उस युवती को पहली बार देखरे ही सुनील के दिल मे कुछ हुआ था।वह अपने दोस्त की शादी में भोपाल गया था।बारात मैरिज होम में पहुंच चुकी थी।वह कुर्सी पर बैठा इधर उधर देख रहा था।तभी उसकी नज़र उस युवती पर पड़ी थी।सांवले रंग और साधारण नैन नक्श के बावजूद उसमे जबरदस्त कशिश थी।एक बार उसे क्या देखा।फिर वह जंहा भी जा रही थी।सुनील की नज़रे उसका पीछा कर रही थी।
सुनील की माँ इस दुनिया से जाने से पहले बहु का मुंह देख लेना चाहती थी।इसलिए आये दिन किसी लड़की का फोटो उसके सामने रख देती।लेकिन उसे कोई लड़की पसंद नही आई।तब माँ कहने लगी,"न जाने कैसी लडक़ी तू चाहता है? कहीं ऐसा न हो ना ना करते एक दिन रिश्ते आना ही बन्द हो जाये और तू कुुंवारा ही रह जाये।"
सुनील जैसी लड़की को जीवनसंगनी बनाना चाहता था।वैसी लड़की मिल ही नही रही थी।न जाने मिलेगी भी या नही?
और उसकी नज़र उस युवती पर पड़ी थी।उसमें जबरदस्त आकर्षण था।उस युवती को देखकर मन मे मंथन शुरू हो गया।कशमकश चालू हो गयी।कुछ देर में ही मन मे विचार करने के बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुंचा की जैसी जीवनसंगनी चाहता है,ठीक वैसी ही वह है।औऱ मन मे
"निर्णय करके वह उसके पास जा पहुंचा।
"मेरा नाम सुनील है---------अपना परिचय देते हुए सुनील बोला,"आपका नाम जान सकता हूँ।"
"सुनीता।"
"मुझे घुमा फिराकर बात करना नही आता-----सुनील अपनी बात कहता उससे पहले एक बच्चा रोता हुआ चला आया।वह मम्मी मम्मी कहकर सुनीता से लिपट गया।
बच्चे को सुनीता से लिपटता देखकर सुनील को अपनी इच्छा पर पानी फिरता नज़र आया।फिर भी वह हिम्मत करके बोला,"यह आपका बेटा है?"
"हां।चिंकू मेरा ही बेटा है।"बच्चे को गोद मे लेते हुए सुनीता बोली।
"इसके पापा का क्या नाम है?"
"दीपक".
"क्या करते हैं, इसके पापा?"
"वह अब इस दुनिया मे नही है".
"ओहो"सुनील अफसोस जाहिर करते हुए बोला,"आप विधवा हैं?"
"नही तो।मेरी तो अभी शादी भी नही हुई है।"
"समझा।आजकल लिव इन रिलेशन का जमाना है।मर्द औरत साथ रहेंगे तो बच्चे कि संभावना तो रहेगी।"
"आप जैसा सोच रहे है।ऐसा कुछ भी नही है।न मैं विधवा हूं, ना ही मैं किसी के साथ लिव इन रिलेशन में रहती हूँ।"सुनील की बात सुनकर सुनीता बोली
"तो फिर चिंकू आपका बेटा कैसे?"सुनील ने प्रश्नसूचक नज़रो से सुनीता की तरफ देखा था।
"यह मेरी सहेली सीमा का बेटा है।दो साल पहले ट्रेन दुर्घटना में सीमा और उसका पति बुरी तरह जख्मी हुए थे और बाद में अस्पताल में दोनों की मौत हो गई।दोनो अनाथ थे।उनका कोई नही था।मरने से पहले सीमा चिंकू को मेरे हवाले कर गई थी।यह मुझे ही अपनी माँ समझता है।"सुनीता ने चिंकू के बारे में बताया था।
"मतलब आप अभी तक कुंवारी है?"
"जी।"
"क्या आपका इरादा शादी करने का नहीं है?"
"क्यों नहीं?दुल्हन बनना हर लड़की का सपना होता है।"
"फिर आपने अभी तक शादी क्यो नहीं की?"
"मुझे अपनी बनाने के लिए तो बहुत लोग तैयार है, लेकिन चिंकू को अपनाने के लिये कोई नही।मैं चिंकू को अपने से अलग नही कर सकती"
"आपके विचार बहुत उच्च है।एक अनाथ बच्चे को अपनाना बहुत बड़ी बात है।मैं आपके विचारों की कद्र करता हूँ।"
"मेरे विचार ही मेरी शादी में बाधा है।"
"अगर आपको ऐतराज न हो तो,मैं आपसे शादी करना चाहता हूँ।"
"सब कुछ जानकर भी।"
"मैं चिंकू को पिता का प्यार भी दूंगा।"
सुनील की बात सुनकर सुनीता सोचने लगी और कुछ देर बाद
सुनीता ने सुनील का हाथ थाम लिया था।