Daynasour ka bachcha in Hindi Children Stories by Sandeep Shrivastava books and stories PDF | डायनासौर का बच्चा

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डायनासौर का बच्चा

रघुवन में एक दुपहर बहुत शांति थी। रेंचो खरगोश भोजन के बाद झाड़ियों में दुबक कर झपकी मार रहा था | तभी अचानक उसे किसी के जोर जोर से रोने की आवाज़ आई | आवाज़ सुनकर रेंचो जागा | आवाज़ बहुत जोर से आ रही थी| रेंचो ने ऐसी आवाज़ पहले कभी भी नहीं सुनी थी | यहाँ वहाँ वो आवाज़ करने वाले जानवर को ढूंढ़ने लगा| वो आवाज़ की दिशा में आगे चलने लगा। थोड़ा आगे जाकर उसने जो देखा उस पर तो स्वयं उसे भी विश्वास नहीं हुआ| एक डायनासौर का बच्चा उसके सामने बैठा हुआ था। वो ही ज़ोर ज़ोर से रो रहा था | रेंचो अचरज के मारे अपने स्थान पे खड़ा ही रह गया | उसे विश्वास नहीं था हुआ की आजके युग में डायनासौर किधर से आ गए। कुछ देर के बाद हिम्मत कर के वो आगे बढ़ा और डायनासौर के पास गया | उस को पास आता देख डायनासौर डर गया और पीछे की ओर भागा और सीधा जाके भोलू भालू से टकराया|
भोलू ने बोला “डरो मत, आराम से बैठ कर बातें करते हैं|”
सभी लोग बैठ गए| रेंचो उत्सुकता और रोमांच से भरा हुआ था| वो भोलू से जल्दी से बोला “आज कल भी क्या डायनासौर होते हैं? मैंने तो पहली बार देखा है रघुवन में डायनासौर |”
भोलूबोला “आजकल यह होते तो नहीं हैं, अब इसकी कहानी है, इसे ही सुनाने दो|”
डायनासौर बोला “मैं बहुत वर्षों से नदी के तल में अपने अंडे में ही था| पता नहीं किस वजह से ना वो अंडा फूटा और ना ही मैं बाहर निकला| आज सुबह पानी के बहाव के साथ वो अंडा बहने लगा और एक पत्थर से टकरा कर टूट गया| तब मैं बाहर आ पाया| बाहर आकर मैं अपने माता पिता को ढूंढ़ने लगा| पर यहाँ तो मुझे कोई भी डायनासौर दिखाई नहीं दिया | सुबह से दोपहर तक मैं उन्हें ढूंढ़ते ढूंढ़ते थक गया| मुझे भूख भी लगी है| इसलिए मैं रोने लगा|”
रेंचो बोला “भोजन की चिंता तुम मत करो| तुम्हारे लिए अभी फल लेके आते हैं|”
कुछ ही देर में डायनासौर के लिए बहुत सारे फल और कंदमूल लाए गए| डायनासौर ने बहुत सारा भोजन किया| सभी उसे देख के आश्चर्यचकित थे|
भोलू बोला “तुम अवश्य ही बहुत थक गए होगे |थोड़ी देर यहाँ आराम कर लो फिर तुम्हारे माता पिता को खोजने चलेंगे|”
डायनासौर नीचे ही लेट गया| लेटते ही उसकी नींद लग गई| उसको सोता देख रेंचो भी सो गया|
बहुत देर के बाद रेंचो को किसी ने जोर जोर से हिला के जगाया| उसकी आँख खुली तो उसने देखा कि भोलू उसे जगा रहा है| वो जल्दी से उठ के बैठ गया और बोला “चलो डायनासौर के माता पिता को ढूंढ़ते हैं|”
भोलू बोला “डायनासौर… किधर है डायनासौर? कोई सपना वपना देख रहे थे क्या?”

रेचो को समझ नहीं आ रहा था की डायनासौर किधर गया। अभी अभी तो वह इधर ही था। फिर उसे अनुभव हुआ की वो सो रहा था।

रेंचो बोला “सपना.....ओह्ह हां शायद वो सपना ही था|”

रेंचो ने अपना सपना सबको सुनाया| सब खूब हँसे|
फिर सबने मिलकर पार्टी करी|