Atit ke chal-chitra - 7 in Hindi Moral Stories by Asha Saraswat books and stories PDF | अतीत के चल चित्र - (7)

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अतीत के चल चित्र - (7)



अतीत के चलचित्र (7)

छोटी सी गलती ने जीवन बरबाद कर दिया ।
ललित और लीना एक-दूसरे से अक्सर मिला करते थे ।ललित एक बहुत अच्छी कम्पनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत था ।घर में ललित और उसकी मॉं रहते थे,पिता का देहान्त बहुत पहले हो गया था ।ललित जब इंटर में पढ़ता था ।कुछ बीमा कम्पनी से पैसा मिला और गॉंव में कुछ ज़मीन थी उसे बेचकर मॉं ने ललित की पढ़ाई पूरी कराई थी ।कलकत्ता में अपना निज मकान था जिसमें वह मॉं के साथ रहता था।दिल्ली में अच्छी नौकरी लगने के बाद ललित अपनी मॉं को साथ ही ले आया था ।

वह प्रतिदिन कार से जाता तो बस स्टैण्ड पर कभी-कभी उसे लीना मिल जाती तो वह उसे उसके ऑफिस छोड़ देता ।

दौनो अच्छे दोस्त थे।लीना के परिवार में वह सबसे बड़ी संतान थी,दो बहिनें छोटी थी और छोटा भाई था ।
लीना के पिता एक प्राइवेट नौकरी करते ।लीना अपना वेतन घर में खर्च कर दिया करती थी ।

ललित और लीना एक-दूसरे के साथ कभी-कभी काफ़ी पी लिया करते ।ललित, लीना की आर्थिक स्थिति को अच्छी तरह जानता था।

ललित को लीना के साथ रहना अच्छा लगता ।एक दिन लीना के बारे में मॉं को सब बताया तो मॉं ने कहा—यदि तुम दोनों एक दूसरे को पसंद करते हो तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है ।

एक दिन ललित ने लीना को काफ़ी पीने के लिए कहा—वह जब आई तो बातें करते हुए ललित ने अपने दिल की बात उससे बताई और कहा—लीना मेरे साथ शादी करोगी ।
मैं चाहता हूँ हम लोग दोस्त के साथ ही पति-पत्नी बन जायें तुम मेरे बारे में सब कुछ जानती हो ।

मुझे अमेरिका जाने का ऑफ़र मिला है मैं जाना चाहता हूँ शादी के बाद हम दोनों वहाँ जाकर रहें ।बातों के दौरान लीना ने सहमति दे दी ।कुछ दिनों बाद ललित और लीना की शादी हो गई ।शुरू में दौनो बहुत अच्छी तरह रह रहे थे।

पहले कुछ दिनों तक सब ठीक चल रहा था ।कुछ दिनों बाद लीना ने नौकरी छोड़ दी ।ललित को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा क्योंकि उसकी नौकरी अच्छी थी ।

कुछ दिनों के लिए लीना कलकत्ता चली गई ।अमेरिका जाने का चांस हाथ से निकल गया क्योंकि लीना अभी जाना नहीं चाहती थी ।

इस बार लीना घर पर आई तो छोटी-छोटी बातों पर मॉं से उलझ जाती और उनमें अनेक कमियाँ निकालती।
ललित घर में शान्ति रहे इस लिए कुछ नहीं कहता।

आज ही ललित को ऑफिस से पत्र मिला उसे तीन वर्ष के लिए अमेरिका जाने के लिए ऑफ़र मिला है ।घर आकर ललित ने लीना को बताया ।

ललित अपनी तैयारी में लग गया वीज़ा बन गया फिर दोनों का टिकट भी बन गया ।
लीना कलकत्ता चली गई अपने परिवार से मिलने,जब ललित ने कहा—कब तक आओगी तो लीना ने कहा—कुछ दिन रहकर आ जाऊँगी ।

पन्द्रह दिन बाद लीना ने दहेज का मुक़दमा कर दिया,मारपीट का इल्जाम भी लगाया ।ललित का जाने का समय आ रहा था बीस दिन ही बचे थे,वह परेशान हो गया ।
ललित ने लीना को फ़ोन किया तो उसने नहीं उठाया ।सारे काम छोड़कर वह उसके पास मिलने गया तो वह ठीक से नहीं बोली और व्यवहार भी अच्छा नहीं किया ।

ललित ने कहा—मेरे साथ घर चलो ..
“लीना ने कहा—मुझे कहीं नहीं जाना ,अब मुझे तलाक़ चाहिए मैं आपके साथ कहीं नहीं जाऊँगी”

ललित वापिस चलाआया,दहेज के मुक़दमे में उसे फँसा दिया।बार-बार तारीख़ पर तारीख़ लगती रही और वह दिल्ली से कलकत्ता बार-बार जाता रहा ।एक दिन वॉरंट आये तो उसे बासठ दिनों की जेल हो गई ।ज़मानत का कोई भी उपाय काम नहीं आया ।ललित की हालत पर मॉं रात-दिन रोती रही ।लीना से कई बार खुशामद की कि मुक़दमा वापस ले लो ।वह नहीं मानी अनेक भद्दे इल्जाम मॉं और ललित पर लगा दिए ।

ललित के जेल से घर आने के बाद मॉं ज़्यादा बीमार हो गई

और बहुत शर्मिंदगी महसूस करने लगी ।मॉं ने खाना-पीना भी छोड़ दिया,बहुत कोशिश करने पर एक-दो टुकड़ा ही खातीं ।

मॉं बहुत बीमार रहने लगीं,उनका देहांत हो गया ।
ललित के दोस्तों की पत्नियाँ भी ललित से मिलने को मना करतीं।धीरे-धीरे दोस्तों ने भी छोड़ दिया ।अब नौकरी भी चली गई ।कलकत्ता के मकान में जाकर रहने लगा । एक दिन फ़ोन पर लीना ने जानकारी दी कि बेटा हुआ है ।

ललित पैंतीस वर्ष की उम्र में सत्तर वर्ष जैसा कमजोर लगने लगा ।

कलकत्ता में रहते हुए एक दिन लीना से ललित की मुलाक़ात हो गई उसके साथ बेटा था,उसने ललित से अंकल कहा ।

ललित ने कहा—कैसे हो तुम लोग?
“ लीना ने कहा—छोटी सी गलती हो गई ।”
——————————————-...
लीना अब रहने की इच्छा जता रही थी,ललित आगे बढ़ रहा था और सोच रहा था कि
तुम्हारी छोटी सी ग़लती से जीवन बर्बाद हो गया ....उसमें खड़े होने की हिम्मत नहीं थी वह आगे बढ़ रहा था....


✍️क्रमश:

आशा सारस्वत