Wo Ankahi Baate - 1 in Hindi Fiction Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | वो अनकही बातें - भाग - 1

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वो अनकही बातें - भाग - 1

सड़क के बीच में तेज बारिश में वो खड़ी हो कर ना जानें किसका इंतज़ार कर रही थी।
बहुत सारे सवाल उठ रहे थे शालू के मन में। मुझे इस पार्टी में शामिल नहीं होना चाहिए था।

तभी तेज रफ़्तार में बढ़ती हुई कार की होर्न से शालू एकदम घबरा कर गिर गई और बेहोश हो गई।

कार से एक नौजवान उतरा और फिर बोला- ये रास्ते हैं क्यों मरना चाहते हो? फिर किसी तरह से उसने उस लड़की को उठाने की कोशिश की पर नहीं उठीं।

फिर डाईबर बोला - समीर सर क्या हुआ।समीर बोला आकाश पीछे वाली गेट खोल।समीर ने उसे उठाया और पीछे की सीट पर लिटा दिया।समीर ने उसका चेहरा नहीं देख सका पर उसकी खुशबू से ,उसको छुने से किसी की छवि याद आ गई।
आकाश -सर आप ठीक है ना।समीर हां मैं ठीक हूं ।तू गाड़ी घर की तरफ ले।
आकाश ने कहा पर सर पार्टी में जाना था। समीर बोला, नही कोई मुश्किल में है पहले उसको देख ले।

समीर का घर आलिशान किसी महल से कम तो नहीं है पर एक अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ रहता था।वो इसलिए कि समीर का कोई भी नहीं था।
घर पहुंच कर समीर बोला विनय काका जल्दी से गर्म दूध लाईयेगा।
विनय ने कहा, जी अभी लाया।
समीर ने किसी तरह से उसको गेस्ट रूम में ले जाकर बेड पर लिटा दिया। और फिर एकाएक उसे देखकर समीर के मुंह से शालू नाम निकला।

समीर ने कहा कितनी सदियां बीत गए।पर वही चहेरा , वहीं जुल्फें । मैंने तो बहुत ढूंढा पर मिली वो आज । वहीं बरसात की रात में।

तभी शालू को होश आया तो देखा कि किसी घर में है ।शालू ने घबराकर कर पुछा मैं ये कहां आ गई।
समीर ने कहा घबराओ मत मेरा घर है । तुम मेरे कार के नीचे आ गई थी।
शालू मुड़ कर देखी तो बोली सोमू तुम।
समीर ने कहा ये नाम बहुत दिनों बाद सुनकर अच्छा लगा।

शालू झेंप गई और बोली समीर, मैं घर जाना चाहती हुं।
समीर ने कहा ऐसा कैसे,बहुत तेज बारिश है कल चली जाना।
ये मुम्बई की बारिश है रूकेगा नहीं हंसते हुए शालू बोली।
समीर ने कहा,अच्छा तो मुम्बई का मौसम पता है तुम को।
शालू ने कहा,हां तो आधा जीवन यही पर बीत गया।

समीर ने बोला कालेज के बाद रिसर्च सेंटर चली गई और मैं अपना पूरा ध्यान अपनी डाक्टरी पढ़ने में लगाया।

शालू ने कहा !ओह तो डॉ समीर मुम्बई में क्या कर रहे हो? अमेरिका नहीं गए।

समीर ने हंस कर कहा,जा कर भी नहीं जा सका किसी ने ऐसा दिल तोड़ दिया कि आज तक ना जुड़ सका।

शालू ने कहा पुरानी बातें याद करने से सिर्फ तकलीफ मिलती है।
समीर ने गुस्से से कहा शालू क्यों किया ऐसा ? शालू ने कहा मेरा नाम शालिनी है सभी मुझे इस नाम से बुलाते हैं ।
समीर ने कहा हां पर ,मैं तो शालू बुलाया करता था आज भी वही बोलूंगा।

शालू थोड़ी सहज होकर बोली घर तो बहुत शानदार है तुम्हारा ।पर लगता है कोई नहीं है।

समीर ने कहा हां, क्यों जले पर नमक छिड़कने जैसा कर रही हो।
शालू ने हंस कर कहा,शादी नहीं किए?
समीर ने झट से पूछा तुमने किया क्या?
शालू चुपचाप खड़ी हो गई।

विनय ने कहा, बेटा खाना लग चुका है।
समीर ने कहा हां काका आया। समीर ने कहा,शालू डिनर किया जाएं।

शालू ने कहा नो , तुम खा लो।
समीर ने कहा प्लीज़ ।
शालू ने कहा ओ के।

फिर दोनों डिनर करने बैठ जाते हैं। समीर ने कहा।।विनय काका खाना सर्व किजिए।

समीर ने पूछा,वैसे तुम विले पारले में पार्टी डैस में कहा जा रही थी?
शालू थोड़ी सी असामान्य होकर बोली, वो दोस्त की पार्टी थी।
क्लब हाउस वाली समीर ने कहा।
शालू हां पर तुम्हें कैसे पता?
समीर ने कहा वैसे तो मैं उसी पार्टी में जा रहा था पर तुम मिल गई।शालू ने कहा ओह सारी।

समीर ने कहा ओके ,पर जो कुछ हुआ अच्छा हुआ हमारा एक लम्बे अरसे के बाद मिलना।
शालू ने कहा गाजर का हलवा तुम्हें अभी तक पसन्द है?
हां तो समीर ने कहा। मैंने अपना कुछ भी नहीं बदला।
शालू ने रौब से बोला ,पर रास्ते बदल गए मंजिल बदल गई।
समीर ने हंस कर कहा हां ,ये तुम्हारे देखने का नजरिया है और कुछ नहीं।
शालू ने खाना आधा छोड़ दिया और बोली बस मेरा डिनर हो गया।

समीर ने कहा,अरे पहले तो बहुत खाती थी। मुझे याद है कालेज के बाद सीधे हम तुम्हारे घर जाते थे।वाह !क्या खाना बनाती थी आंटी।

मैं तो रोटी और ज्यादा खाता था और तुम तो खाती रहती थी बस।
शालू ने हंस कर कहा,और तुम मुझे देखा करते थे।
समीर ने कहा, हां और क्या खाते हुए तुम अच्छी लगती थी।
शालू फिर चुप हो गई।

समीर ने कहा, हो हो हो वो दिन भी क्या दिन थे।

शालू ने कहा, मुझे अब चलना चाहिए।
समीर क्या बार बार जाने की बात कर रही हो। खिड़की से बाहर देख लो।

शालू ने पूछा मेरा पर्स और मोबाइल?
समीर ने कहा तुम्हारे रूम में है।
शालू हंसते हुए कहा, कैसे मेरा रूम हो गया।

समीर ने कहा बात पकड़ने की आदत नहीं गई, कोई बात नहीं वो गेस्ट रूम में।
शालू ने कहा थैंक यू।

समीर ने कहा फोन से याद आया राजीव का फोन आया था। शायद तुम्हारे हवी है।

शालू बिना बोले चली गई।रूम में आ कर मोबाइल चेक करने लगी। और एक कोल किया पर उठाया नहीं। अभी तक बहुत से सवाल उठ रहे हैं क्यों किया राजीव ने ऐसा मैंने तो सिर्फ दोस्त माना था।
तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई।

शालू ने कहा,कौन?
समीर ने कहा अरे सो गई क्या?
शालू ने कहा,आ जाओ।सोई नहीं थी।

समीर ये लो बैल्क काफ़ी।
शालू ने कहा तुम्हें याद है अब तक? समीर ने हंस कर कहा, हां मुझे सब याद है। हम दोनों हमेशा बैंल्क काफ़ी लेते थे।
शालू ने कहा हां कितना समय बीत गया।

समीर ने कहा पूरे बारह साल बीत चुके है।

शालू ओह।
समीर ने कहा,जाड़े में ओस की बूंदें तुम्हें अच्छी लगती थी। और अब?
शालू पुरानी बातें याद नहीं करना चाहती हुं।
समीर ने पूछा, तुम कुछ छुपा रही हो? तुम्हारी खामोशी कुछ कह रही है।

शालू ने कहा, मिनल याद है।

समीर ने बोला,हां अमीर बाप की बिगड़ी हुई ।पर मिनल को क्यों याद कर रही हो।वह तो अमेरिका में रहती हैं
शालू ने कहा,वहीं तो तुमको भी होना था।
समीर ने कहा,मतलब क्या है तुम्हारा? कुछ समझा नहीं।
शालू ने कहा,रहने दो , समझना नहीं चाहते हो या फिर।
समीर ने बोला,तुम्हारे साथ ये दिक्कत है तुम पुरी बात नहीं बताती हो।उस समय भी मेरे सवालों का जवाब दिए बिना गई थी और आज भी।।

शालू ने कहा मिनल तो तुमसे प्यार करती थी और शादी भी करना चाहती थी।
समीर ने बोला ,मजाक मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है और मिनल को अच्छी तरह पता था कि मैं क्या चाहता हूं।
क्रमशः