Vivek you tolerated a lot! - 4 in Hindi Detective stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 4

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विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 4

अध्याय 4

डॉ. अमरदीप ने पोरको को आश्चर्य से देखा ‌।

"क्या आत्मा ?"

अमरदीप के होंठो पर एक हंसी आई। "कौन सी आत्मा.... भाप…... वाली आत्मा...?"

"मनुष्य की आत्मा डॉक्टर ! मेरा फ्रेंड एक.... कुप्पुस्वामी। आत्माओं से बात करता है। उसने ही मुझे एक आत्मा से बात करवाई। मैंने उस आत्मा से बहुत सारे प्रश्न पूंछे । उसने सब का जवाब दिया...."

"आत्माएं होती है आप विश्वास करते हैं ?"

"विश्वास करता हूं डॉक्टर !"

"ऐसा है तो..... उस आत्मा से कहकर आपके सर दर्द को कारण को बता कर परमानेंट ट्रीटमेंट ले लेना चाहिए था ना?"

"डॉक्टर! आपके बात करने से ऐसा लगता है कि.. आपको आत्माओं के ऊपर विश्वास नहीं है....?"

"दिमाग रखने वाले आदमी आत्माएं होती है इस पर विश्वास नहीं करेगा।"

"युवर कांसेप्ट इस रॉन्ग डॉक्टर ! इस दुनिया में आत्माएं हैं यह सच है। आत्माओं के बारे में सभी धर्मावलंबियों ने कहा है। मरने के बाद शरीर ही मिटता है परंतु..…आत्मा नहीं। कुछ लोगों के आंखों में ही आत्मा दिखाई देती है। सब को दिखाई नहीं देती।"

"देव गण, असुर गण ये दो गण होते हैं। देव गण वालों को आत्मा दिखाई देने की अवसर नहीं है। असुर गण के लोगों को आत्मा दिखाई देती है बोलते हैं...."

डॉक्टर अपने चश्मे को उतारकर रख व्यंग्य से हंसे। "वेरी इंटरेस्टिंग..... फिर?"

"आप विश्वास नहीं करते हैं लगता है। फिर भी कहता हूं। आत्माएं होती हैं। वैज्ञानिक लोग भी मानते है। आज भी जो महात्मा लोग हुए हैं उनकी आत्माएं हैं। हम साधारणतया एक मंदिर में जाकर हाथ जोड़ते हैं। समाधियों पर जाकर भी प्रार्थना करते हैं। दोनों में बहुत अंतर है। उनके वाइब्रेशन से मालूम होता है।"

"ओहो....!"

"विदेशों में रहने वाले वैज्ञानिकों ने आत्मा है इसे साबित किया है। आत्माओं की आवाजों को रिकॉर्ड किया है...."

डॉक्टर बीच में बोले "मैं आपसे एक प्रश्न पूछ सकता हूं?"

"पूछिए डॉक्टर !"

"कोई मरता है तुरंत उनके धर्म के अनुसार उसके शव को जो करना है कर के... उनकी आत्मा को शांति मिलनी चाहिए कहकर.... ऊपर के लोक में उन्हें भेज देते हैं। फिर दोबारा उन्हें क्यों बुलाना चाहिए? अपने समस्याओं को बता कर..…. क्यों उन्हें परेशान करना है? मरने के बाद तो उन्हें शांति से रहने दो.....!"

"सॉरी डॉक्टर ! आपको विश्वास नहीं है उसके बारे में तो बात करने से कोई फायदा नहीं है। मेरे अचानक सिर दर्द का ट्रीटमेंट लेने के लिए मैं आपके पास आया हूं। आप इस सिटी में इस समय के एक अच्छे न्यूरो सर्जन हैं। हां आप मेरे सर दर्द को ठीक कर सकते हैं ऐसा मुझे विश्वास है...."

डॉक्टर अपने प्रिसक्रिप्शन पैड को उठाते हैं।" ओके मिस्टर पोरको! आपके सर दर्द को मैं ठीक कर सकता हूं। हां आप उसे बराबर फॉलो करें बस। फिर आपका सर दर्द आपकी तरफ झांकेगा भी नहीं...."

"थैंक्यू डॉक्टर !"

अमरदीप अपने बॉल पॉइंट पेन से प्रिसक्रप्शन के प्रोफार्मा पर दवाई और गोलियों की जगह तमिल में दो वाक्य लिखें।

पोरको ने पढ़ा।

'ऑफिस से एक हफ्ते की छुट्टी लेकर घर में ही रहिए।

आत्मा से संबंधित बातों को बिल्कुल भूल जाइए।'

पोरको का चेहरा बदला उसने गर्दन ऊंची की। "यह क्या है डॉक्टर...?"

"आपका यही प्रिसक्प्शन है। इसको ठीक से फॉलो करो। एक हफ्ते के बाद आकर मुझसे मिलो।"

"ऐसा एक प्रिसक्रप्शन का मैंने आपसे उम्मीद नहीं की थी डॉक्टर मुझे मेंटल समझ लिया क्या ?"

"नो... नो...! आपको जो रोग उत्पन्न हुआ है वह एक मानसिक समस्या है। उसी के लिए मैंने आपको एक ऐसा प्रिसक्प्शन दिया। इसे फॉलो करके देखिए। पक्का लाभ दिखाई देगा।"

"थैंक्यू डॉक्टर..…"

पोरको कहते हुए उठा।

उठते ही -उसका शरीर कांपने लगा। वह संभल नहीं पाया। नीचे ना गिरे कुर्सी को पकड़ने का प्रयत्न करने लगा... जब नहीं हुआ.... वैसे ही पीछे की तरफ लुढ़क कर नीचे गिरा।

डॉ. अमरदीप उठ कर दौड़ कर पोरको की ओर झुके। उसके हाथ को पकड़कर नाड़ी टेस्ट करने लगे.... तो उसके दाढ़ में से हल्का सा खून एक लाइन बनाकर आ रहा था।

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