(19)
नफीस किसी काम से होटल सी शोर में गया था। होटल की लॉबी में उसने एंथनी को देखा। उसे पता था कि एंथनी एक जासूस है। एक बार एक केस में वह उसकी मदद ले चुका था। उसने एंथनी को रोका। उसे देखकर एंथनी बोला,
"नफीस भाई... कैसे हो ?"
"मैं ठीक हूँ। तुम्हारा काम आजकल बहुत अच्छा चल रहा है। तभी इस होटल में आए हो।"
नफीस ने मज़ाक किया। एंथनी बोला,
"मुझे तो इतने ऐशो आराम पसंद नहीं आते। मैं तो ढाबे में जाना पसंद करता हूँ। वैसे तुम्हारा क्राइम शो तो धूम मचा रहा है।"
"ऊपरवाले का शुक्र है। तुम बताओ यहाँ क्या करने आए थे ?"
"एक काम के सिलसिले में आया था। तुम बताओ क्या किसी के साथ लंच करने आए हो।"
"मिलना था किसी से। अब चलता हूँ वह वेट कर रहा होगा।"
"ठीक है फिर कभी ऐसे ही मिल जाएंगे।"
नफीस होटल के अंदर चला गया। एंथनी कुछ देर लॉबी में खड़ा कुछ सोचता रहा फिर बाहर निकल गया।
एंथनी होटल के सिक्योरिटी इंचार्ज को जानता था। उसने उस आदमी का हुलिया बताकर कहा था कि वह सीसीटीवी फुटेज देखकर बताए कि अंजन पर हमले की तारीख के आसपास वैसा कोई आदमी होटल में था। उसने उस आदमी का रूम नंबर भी पता करने को कहा था।
उसे पूरी उम्मीद थी कि कोई ना कोई सफलता अवश्य मिलेगी।
दो दिनों के बाद सिक्योरिटी इंचार्ज ने उसे फोन करके बताया कि जिसके बारे में वह जानना चाहता है उसका पता चल गया है। अगर डीटेल चाहिए तो पाँच लाख रुपयों के साथ उसकी बताई जगह पर मिले।
एंथनी ने सारी बात अंजन को बताई। अंजन ने कहा कि वह उसकी मुंहमांगी रकम देने को तैयार है। लेकिन उसे उस आदमी की सारी फुटेज के साथ उसके बंगले पर आना होगा।
अंजन के बंगले में बने मीटिंग रूम में उसके सामने एंथनी और सिक्योरिटी इंचार्ज दर्शन वशिष्ठ बैठे थे। अंजन ने कहा,
"तुमने जो रकम मांगी है वह मिल जाएगी। पहले उस आदमी की सीसीटीवी फुटेज दिखाओ। जो भी उसके बारे में पता किया है सब बताओ।"
दर्शन ने अपने मोबाइल फोन को स्क्रीन प्रोजेक्टर से कनेक्ट किया। सामने स्क्रीन पर सीसीटीवी फुटेज चलने लगी। उस फुटेज में लंबे बालों वाला वैसा ही आदमी दिखाई पड़ रहा था जैसा स्केच में था। फुटेज को रोककर दर्शन ने कहा,
"यह फुटेज उस दिन की है जब इस आदमी ने होटल में चेक इन किया था। मैंने पता किया है इस आदमी का नाम नीतीश सक्सेना है। लंदन से आया था।"
अंजन स्क्रीन पर फ्रीज़ हो चुकी नीतीश की तस्वीर को ध्यान से देख रहा था। उस नाम ने तो कोई हलचल नहीं पैदा की थी पर तस्वीर अभी भी उसे जानी पहचानी लग रही थी। उसने कहा,
"आगे भी कोई फुटेज है। उसे दिखाओ।"
दर्शन ने फुटेज आगे प्ले की। यह लिफ्ट की थी। नीतीश ने बारहवीं मंज़िल पर जाने का बटन दबाया। कुछ देर बाद लिफ्ट से निकलता दिखाई पड़ा। यह कॉरिडोर का सीसीटीवी था। नीतीश एक कमरे के पास गया कार्ड से दरवाज़ा खोलकर अंदर चला गया।
उसके बाद कुछ और सीसीटीवी फुटेज थीं। उनमें कुछ खास नहीं था।
दर्शन ने हमले वाले दिन सुबह की सीसीटीवी फुटेज दिखाई। उस फुटेज में नीतीश एक औरत के साथ होटल की लॉबी में दिखाई पड़ता है। लेकिन उस औरत की शक्ल दिखाई नहीं पड़ रही थी। अंजन को उस औरत की चालढाल और देह की बनावट जानी पहचानी सी लगी।
अगली फुटेज लिफ्ट से निकलने की थी। इस फुटेज में उस औरत का चेहरा दिखाई पड़ रहा था। उसे देखते ही अंजन ने कहा,
"थोड़ा पीछे करके औरत के चेहरे पर रोको।"
दर्शन ने उसके कहे अनुसार औरत के चेहरे पर फ्रेम को रोक दिया। स्क्रीन पर चेहरे को देखकर अंजन की आँखें फटी की फटी रह गईं। उसने अपने आप पर काबू किया। दर्शन से बोला,
"मुझे सारी सीसीटीवी फुटेज दे दो। अपना पैसा लो और जाओ।"
दर्शन ने सीसीटीवी फुटेज दे दी। अपने वादे के मुताबिक अंजन ने उसे पैसे दे दिए। दर्शन पैसे लेकर चला गया।
एंथनी समझ गया था कि अंजन का उस औरत से कोई संबंध है। वह इस बात की प्रतीक्षा कर रहा था कि अंजन उससे कुछ कहे। अंजन अभी एंथनी से कोई बात नहीं करना चाहता था। उसने एंथनी से कहा कि अभी वह जाए। वह बाद में उसे बुलाकर बात करेगा। एंथनी बिना कुछ बोले चुपचाप चला गया।
नफीस अपने ऑफिस में बैठा था। वह अंजन के केस के बारे में ही सोच रहा था। अभी तक उसे इस केस में कोई भी सुराग नहीं मिल पाया था। उसे लगता था कि मुकेश इस केस की गुत्थी सुलझा सकता है। पर उसका कोई पता नहीं चल पाया था।
उसके केबिन के दरवाज़े पर नॉक हुई। उसके क्राइम शो का डायरेक्टर जॉन पीटर्स अंदर आया। नफीस ने अपनी कुर्सी से उठकर उसका स्वागत किया। जॉन ने बैठते हुए कहा,
"इस बार एक लेडी सुपारी किलर पर एपीसोड बनाने की सोच रहा था। यूपी की ललिता देवी पहले एक साधारण सी औरत थी। आज कॉन्ट्रैक्ट किलिंग में उसका नाम सफलता का दूसरा नाम बना हुआ है।"
नफीस ने अपना ध्यान अंजन से हटाकर जॉन की बात पर लगा दिया। उसने भी ललिता के बारे में बहुत कुछ सुना था। उनकी क्राइम सीरीज़ में अब तक किसी महिला अपराधी की कहानी नहीं दिखाई गई थी। उसे जॉन का आइडिया अच्छा लगा। उसने कहा,
"जॉन बहुत अच्छा सुझाव है तुम्हारा। मैं आज ही ललिता की कहानी पर काम करना शुरू कर देता हूँ।"
"मैं भी यही कहने आया था। अगला एपीसोड टेलिकास्ट के लिए तैयार है। उसके बाद वाले एपीसोड की थोड़ी सी शूटिंग बाकी रह गई है। तब तक तुम इस पर काम शुरू कर दो।"
जॉन उठकर चला गया। उसके जाने के कुछ ही क्षणों बाद विनोद नफीस के पास आया। उसकी शक्ल बता रही थी कि उसके पास बताने लायक कोई बात है। नफीस ने कहा,
"क्या बात है विनोद चेहरे पर चमक है तुम्हारे ?"
विनोद ने कहा,
"एक बात है। मुझे लगता है कि काम की साबित हो सकती है।"
नफीस अब जानने के लिए उत्सुक हो चुका था। उसने कहा,
"जो भी है बताओ। फिर देखते हैं कि बात काम की है या नहीं।"
"सर... आपको वह जासूस याद है। कुछ अजीब सा था। आपने एक केस में उसकी मदद ली थी।"
"एंथनी....उसका अंजन से क्या संबंध है ?"
"सर संबंध तो है। मैंने उसे एक आदमी के साथ अंजन के बंगले में घुसते देखा था।"
"जो आदमी उसके साथ था तुम उसे जानते हो ?"
"नहीं सर मैं उसे नहीं पहचानता हूँ। पर वह लंबा और तगड़े शरीर का था।"
विनोद की बात सुनकर नफीस अपना दिमाग दौड़ाने लगा। उसे सी शोर होटल में एंथनी के साथ हुई मुलाकात याद आई। उस दिन तो उसने ध्यान नहीं दिया। लेकिन आज उसे ऐसा लग रहा था जैसे एंथनी उस होटल में अंजन के किसी केस के सिलसिले में ही गया था। उसे लगा कि अंजन पर हमले से बड़ा कौन सा केस हो सकता है। कुछ सोचकर वह बोला,
"विनोद होटल सी शोर अंजन के बीच हाउस शिमरिंग स्टार्स के पास ही है ना ?"
"हाँ सर... यही कोई 2 किलोमीटर दूर होगा। पर आप यह क्यों पूछ रहे हैं ?"
नफीस ने उसे एंथनी के साथ होटल सी शोर में हुई मुलाकात के बारे में बताया।
"विनोद अगर एंथनी अंजन के लिए काम कर रहा है तो ज़रूर उस पर हमला किसने किया है इस बात की जांँच कर रहा होगा। उसी जांँच के सिलसिले में वह होटल गया होगा। इसका मतलब अंजन पर हमला करने वाला उसी होटल में ठहरा होगा। हमला करने वाले आदमी से संबंधित कोई विशेष जानकारी देने के लिए ही एंथनी उस दूसरे आदमी को लेकर अंजन के बंगले पर गया होगा।"
नफीस की कही बात विनोद को एकदम सही लगी। उसने कहा,
"आप तो जीनियस हैं सर। मैंने एक बात बताई और आपने इतनी सारी बातों का अंदाज़ा लगा लिया।"
"क्राइम रिपोर्टर हूंँ विनोद। कई सारे केस इन्वेस्टिगेट किए हैं। इसी तरह कड़ी से कड़ी जोड़कर आगे बढ़ना पड़ता है।"
नफीस कुछ सोचकर बोला,
"होटल सी शोर में अपने कांटेक्ट से पता करके देखो कि अंजन के बंगले पर जाने वाले आदमी का जो हुलिया तुम बता रहे थे उससे मिलता जुलता कौन है जो होटल में काम करता है। अगर उसका पता चल जाए तो हम बहुत कुछ जान सकते हैं।"
"ठीक है सर फिर मैं जाकर पता करने की कोशिश करता हूँ।"
विनोद अपने काम के लिए निकल गया। नफीस एक बार फिर अंजन के केस के बारे में सोचने लगा।
एंथनी के जाने के बाद अंजन ने एक बार फिर वह सीसीटीवी फुटेज चलाई। उस औरत के चेहरे को स्क्रीन पर फ्रीज़ कर दिया। पिछले कुछ मिनटों से वह उसे ताक रहा था। सीसीटीवी फुटेज में जो चेहरा दिख रहा था उसे देखने के बाद कुछ समय तक तो उसे यकीन ही नहीं हुआ कि ऐसा सच हो सकता है। पर सच उसके सामने था।
उस चेहरे को देखकर उसे समझ आ गया था कि स्केच वाले आदमी का चेहरा जाना पहचाना क्यों लग रहा था। अब उसका नाम और चेहरा पूरी तरह उसे याद आ चुका था। हलांकी उस आदमी ने अपना नाम गलत बताया था और हुलिया बहुत हद तक बदल लिया था। खासकर नाक जो पहले इतनी नुकीली नहीं थी। किसी प्लास्टिक सर्जन का कमाल था।
उसने अपने दिमाग पर ज़ोर डाला और उस झलक को याद करने की कोशिश करने लगा जो होश खोने से पहले उसने देखी थी। अब उसे समझ आ रहा था कि शक्ल ना दिखने के बावजूद वह क्या था जो उसे पहचाना हुआ लग रहा था। वह थीं नकाब के पीछे से झांकती आँखें।
सब जानने के बाद अंजन गुस्से से उबलने लगा। उसने अपना फोन उठाया। फोन पर किसी को कुछ निर्देश दिए।
कुछ देर बाद वह अपने निर्माणाधीन रिज़ॉर्ट की तरफ जा रहा था।