सर ! वह माझी डी.जी.पी. एक पक्का रोमियो है सर! जब वह पद पर था तो एक हीरोइन के साथ उसका संबंध था। इसके अलावा भी कई लड़कियों से उसका संबंध था। बेटी की शादी करने की उम्र में क्यों ऐसे करते हो पत्नी ने समझाया.. पूछा तो रोज लड़ाई होती..".

"अपनी खुशी में जो पत्नी बाधक थी, उसके लिए उन्होंने एक आदमी का बंदोबस्त किया। जिसने उन्हें टक्कर मार दी, वह आदमी उनका जानकार एक अपराधी था। उसका एक वर्कशॉप था उसने एक पुराने एंबेस्डर से उस महिला को हिट कर स्पॉट पर ही उसके प्राण पखेरू उड़ा दिए।"

"तुम जो बोल रहे हैं वह सब सच है ?"

"अपने देश को स्वतंत्रता दिलाने वाले महात्मा गांधी की शपथ लेता हूं। मैं जो कह रहा हूं सब सत्य है सच के सिवा कुछ नहीं !"

"ठीक है...! यह सब तुम्हें कैसे पता?"

"माझी डी.जी.पी. की पत्नी को खत्म करने वाला मेरा जानकार है सर! वह पिछले महीने ही कैंसर से मर गया। मरने के एक हफ्ते पहले ही मुझसे सच बता कर रोया। 'मैंने जो पाप किया है उसके लिए मुझे दंड मिल गया वह बड़बड़ा रहा था।

"मुझे तुम से मिलना है ?"

"विधि देव को नहीं देखना चाहिए सर ! जो कह रहा हूँ सिर्फ उसी को सुनिए..."

"ठीक है.... माझी डी.जी.पी. को मारने वाला कौन था...."

"वह पुण्यात्मा कौन है मैं नहीं जानता ! यह कोई भी हो तो ठीक... उसको मेरी तरफ से तशुभकामनाएं दे दीजिएगा क्योंकि मैं आपके बारे में जानता हूं दोषी कोई भी हो ठीक... आपसे वह बच नहीं सकता।"

इस जगह सेलफोन का ऑडियो रिकॉर्डिंग बंद हो गया।

विवेक सेलफोन को बंद करके पूछा "इन बातों को सुना सिम्हा?"

"हां..." उसका चेहरा बदल गया। बिना बोले उसने सिर झुका लिया।

"बिना बोले रहे तो इसका क्या मतलब है ?"

आंखों में आंसू के साथ सीधी हुई सिम्हा। उसके होंठ कांप रहे थे। वैसे ही उसने बोलना शुरू किया।

"सर...! विधि देव के नाम से जिसने बोला वह सब सच है। अप्पा इतने अच्छे नहीं थे। बाहरी दुनिया में वे अपने को एक अच्छे आदमी जैसे दिखाया। वह एक रोमियो थे यही सच है। इसीलिए अम्मा के और उनके बीच हमेशा झगड़ा होता रहता था। उस समय यह घर एक युद्ध स्थल जैसे हो जाता था।"

"आपके मदर को आपके फादर ने ही... आदमी का बंदोबस्त कर एक्सीडेंट करवाकर मार दिया जैसे कि उस विधि देव ने कहा सच है ?"

सिम्हा मौन रही।

"बोलिए सिम्हा.... उसने जो बोला सच है ?"

"ह...ह... हां सच है। परंतु यह सच मुझे मां के मरने के 6 महीने बाद ही पता चला।"

"कैसे मालूम हुआ ?"

"अप्पा, एक दिन रात को.... मैं घर में नहीं हूं सोच कर... सेलफोन से किसी से बोल रहे थे 'अब कोई भी समस्या नहीं। मेरी पत्नी का मरना....एक एक्सीडेंट ऐसा पुलिस में रिकॉर्ड हो गया। उसे एक हिट एंड रन के केस मानकर फाइल को बंद कर दिया....'ऐसा कह रहे थे। उसे सुनकर मैं सदमे में आ गई।'

"परंतु.... अप्पा को पुलिस में पकड़वाने का मेरा मन नहीं हुआ। मुझे सच पता चल गया ऐसा मैंने नहीं दिखाया। इस घर में मेरे लिए रहना एक नरक जैसे ही है...।

"ऐसा है तो .... उस विधि देव ने जो बोला सब सच है?"

"हां..."

"उस विधि देव को आप देखना चाहेंगी ?"

सिम्हा की आंखों में आश्चर्य फैल गया।

"देख सकते हैं क्या ?"

"देख सकते हैं...!"

"कब ?"

"अभी...! इसी क्षण...!"

"कहां ?"

"यहां..." कह कर, विवेक, पास में खड़े विष्णु को दिखाया। "यह... विधि देव....!"

"यह मिस्टर विष्णु ही है ना...?"

विष्णु जोर से हंसा। "विष्णु ही है! कल रात को सिर्फ विधि देव बन कर बॉस से बात की। सब कुछ बॉस का प्लेन था मिस सिम्हा! मैं और बॉस मुन्नार आने के पहले ही तुम्हारे अप्पा के बारे में बहुत से बातों को कलेक्ट कर लिया था। उन बातों में क्या सच है, क्या झूठ है बिना जाने असमंजस में थे।

"उसमें एक समाचार.... आपकी मदर अर्ली मॉर्निंग वॉक जाते समय कार के टकराने से मर गई.... वह भी सुनियोजित होगा हमने सोचा। और दूसरा एक... वे रात 10:00 बजे के बाद मुन्नार से 16 किलोमीटर दूर रहने वाले माटूपट्टी बांध जाकर टूरिस्ट जैसे आए हुए विदेशी लोगों से बात करते हैं। यह सब समाचार कहां तक सच है बॉस को नहीं पता। दिल्ली सी.पी.जी. को भी नहीं मालूम।

"आपके फादर, डी.जी.पी. जो बड़े पद पर थे इस कारण जासूसी करने में और इन्वेस्टिगेशन करने में भी बॉस डर रहे थे। एक तरफ से आपके फादर के बारे में विपरीत समाचार आते ही... विवेक बहुत सहन किया बस सी.पी.जी. शर्मन मेरे बॉस को मुन्नार जाकर सीधे इंक्वायरी करने के लिए बोला ‌। बॉस मुन्नार की मिट्टी पर पैर रखे एक घंटा भी नहीं हुआ। आपके फादर वास मडर्ड बाय सम बड़ी। उनकी हत्या हो जाना हमारे लिए बहुत बड़ा सदमा है।

"उनकी हत्या किसके द्वारा हुई है इसके बारे में मालूम करना है तो मेरे पास जो छोटे-छोटे प्रश्न है उनका जवाब मुझे चाहिए। इसी कारण मैंने विधि देव का ड्रामा किया.... इसका उद्देश्य उन प्रश्नों का उत्तर बाहर लेकर आना था...."

अब तक सिम्हा सदमे से बाहर नहीं आ पाई... विवेक ने शुरू किया।

"आपके फादर ने बहुत गलतियां की है। कुछ तो गैर कानूनी है और कुछ अपने अंतरात्मा के विरोध में है। इसीलिए उन को मारने वाले ने उनके शरीर में जहां पर ह्रदय था उसे निकालकर... उस जगह पर पत्थर रख दिया। हत्यारा एक डॉक्टर भी हो सकता है। आपके पिताजी को जानने वाले डॉक्टर कौन-कौन है बता सकती हैं?"

"अप्पा को जानने वाले उनके बहुत नजदीक दो डॉक्टर तिरुवनंतपुरम में रहते हैं। एक का नाम वर्गिस है। यह पलमोनरी सर्जन हैं। दूसरी सर्जन मऊँन, यह डायबिटीज स्पेशलिस्ट है। कुछ दिनों से वे अप्पा को देखने नहीं आते।"

"क्यों ?"

"कारण का नहीं पता..."

"हो सकता है आपके फादर का चाल-चलन उनको पसंद ना आया हो....?"

"हो सकता है ! अप्पा के पेट में एक सिम कार्ड था आपने बताया... उसके द्वारा कोई विवरण का पता चला सर?"

"नहीं....! वह सिम कार्ड पेट के अंदर जो रस बनते थे उससे खराब हो गया। वैसे भी आपके फादर जो सेलफोन को काम में लेते थे उसको डिलीट कर दिया गया। किसी ने योजना बनाकर बहुत ही होशयारी से इस हत्या को अंजाम दिया । उसके अलावा... "

विवेक के बोलते समय ही सेलफोन की घंटी बजी। डिस्प्ले में सी.जी.पी. के मुखिया का नंबर था।

"सर...!"

"विवेक...! अभी आप कहां हो?"

"माझी डी.जी.पी. के घर पर! उनकी बेटी सिम्हा से इंक्वायरी कर रहा हूं। हमने उम्मीद नहीं की ऐसे कुछ सच बाहर आ रहे हैं.... और दो दिन में कैसे भी... "

"एक मिनट विवेक...!

"बोलिए सर...!"

"आपको तुरंत मुन्नार से निकलकर मदुरई आना है...."

"एनी अर्जेंसी ?"

"यस....! आप मदुरई में वेंदन नाम के राजनीतिक प्रमुख को जानते हो क्या?"

"नाम तो सुना हुआ है सर ! बट.... देखा नहीं है।"

"अब आप उनको नहीं देख सकते।"

"स.... सर.....!"

"यस..... एक घंटे पहले तिरुमंगलतुक्कू के पास रहने वाले एक तालाब में उनकी बॉडी मिली। माझी डी.जी.पी. बालचंद्रन की जैसी हत्या हुई..... उसी तरह मदुरई में वेंदन की भी हत्या हुई। मतलब हृदय की जगह पर उसी आकार का एक पत्थर रखा हुआ था।!"

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