Life nowadays- Alok Kumar in Hindi Book Reviews by राजीव तनेजा books and stories PDF | लाइफ आजकल- आलोक कुमार

Featured Books
Categories
Share

लाइफ आजकल- आलोक कुमार

कहते हैं कि किसी भी चीज़ के होने ना होने का पहले से तय एक मुक़र्रर वक्त होता है। किताबों के संदर्भ में भी यही बात लागू होती है। कुछ किताबों को पढ़ने की इच्छा से आप मँगवा तो लेते हैं मगर उन्हें पढ़ने का जाने अनजाने में मुहूर्त नहीं निकल पाता। कई बार हम एक साथ इतनी किताबें मँगवा लेते हैं कि कुछ किताबें हमारी आँखों के सामने होते हुए भी हमें नज़र नहीं आती या अगर कभी भूल से नज़र आ भी जाती हैं तो हम अन्य किताबों को पहले तरजीह देते हुए किसी अन्य किताब की तरफ बढ़ जाते हैं। मगर ऐसे में कई बार कुछ अच्छी किताबों को हमारे द्वारा उन्हें पढ़े जाने के इंतज़ार में चुपचाप दुबक कर मायूस हो बैठे रह जाना पड़ता है।

दोस्तों..आज मैं बात कर रहा हूँ आलोक कुमार द्वारा रचित कहानियों के एक उम्दा संग्रह 'लाइफ आजकल' की। जिसे मेरे द्वारा कम से कम छह महीने पहले पढ़ लिया जाना चाहिए था मगर वो कहते हैं ना कि..हर चीज़ या बात का एक तय वक्त होता है। तो चलो..अब ही सही। उनके पहले उपन्यास 'the चिरकुट्स' से अगर तुलना कर के देखूँ तो इस कहानो संग्रह में उनकी लेखनी एकदम आश्चर्यजनक ढंग से परिष्कृत हो कर सामने आयी है।

आजकल की युवा पीढी और तत्कालीन माहौल को ले कर रची गयी कहानियों में आपको बीच बीच में ऐसी बातें पढ़ने को मिलती हैं कि आप मुस्कुराते हुए उनकी लेखनी के हर कहानी के साथ मुरीद होते चले जाते हैं। इस संकलन की पहली कहानी 'अधूरी ज़िन्दगी' फ़िल्मनगरी मुंबई में लिव इन में रह रहे एक संघर्षरत जोड़े की है। परिस्थितिवश अलग हो चुके इस जोड़े का अलग होने के बाद एक बेटा पैदा होता है जिसकी युवक को खबर नहीं है। कुछ वर्षों बाद परिस्थितियाँ उन्हें फिर फिर मिलाती हैं मगर क्या वो फिर से एक हो पाते हैं?

अगली कहानी 'जस्ट फ्रैंड्स' एक ऐसे लड़के की है जिसे उसकी दोस्ती, जो दोस्त के लेवल से कुछ ज़्यादा आगे बढ़ चुकी है, का वास्ता दे कर एक लड़की ने अपनी शादी के दिन अपने घर में बुलाया है। प्यार की तरफ़ बढ़ती कहानी किस तरह सिर्फ दोस्ती तक में सिमट जाती है? यह जानने के लिए तो कहानी को पढ़ना होगा।

अगली कहानी 'सपने' इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहे एक ऐसे लड़के की है जो अपने माँ बाप के दबाव में आ..वहाँ एडमिशन तो ले लेता है मगर उसका असली रुझान..असली ध्यान पेंटिंग में अपना कैरियर बनाने को ले कर है। जो उसके घरवालों को बिल्कुल भी मंज़ूर नहीं। एक दिन तंग आ कर वो बिना किसी को बताए कॉलेज से गायब हो जाता है। क्या उसके सपने कभी पूरे हो पाते हैं या वो भी औरों की देखादेखी खुदकुशी कर बैठता है?

उनकी किसी कहानी में कहीं लड़के की चाह में पैदा हो ..उपेक्षित जीवन झेल रही बेटी ही,अपने बीमार बाप की जान बचाने के लिए बेटे के बजाय, काम आती है।

मनमोहक शैली में लिखे गए इस बारह कहानियों के 152 पृष्ठीय मज़ेदार संग्रह को छापा है फ्लाइड्रीमज़ पब्लिकेशंस ने और इसका मूल्य रखा गया है मात्र 150/- रुपए। आने वाले उज्जवल भविष्य के लिए लेखक तथा प्रकाशक को अनेकों अनेक शुभकामनाएं।