Dani ki kahani - 15 in Hindi Children Stories by Pranava Bharti books and stories PDF | दानी की कहानी - 15

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दानी की कहानी - 15

गोलू--मुन्ना (दानी की कहानी )


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दानी की अम्मा जी भी एक स्कूल की प्रधानाचार्य थीं | पूरा पढ़ाकू माहौल ! अब भला बच्चों की तो ऐसी-तैसी होगी ही न ऐसे में |

कितनी उम्मीदें पालने लगते हैं ऐसे परिवार के बच्चों से लोग !

"ठीक है ,ज़रूरी थोड़े ही है परिवार में सारे ही पढ़ाकू हों--" आठ साल के गोलू ने कहा |

जब दानी अपने ज़माने की ,अपने परिवार की बातें सुनातीं नन्हा गोलू भुनभुन करता |

"पर,आप हर समय ये ही कहानी सुनाती रहती हैं --"

"अच्छी बात तो है ,हम सबको यह बात समझनी चाहिए न ---" मुन्ना बड़ा था और होशियारी मारने में सबसे आगे |

वह कोशिश करता कि सबसे अपना लोहा मनवा ले | किन्तु ऐसे थोड़े ही होता है,हर बच्चे में कोई न कोई गुण तो होता ही है |

दानी कोई बच्ची तो थीं नहीं ,वो अपने सभी बच्चों की नब्ज़ पकड़ना जानती थीं |

"अच्छा ! मुन्ना बाबू ,आपने आज स्कूल का काम कर लिया ?"

"होम-वर्क दानी ?" मुन्ना ने शेखी बघारी |

"हाँ,बेटा ! स्कूल का काम जो घर पर करने के लिए दिया जाता है ,उसे होम-वर्क ही कहते हैं न ? उसी की बात कर रही हूँ | "दानी मन ही मन मुस्कुराईं |

छोटे मियाँ अपना रौब अपने से छोटे पर मारने चले थे |

"मैं अभी आता हूँ दानी ----" कहकर वह वहाँ से भागने के लिए तत्पर हो गया |

"बेटा ! पहले बताओ तो ,तुमने कर लिया क्या अपना होम-वर्क ?"

"अरे ! अभी आता हूँ न दानी ---" कहकर मुन्ना बाबू वहाँ से रफूचक्कर हो गए|

दानी खूब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगीं |

"आप हँस क्यों रही हैं दानी?"दानी को ज़ोर से हँसते हुए देखकर गोलू उनका मुँह ताकने लगा |

"तुम्हारे मुन्ना भैया ने अपना होम-वर्क नहीं किया था न तो वो कुछ जवाब नहीं दे पाए और मेरे से पीछा छुड़ाने के लिए भाग गए |"

बेचारा गोलू सीधा था ,उसे चालाकी करनी आती नहीं थी और मुन्ने मियाँ पक्के थे , अपने आपको चतुर दिखने की कोशिश करते लेकिन पकड़ी जाती |

दानी जानती थीं कि अब या तो मुन्ना अपना होम-वर्क करने बैठ गया होगा और पूरा करके आएगा या फिर इस बात की प्रतीक्षा करेगा कि इतनी देर में दानी के पास जाएगा तब तक दानी अपना प्रश्न भूल चुकी होंगी |

लेकिन दानी ने कच्ची गोलियाँ नहीं खेली थीं | वह चुपचाप उसकी प्रतीक्षा करती हुई गोलू को शिक्षा का महत्व एक कहानी के माध्यम से समझाने लगीं |

एक-घंटा ,दो-घंटे ---आख़िर ये मुन्ना कहाँ रह गया ? दानी ने सोचा |

अब तक तो गोलू भी अपनी मम्मी के कमरे में चला गया था |

दानी को घर का सेवक चाय-नाश्ता भी दे गया था और अब दानी के पास बच्चों के दूसरे ग्रुप के आने का समय होने लगा था | सब बच्चे साथ ही आकर अटैक करते दानी पर | दानी उस समय उनको चॉकलेट्स दिया करती थीं लेकिन शर्त यह थी कि वे सभी खाने के बाद चॉकलेट्स खाएँगे और फिर ब्रश करके सोएंगे |

जब भी चॉकलेट्स ख़त्म हो जातीं दानी दूसरा पैकेट मंगवा लेतीं | दानी किसी भी बच्चे को एक से ज़्यादा चॉकलेट न देतीं | यदि उस समय घर के किसी काम करने वाले का बच्चा भी होता ,उसे भी चॉकलेट मिलती|लेकिन मिलती एक ही |

घर में खाना बनाने वाले महाराज ड्राइवर भी थे और अपनी पत्नी के साथ मिलकर घर के सभी कामों के अतिरिक्त दानी को कहीं जाना होता तो ड्राइवरी भी कर लेते |उनके लिए पीछे की तरफ़ एक कमरे का सैट तैयार कर दिया गया था | सो उनके दोनों बच्चे तो चॉकलेट बँटने के समय पर उनके सामने न जाने कहाँ से अवतरित हो जाते | उनके लिए भी यही शर्त थी कि वे चॉकलेट खाकर ब्रश करेंगे | वे दानी के सामने अपनी गर्दन हाँ में हिलाते और चॉकलेट लेकर भाग जाते |

उस दिन सारे बच्चे पहुँचे लेकिन मुन्ना नहीं आया | सब डिनर पर बैठ चुके थे |

"मुन्ना कहाँ है ,वो तो मुझसे कहकर गया था अभी आ रहा हूँ ---"दानी ने पूछा |

"दानी उसने होम-वर्क नहीं किया था ,करके आएगा | नहीं तो उसे चॉकलेट नहीं मिलेगी न !"आदी ने दानी को बताया |

डिनर-टेबल पर मुन्ना दौड़ता-भागता आया |

"सॉरी ,लेट हो गया ---" दानी मुस्कुराने लगीं |

खाने के बाद अपने कमरे में सबको चॉकलेट देते हुए दानी ने महाराज के बच्चों को आवाज़ दी |

दरवाज़े से दो नन्हे हाथ कमरे में बढ़ आए |

"तुमने अपना होम-वर्क किया ?"

दोनों बच्चों ने अपना सर हिलाया |

"गुड़---लेकिन अब अगर कोई बच्चा मेरे सवाल का जवाब देने की जगह भाग जाएगा ,उसे चॉकलेट नहीं मिलेगी ---"उन्होंने शैतान मुन्ना की तरफ़ देखकर कहा था |

उस दिन से मुन्ना दानी की किसी बात का उत्तर दिए बिना कभी नहीं गया |

डॉ.प्रणव भारती